स्तोत्र

मंगला गौरी स्तोत्र PDF फाइल, अर्थ, महत्व व लाभ सहित

आज हम आपको मंगला गौरी स्तोत्र (Mangla Gauri Stotram) हिंदी में अर्थ सहित समझाएंगे। मंगला गौरी स्तोत्रं को केवल पढ़ना ही पर्याप्त नहीं होता है बल्कि साथ के साथ उसका अर्थ भी समझ लिया जाए तो यह और भी शुभकारी सिद्ध होता है। यही कारण है कि आज हम आपके साथ मंगला गौरी स्तोत्र हिंदी में साझा करेंगे ताकि आप उसका संपूर्ण भावार्थ समझ सकें।

इसी के साथ ही आपको मंगला गौरी स्तोत्र PDF (Mangla Gauri Stotra PDF) फाइल भी मिलेगी। इसे आप अपने मोबाइल में सेव कर सकते हैं और जब मन चाहे, तब गौरी स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं। लेख के आखिर में आपको मंगला गौरी स्तोत्र के लाभ व महत्व भी जानने को मिलेंगे। आइए सबसे पहले पढ़ते हैं मंगला गौरी स्तोत्र हिंदी में अर्थ सहित।

Mangla Gauri Stotram | मंगला गौरी स्तोत्र

ॐ रक्ष-रक्ष जगन्माते देवि मङ्गल चण्डिके।
हारिके विपदार्राशे हर्षमंगल कारिके

हर्षमंगल दक्षे च हर्षमंगल दायिके।
शुभेमंगल दक्षे च शुभेमंगल चंडिके

मंगले मंगलार्हे च सर्वमंगल मंगले।
सता मंगल दे देवि सर्वेषां मंगलालये

पूज्ये मंगलवारे च मंगलाभिष्ट देवते।
पूज्ये मंगल भूपस्य मनुवंशस्य संततम्

मंगला धिस्ठात देवि मंगलाञ्च मंगले।
संसार मंगलाधारे पारे च सर्वकर्मणाम्

देव्याश्च मंगलंस्तोत्रं यः श्रृणोति समाहितः।
प्रति मंगलवारे च पूज्ये मंगल सुख-प्रदे

तन्मंगलं भवेतस्य न भवेन्तद्-मंगलम्।
वर्धते पुत्र-पौत्रश्च मंगलञ्च दिने-दिने

मामरक्ष रक्ष-रक्ष ॐ मंगल मंगले।

॥ इति मंगलागौरी स्तोत्रं सम्पूर्णं ॥

Mangala Gauri Stotram | मंगला गौरी स्तोत्र – अर्थ सहित

ॐ रक्ष-रक्ष जगन्माते देवि मङ्गल चण्डिके।
हारिके विपदार्राशे हर्षमंगल कारिके॥

मैं मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी गौरी से प्रार्थना करता हूँ कि वे मेरी रक्षा करें। वे इस जगत की माता हैं और हम सभी का मंगल करती हैं। वे ही माँ चंडी हैं। वे हमारे हर संकट को दूर कर देती हैं और हमारा मंगल करती हैं।

हर्षमंगल दक्षे च हर्षमंगल दायिके।
शुभेमंगल दक्षे च शुभेमंगल चंडिके॥

महागौरी अपने भक्तों मंगल करती हैं, उन्हें मंगल प्रदान करती हैं, हमारे सभी काम बना देती हैं और चंडी रूप में सभी का मंगल करती हैं।

मंगले मंगलार्हे च सर्वमंगल मंगले।
सता मंगल दे देवि सर्वेषां मंगलालये॥

माता गौरी हमारा मंगल करती हैं, वे सभी का ही मंगल करती हैं, वे सभी देवताओं का मंगल करती हैं और हमें हर्ष प्रदान करती हैं।

पूज्ये मंगलवारे च मंगलाभिष्ट देवते।
पूज्ये मंगल भूपस्य मनुवंशस्य संततम्॥

जो भी महागौरी की मंगलवार के दिन पूजा करता है, उसका सब मंगल ही होता है। जो भी इस भूलोक में माता गौरी की पूजा करता है, उसके घर में मातारानी की कृपा से संतान प्राप्ति होती है और उसका वंश आगे बढ़ता है।

मंगला धिस्ठात देवि मंगलाञ्च मंगले।
संसार मंगलाधारे पारे च सर्वकर्मणाम्॥

माँ का रूप ही मंगल रूप है और वे देवी रूप में हम सभी का मंगल करती हैं। वे इस संपूर्ण विश्व का मंगल करती हैं और हमारे सभी काम बना देती हैं।

देव्याश्च मंगलंस्तोत्रं यः श्रृणोति समाहितः।
प्रति मंगलवारे च पूज्ये मंगल सुख-प्रदे॥

जो भी भक्तगण देवी माँ के इस मंगला गौरी स्तोत्र का पाठ करता है और माँ गौरी का ध्यान करता है और जो मंगलवार के दिन उनकी पूजा करता है, माँ गौरी उसका मंगल कर उसे सुख प्रदान करती हैं।

तन्मंगलं भवेतस्य न भवेन्तद्-मंगलम्।
वर्धते पुत्र-पौत्रश्च मंगलञ्च दिने-दिने॥

जो भी भक्तगण अपना तन-मन पवित्र कर और अपने घर को शुद्ध कर मंगला गौरी स्तोत्रं का पाठ करता है, उसे मातारानी की कृपा से पुत्र की प्राप्ति होती है और हर दिन उसका मंगल ही होता है।

मामरक्ष रक्ष-रक्ष ॐ मंगल मंगले।

हे मंगला गौरी!! अब आप मेरी रक्षा कीजिये और मेरा उद्धार कर दीजिये।

इस तरह से आज हमने मंगला गौरी स्तोत्र को अर्थ सहित (Mangla Gauri Stotram) समझ लिया है। अब हम इसकी पीडीएफ फाइल, लाभ व महत्व भी आपके साथ साझा कर देते हैं।

मंगला गौरी स्तोत्र का महत्व

हिन्दू धर्म में देवी-देवताओं के कई रूप माने जाते हैं जिनमे त्रिदेव को मुख्य ईश्वर तथा त्रिदेवियों को मुख्य देवियाँ माना जाता है। इसमें माँ सरस्वती को विद्या व माँ लक्ष्मी को धन की देवी माना जाता है जबकि माता गौरी को माँ आदिशक्ति का ही रूप मानते हुए उन्हें इस सृष्टि की जननी कहा गया है। इसी कारण मंगला गौरी स्तोत्र का महत्व बहुत बढ़ जाता है।

मां गौरी स्तोत्र के माध्यम से यही बताने का प्रयास किया गया है कि हमारे जीवन में माता गौरी का कितना अधिक महत्व है। मंगला गौरी स्तोत्र के माध्यम से आपने माता गौरी के गुणों, महत्व, शक्तियों व कर्मों के बारे में जान लिया है। तो यही महागौरी स्तोत्र का महत्व होता है। ऐसे में हमें पवित्र मन के साथ प्रतिदिन मंगला गौरी स्तोत्रं का पाठ करना चाहिए।

मंगला गौरी स्तोत्र के लाभ

यदि किसी कन्या के विवाह में बार-बार अड़चन आ रही है, उसके विवाह में बिना किसी कारण विलंब हो रहा है, उसे अपनी इच्छा के अनुरूप वर चाहिए जो जीवनपर्यंत उसका साथ निभाए, तो उसे मंगला गौरी स्तोत्रम् का पाठ अवश्य करना चाहिए। इससे विवाह में आ रही हर प्रकार की अड़चन व ग्रह दोष दूर हो जाते हैं।

कई बार यह देखने में आता है कि व्यक्ति की कुंडली या ग्रहों की स्थिति इस प्रकार होती है कि उसका विवाह नहीं हो पाता है या विवाह के उपरांत भी अड़चन आती है। ऐसे में मनचाहा वर प्राप्त करने और विवाह बाद शांति से जीवनयापन करने के लिए हर स्त्री को मंगला गौरी स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। पुरुष भी मनचाही स्त्री से विवाह करने के लिए मंगला गौरी स्तोत्रं का पाठ कर सकता है।

Mangla Gauri Stotra PDF | मंगला गौरी स्तोत्र PDF

अब हम मंगला गौरी स्तोत्र PDF फाइल भी आपके साथ साझा कर देते हैं

यह रहा उसका लिंक: Mangla Gauri Stotra PDF

ऊपर आपको लाल रंग में Mangla Gauri Stotra PDF फाइल का लिंक दिख रहा होगा। आपको बस उस पर क्लिक करना है और उसके बाद आपके मोबाइल या लैपटॉप में पीडीएफ फाइल खुल जाएगी। फिर आपके सिस्टम में इनस्टॉल एप्लीकेशन या सॉफ्टवेयर के हिसाब से डाउनलोड करने का विकल्प भी ऊपर ही मिल जाएगा।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने गौरी चालीसा (Gauri Chalisa) पढ़ ली हैं। साथ ही आपने मंगला गौरी स्तोत्र के लाभ और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आपको मंगला गौरी स्तोत्र PDF फाइल डाउनलोड करने में किसी तरह की समस्या आती है या आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

मंगला गौरी स्तोत्र से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: घर पर गौरी पूजा कैसे करें?

उत्तर: यदि आप अपने घर पर गौरी पूजा करना चाहते हैं तो इसके लिए सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्म करके, गौरी माता की मूर्ति या चित्र के सामने बैठकर गौरी स्तुति, स्तोत्र, चालीसा व आरती का पाठ करना चाहिए।

प्रश्न: गौरी देवी पति कौन है?

उत्तर: गौरी देवी के पति का नाम शिव शंकर है और गौरी माता को पार्वती माता का ही रूप माना जाता है।

प्रश्न: गौरी के पिता कौन है?

उत्तर: चूँकि गौरी माता को देवी पार्वती का ही रूप माना जाता है। इस अनुसार माता गौरी के पिता हिमालय पर्वत हैं।

प्रश्न: गौरी VRAT का महत्व क्या है?

उत्तर: जो भी अविवाहित स्त्री गौरी VRAT करती है, उससे मनचाहा वर मिलता है तथा विवाहित स्त्री के द्वारा गौरी व्रत किये जाने पर उसके सुहाग की रक्षा होती है।

नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘‍♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:

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कृष्णा

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