आज हम आर्श विवाह (Arsh Vivah) के ऊपर बात करने वाले हैं। मनुस्मृति के अनुसार सनातन धर्म में कुल 8 विवाह के विवाह माने गए है जिनमे ब्रह्म विवाह को सबसे उत्तम विवाह माना गया है। इसी श्रेणी में आर्श विवाह भी आता हैं जो लगभग ब्रह्म विवाह के समान हैं। इसमें गाय या बैल का भी दान किया जाता हैं। इस कारण इसे गोदान विवाह भी कह दिया जाता है।
हालाँकि आर्श अशुद्ध रूप है जबकि इसका सही व शुद्ध नाम आर्ष विवाह होता है। ऐसे में आज हम जानेंगे कि आर्ष विवाह क्या है (Aarsh Vivah Kya Hai) और यह कैसे किया जाता है।
यह विवाह ब्रह्म विवाह का ही एक रूप है लेकिन यह मुख्यतया निर्धन परिवारों की कन्याओं से किया जाने वाला विवाह है। जहाँ एक ओर ब्रह्म विवाह में वर-वधु पक्ष की ओर से किसी प्रकार का लेनदेन नही होता है तथा केवल वधु पक्ष की ओर से कन्या का दान किया जाता है तो वही आर्ष विवाह में वर पक्ष के लोग कन्या पक्ष को गाय का जोड़ा दान में देते है।
इसका अर्थ यह हुआ कि वर पक्ष के लोग एक तरह से कन्या को अपने साथ ले जाने के लिए गाय या बैल का एक जोड़ा वधु पक्ष को मूल्य के रूप में चुकाते है। इसके बाद ही आर्श विवाह (Arsh Vivah) को संपन्न माना जाता है।
इसमें संपूर्ण प्रक्रिया ब्रह्म विवाह के समान ही है, अंतर बस इतना है कि इसमें गायो या बैल का लेनदेन होता है जबकि ब्रह्म विवाह में किसी भी प्रकार के पैसो या वस्तु का लेनदेन संपूर्ण रूप से वर्जित माना गया है।
इसमें वर पक्ष के लोग ज्यादातर ऋषि-मुनि या धनवान परिवार के लोग होते थे जो कन्या पक्ष के लोगो की सहायता करने के उद्देश्य से उन्हें गाय या बैल का जोड़ा दान में देते थे जो उनकी खेती व आजीविका में काम आ सके।
चूँकि भारत एक कृषि प्रधान देश है तथा प्राचीन समय में गाय व बैल की बहुत मान्यता थी। उस समय गाय व बैल खेती में भी काम आते थे तथा उनके दूध आदि से परिवार का भरण-पोषण भी होता था। इसलिये यह विवाह प्रचलन में था जिसमे निर्धन परिवार की कन्या के विवाह के द्वारा सहायता हो जाती थी।
किंतु वर्तमान परिप्रेक्ष्य में यह विवाह नामात्र का रह गया है तथा इसकी महत्ता भी कम हो गयी है। इसलिये आजकल आर्श विवाह बहुत कम ही देखने को मिलेगा। हालाँकि वर पक्ष के लोगों के द्वारा वधु पक्ष के लोगों को कन्या के बदले पैसे देना आर्ष विवाह की श्रेणी में माना जा सकता है। इस तरह से आज आपने आर्ष विवाह क्या है (Aarsh Vivah Kya Hai), इसके बारे में समूची जानकारी ले ली है।
आर्ष विवाह से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: आर्ष विवाह क्या होता है?
उत्तर: आर्ष विवाह वह विवाह होता है जिसमें वर पक्ष के लोग कन्या को अपने साथ ले जाने के लिए वधु पक्ष को गाय/ बैल या धन का दान करते हैं।
प्रश्न: आर्श विवाह क्या है?
उत्तर: आर्श विवाह के अंतर्गत वर पक्ष की ओर से वधु पक्ष को कन्या के बदले पैसे दिए जाते हैं। प्राचीन समय में इसके लिए गाय का दान किया जाता था।
प्रश्न: आर्श विवाह क्या होता है?
उत्तर: आर्श विवाह वह विवाह होता है जिसमें कन्या का परिवार निर्धन होता है। वह वर पक्ष को अपनी कन्या देने के बदले में गाय या पैसों की माँग करता है।
नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:
अन्य संबंधित लेख:
आज के इस लेख में आपको संतोषी चालीसा (Santoshi Chalisa) पढ़ने को मिलेगी। सनातन धर्म…
आज हम आपके साथ वैष्णो देवी की आरती (Vaishno Devi Ki Aarti) का पाठ करेंगे।…
आज के इस लेख में आपको तुलसी आरती (Tulsi Aarti) हिंदी में अर्थ सहित पढ़ने…
आज हम तुलसी चालीसा (Tulsi Chalisa Lyrics) का पाठ करेंगे। हिन्दू धर्म में तुलसी के पौधे…
आज हम आपके साथ महाकाली माता की आरती (Mahakali Mata Ki Aarti) का पाठ करेंगे। जब…
आज हम आपके साथ श्री महाकाली चालीसा (Mahakali Chalisa Lyrics) का पाठ करेंगे। जब भी…
This website uses cookies.