चालीसा

सूर्य चालीसा PDF फाइल व फोटो सहित

आज हम आपके साथ सूर्य चालीसा (Surya Chalisa) का पाठ करेंगे। इस पृथ्वी का सबसे महान देवता सूर्य देव को माना गया है क्योंकि उन्ही के कारण ही इस पृथ्वी का अस्तित्व है। यही कारण है कि आप मानव रूप लेकर जन्मे श्रीराम व श्रीकृष्ण को भी सूर्य की उपासना करते हुए देखते हैं। ऐसे में श्री सूर्य चालीसा का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है।

आज के इस लेख में आपको सूर्य चालीसा PDF (Surya Chalisa PDF) फाइल और इमेज भी दी जाएगी। इसे आप आगे के लिए अपने मोबाइल या लैपटॉप में डाउनलोड कर सेव करके रख सकते हैं। आइए सबसे पहले हैं श्री सूर्य चालीसा हिंदी में।

Surya Chalisa | सूर्य चालीसा

॥ दोहा ॥

कनक बदन कुण्डल मकर,
मुक्ता माला अंग।
पद्मासन स्थित ध्याइए,
शंख चक्र के संग॥

॥ चौपाई ॥

जय सविता जय जयति दिवाकर,
सहस्रांशु सप्ताश्व तिमिरहर।

भानु! पतंग! मरीची! भास्कर! सविता!
हंस सुनूर विभाकर।

विवस्वान! आदित्य! विकर्तन,
मार्तण्ड हरिरूप विरोचन।

अंबरमणि! खग! रवि कहलाते,
वेद हिरण्यगर्भ कह गाते।

सहस्रांशुप्रद्योतन, कहि कहि,
मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि।

अरुण सदृश सारथी मनोहर,
हांकत हय साता चढ़ि रथ पर।

मंडल की महिमा अति न्यारी,
तेज रूप केरी बलिहारी।

उच्चैःश्रवा सदृश हय जोते,
देखि पुरन्दर लज्जित होते।

मित्र १. मरीचि २. भानु ३.
अरुण भास्कर ४. सविता।

५. सूर्य ६. अर्क ७. खग
८. कलिहर पूषा ९. रवि।

१०. आदित्य ११. नाम लै,
हिरण्यगर्भाय नमः १२. कहिकै।

द्वादस नाम प्रेम सो गावैं,
मस्तक बारह बार नवावै।

चार पदारथ सो जन पावै,
दुःख दारिद्र अघ पुंज नसावै।

नमस्कार को चमत्कार यह,
विधि हरिहर कौ कृपासार यह।

सेवै भानु तुमहिं मन लाई,
अष्टसिद्धि नवनिधि तेहिं पाई।

बारह नाम उच्चारन करते,
सहस जनम के पातक टरते।

उपाख्यान जो करते तवजन,
रिपु सों जमलहते सोतेहि छन।

छन सुत जुत परिवार बढ़तु है,
प्रबलमोह को फंद कटतु है।

अर्क शीश को रक्षा करते,
रवि ललाट पर नित्य बिहरते।

सूर्य नेत्र पर नित्य विराजत,
कर्ण देस पर दिनकर छाजत।

भानु नासिका वास करहु नित,
भास्कर करत सदा मुख कौ हित।

ओठ रहैं पर्जन्य हमारे,
रसना बीच तीक्ष्ण बस प्यारे।

कंठ सुवर्ण रेत की शोभा,
तिग्मतेजसः कांधे लोभा।

पूषां बाहु मित्र पीठहिं पर,
त्वष्टा-वरुण रहम सुउष्णकर।

युगल हाथ पर रक्षा कारन,
भानुमान उरसर्मं सुउदरचन।

बसत नाभि आदित्य मनोहर,
कटि मंह हंस, रहत मन मुदभर।

जंघा गोपति, सविता बासा,
गुप्त दिवाकर करत हुलासा।

विवस्वान पद की रखवारी,
बाहर बसते नित तम हारी।

सहस्रांशु, सर्वांग सम्हारै,
रक्षा कवच विचित्र विचारे।

अस जोजन अपने मन माहीं,
भय जग बीज करहुं तेहि नाहीं।

दरिद्र कुष्ट तेहिं कबहुं न व्यापै,
जोजन याको मनमंह जापै।

अंधकार जग का जो हरता,
नव प्रकाश से आनन्द भरता।

ग्रह गन ग्रसि न मिटावत जाही,
कोटि बार मैं प्रनवौं ताही।

मंद सदृश सुतजग में जाके,
धर्मराज सम अद्भुत बांके।

धन्य-धन्य तुम दिनमनि देवा,
किया करत सुरमुनि नर सेवा।

भक्ति भावयुत पूर्ण नियमसों,
दूर हटतसो भवके भ्रमसों।

परम धन्य सो नर तनधारी,
हैं प्रसन्न जेहि पर तम हारी।

अरुण माघ महं सूर्य फाल्गुन,
मध वेदांगनाम रवि उदयन।

भानु उदय वैसाख गिनावै,
ज्येष्ठ इन्द्र आषाढ़ रवि गावै।

यम भादों आश्विन हिमरेता,
कातिक होत दिवाकर नेता।

अगहन भिन्न विष्णु हैं पूसहिं,
पुरुष नाम रवि हैं मलमासहिं।

॥ दोहा ॥

भानु चालीसा प्रेम युत,
गावहिं जे नर नित्य।
सुख सम्पत्ति लहै विविध,
होंहि सदा कृतकृत्य॥

सूर्य चालीसा फोटो

यह रही सूर्य चालीसा की फोटो:

सूर्य चालीसा (Surya Chalisa)

यदि आप मोबाइल में इसे देख रहे हैं तो फोटो पर क्लिक करके रखिए। उसके बाद आपको फोटो डाउनलोड करने का विकल्प मिल जाएगा। वहीं यदि आप लैपटॉप या कंप्यूटर में इसे देख रहे हैं तो इमेज पर राईट क्लिक करें। इससे आपको इमेज डाउनलोड करने का विकल्प मिल जाएगा।

Surya Chalisa PDF | सूर्य चालीसा PDF

अब हम सूर्य चालीसा की PDF फाइल भी आपके साथ साझा कर देते हैं

यह रहा उसका लिंक: Surya Chalisa PDF

ऊपर आपको लाल रंग में सूर्य चालीसा PDF फाइल का लिंक दिख रहा होगा। आपको बस उस पर क्लिक करना है और उसके बाद आपके मोबाइल या लैपटॉप में पीडीएफ फाइल खुल जाएगी। फिर आपके सिस्टम में इनस्टॉल एप्लीकेशन या सॉफ्टवेयर के हिसाब से डाउनलोड करने का विकल्प भी ऊपर ही मिल जाएगा।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने सूर्य चालीसा (Surya Chalisa) पढ़ ली है। यदि आपको सूर्य चालीसा PDF फाइल या फोटो डाउनलोड करने में किसी तरह की समस्या होती है या आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो आप नीचे कमेंट करें। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देंगे।

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कृष्णा

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