वृंदावन में स्थित बांके बिहारी जी का मंदिर पूरे देश में प्रसिद्ध है जिसके दर्शन करने हर वर्ष करोड़ो की संख्या में श्रद्धालु मथुरा पहुँचते हैं। मान्यता है कि बांके बिहारी जी की मूर्ति इतनी मनमोहक है कि उन्हें ज्यादा देर तक निहारने से हमारी नज़र उन्हें लग जाती है। ऐसे में आज के इस लेख के माध्यम से हम आपके साथ बांके बिहारी की आरती (Banke Bihari Ki Aarti) करने जा रहे हैं।
बांके बिहारी आरती को हम सभी बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं (Banke Bihari Teri Aarti Gaun) के नाम से जानते हैं जो बहुत लोगों को याद भी होगी। ऐसे में आज के इस लेख में हम आपके साथ बांके बिहारी आरती का हिंदी अर्थ भी सांझा करेंगे ताकि आप उसका भावार्थ भी समझ सकें। अंत में आपको बांके बिहारी जी की आरती का महत्व व लाभ भी पढ़ने को मिलेगा। तो आइये सबसे पहले करते हैं आरती बांके बिहारी की (Aarti Banke Bihari Ki)।
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं,
हे गिरिधर तेरी आरती गाऊं।
आरती गाऊं प्यारे आपको रिझाऊं,
श्याम सुन्दर तेरी आरती गाऊं।
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं॥
मोर मुकुट प्यारे शीश पे सोहे,
प्यारी बंसी मेरो मन मोहे।
देख छवि बलिहारी मैं जाऊं,
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं॥
चरणों से निकली गंगा प्यारी,
जिसने सारी दुनिया तारी।
मैं उन चरणों के दर्शन पाऊं,
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं॥
दास अनाथ के नाथ आप हो,
दुःख सुख जीवन प्यारे साथ आप हो।
हरी चरणों में शीश झुकाऊं,
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं॥
श्री हरीदास के प्यारे तुम हो,
मेरे मोहन जीवन धन हो।
देख युगल छवि बलि बलि जाऊं,
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं॥
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं,
हे गिरिधर तेरी आरती गाऊं।
आरती गाऊं प्यारे आपको रिझाऊं,
श्याम सुन्दर तेरी आरती गाऊं।
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं॥
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं,
हे गिरिधर तेरी आरती गाऊं।
आरती गाऊं प्यारे आपको रिझाऊं,
श्याम सुन्दर तेरी आरती गाऊं।
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं॥
मैं बांके बिहारी जी की आरती करता हूँ। मैं गिरिधर भगवान की आरती गाता हूँ। मैं बांके बिहारी की आरती करके उन्हें रिझाता हूँ अर्थात उन्हें मनाता हूँ। मैं श्याम सुन्दर जी की आरती गाता हूँ।
मोर मुकुट प्यारे शीश पे सोहे,
प्यारी बंसी मेरो मन मोहे।
देख छवि बलिहारी मैं जाऊं,
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं॥
बांके बिहारी जी ने अपने मस्तक पर मोर पंख से सजा हुआ मुकुट पहन रखा है। उन्होंने अपने हाथों में जो बांसुरी पकड़ रखी है, उसे देखकर मेरा मन मोहित हो जाता है। उनका यह अद्भुत व प्यारा रूप देखकर मैं उन पर आसक्त होता जा रहा हूँ। इसी धुन में मैं बांके बिहारी आरती करता हूँ।
चरणों से निकली गंगा प्यारी,
जिसने सारी दुनिया तारी।
मैं उन चरणों के दर्शन पाऊं,
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं॥
बांके बिहारी जी के चरणों से ही गंगा माता निकलती है। वही गंगा माता हम लोगों का उद्धार करती हैं और मोक्ष प्रदान करती हैं। मुझे बांके बिहारी जी के उन पावन चरणों के दर्शन मिले, इसी आशा में मैं बांके बिहारी की आरती करता हूँ।
दास अनाथ के नाथ आप हो,
दुःख सुख जीवन प्यारे साथ आप हो।
हरी चरणों में शीश झुकाऊं,
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं॥
इस संसार में जो भी अनाथ है और बांके बिहारी जी का सेवक है, उसका मार्गदर्शन तो स्वयं वही कर देते हैं अर्थात वे ही हमें आगे का मार्ग दिखाते हैं। हमारे सभी दुःख व सुख में बांके बिहारी जी हमारे साथ होते हैं। मैं उन हरि चरणों में अपना शीश झुकाता हूँ और बांके बिहारी की आरती करता हूँ।
श्री हरीदास के प्यारे तुम हो,
मेरे मोहन जीवन धन हो।
देख युगल छवि बलि बलि जाऊं,
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं॥
श्री हरीदास के मन को बांके बिहारी जी बहुत लुभाते हैं। उनके जीवन को धन्य बनाने वाले भी स्वयं बांके बिहारी जी ही हैं। उनके युगल रूप को देखकर तो हम सभी का मन उन पर न्यौछावर हो जाता है। हम सभी बांके बिहारी जी की आरती करते हैं।
कृष्ण भगवान के एक नहीं बल्कि कई रूप प्रचलित हैं और उनके हरेक रूप का अपना अलग महत्व है। ये रूप उनके भिन्न-भिन्न गुणों, विशेषताओं तथा महिमा का वर्णन करते हैं जिनमें से एक रूप बांके बिहारी जी का है। अब श्रीकृष्ण जी त्रिभंगी मुद्रा में खड़े होते हैं जो कि टेढ़ा रूप है। वे मोर पंख भी टेढ़ी लगाते हैं और व्यवहार में भी नटखट हैं।
ऐसे में बांके बिहारी मंदिर में उनकी यही मूर्ति लगायी गयी है जो भक्तों के बीच लोकप्रिय है। इस मुद्रा में वे सभी का मन मोह लेते हैं। ऐसे में श्रीकृष्ण के इस रूप का वर्णन करने और उनकी आराधना करने के उद्देश्य से ही बांके बिहारी की आरती लिखी गयी है। बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं के माध्यम से आप श्रीकृष्ण के रूप का वर्णन तो करते ही हैं और साथ के साथ उनकी आराधना भी कर लेते हैं।
यदि आप सच्चे मन के साथ श्रीकृष्ण का ध्यान कर बांके बिहारी जी की आरती करते हैं तो अवश्य ही उनकी कृपा आप पर बरसती है। श्रीकृष्ण यदि हमसे प्रसन्न हो जाते हैं तो फिर हमें किसी भी चीज़ की कमी नहीं रह जाती है। वे हमारी हर तरह की इच्छा को पूरी करने में समर्थ हैं और उसे करते भी हैं।
इसी के साथ ही आपके मन में प्रेम के भाव उत्पन्न होते हैं और क्रोध, ईर्ष्या, लोभ, उदासी इत्यादि की भावनाएं दूर होती जाती है। मन में सकारात्मक भावनाओं के आने के कारण हम कार्य भी उसी तरह से कर पाते हैं और रिश्तों में भी मजबूती देखने को मिलती है। यही बांके बिहारी की आरती से मिलने वाले लाभ होते हैं।
बांके बिहारी आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: बांके बिहारी मंदिर में कौन सी आरती होती है?
उत्तर: बांके बिहारी मंदिर में जो आरती की जाती है, वह हमने अर्थ सहित आपको इस लेख में दी है जिसे आपको पढ़ना चाहिए।
प्रश्न: बांके बिहारी का मतलब क्या होता है?
उत्तर: बांके का अर्थ होता है टेढ़ा और बिहारी जो विचरण करता है। श्रीकृष्ण टेढ़ी मुद्रा में इधर-उधर विचरण करते थे जिस कारण उनका एक नाम बांके बिहारी पड़ गया।
प्रश्न: बांके बिहारी की पूजा कैसे करें?
उत्तर: बांके बिहारी जी की पूजा करने के लिए आपको उनके इसी रूप का ध्यान कर बांके बिहारी की आरती का पाठ करना चाहिए।
प्रश्न: बांके बिहारी में पर्दे क्यों होते हैं?
उत्तर: मान्यता है कि यदि कोई भक्तगण बांके बिहारी जी को ज्यादा देर तक देख लेता है तो उन्हें हमारी नज़र लग जाती है। इसी कारण उन्हें कुछ-कुछ समय में ही पर्दा किया जाता रहता है।
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