आज हम आपके साथ वैष्णो देवी की आरती (Vaishno Devi Ki Aarti) का पाठ करेंगे। हर वर्ष लाखों लोग कटरा के वैष्णो देवी मंदिर में माथा टेकने पहुँचते हैं। माता वैष्णो माँ आदिशक्ति का ही एक रूप हैं जो पहाड़ों पर स्थित हैं। उनके दर्शन करने के साथ ही ऊपर स्थित भैरव बाबा के दर्शन करने भी जरुरी होते हैं और उसके बाद ही वैष्णो देवी की यात्रा सफल मानी जाती है। ऐसे में यदि आप वैष्णो देवी आरती का पाठ कर लेंगे तो यह और भी शुभ फल देने वाला होगा।
आज के इस लेख में हम आपके साथ वैष्णो देवी आरती (Vaishno Devi Aarti) का पाठ करने जा रहे हैं। इसी के साथ आपको वैष्णो देवी की आरती का हिंदी अर्थ भी पढ़ने को मिलेगा ताकि आप वैष्णो देवी की आरती का संपूर्ण ज्ञान ले सकें। अंत में आपको वैष्णो देवी आरती पढ़ने के फायदे और महत्व भी जानने को मिलेंगे। तो आइए सबसे पहले पढ़ते हैं वैष्णो देवी की आरती हिंदी में।
हे मात मेरी, हे मात मेरी,
कैसी यह देर लगाई है दुर्गे॥
हे मात मेरी…
भवसागर में गिरा पड़ा हूँ,
काम आदि ग्रह में घिरा पड़ा हूँ।
मोह आदि जाल में जकड़ा पड़ा हूँ॥
हे मात मेरी…
न मुझमें बल है न मुझमें विद्या,
न मुझमें भक्ति न मुझमें शक्ति।
शरण तुम्हारी गिरा पड़ा हूँ॥
हे मात मेरी…
न कोई मेरा कुटुम्ब साथी,
ना ही मेरा शरीर साथी।
आप ही उबारो पकड़ के बाँहीं॥
हे मात मेरी…
चरण कमल को नौका बनाकर,
मैं पार हूँगा खुशी मनाकर।
यमदूतों को मार भगाकर॥
हे मात मेरी…
सदा ही तेरे गुणों को गाऊँ,
सदा ही तेरे स्वरूप को ध्याऊँ।
नित प्रति तेरे गुणों को गाऊँ॥
हे मात मेरी…
न मैं किसी का न कोई मेरा,
छाया है चारों तरफ अन्धेरा।
पकड़ के ज्योति दिखा दो रास्ता॥
हे मात मेरी…
शरण पड़े हैं हम तुम्हारी,
करो यह नैया पार हमारी।
कैसी यह देर लगाई है दुर्गे॥
हे मात मेरी, हे मात मेरी,
कैसी यह देर लगाई है दुर्गे॥
हे मात मेरी, हे मात मेरी,
कैसी यह देर लगाई है दुर्गे॥
वैष्णो हम सभी की माता हैं और इस सृष्टि की जननी हैं। अब आप हमें दर्शन देने में देरी मत कीजिये।
भवसागर में गिरा पड़ा हूँ,
काम आदि ग्रह में घिरा पड़ा हूँ।
मोह आदि जाल में जकड़ा पड़ा हूँ॥
हम तो भवसागर में गिरे हुए हैं और काम, क्रोध इत्यादि से त्रस्त हैं। मैं इस संसार की मोह माया के जाल में जकड़ गया हूँ और इससे निकल नहीं पा रहा हूँ।
न मुझमें बल है न मुझमें विद्या,
न मुझमें भक्ति न मुझमें शक्ति।
शरण तुम्हारी गिरा पड़ा हूँ॥
मुझ में ना तो शक्ति है और ना ही विद्या है, ना ही मुझ में किसी तरह की भक्ति है। मैं तो सेवक की भांति आपके चरणों में आकर गिरा हुआ हूँ।
न कोई मेरा कुटुम्ब साथी,
ना ही मेरा शरीर साथी।
आप ही उबारो पकड़ के बाँहीं॥
ना तो मेरा कोई परिवार है और ना ही जीवनसाथी है और ना ही मेरा शरीर मेरा साथ दे रहा है। अब आप ही मेरा हाथ पकड़ कर मेरा उद्धार कर सकती हैं।
चरण कमल को नौका बनाकर,
मैं पार हूँगा खुशी मनाकर।
यमदूतों को मार भगाकर॥
मैं आपके चरणों को पकड़ कर इस भवसागर को पार कर लेना चाहता हूँ और जीवन-मृत्यु के बंधन से मुक्ति पाना चाहता हूँ।
सदा ही तेरे गुणों को गाऊँ,
सदा ही तेरे स्वरूप को ध्याऊँ।
नित प्रति तेरे गुणों को गाऊँ॥
मैं हमेशा ही आपका ही गुणगान करता हूँ और आपके रूप का ही ध्यान करता हूँ। ऐसा कोई भी पल नहीं जब मैं आपका गुणगान ना करता हूँ।
न मैं किसी का न कोई मेरा,
छाया है चारों तरफ अन्धेरा।
पकड़ के ज्योति दिखा दो रास्ता॥
ना तो मैं किसी का हूँ और ना ही इस संसार में कोई मेरा है, मेरे चारों ओर केवल अंधकार ही अंधकार है। आपकी ज्योति ही मुझे प्रकाश दिखा सकती है।
शरण पड़े हैं हम तुम्हारी,
करो यह नैया पार हमारी।
कैसी यह देर लगाई है दुर्गे॥
हम सभी आपकी ही शरण में आये हैं और आप ही हमारी नाव को भवसागर पहुंचा सकती हैं। अब आप हमें दर्शन देने में देर मत कीजिये।
अभी तक आपने वैष्णो देवी आरती पढ़ ली है और साथ ही उसका अर्थ भी जान लिया है। तो वैष्णो आरती के माध्यम से भक्तों को वैष्णो देवी के जीवन, कर्मों, गुणों इत्यादि के बारे में बताया जाता है। साथ ही वैष्णो देवी की पूजा करने से हमें क्या कुछ फायदा मिलता है और क्यों हमें उनकी आराधना करनी चाहिए, इसके बारे में भी पता चलता है। तो यही तो वैष्णो देवी की आरती का महत्व होता है।
वैष्णो आरती को पढ़ने से हम वैष्णो देवी के बारे में तो जानते ही हैं, साथ ही वैष्णो देवी की कृपा भी हम पर बरसती है। वैष्णो देवी की आरती का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि माँ वैष्णो माँ आदिशक्ति का ही एक रूप हैं जो भगवान विष्णु को प्रिय हैं। ऐसे में वैष्णो देवी आरती का महत्व किसी से भी छुपा नहीं है।
यह तो आप जान ही गए हैं कि माँ वैष्णो ही माँ आदिशक्ति हैं और वही हम सभी की जननी हैं। उनके द्वारा ही इस सृष्टि की रचना की गयी है और मातारानी का वास हर जगह है। ऐसे में यदि हम अपनी जननी अर्थात माँ वैष्णो देवी की आरती करते हैं तो उनकी कृपा दृष्टि अवश्य ही हम पर होती है। वैष्णो जी की आरती के निरंतर पाठ से हमारे मन में चल रहा द्वंद्व व तनाव दूर हो जाता है और हम आंतरिक शांति का अनुभव करते हैं।
इसी के साथ ही हम अपने शत्रुओं पर विजय पा सकते हैं, सभी तरह के बिगड़े हुए कामो को बना सकते हैं, घर में सुख-समृद्धि ला सकते हैं तथा वह सब कुछ पा सकते हैं जिसकी कामना हम करते हैं। वैष्णो देवी आरती का पाठ करने से बहुत लाभ देखने को मिलते हैं जो किसी भी मनुष्य को इस विश्व का सबसे सुखी मनुष्य बना सकता है। इसलिए आपको भी प्रतिदिन वैष्णो देवी आरती का पाठ करना चाहिए।
आज के इस लेख के माध्यम से आपने वैष्णो देवी की आरती हिंदी में अर्थ सहित (Vaishno Devi Ki Aarti) पढ़ ली है। साथ ही आपने वैष्णो देवी आरती के फायदे और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।
नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:
अन्य संबंधित लेख:
आज के इस लेख में आपको संतोषी चालीसा (Santoshi Chalisa) पढ़ने को मिलेगी। सनातन धर्म…
आज के इस लेख में आपको तुलसी आरती (Tulsi Aarti) हिंदी में अर्थ सहित पढ़ने…
आज हम तुलसी चालीसा (Tulsi Chalisa Lyrics) का पाठ करेंगे। हिन्दू धर्म में तुलसी के पौधे…
आज हम आपके साथ महाकाली माता की आरती (Mahakali Mata Ki Aarti) का पाठ करेंगे। जब…
आज हम आपके साथ श्री महाकाली चालीसा (Mahakali Chalisa Lyrics) का पाठ करेंगे। जब भी…
आज हम आपको काली माता आरती (Kali Mata Aarti) हिंदी में अर्थ और भावार्थ सहित…
This website uses cookies.