आज हम नवग्रह स्तोत्र (Navagraha Stotram) का पाठ करने जा रहे हैं। नवग्रह हमारे जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है तथा उनके प्रभाव से हमारे भविष्य व उसमे होने वाली घटनाओं का ज्योतिषीय आधार पर आंकलन किया जाता है। ऐसे में नवग्रह स्तोत्र के द्वारा नवग्रह शांति के उपाय किये जाते हैं।
नव ग्रह स्तोत्र (Navgrah Stotra) के माध्यम से नवग्रहों की स्तुति व आराधना की जाती है। आज के इस लेख में आपको नवग्रह स्तोत्र के फायदे और महत्व भी जानने को मिलेंगे। आइए सबसे पह्के करते हैं नवग्रह स्तोत्र का पाठ।
नवग्रह स्तोत्र में नवग्रहों को लेकर अलग-अलग स्तोत्र हैं। आज हम आपके साथ संपूर्ण नवग्रह स्तोत्र संस्कृत में क्रमानुसार साझा करेंगे।
॥ सूर्य स्तोत्र ॥
जपाकुसुमसंकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम्।
तमोऽरि सर्वपापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम्॥
॥ चंद्र स्तोत्र ॥
दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव संभवम्।
नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणम्॥
॥ मंगल स्तोत्र ॥
धरणीगर्भ संभूतं विद्युत्कांति समप्रभम्।
कुमारं शक्तिहस्तं तं मंगलं प्रणाम्यहम्॥
॥ बुध स्तोत्र ॥
प्रियंगुकलिकाश्यामं रुपेणाप्रतिमं बुधम्।
सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम्॥
॥ गुरु स्तोत्र ॥
देवानांच ऋषीनांच गुरुंकांचन सन्निभम्।
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्॥
॥ शुक्र स्तोत्र ॥
हिमकुंद मृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम्।
सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम्॥
॥ शनि स्तोत्र ॥
नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम्॥
॥ राहु स्तोत्र ॥
अर्धकायं महावीर्यं चंद्रादित्य विमर्दनम्।
सिंहिकागर्भसंभूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम्॥
॥ केतु स्तोत्र ॥
पलाश पुष्पसंकाशं तारकाग्रह मस्तकम्।
रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम्॥
॥ फलश्रुति ॥
इति व्यासमुखोग्दीतम् यः पठेत् सुसमाहितः।
दिवा वा यदि वा रात्रौ विघ्न शांतिर्भविष्यति॥
नरनारी नृपाणांच भवेत् दुःस्वप्ननाशनम्।
ऐश्वर्यमतुलं तेषां आरोग्यं पुष्टिवर्धनम्॥
॥ नवग्रह स्तोत्र ॥
ग्रहनक्षत्रजाः पीडास्तस्कराग्निसमुभ्दवाः।
ताः सर्वाःप्रशमं यान्ति व्यासो ब्रुते न संशयः॥
॥ इति श्रीव्यास विरचितम् आदित्यादी नवग्रह स्तोत्रं संपूर्णं ॥
आज के इस लेख के माध्यम से आपने नव ग्रह स्तोत्र का पाठ (Navgrah Stotra) कर लिया है। अब हम नवग्रह स्तोत्र के फायदे और उसके महत्व के बारे में भी जान लेते हैं।
पृथ्वी के ऊपर नवग्रहों का बहुत प्रभाव है क्योंकि हम एक ही आभामंडल में आते हैं। ऐसे में मनुष्य योनी का जन्म अवश्य ही पृथ्वी के क्षेत्र पर हुआ है लेकिन उस पर केवल पृथ्वी के वातावरण व वायुमंडल का प्रभाव ही नही होता अपितु इन सभी नव ग्रहों का भी हमारे ऊपर उतना ही प्रभाव होता है।
ऐसे में हमारी जन्म तिथि व समय के अनुसार हमारी कुंडली का निर्माण किया जाता है तथा विभिन्न ज्योतिषीय आंकड़ों के अनुसार हमारे भविष्य का आंकलन किया जाता है। ऐसे में इन ग्रहों का हमारे ऊपर पड़ने वाले प्रभावों को ध्यान में रखते हुए और इनकी शांति के उपाय के लिए नवग्रह स्तोत्र, चालीसा व आरती का पाठ किया जाता है।
हमारे जीवन में हरेक घटना नवग्रहों की स्थिति के कारण ही घटित होती है। आपके जीवन में चाहे सब कुछ अच्छा चल रहा हो या कोई बुरी घटना घटित हुई हो, वह सभी नवग्रहों की स्थिति के अनुसार ही होता है। यदि नवग्रह में से कोई भी एक ग्रह गलत दिशा या घर में है उसका आपके जीवन में नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वही यदि सभी ग्रह सही घर में है तो सब कुछ मंगल होता है।
नवग्रह स्तोत्र के माध्यम से आप एक ही बारी में सभी ग्रहों को प्रसन्न करने का काम कर रहे होते हैं। इसका लाभ यह मिलता है कि सभी ग्रह आप पर अपनी कृपा बरसाते हैं। यदि सभी ग्रह प्रसन्न हो जाते हैं तो आपका जीवन सुखमय बनता है और सभी अनुचित घटनाक्रम का अंत हो जाता है। यहीं नवग्रह स्तोत्र के फायदे होते हैं।
आज के इस लेख के माध्यम से आपने नवग्रह स्तोत्र (Navagraha Stotram) पढ़ लिया है। साथ ही नवग्रह स्तोत्र के फायदे और इसका महत्व भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं या इस लेख पर अपनी प्रतिक्रिया देना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपको प्रत्युत्तर देंगे।
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