भगवान शिव को महाकाल के नाम से जाना जाता है अर्थात काल के भी काल। समय को तीन चक्रों में बांटा गया है जिन्हें हम भूतकाल, वर्तमानकाल व भविष्यकाल के नाम से जानते हैं और इन तीनों काल के स्वामी को ही महाकाल अर्थात शिव कहा जाता है। महाकाल का मंदिर उज्जैन के शिप्रा नदी के किनारे स्थित है। आज के इस लेख में हम आपके साथ महाकाल की आरती का पाठ (Mahakal Ki Aarti) ही करने जा रहे हैं।
इसी के साथ ही हम आपके साथ महाकाल आरती इन हिंदी में भी सांझा करेंगे ताकि आप महाकाल आरती का भावार्थ (Mahakal Aarti) भी समझ सकें। अंत में आपको महाकाल आरती के लाभ व महत्व भी पढ़ने को मिलेंगे। तो आइये सबसे पहले पढ़ते हैं महाकाल बाबा की आरती (Mahakaal Aarti)।
यहाँ हम आपको पहले ही बता दें कि महाकाल की आरती को यहाँ लिखकर नहीं दिया जा सकता है क्योंकि यह भारतीय कानून के कॉपीराइट अधिनियम 1957 के तहत आती है। इस पर दिवंगत गुलशन कुमार जी की कंपनी टी सीरीज का एकाधिकार है। उन्होंने महाकाल आरती पर कॉपीराइट लिया हुआ है। ऐसे में यदि आपको किसी वेबसाइट पर महाकाल आरती पढ़ने को दी गयी है तो या तो वह गलत महाकाल आरती होगी अर्थात उन्होंने इसे अपने आप से नया बनाया होगा या फिर वे कॉपीराइट अधिनियम का उल्लंघन कर रहे होंगे।
अब यदि आप महाकाल आरती पढ़ना ही चाहते हैं तो हम आपके लिए टीसीरीज के यूट्यूब चैनल में महाकाल आरती का लिंक नीचे दे रहे हैं। नीचे आपके सामने महाकाल आरती का वीडियो लिंक है जिस पर क्लिक कर आप महाकाल की आरती को सुन सकते हैं। इसे गीतकार श्री आशीष चंद्रा जी के द्वारा लिखा गया है और गायिका श्रीमती अनुराधा पौडवाल जी के द्वारा गाया गया है।
अब यदि आप ऊपर वीडियो में दी गयी महाकाल आरती का अर्थ जानना चाहते हैं तो इसमें शिव के महाकाल रूप का वर्णन करते हुए उनकी आराधना की गयी है। इसमें बताया गया है कि शिव जी को महाकाल क्यों कहा गया है और क्यों वे सभी देवताओं में सबसे महान और देवों के भी देव हैं। हम काल को तीन भागों में विभाजित करके देख सकते हैं जिन्हें हम भूतकाल, वर्तमानकाल व भविष्यकाल के नाम से जानते हैं।
अब भूतकाल हमारा इतिहास है या वह घटनाएँ जो घटित हो चुकी है, वर्तमानकाल उसे प्रदर्शित करता है जो अभी हम जी रहे हैं जबकि भविष्यकाल आगे घटित हो सकने वाली घटनाओं को प्रदर्शित करता है। महाकाल इन तीनों के स्वामी हैं अर्थात समयचक्र उन्हीं के अधीन है। वे ही इस सृष्टि में काल को नियंत्रित करते हैं और इसी कारण उन्हें महाकाल कहा गया है।
इसी के साथ ही महाकाल आरती के माध्यम से उनके रूप का भी वर्णन किया गया है। एक तो उनका वह रूप जो हम देख पाते हैं जिसमें वे अपने हाथ में त्रिशूल व डमरू पकड़े हुए नंदी पर बैठे होते हैं तो वहीं दूसरी ओर, उनके निराकार रूप का वर्णन भी इसी महाकाल आरती के माध्यम से दिया गया है। इस ब्रह्माण्ड व संपूर्ण सृष्टि को महाकाल का ही रूप माना गया है और वही इसका सञ्चालन, निर्माण व विध्वंस करते हैं। तो महाकाल के बारे में संक्षेप में परिचर देकर उनकी आराधना महाकाल आरती के माध्यम से की गयी है।
शिव ही इस सृष्टि के आधार हैं और वे ही हमारे विनाशक हैं। शिव ही मृत्यु हैं, वे ही भय हैं, वे ही अहंकार का अंत हैं और वे ही कालचक्र हैं। एक तरह से हमारा भूतकाल, वर्तमानकाल व भविष्यकाल शिव के ही चरणों में समर्पित है। उनके कई रूप हैं और अपने हरेक रूप में वे मनुष्य के अहम का अंत कर देते हैं। इसमें से उनका महाकाल रूप बहुत ही विस्मयकारी है क्योंकि यह समयचक्र को भी बाँध लेता है।
ऐसे में शिव के इस महाकाल रूप की महिमा का वर्णन करने हेतु ही महाकाल आरती की रचना की गयी है। इसके माध्यम से महाकाल के बारे में जानकारी तो दी ही गयी है बल्कि उसी के साथ ही महाकाल की आराधना भी की गयी है। यही महाकाल की आरती का महत्व होता है।
अब यदि आप सच्चे मन के साथ भगवान शिव का ध्यान कर महाकाल बाबा की आरती का पाठ करते हैं तो इससे आपको एक नहीं बल्कि कई तरह के लाभ देखने को मिलते हैं। सबसे पहला और बड़ा लाभ तो यही है कि आप अकाल मृत्यु से बच जाते हैं। अकाल मृत्यु का अर्थ हुआ कि बिना किसी संदेश के आपके प्राण पहले ही चले जाएं जैसे कि कोई दुर्घटना हो जाना। महाकाल की कृपा से आप अकाल मृत्यु से बच जाते हैं और स्वस्थ रहते हैं।
महाकाल की आरती के माध्यम से आपके ऊपर से नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव समाप्त हो जाता है और साथ ही सभी तरह के भय भी दूर हो जाते हैं। अब वह भय चाहे अंधकार, अग्नि, जल इत्यादि किसी का भी क्यों ना हो। ग्रह दोष तथा कुंडली के सभी दोष भी श्री महाकाल आरती के माध्यम से दूर हो जाते हैं। आपको परम सत्य का ज्ञान होता है और मृत्यु का भय भी समाप्त हो जाता है। एक तरह से आप मानव जीवन में रहते हुए भी जीवन-मरण के परम सत्य का ज्ञान प्राप्त कर पाने में सक्षम हो जाते हैं।
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