भारतीय संस्कृति में अपने से बड़ों के चरण स्पर्श (Charan Sparsh) करने की परंपरा शुरू से ही चली आ रही है। इसके माध्यम से हम बड़ों के प्रति अपना सम्मान प्रकट करते हैं और वे भी आशीर्वाद स्वरुप हमारे सिर पर हाथ रखते हैं। अब प्रश्न यह उठता है कि आखिरकार इस परंपरा को किस उद्देश्य के तहत शुरू किया गया था और इसका क्या औचित्य था!!
ऐसे में आज के इस लेख के माध्यम से हम आपके साथ ना केवल चरण स्पर्श का अर्थ (Charan Sparsh In Hindi) सांझा करेंगे बल्कि साथ ही आपको बताएँगे कि इसे आप किस-किस रूप में कर सकते हैं। कहने का अर्थ यह हुआ कि हम चरण स्पर्श के प्रकार भी आपके साथ सांझा करेंगे। अंत में हम आपको चरण स्पर्श के फायदे और किसके चरण स्पर्श नहीं करने चाहिए, उसके बारे में भी जानकारी देंगे।
भारत देश में शुरुआत से ही संस्कारों व अपने से बड़ों का सम्मान करने की परंपरा रही है। हम जब भी किसी से मिलते हैं तो उसका अभिवादन दोनों हाथों को जोड़कर करते हैं। इसे हम सभी नमस्कार के नाम से जानते हैं। यह अभिवादन अपने से आयु या गुणों में बराबर व्यक्ति के लिए किया जाता है।
वहीं जब हम अपने से आयु या गुणों में बड़े व्यक्ति से मिलते हैं जैसे कि हमारे माता-पिता या उनके समकक्ष या उनसे भी ऊपर की पीढ़ी, गुरु या अन्य सिद्धि प्राप्त व्यक्ति इत्यादि, तो उनके सामने केवल हाथ जोड़कर अभिवादन किया जाना ही पर्याप्त नही रहता है। ऐसे में उनके प्रति अपना सम्मान व्यक्त करने के लिए हम अपने दोनों हाथों से उनके दोनों पैरों को स्पर्श करते हैं।
ऐसा करके हम उनके प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं। इसे ही चरण स्पर्श (Charan Sparsh) कहा जाता है। ऐसा करके ना केवल हम उनका सम्मान करते हैं बल्कि चरण स्पर्श करते समय वे अपने हाथों को हमारे सिर पर रखते हैं। ऐसा करने से हमें उनके गुणों और सकारात्मक विचारों को ग्रहण करने में सहायता मिलती है। एक तरह से हमारे सिर पर हाथ रखने से हम उनकी ऊर्जा को अपने अंदर महसूस कर पाते हैं जो हमें मानसिक शांति प्रदान करती है।
चरण स्पर्श क्या होता है, यह जानने के बाद आपको इसका अर्थ भी समझ लेना चाहिए। ऐसे में चरण स्पर्श दो शब्दों के मेल से बना है। इसमें चरण का अर्थ व्यक्ति के पैरों से होता है लेकिन सभी के पैरों को ही चरण नहीं बोला जाता है। चरण एक सम्मानीय शब्द है जबकि पैर एक साधारण शब्द होता है। ईश्वर ने जो व्यक्ति को चलने के लिए दो टाँगे दी है, उन्हें ही पैर कहा जाता है। जबकि चरण सम्मान प्रकट करने के उद्देश्य से बोला जाता है।
ठीक उसी तरह जैसे हम ईश्वर के पैरों को पैर नहीं बल्कि चरण बोलते हैं। वह इसलिए क्योंकि हम सभी मनुष्यों के लिए ईश्वर के चरण सम्मानीय होते हैं। एक और उदाहरण से हम आपको समझाएं कि मनुष्य तो हम सभी हैं लेकिन अच्छे गुणों को धारण किया हुआ व्यक्ति महात्मा कहलाता है। वहीं स्पर्श का अर्थ होता है किसी चीज़ को छुआ जाना या उसके संपर्क में आना। स्पर्श का अर्थ किसी चीज़ को दबाने या पकड़ने से नहीं होता है, इसका तात्पर्य केवल उस चीज़ को छूने भर से होता है।
इस तरह से चरण स्पर्श का मतलब (Charan Sparsh Ka Matlab) होता है हमारे लिए सम्मानीय व्यक्ति के चरणों को स्पर्श किया जाना अर्थात उनके पैरों को हाथ लगाकर छूना। इस तरह से जब हम अपने से सम्मानीय या आयु में बड़े व्यक्ति के सामने झुककर उनके पैरों को अपने हाथों या माथे से छूते हैं तो उस क्रिया को ही चरण स्पर्श कहा जाता है। बदले में सामने वाला व्यक्ति प्रेम भाव से हमारे सिर पर हाथ रखकर हमें आशीर्वाद देता है।
आपको लगता होगा कि चरण स्पर्श केवल एक ही तरह से किया जाता होगा। इसके अंतर्गत सामने वाले के चरणों में झुककर उसे स्पर्श करना होता है किन्तु ऐसा नहीं है। शास्त्रों में चरण स्पर्श के प्रकारों में मुख्य तौर पर तीन तरह के प्रकार बताये गए हैं। इन्हें हम चरण करने का तरीका भी कह सकते हैं।
चरण स्पर्श (Charan Sparsh) के इन प्रकारों में सबसे पहले नंबर पर साष्टांग चरण स्पर्श या साष्टांग प्रणाम आता है। इसके बाद के चरण स्पर्श में घुटनों के बल बैठकर चरण स्पर्श करना और शरीर को झुकाकर चरण स्पर्श करना शामिल है। आजकल आखिरी वाला तरीका सबसे ज्यादा किया जाता है क्योंकि यह सरलता से व जल्दी किया जा सकता है। आइये तीनों तरह के प्रकारों के बारे में जान लेते हैं।
इसमें हमे सामने वाले मनुष्य की ओर दंडवत होकर प्रणाम करना होता है। इसमें आपको सामने वाले के चरणों में पेट के बल पूरा लेटना होता है व आपका पूरा शरीर भूमि के संपर्क में होना चाहिए। इसी के साथ आपके दोनों हाथ आगे की ओर नमस्कार की मुद्रा में जुड़े होने चाहिए।
साष्टांग प्रणाम में आपके पैर, घुटने, पेट, नाभि, ठोड़ी, नाक, मस्तिष्क व हाथ भूमि के संपर्क में होने चाहिए व आपका सिर श्रद्धा से झुका होना चाहिए। आपके हाथों का जोड़ सामने वाले के चरणों की दिशा में होना चाहिए।
इससे आपको कई तरह के लाभ प्राप्त होंगे। आपके सभी अंग सुचारू रूप से काम करते हैं व साथ ही आप सीधे भूमि के संपर्क में आते हैं जो ऊर्जा का केंद्र है। आपके शरीर में शिथिलता आती है व अहंकार का नाश होता है।
साष्टांग प्रणाम हर किसी को नहीं करना चाहिए। इसे कुछ लोगों को ही किया जाना चाहिए जैसे कि ईश्वर, गुरु, माता-पिता व सिद्धि प्राप्त मनुष्य अर्थात यह ईश्वर के अलावा आपके जीवनदाता व अति सम्मानित मनुष्य को ही किया जाना चाहिए।
इसमें आपको अपने घुटने मोड़कर भूमि पर टिकाने होते हैं व अपने दोनों हाथों से सामने वाले के चरणों को स्पर्श करना होता है। साथ ही अपने सिर को अपने दोनों हाथों के ऊपर रखना होता है। इसमें आपके पैरों की उँगलियाँ व घुटने भूमि के संपर्क में होते हैं व आपके दोनों हाथ और मस्तिष्क सामने वाले मनुष्य के चरणों के संपर्क में।
आपके इस श्रद्धापूर्ण भाव को देखकर सामने वाला मनुष्य अपना हाथ आपकी ओर करके आपको आशीर्वाद देता है। इसमें आप सामने वाले मनुष्य से उसके चरणों के द्वारा ऊर्जा तो ग्रहण करते ही हैं व साथ ही उनका आशीर्वाद भी लेते हैं। चरण स्पर्श (Charan Sparsh In Hindi) का यह प्रकार आज के समय में लुप्त सा हो गया है किन्तु कहीं-कहीं आज भी लोग इसे करते हैं।
घुटनों के बल बैठकर चरण स्पर्श करने से आपके जोड़ों को भी आराम मिलता है व घुटनों की समस्या भी दूर होती है। नीचे की ओर झुके होने से रक्त का प्रवाह मस्तिष्क की ओर हो जाता है जिससे रक्त का संचालन सुचारू रूप से होता है।
इसमें आप खड़े-खड़े ही झुककर अपने हाथों से सामने वाले के चरणों को स्पर्श करते हैं। सामने वाला मनुष्य विनम्र भाव से अपने हाथों को आपके सिर पर रखकर आपको आशीर्वाद देता है। आजकल इस प्रकार का चरण स्पर्श सबसे ज्यादा प्रचलन में है किन्तु लोग केवल एक हाथ से चरण स्पर्श करते हैं जो कि अनुचित है।
ऐसे में जब भी आप इस प्रकार का चरण स्पर्श करें तब अपने दोनों हाथों से सामने वाले मनुष्य के चरणों को स्पर्श करें, तभी यह संपूर्ण चरण स्पर्श माना जाता है। चरण स्पर्श के तीनों प्रकारों में यह चरण स्पर्श सबसे सरल व तेज गति से किया जाने वाला चरण स्पर्श होता है।
इसमें सामने की ओर झुके होने के कारण आपका रक्त का प्रवाह मस्तिष्क की ओर बढ़ता है जिससे आपकी आँखों पर जोर पड़ता है। इस जोर के पड़ने से आपकी आँखों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है व उनकी रोशनी बढ़ती है। इसके साथ ही इस तरह के चरण स्पर्श से आपकी रीढ़ की हड्डी भी मजबूत होती है व उसमे दर्द से भी आराम मिलता है।
अब हम एक-एक करके चरण स्पर्श से होने वाले विभिन्न फायदों के बारे में आपको बता देते हैं। वैसे तो ऊपर के लेख में आपने चरण स्पर्श के विभिन्न प्रकारों के साथ उनसे मिलने वाले फायदों के बारे में तो जान ही लिया है। फिर भी हम चरण स्पर्श से किस-किस तरह के फायदे हो सकते हैं, उन पर अलग से भी बता देते हैं।
चरण स्पर्श करने के एक नहीं बल्कि कई तरह के फायदे (Charan Sparsh Ke Fayde) देखने को मिलते हैं। ऐसे में आपको भी बिना किसी झिझक के अपने से बड़ों के चरण स्पर्श करने चाहिए। आज के प्रचलन की तरह आपको आधा-अधूरा चरण स्पर्श करने की बजाये, तीनों में से किसी एक प्रकार का पूरा विधिवत पालन करना चाहिए।
इसी के साथ आपका यह जानना भी आवश्यक है कि किस मनुष्य के चरण स्पर्श नही करने चाहिए। इसमें अपने से छोटे मनुष्य आते हैं जिनके चरण स्पर्श नही करने चाहिए क्योंकि आपमें उससे ज्यादा ऊर्जा होती है। किन्तु यदि वह व्यक्ति आपसे ज्यादा ज्ञानी या सिद्ध पुरुष है तो आपको उसके चरण स्पर्श करने चाहिए क्योंकि वह आपसे ज्यादा ज्ञान ले चुका है व उसमे ऊर्जा का संचार भी आपसे ज्यादा है।
इसी के साथ हमे दुष्ट प्रवत्ति के लोगों के चरण स्पर्श कदापि नही करने चाहिए। इससे आपके ऊपर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। दुष्ट प्रवत्ति के लोगों में नकारात्मक ऊर्जा होने के साथ-साथ उनके आसपास का आभामंडल भी दूषित होता है। इसलिए ऐसे मनुष्य के चरण स्पर्श करने से बचना चाहिए।
आज के इस लेख के माध्यम से आपने चरण स्पर्श (Charan Sparsh) के बारे में संपूर्ण जानकारी ले ली है। चरण स्पर्श एक ऐसी परंपरा है जो दूसरों को सम्मान देने के साथ-साथ स्वयं के लिए भी बहुत लाभप्रद रहती है। इससे आपको शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक लाभ देखने को मिलते हैं। वहीं अपने से बड़ों के प्रति सम्मान देने के कारण यह परंपरा बहुत ही सराहनीय है।
चरण स्पर्श से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: चरण स्पर्श कैसे लिखते हैं?
उत्तर: चरण स्पर्श को अंग्रेजी भाषा में Charan Sparsh के रूप में लिखा जाता है। इसका अर्थ होता है अपने से सम्मानीय या गुणवान व्यक्ति के चरणों को स्पर्श किया जाना।
प्रश्न: चरण स्पर्श कैसे करना चाहिए?
उत्तर: चरण स्पर्श करने के लिए आपको सामने वाले व्यक्ति के सामने झुककर अपने दोनों हाथों से उसके पैरों को स्पर्श करना चाहिए। ऐसा करके आप उनके प्रति अपना सम्मान प्रकट करते हैं।
प्रश्न: प्रणाम और चरण स्पर्श में क्या अंतर है?
उत्तर: प्रणाम में आप सामने वाले के सामने दोनों हाथों को जोड़कर नमस्कार करते हैं जबकि चरण स्पर्श में आप सामने वाले के चरणों को अपने दोनों हाथों से छूकर स्पर्श करते हैं।
प्रश्न: पैर छूने पर क्या आशीर्वाद देना चाहिए?
उत्तर: पैर छूने पर आप सामने वाले व्यक्ति को सदा सुखी रहो या सदा खुश रहो का आशीर्वाद दे सकते हैं। वहीं महिलाओं को सौभाग्यवती भव या स्थिति के अनुसार आशीर्वाद दिया जा सकता है।
प्रश्न: पैर क्यों छुए जाते हैं?
उत्तर: सामने वाले के प्रति अपना सम्मान प्रकट करने और अपने से बड़ों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उनके पैर छुए जाते हैं। यह सनातन धर्म में शुरू से चली आ रही परंपरा है।
प्रश्न: हमें किसके पैर छूने चाहिए?
उत्तर: हमें अपने से आयु या रिश्ते में बड़े व्यक्ति, सम्मानित या गुणवान व्यक्ति, सिद्धि प्राप्त या गुरुओं के पैर छूने चाहिए। ऐसा करके हम उनके प्रति अपना सम्मान और आभार प्रकट करते हैं।
प्रश्न: चरण स्पर्श को संस्कृत में क्या कहते हैं?
उत्तर: चरण स्पर्श संस्कृत भाषा का ही शब्द है जिसमें चरण का अर्थ पैरों से तो वहीं स्पर्श का अर्थ छूने से होता है। ऐसे में किसी के पैरों को छूना ही चरण स्पर्श कहलाता है।
नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:
अन्य संबंधित लेख:
रामायण में राम भरत मिलाप (Ram Bharat Milap) कोई सामान्य मिलाप नहीं था यह मनुष्य…
हम सभी कैकई की भ्रष्ट बुद्धि की तो बात करते हैं लेकिन श्रीराम वनवास के…
सती अनसूया की रामायण (Sati Ansuya Ki Ramayan) में बहुत अहम भूमिका थी। माता सीता…
आखिरकार कैकई के द्वारा वचन वापस लिए जाने के बाद भी राम वनवास क्यों गए…
जब भरत श्रीराम की खोज में वन में निकलते हैं तब भरत और निषाद राज…
आज हम बात करेंगे कि आखिरकार भगवान राम को 14 वर्ष का वनवास क्यों हुआ…
This website uses cookies.