वैसे तो श्री कृष्ण की कई आरतियाँ (Aarti Krishna Bhagwan Ki) प्रसिद्ध है जो उनके कई रूपों व गुणों का वर्णन करती है लेकिन आज हम आपके साथ कृष्ण भगवान की 9 छोटी-छोटी आरतियाँ साझा करेंगे। यह आरतियाँ कृष्ण भगवान के विभिन्न रूपों जैसे कि गिरिधारी, कुञ्ज बिहारी, राधिकानाथ, इत्यादि को समर्पित है।
इस लेख में आपको एक-एक करके 9 कृष्ण आरतियाँ (Aarti Krishna Ji Ki) पढ़ने को मिलेगी। अंत में हम आपको इन कृष्ण आरतियों को पढ़ने से मिलने वाले फायदे और उसके महत्व के बारे में भी बताएँगे। आइए करें आरती कृष्ण भगवान की।
जैसा कि हमने आपको ऊपर ही बताया कि यहाँ आपको 9 तरह की कृष्ण आरतियां पढ़ने को मिलेगी। इन नौ आरतियों का क्रम इस प्रकार होगा:
तो चलिए पढ़ते हैं भगवान श्रीकृष्ण के विभिन्न रूपों को समर्पित आरतियाँ (Shri Krishna Aarti)।
आरती कीजै श्याम सुंदर की।
नंद कुमार राधिका बर की॥
भक्ति दीप कर प्रेम सुबाती।
सत संगति कर अनुदिन राती॥
आरती वज्र युवती मन भावै।
श्याम लीला हिट हरिबंस गावै॥
आरती कीजै सुंदर बर की।
नंद किशोर जसोदा नंदन,
नागर नवल ताप तम हर की॥
बन विलास मृदु हास मनोहर,
श्रवण सुधा सुख मोहन कर की॥
बिहारी दास लोचन चकोर नित,
अंस जु प्रिया लाल भुजधर की॥
आरती गोपिका रमण गिरिधरन की,
निरख ब्रज जुवति आनंद भीनी।
मणि खचित थार घनसार बाती बरै,
ललित ललितादी सखी हाथ तीनी॥
बिहरत श्रीकुंज सुख पुंज पिय संग मिलि,
बिबिध भोजन किए रुचि नवीनी।
प्रगट परमानंद नवल विट्ठलनाथ,
दास गोपाल लघु कृपा कीनी॥
लटकत चलत जुवति सुखदानी।
संध्या समै सखा मंडल में शोभित,
तन गो रज लपटानी॥
मोर मुकुट गुंजा पीरो पट,
मुख मुरली गुंजत मृदु बानी॥
चत्रभुज प्रभु गिरिधर आए बनतें,
लै आरती वारत नंदरानी॥
आनंद आज कुञ्ज के द्वार।
सखी सकल मिलि मंगल गावत,
नयनन निरखत नंद दुलार॥
नव नव बसन नवल,
नव भूषण, पुष्प, दाम सिंगार।
शुभ मंडप में रुचिर बिराजत
मनमोहन संग राधा नार॥
दीप मालिका रची चहुँ दिसि,
जगमगात अंग ज्योति अपार।
वारि आरती जुगल रूप पर,
परमानन्द दास बलिहार॥
बैठे कुञ्ज मंडप में आई।
रच्यो संवार सखी ललितादिक,
यह शोभा कछु बरनि न जाई॥
दीपमालिका रुचिर बनाई,
घृत परिपूरनताई।
धूप दीप कर, फूल माल धर,
नाना व्यंजन सुभग कराई॥
गावत मंगल गीत सकल मिल,
नंद नंदन पियदेव मनाई।
वार आरती जुगल रूप पर,
चत्रभुजदास बारनें जाई॥
आरती वारत राधिका नागरी।
तन कनक थार, भूषण रत्न दीपक लिए,
कमल मुक्तावली मंगल उजागरी॥
रुषित कटि मेखला सुभग घंटावली,
झालर संख बाजत जे करत उच्चागरी।
अनुराग छत्र अंचल चमर नयन चल,
भाव कुसुमांजलि चतुर गुण आगरी॥
सखी जूथन लिए बिबिध भोजन किए,
सुखद गिरिबर धरण रिझवत सुहाग री।
जयति विष्णुस्वामी पथ पावन श्रीबल्लभपद,
पद्म बर नमत कृष्णदास बडभाग री॥
करत आरती नवब्रजनारी।
अगर कपूर सुगन्धित बूका,
बिबिध भांति की सांझ संवारी॥
घंटा झालर शंख नृसिंहा,
बिजै घंट धुनि परम सुखारी।
बंसी बीन मृदंग तम्बूरा,
शहनाई बाजत है न्यारी॥
बरसत फूल गगन सो सुरगन,
देवबधू नाचत दै तारी।
हरषत सखी करत न्योछावर,
नारायण होवै बलिहारी॥
जय जय आरती श्री गोपाल की।
आनंद कंद सकल सुख सागर,
नव नागर नंद लाल की॥
सव्य अंग वृषभानु नंदिनी,
चहुँ दिसि गोपीमाल की।
जय श्रीभट्ट बार बार बलिहारी,
श्रीराधानामिनी बाल की॥
इस तरह से आज आपने कृष्ण भगवान की आरतियां (Aarti Krishna Bhagwan Ki) हिंदी में पढ़ ली है। अब हम कृष्ण आरती के फायदे और उसके महत्व को भी जान लेते हैं।
भगवान श्री कृष्ण आरती के माध्यम से हमें श्रीकृष्ण के गुणों, शक्तियों, महिमा, महत्व इत्यादि के बारे में जानकारी मिलती है। श्रीकृष्ण भगवान विष्णु का एक ऐसा पूर्ण अवतार है जो सभी गुणों से संपन्न है। उन्होंने अपने पूरे जीवनकाल में एक नहीं बल्कि कई उद्देश्यों को पूरा किया है। अपने कर्मों के द्वारा उन्होंने हमें कई तरह की शिक्षा भी दी है।
श्रीकृष्ण ने द्वापर युग में ही कलियुग के अंत तक की शिक्षा दे दी थी। जैसे-जैसे कलियुग का समयकाल आगे बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे ही श्रीकृष्ण भी अधिक प्रासंगिक होते जा रहे हैं। ऐसे में श्रीकृष्ण के बारे में और अधिक जानने और उनके गुणों को आत्मसात करने के उद्देश्य से ही श्री कृष्ण आरती का पाठ किया जाता है। यहीं कृष्ण भगवान की आरती की महत्ता है।
यदि आप प्रतिदिन सच्चे मन के साथ श्री कृष्ण जी की आरती का पाठ (Shri Krishna Aarti) करते हैं तो इससे श्रीकृष्ण आपसे प्रसन्न होते हैं। श्रीकृष्ण के प्रसन्न होने का अर्थ हुआ, आपकी सभी तरह की दुविधाओं, संकटों, कष्टों, परेशानियों, विघ्नों, दुविधाओं, उलझनों, मतभेदों, समस्याओं, नकारात्मकता, द्वेष, ईर्ष्या, इत्यादि का अंत हो जाना।
श्रीकृष्ण की कृपा से हमारा जीवन सरल हो जाता है, घर में सुख-शांति का वास होता है, व्यापार, करियर व नौकरी में उन्नति होती है, शिक्षा में अव्वलता आती है, स्वास्थ्य उत्तम होता है, रिश्ते मधुर बनते हैं और समाज में प्रतिष्ठा में बढ़ोत्तरी देखने को मिलती है। इसलिए आपको शुद्ध तन, निर्मल मन और स्वच्छ स्थान पर कृष्ण जी की आरती का पाठ करना चाहिए।
आज के इस लेख के माध्यम से आपने कृष्ण भगवान की आरती (Aarti Krishna Ji Ki) को पढ़ लिया है। आशा है कि आपको धर्मयात्रा संस्था के द्वारा दी गई यह जानकारी पसंद आई होगी। यदि आप अपनी प्रतिक्रिया देना चाहते हैं या इस विषय पर हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो आप नीचे कमेंट कर सकते हैं। हमारी और से आप सभी को जय श्रीकृष्ण।
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