भगवान कृष्ण के ही एक रूप गोपाल जी की गोपाल चालीसा (Gopal Chalisa) अत्यधिक प्रसिद्ध है। श्री गोपाल चालीसा में भगवान श्री कृष्ण के ही गुणों का वर्णन किया गया है। इसमें श्री कृष्ण के जीवन, गुण, कर्तव्य व लीला का विस्तारपूर्वक वर्णन पढ़ने को मिलता है।
आज के इस लेख में हम आपको श्री गोपाल चालीसा (Shri Gopal Chalisa) की पीडीएफ फाइल और फोटो भी देंगे। इसे आप अपने मोबाइल या कंप्यूटर में सेव करके रख सकते हैं। आइए सबसे पहले पढ़ते हैं गोपाल जी की चालीसा।
॥ दोहा ॥
श्री राधापद कमल रज,
सिर धरि यमुना कूल।
वरणो चालीसा सरस,
सकल सुमंगल मूल॥
॥ चौपाई ॥
जय जय पूरण ब्रह्म बिहारी,
दुष्ट दलन लीला अवतारी।
जो कोई तुम्हरी लीला गावै,
बिन श्रम सकल पदारथ पावै।
श्री वसुदेव देवकी माता,
प्रकट भये संग हलधर भ्राता।
मथुरा सों प्रभु गोकुल आये,
नंद भवन मे बजत बधाये।
जो विष देन पूतना आई,
सो मुक्ति दै धाम पठाई।
तृणावर्त राक्षस संहारयौ,
पग बढ़ाए सकटासुर मारयो।
खेल खेल में माटी खाई,
मुख में सब जग दियो दिखाई।
गोपिन घर घर माखन खायो,
जसुमति बाल केलि सुख पायो।
ऊखल सों निज अंग बँधाई,
यमलार्जुन जड़ योनि छुड़ाई।
बकासुर की चोंच विदारी,
विकट अघासुर दियो सँहारी।
ब्रह्मा बालक वत्स चुराये,
मोहन को मोहन हित आये।
बाल वत्स सब बने मुरारी,
ब्रह्मा विनय करी तब भारी।
काली नाग नाथि भगवाना,
दावानल को कीन्हों पाना।
सखन संग खेलत सुख पायो,
श्रीदामा निज कंध चढ़ायो।
चीर हरन करि सीख सिखाई,
नख पर गिरवर लियो उठाई।
दरश यज्ञ पत्निन को दीन्हों,
राधा प्रेम सुधा सुख लीन्हों।
नन्दहिं वरुण लोक सों लाये,
ग्वालन को निज लोक दिखाये।
शरद चन्द्र लखि वेणु बजाई,
अति सुख दीन्हों रास रचाई।
अजगर सों पितु चरण छुड़ायो,
शंखचूड़ को मूड़ गिरायो।
हने अरिष्टा सुर अरु केशी,
व्योमासुर मारयो छल वेषी।
व्याकुल ब्रज तजि मथुरा आये,
मारि कंस यदुवंश बसाये।
मात पिता की बन्दि छुड़ाई,
सांदीपनी गृह विघा पाई।
पुनि पठयौ ब्रज ऊधौ ज्ञानी,
प्रेम देखि सुधि सकल भुलानी।
कीन्हीं कुबरी सुन्दर नारी,
हरि लाये रुक्मिणि सुकुमारी।
भौमासुर हनि भक्त छुड़ाये,
सुरन जीति सुरतरु महि लाये।
दन्तवक्र शिशुपाल संहारे,
खग मृग नृग अरु बधिक उधारे।
दीन सुदामा धनपति कीन्हों,
पारथ रथ सारथि यश लीन्हों।
गीता ज्ञान सिखावन हारे,
अर्जुन मोह मिटावन हारे।
केला भक्त बिदुर घर पायो,
युद्ध महाभारत रचवायो।
द्रुपद सुता को चीर बढ़ायो,
गर्भ परीक्षित जरत बचायो।
कच्छ मच्छ वाराह अहीशा,
बावन कल्की बुद्धि मुनीशा।
ह्वै नृसिंह प्रह्लाद उबार्यो,
राम रुप धरि रावण मारयो।
जय मधु कैटभ दैत्य हनैया,
अम्बरीष प्रिय चक्र धरैया।
ब्याध अजामिल दीन्हें तारी,
शबरी अरु गणिका सी नारी।
गरुड़ासन गज फंद निकंदन,
देहु दरश ध्रुव नयनानन्दन।
देहु शुद्ध संतन कर संगा,
बाढ़ै प्रेम भक्ति रस रंगा।
देहु दिव्य वृंदावन बासा,
छूटै मृग तृष्णा जग आशा।
तुम्हरो ध्यान धरत शिव नारद,
शुक सनकादिक ब्रह्म विशारद।
जय जय राधारमण कृपाला,
हरण सकल संकट भ्रम जाला।
बिनसैं बिघन रोग दुःख भारी,
जो सुमरैं जगपति गिरधारी।
जो सत बार पढ़ै चालीसा,
देहि सकल बाँछित फल शीशा।
॥ छंद ॥
गोपाल चालीसा पढ़ै नित,
नेम सों चित्त लावई।
सो दिव्य तन धरि अन्त महँ,
गोलोक धाम सिधावई॥
संसार सुख संपत्ति सकल,
जो भक्तजन सन महँ चहैं।
जयरामदेव सदैव सो,
गुरुदेव दाया सों लहैं॥
॥ दोहा ॥
प्रणत पाल अशरण शरण,
करुणा सिन्धु ब्रजेश।
चालीसा के संग मोहि,
अपनावहु प्राणेश॥
इस तरह से आज आपने श्री गोपाल चालीसा (Shri Gopal Chalisa) पढ़ ली है। अब हम आपके साथ गोपाल चालीसा की PDF फाइल और इमेज भी साझा कर देते हैं।
यह रही गोपाल चालीसा की इमेज:
यदि आप मोबाइल में इसे देख रहे हैं तो इमेज पर क्लिक करके रखिए। उसके बाद आपको इमेज डाउनलोड करने का विकल्प मिल जाएगा। वहीं यदि आप लैपटॉप या कंप्यूटर में इसे देख रहे हैं तो इमेज पर राईट क्लिक करें। इससे आपको इमेज डाउनलोड करने का विकल्प मिल जाएगा।
अब हम गोपाल चालीसा की PDF फाइल भी आपके साथ साझा कर देते हैं।
यह रहा उसका लिंक: Gopal Chalisa PDF
ऊपर आपको लाल रंग में गोपाल चालीसा PDF फाइल का लिंक दिख रहा होगा। आपको बस उस पर क्लिक करना है और उसके बाद आपके मोबाइल या लैपटॉप में पीडीएफ फाइल खुल जाएगी। फिर आपके सिस्टम में इनस्टॉल एप्लीकेशन या सॉफ्टवेयर के हिसाब से डाउनलोड करने का विकल्प भी ऊपर ही मिल जाएगा।
इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपने गोपाल चालीसा (Gopal Chalisa) पढ़ ली है। साथ ही हमने आपको इसकी इमेज और पीडीएफ फाइल भी उपलब्ध करवा दी है। यदि आपको इमेज या पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने में किसी तरह की समस्या होती है या आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो आप नीचे कमेंट करें। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देंगे।
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