आज हम श्री काली चालीसा (Kali Chalisa Lyrics) का पाठ करेंगे। जब भी काली माँ का नाम आता है तो हम सभी भयभीत हो जाते हैं लेकिन उनसे भयभीत होने की कोई आवश्यकता नहीं है। दरअसल माँ का यह रूप तो दुष्टों का नाश करने के उद्देश्य से प्रकट किया गया है। ऐसे में जो माँ काली दुष्टों, पापियों, अधर्मियों, शत्रुओं का नाश करने में दिनरात लगी हुई है, उनसे तो हमें भयभीत होने की बजाये उनका धन्यवाद करना चाहिए।
काली माता चालीसा (Kali Mata Chalisa) के माध्यम से हम माँ काली के महत्व, गुणों, शक्तियों, उद्देश्य व उत्पत्ति के बारे में जान पाते हैं। इसी के साथ-साथ काली माता की आराधना भी हो जाती है। ऐसे में आज हम काली चालीसा के फायदे और उसके महत्व के बारे में भी आपको बताएँगे। आइए सबसे पहले पढ़ते हैं श्री काली चालीसा हिंदी में।
॥ दोहा ॥
जय काली जगदम्ब जय, हरनि ओघ अघ पुंज।
वास करहु निज दास के, निशदिन हृदय-निकुंज॥
जयति कपाली कालिका, कंकाली सुख दानि।
कृपा करहु वरदायिनी, निज सेवक अनुमानि॥
॥ चौपाई ॥
जय जय जय काली कंकाली। जय कपालिनी, जयति कराली॥
शंकर प्रिया, अपर्णा, अम्बा। जय कपर्दिनी, जय जगदम्बा॥
आर्या, हला, अम्बिका, माया। कात्यायनी उमा जगजाया॥
गिरिजा गौरी दुर्गा चण्डी। दाक्षाणायिनी शाम्भवी प्रचंडी॥
पार्वती मंगला भवानी। विश्वकारिणी सती मृडानी॥
सर्वमंगला शैल नन्दिनी। हेमवती तुम जगत वन्दिनी॥
ब्रह्मचारिणी कालरात्रि जय। महारात्रि जय मोहरात्रि जय॥
तुम त्रिमूर्ति रोहिणी कालिका। कूष्माण्डा कार्तिकी चण्डिका॥
तारा भुवनेश्वरी अनन्या। तुम्हीं छिन्नमस्ता शुचिधन्या॥
धूमावती षोडशी माता। बगला मातंगी विख्याता॥
तुम भैरवी मातु तुम कमला। रक्तदन्तिका कीरति अमला॥
शाकम्भरी कौशिकी भीमा। महातमा अग जग की सीमा॥
चन्द्रघण्टिका तुम सावित्री। ब्रह्मवादिनी माँ गायत्री॥
रूद्राणी तुम कृष्ण पिंगला। अग्निज्वाल तुम सर्वमंगला॥
मेघस्वना तपस्विनि योगिनी। सहस्त्राक्षि तुम अगजग भोगिनी॥
जलोदरी सरस्वती डाकिनी। त्रिदशेश्वरी अजेय लाकिनी॥
पुष्टितुष्टि धृति स्मृति शिव दूती। कामाक्षी लज्जा आहूती॥
महोदरी कामाक्षि हारिणी। विनायकी श्रुति महा शाकिनी॥
अजा कर्ममोही ब्रह्माणी। धात्री वाराही शर्वाणी॥
स्कन्द मातु तुम सिंह वाहिनी। मातु सुभद्रा रहहु दाहिनी॥
नाम रूप गुण अमित तुम्हारे। शेष शारदा बरणत हारे॥
तनु छवि श्यामवर्ण तव माता। नाम कालिका जग विख्याता॥
अष्टादश तब भुजा मनोहर। तिनमहँ अस्त्र विराजत सुंदर॥
शंख चक्र अरु गदा सुहावन। परिघ भुशुण्डी घण्टा पावन॥
शूल बज्र धनुबाण उठाए। निशिचर कुल सब मारि गिराए॥
शुंभ निशुंभ दैत्य संहारे। रक्तबीज के प्राण निकारे॥
चौंसठ योगिनी नाचत संगा। मद्यपान कीन्हेउ रण गंगा॥
कटि किंकिणी मधुर नूपुर धुनि। दैत्यवंश कांपत जेहि सुनि-सुनि॥
कर खप्पर त्रिशूल भयकारी। अहै सदा सन्तन सुखकारी॥
शव आरूढ़ नृत्य तुम साजा। बजत मृदंग भेरी के बाजा॥
रक्त पान अरिदल को कीन्हा। प्राण तजेउ जो तुम्हिं न चीन्हा॥
लपलपाति जिव्हा तब माता। भक्तन सुख दुष्टन दुःख दाता॥
लसत भाल सेंदुर को टीको। बिखरे केश रूप अति नीको॥
मुंडमाल गल अतिशय सोहत। भुजामल किंकण मनमोहत॥
प्रलय नृत्य तुम करहु भवानी। जगदम्बा कहि वेद बखानी॥
तुम मशान वासिनी कराला। भजत तुरत काटहु भवजाला॥
बावन शक्ति पीठ तव सुन्दर। जहाँ बिराजत विविध रूप धर॥
विन्धवासिनी कहूँ बड़ाई। कहूँ कालिका रूप सुहाई॥
शाकम्भरी बनी कहूँ ज्वाला। महिषासुर मर्दिनी कराला॥
कामाख्या तव नाम मनोहर। पुजवहिं मनोकामना द्रुततर॥
चंड मुंड वध छिन महं करेउ। देवन के उर आनन्द भरेउ॥
सर्व व्यापिनी तुम माँ तारा। अरिदल दलन लेहु अवतारा॥
खलबल मचत सुनत हुँकारी। अगजग व्यापक देह तुम्हारी॥
तुम विराट रूपा गुणखानी। विश्व स्वरूपा तुम महारानी॥
उत्पत्ति स्थिति लय तुम्हरे कारण। करहू दास के दोष निवारण॥
माँ उर वास करहू तुम अंबा। सदा दीन अवलंबा॥
तुम्हारो ध्यान धरै जो कोई। ता कहँ भीति कतहुँ नहिं होई॥
विश्वरूप तुम आदि भवानी। महिमा वेद पुराण बखानी॥
अति अपार तव नाम प्रभावा। जपत न रहन रंच दुःख दावा॥
महाकालिका जय कल्याणी। जयति सदा सेवक सुखदानी॥
तुम अनन्त औदार्य विभूषण। कीजिये कृपा क्षमिये सब दूषण॥
दास जानि निज दया दिखावहु। सुत अनुमानित सहित अपनावहु॥
जननी तुम सेवक प्रति पाली। करहु कृपा सब विधि माँ काली॥
पाठ करै चालीसा जोई। तापर कृपा तुम्हारी होई॥
॥ दोहा ॥
जय तारा जय दक्षिणा, कलावती सुखमूल।
शरणागत भक्त है, रहहु सदा अनुकूल॥
तो यह थी काली माता चालीसा (Kali Mata Chalisa)। अब बारी आती है काली चालीसा के फायदे और उसके महत्व को जानने की। आइए अब इसके बारे में भी विस्तार से जान लेते हैं।
माँ दुर्गा ने अपने गुणों के अनुसार कई तरह के रूप लिए हैं और उसी के अनुसार ही उनकी पूजा करने का विधान रहा है। अब मातारानी के कुछ रूप बहुत ही मनोहर, मन को शांति देने वाले तथा सौम्य रंग रूप वाले होते हैं लेकिन इन सभी रूपों के विपरीत माँ दुर्गा का माँ काली वाला रूप मन को भयभीत कर देने वाला, काले रंग का व गले में राक्षसों के कंकाल लिए हुए होता है। इस रूप में मातारानी रक्त से सनी हुई, क्रोधित व लाल आँखों वाली होती है।
काली चालीसा के माध्यम से हमें ना केवल माँ काली के रूप का वर्णन मिलता है अपितु उन्होंने किस उद्देश्य की पूर्ति के लिए जन्म लिया था, इसके बारे में भी पता चलता है। ऐसे में धर्म का कार्य करने वाले लोगों को तो माँ काली से भयभीत होने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि जिस तरह से माँ काली सज्जन मनुष्यों की अधर्मी लोगों से रक्षा कर पाने में समर्थ होती है, उतना तो मातारानी का कोई भी अन्य रूप नहीं कर सकता है।
इस तरह से माँ काली के महत्व को इस काली चालीसा के माध्यम से बताने का प्रयास किया गया है। इससे हमें यह ज्ञात होता है कि माँ काली भी उतनी ही आवश्यक हैं जितनी की मातारानी के अन्य रूप। अब यदि पाप बहुत अधिक बढ़ जाता है और वह धर्म के ऊपर हावी होने लगता है तो उस समय माँ काली ही हमारी व धर्म की रक्षा कर सकती हैं और अधर्म का नाश करने में समर्थ होती हैं। यही माँ काली चालीसा का मुख्य महत्व होता है।
अब यदि आप प्रतिदिन सच्चे मन के साथ श्री काली चालीसा का पाठ करते हैं और माँ काली का ध्यान करते हैं तो अवश्य ही माँ आपकी हरेक इच्छा को पूरा करती हैं। यदि आपको कोई परेशान कर रहा है या आपके शत्रु हमेशा आपका नुकसान करने की ताक में रहते हैं या आपके जीवन में कई तरह के संकट आये हुए हैं और उनका हल नहीं निकल पा रहा है या फिर आपको किसी अन्य बात को लेकर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है तो निश्चित तौर पर आपको काली माता की चालीसा का पाठ करना चाहिए।
माँ काली के द्वारा अपने भक्तों की हरसंभव सहायता की जाती है। जो भी भक्तगण सच्चे मन से माँ काली चालीसा का जाप करता है तो माँ काली उसके हर तरह के संकटों का नाश कर देती हैं और उसे आगे का मार्ग दिखाती हैं। ऐसे में आपको अपने हर तरह के कष्ट, पीड़ा, दुःख, दर्द, संकट, परेशानियाँ, नकारात्मक भावनाएं इत्यादि को दूर करने के लिए नित्य रूप से काली चालीसा का पाठ करना चाहिए।
आज के इस लेख के माध्यम से आपने श्री काली चालीसा (Kali Chalisa Lyrics) पढ़ ली है। साथ ही आपने काली चालीसा के फायदे और उसके महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।
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