चालीसा

संतोषी मां चालीसा हिंदी में – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

आज के इस लेख में आपको संतोषी चालीसा (Santoshi Chalisa) पढ़ने को मिलेगी। सनातन धर्म में संतोषी मां का प्रमुख स्थान है। बहुत लोगों को इस बात का ज्ञान नहीं होता है लेकिन आज हम उन्हें बता दें कि संतोषी मां भगवान गणेश की पुत्री हैं। जी हां, संतोषी मां के माता-पिता का नाम रिद्धि-सिद्धि व गणेश जी है।

संतोषी मां को संतोष प्रदान करने वाली देवी माना जाता है और सोलह शुक्रवार के व्रत भी उन्हीं के नाम पर ही किए जाते हैं। आज हम आपको संतोषी मां चालीसा (Santoshi Maa Chalisa) का हिंदी अर्थ भी देंगे ताकि आप उसका भावार्थ जान सकें। अंत में आपको श्री संतोषी चालीसा का महत्व व लाभ भी पढ़ने को मिलेगा। तो आइए सबसे पहले पढ़ते हैं मां संतोषी चालीसा।

Santoshi Chalisa | संतोषी चालीसा

॥ दोहा ॥

बन्दौं संतोषी चरण रिद्धि-सिद्धि दातार।
ध्यान धरत ही होत नर दुःख सागर से पार॥

भक्तन को संतोष दे संतोषी तव नाम।
कृपा करहूँ जगदंबा अब आया तेरे धाम॥

॥ चौपाई ॥

जय संतोषी मात अनुपम, शांतिदायिनी रूप मनोरम।

सुंदर वरण चतुर्भुज रूपा, वेश मनोहर ललित अनुपा।

श्वेताम्बर रूप मनहारी, माँ तुम्हारी छवि जग से न्यारी।

दिव्य स्वरूपा आयत लोचन, दर्शन से हो संकट मोचन।

जय गणेश की सुता भवानी, रिद्धि-सिद्धि की पुत्री ज्ञानी।

अगम अगोचर तुम्हरी माया, सब पर करो कृपा की छाया।

नाम अनेक तुम्हारे माता, अखिल विश्‍व है तुमको ध्याता।

तुमने रूप अनेक धारे, को कहि सके चरित्र तुम्हारे।

धाम अनेक कहां तक कहिए, सुमिरन तब करके सुख लहिए।

विंध्याचल में विंध्यवासिनी, कोटेश्वर सरस्वती सुहासिनी।

कलकत्ते में तू ही काली, दुष्‍ट नाशिनी महाकराली।

संबल पुर बहुचरा कहाती, भक्तजनों का दुख मिटाती।

ज्वाला जी में ज्वाला देवी, पूजत नित्य भक्त जन सेवी।

नगर बम्बई की महारानी, महा लक्ष्मी तुम कल्याणी।

मदुरा में मीनाक्षी तुम हो, सुख दुख सबकी साक्षी तुम हो।

राजनगर में तुम जगदंबे, बनी भद्रकाली तुम अंबे।

पावागढ़ में दुर्गा माता, अखिल विश्‍व तेरा यश गाता।

काशी पुराधीश्‍वरी माता, अन्नपूर्णा नाम सुहाता।

सर्वानंद करो कल्याणी, तुम्हीं शारदा अमृत वाणी।

तुम्हरी महिमा जल में थल में, दुःख दरिद्र सब मेटो पल में।

जेते ऋषि और मुनीशा, नारद देव और देवेशा।

इस जगती के नर और नारी, ध्यान धरत हैं मात तुम्हारी।

जापर कृपा तुम्हारी होती, वह पाता भक्ति का मोती।

दुःख दारिद्र संकट मिट जाता, ध्यान तुम्हारा जो जन ध्याता।

जो जन तुम्हरी महिमा गावै, ध्यान तुम्हारा कर सुख पावै।

जो मन राखे शुद्ध भावना, ताकी पूरण करो कामना।

कुमति निवारि सुमति की दात्री, जयति जयति माता जगधात्री।

शुक्रवार का दिवस सुहावन, जो व्रत करे तुम्हारा पावन।

गुड़ छोले का भोग लगावै, कथा तुम्हारी सुने सुनावै।

विधिवत पूजा करे तुम्हारी, फिर प्रसाद पावे शुभकारी।

शक्ति सामर्थ्य हो जो धनको, दान-दक्षिणा दे विप्रन को।

वे जगती के नर औ नारी, मनवांछित फल पावें भारी।

जो जन शरण तुम्हारी जावे, सो निश्‍चय भव से तर जावे।

तुम्हरो ध्यान कुमारी ध्यावै, निश्‍चय मनवांछित वर पावै।

सधवा पूजा करे तुम्हारी, अमर सुहागिन हो वह नारी।

विधवा धर के ध्यान तुम्हारा, भवसागर से उतरे पारा।

जयति जयति जय संकट हरणी, विघ्न विनाशन मंगल करनी।

हम पर संकट है अति भारी, वेगि खबर लो मात हमारी।

निशिदिन ध्यान तुम्हारो ध्याता, देह भक्ति वर हम को माता।

यह चालीसा जो नित गावे, सो भवसागर से तर जावे।

Santoshi Maa Chalisa | संतोषी मां चालीसा – अर्थ सहित

॥ दोहा ॥

बन्दौं संतोषी चरण रिद्धि-सिद्धि दातार।
ध्यान धरत ही होत नर दुःख सागर से पार॥

भक्तन को संतोष दे संतोषी तव नाम।
कृपा करहूँ जगदंबा अब आया तेरे धाम॥

मैं संतोषी माता के चरणों में प्रणाम करता हूँ जो हमें रिद्धि-सिद्धि देती हैं। संतोषी माता का ध्यान करने मात्र से ही हमारे दुःख समाप्त हो जाते हैं। संतोषी माता हमें संतोष प्रदान करती हैं और इसी कारण उनका नाम संतोषी है। हे जगदम्बे माँ!! मैं आपकी शरण में आया हूँ और अब आप मुझ पर कृपा कीजिये।

॥ चौपाई ॥

जय संतोषी मात अनुपम, शांतिदायिनी रूप मनोरम।

सुंदर वरण चतुर्भुज रूपा, वेश मनोहर ललित अनुपा।

श्वेताम्बर रूप मनहारी, माँ तुम्हारी छवि जग से न्यारी।

दिव्य स्वरूपा आयत लोचन, दर्शन से हो संकट मोचन।

हे संतोषी माँ!! आपका रूप अनुपम व मनोरम है। आप ही हमें शांति प्रदान करती हैं। आपकी चार भुजाएं हैं जो आप पर बहुत सुन्दर लगती है। आपका रंग-रूप मन को मोह लेने वाला है। आपने श्वेत रंग के वस्त्र पहने हुए हैं और आपकी छवि इस जगत में सबसे अलग है। आपका स्वरुप दिव्य है जिसके दर्शन करने से ही हमारे संकट दूर हो जाते हैं।

जय गणेश की सुता भवानी, रिद्धि-सिद्धि की पुत्री ज्ञानी।

अगम अगोचर तुम्हरी माया, सब पर करो कृपा की छाया।

नाम अनेक तुम्हारे माता, अखिल विश्‍व है तुमको ध्याता।

तुमने रूप अनेक धारे, को कहि सके चरित्र तुम्हारे।

आप गणेश भगवान की पुत्री हो और रिद्धि-सिद्धि आपकी माताएं हैं। आपकी माया अपरंपार है और आप हम सभी पर कृपा करती हो। आपके तो कई नाम हैं और संपूर्ण विश्व आपका ही ध्यान करता है। आपने गुणों के अनुसार कई तरह के रूप धारण किये हुए हैं।

धाम अनेक कहां तक कहिए, सुमिरन तब करके सुख लहिए।

विंध्याचल में विंध्यवासिनी, कोटेश्वर सरस्वती सुहासिनी।

कलकत्ते में तू ही काली, दुष्‍ट नाशिनी महाकराली।

संबल पुर बहुचरा कहाती, भक्तजनों का दुख मिटाती।

इस धरा पर आपके कई जगह पर धाम हैं, जहाँ जाकर हम सुख का अनुभव करते हैं। विन्ध्याचल पर्वत पर आप विंध्यवासिनी के नाम से प्रसिद्ध हैं तो कोटेश्वर महादेव में माँ सरस्वती के रूप में विख्यात हैं। कलकत्ता में आप काली रूप में विराजमान हैं जो दुष्टों का संहार करती हैं। संबलपुर में आप बहुचरा के नाम से प्रसिद्ध हैं जो भक्तों के दुःख दूर करती हैं।

ज्वाला जी में ज्वाला देवी, पूजत नित्य भक्त जन सेवी।

नगर बम्बई की महारानी, महा लक्ष्मी तुम कल्याणी।

मदुरा में मीनाक्षी तुम हो, सुख दुख सबकी साक्षी तुम हो।

राजनगर में तुम जगदंबे, बनी भद्रकाली तुम अंबे।

ज्वाला में आप ज्वाला देवी के नाम से प्रसिद्ध हैं जहाँ आपके भक्त प्रतिदिन आपकी पूजा करते हैं। बम्बई (मुंबई) नगरी में आप महालक्ष्मी के रूप में हम सभी का कल्याण करती हो। मदुरई में आप मीनाक्षी मंदिर में मीनाक्षी माता के रूप में विराजित हो जो भक्तों के हर सुख-दुःख में उनके साथ बनी रहती हैं। राजनगर में आप जगदंबे के रूप में विराजित हो जिसे हम भद्रकाली या अम्बे के नाम से भी जानते हैं।

पावागढ़ में दुर्गा माता, अखिल विश्‍व तेरा यश गाता।

काशी पुराधीश्‍वरी माता, अन्नपूर्णा नाम सुहाता।

सर्वानंद करो कल्याणी, तुम्हीं शारदा अमृत वाणी।

तुम्हरी महिमा जल में थल में, दुःख दरिद्र सब मेटो पल में।

पावागढ़ में आप दुर्गा माता के रूप में विराजित हो। इस रूप में विश्व के सभी प्राणी आपकी महिमा का वर्णन करते हैं। काशी नगरी में जहाँ भगवान विश्वनाथ विराजित हैं, वहां आप माँ अन्नपूर्णा के रूप में बैठी हो। आप ही हम सभी का कल्याण कर सकती हो और आप शारदा के रूप में मीठी वाणी बोलती हैं। आपकी महिमा जल व भूमि दोनों जगह है और आप ही हमारे दुखों व गरीबी को मिटा सकती हो।

जेते ऋषि और मुनीशा, नारद देव और देवेशा।

इस जगती के नर और नारी, ध्यान धरत हैं मात तुम्हारी।

जापर कृपा तुम्हारी होती, वह पाता भक्ति का मोती।

दुःख दारिद्र संकट मिट जाता, ध्यान तुम्हारा जो जन ध्याता।

सभी ऋषि-मुनि, नारद मुनि, देवता व ईश्वर आपका ध्यान करते हैं। इस पृथ्वी के सभी पुरुष व महिलाएं, आपका ही ध्यान करते हैं। जिस किसी पर भी आपकी कृपा हो जाती है, उसे आपकी भक्ति का आनंद मिलता है। जो भी आपका ध्यान करता है, उसके सभी दुख, गरीबी व संकट समाप्त हो जाते हैं।

जो जन तुम्हरी महिमा गावै, ध्यान तुम्हारा कर सुख पावै।

जो मन राखे शुद्ध भावना, ताकी पूरण करो कामना।

कुमति निवारि सुमति की दात्री, जयति जयति माता जगधात्री।

शुक्रवार का दिवस सुहावन, जो व्रत करे तुम्हारा पावन।

जो कोई भी संतोषी माता की महिमा का गुणगान करता है और उनका ध्यान करता है, उसे परम सुख की प्राप्ति होती है। जो भी अपने मन में शुद्ध विचार रखता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। संतोषी माता हमारे अज्ञान को दूर कर हमें सद्बुद्धि प्रदान करती हैं। इस सृष्टि का कल्याण करने वाली संतोषी माता की जय हो। शुक्रवार का दिन संतोषी माता का दिन होता है और जो भी इस दिन संतोषी माता का व्रत करता है, उस पर मातारानी की कृपा होती है।

गुड़ छोले का भोग लगावै, कथा तुम्हारी सुने सुनावै।

विधिवत पूजा करे तुम्हारी, फिर प्रसाद पावे शुभकारी।

शक्ति सामर्थ्य हो जो धनको, दान-दक्षिणा दे विप्रन को।

वे जगती के नर औ नारी, मनवांछित फल पावें भारी।

जो कोई भी संतोषी माता को गुड़-छोले का भोग लगाता है, उनकी कथा को सुनता है, विधि के अनुसार उनकी पूजा करता है, उसे संतोषी माता शुभ फल देती हैं। जिसका जितना सामर्थ्य होता है, वह ब्राह्मण को उतनी दान-दक्षिणा देता है। ऐसा करने वाले मनुष्य, संतोषी माता की कृपा से धन्य होते हैं और उनकी हरेक इच्छा पूरी होती है।

जो जन शरण तुम्हारी जावे, सो निश्‍चय भव से तर जावे।

तुम्हरो ध्यान कुमारी ध्यावै, निश्‍चय मनवांछित वर पावै।

सधवा पूजा करे तुम्हारी, अमर सुहागिन हो वह नारी।

विधवा धर के ध्यान तुम्हारा, भवसागर से उतरे पारा।

जो भी संतोषी माता की शरण में जाता है, वह भव सागर को पार कर मुक्ति पा लेता है। यदि कोई कुंवारी स्त्री माँ संतोषी का ध्यान करती है तो उसे मनवांछित वर की प्राप्ति होती है। विवाहित स्त्री को संतोषी माता की पूजा करने से हमेशा सुहागन रहने का आशीर्वाद मिलता है। विधवा स्त्री संतोषी माता के ध्यान से मुक्ति पा लेती है।

जयति जयति जय संकट हरणी, विघ्न विनाशन मंगल करनी।

हम पर संकट है अति भारी, वेगि खबर लो मात हमारी।

निशिदिन ध्यान तुम्हारो ध्याता, देह भक्ति वर हम को माता।

यह चालीसा जो नित गावे, सो भवसागर से तर जावे।

हे संकटों का नाश करने वाली संतोषी माता!! आपकी जय हो, जय हो। आप ही विघ्नों का नाश करने वाली और हम सभी का मंगल करने वाली हैं। हम पर बहुत बड़ा संकट आया हुआ है और अब आप हम पर भी ध्यान दो। मैं दिन-रात आपका ही ध्यान करता हूँ और अब आप मुझे वरदान स्वरुप अपनी भक्ति प्रदान कीजिये। यह संतोषी चालीसा का पाठ जो कोई भी कर लेता है, वह भव सागर को पार कर मोक्ष प्राप्त कर लेता है।

संतोषी मां चालीसा का महत्व

अभी तक आपने संतोषी चालीसा पढ़ ली है और साथ ही उसका अर्थ भी जान लिया है। इसे पढ़कर अवश्य ही आपको संतोषी मां के गुणों व महत्व के बारे में ज्ञान हो गया होगा। मां संतोषी को संतोष की देवी माना जाता है और मनुष्य को जितनी जल्दी संतोष मिल जाता है, उसके लिए उतना ही उचित रहता है।

यही संतोषी चालीसा के माध्यम से बताने का प्रयास किया गया है कि मनुष्य के लिए संतोष का कितना अधिक महत्व होता है। फिर चाहे मनुष्य के पास कितना ही धन हो, रिश्ते हो तथा उसे किसी भी चीज़ की कमी ना हो लेकिन यदि उसके जीवन में संतोष नहीं है तो वह उन सभी के होते हुए भी उनका आनंद नहीं ले पाएगा। यही संतोषी चालीसा का मुख्य महत्व होता है।

संतोषी चालीसा के फायदे

अब यदि आप प्रतिदिन संतोषी मां चालीसा का पाठ करते हैं और संतोषी मां का ध्यान करते हैं तो अवश्य ही उसका सकारात्मक परिणाम देखने को मिलता है। जो भी व्यक्ति सच्चे मन से संतोषी चालीसा को पढ़ता है उस पर अवश्य ही संतोषी मां की कृपा दृष्टि होती है। ऐसे में उसके मन में किसी बात को लेकर असंतोष पनप रहा है या किसी बात की चिंता खाए जा रही है तो वह समाप्त हो जाती है।

प्रतिदिन संतोषी मां चालीसा के पाठ से व्यक्ति को परम सुख की प्राप्ति होती है और वह सांसारिक मोहमाया को समझने लगता है। इससे उसके हृदय में शांति का अनुभव होता है और जो वह चाहता है, उसकी प्राप्ति हो जाती है। अब व्यक्ति का हृदय शांत हो जाए और उसे संतोष मिल जाए तो उससे बढ़कर सुखी मनुष्य इस विश्व में कोई दूसरा नहीं होगा। ऐसे में आपको प्रतिदिन संतोषी चालीसा का पाठ करना चाहिए।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने संतोषी चालीसा हिंदी में अर्थ सहित (Santoshi Chalisa) पढ़ ली है। साथ ही आपने संतोषी मां चालीसा के फायदे और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘‍♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:

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कृष्णा

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