सूर्य अर्घ्य (Surya Arghya) के माध्यम से हम सूर्य देव को जल अर्पित करते हैं। इसे आम भाषा में सूर्य को जल देना (Surya Ko Jal Dena) भी कहा जा सकता है। इसके माध्यम से हम सूर्य देव के प्रति अपना सम्मान प्रकट करते हैं। सूर्य देव के कारण ही हम पृथ्वीवासियों का जीवन संभव हो पाता है।
अब आपके मन में प्रश्न उठेंगे कि आखिर सूर्य को जल क्यों दिया जाता है, सूर्य को अर्घ्य कैसे दे (Surya Ko Arghya Kaise De), इसकी सही विधि क्या है, इससे हमें क्या लाभ मिलते हैं या जल चढ़ाते समय हमें क्या सावधानियां रखनी चाहिए इत्यादि? चिंता मत कीजिए, क्योंकि हम आपकी हर शंका का समाधान करेंगे। आइए जाने सूर्य देव को जल चढ़ाने या अर्घ्य देने के बारे में।
हिंदू धर्म में सूर्य देव को सभी ग्रहों में सबसे महान बताया गया है व उनके बिना जीवन की परिकल्पना को व्यर्थ माना गया है। पृथ्वी पर सभी जीव-जंतु, मनुष्य व पेड़-पौधों के जीवन व ऊर्जा का स्रोत सूर्य देव ही हैं। उन्हीं से ही हमे रोशनी, ऊर्जा, भोजन, जल इत्यादि सभी मूलभूत सुविधाएँ मिलती हैं। सूर्य के इसी महत्व को ऋषि-मुनियों ने आज से हजारों वर्ष पूर्व ही समझ लिया था व उनसे मिलने वाले लाभों को धार्मिक पुस्तकों में लिख दिया था।
इसी में से एक था सूर्य भगवान को जल चढ़ाना जिसे सूर्य को अर्घ्य देना के नाम से भी जाना जाता है। अर्घ्य का अर्थ भगवान को कुछ अर्पित करने से होता है। यहाँ सूर्य देव को अर्घ्य देने से तात्पर्य उन्हें जल चढ़ाने से है। आइये सूर्य देव को जल चढाने के ऊपर संपूर्ण जानकारी ले लेते हैं।
हिंदू धर्म में देवताओं को भगवान से अलग माना गया है। अंग्रेजी के गॉड शब्द को हिंदी में देवता कहा जाता है ना कि भगवान। भगवान से तात्पर्य होता है जिसमें संपूर्ण ब्रह्मांड की रचना, संचालन व विनाश करने की शक्ति हो जबकि देवता इस पृथ्वी के जीवनयापन के लिए उत्तरदायी होते हैं।
देवताओं में सूर्य, जल, अग्नि, वायु, इंद्र इत्यादि आते हैं जो इस पृथ्वी के संचालन व मानव जीवन के लिए अति-आवश्यक हैं। इन सभी में इंद्र को स्वर्ग का राजा घोषित किया गया है लेकिन पृथ्वी के लिए सबसे महत्वपूर्ण देवता सूर्य को माना गया है। सूर्य देव के कारण ही पृथ्वी की सब मूलभूत आवश्यकताएं पूरी हो पाती हैं व सूर्य के कारण ही हम सभी का अस्तित्व विद्यमान है।
यही कारण है कि जब स्वयं भगवान के रूप मानव अवतार में इस पृथ्वी पर आते हैं तब वे सूर्य देव की उपासना करते हैं जैसे कि श्रीराम सूर्य देव के उपासक थे। सूर्य देव की इसी महत्ता को देखते हुए उन्हें प्रतिदिन सम्मान देने की दृष्टि से अर्घ्य देने की परंपरा की शुरूआत हुई। साथ ही हिंदू धर्म में प्रत्येक परंपरा या रीति-रिवाज में वैज्ञानिक पहलू को भी ध्यान में रखा गया है जिस कारण मनुष्य को इसका सर्वाधिक लाभ मिल सके। इसके बारे में भी हम नीचे जानेंगे।
सूर्य देव को जल चढ़ाने की एक विधि बताई गयी है व हमे उसी का पालन करना चाहिए। इसके लिए आपको सुबह सूर्योदय के समय उठना पड़ेगा क्योंकि सूर्य देव को जल सूर्योदय होने के पश्चात एक घंटे के अंदर-अंदर दे दिया जाना चाहिए। सूर्य देव को जल देने के लिए तांबे के लोटे का उपयोग किया जाता है।
इसलिए एक तांबे का लोटा लें और उसमे शुद्ध जल (Surya Ko Arghya Kaise Dete Hain) भरें। आप इस जल में कुमकुम, चावल के दाने व लाल फूल की पत्तियां भी डाल सकते हैं। अब पूर्व दिशा की ओर मुख करके अपने दोनों हाथों को सिर के ऊपर उठाकर एक पतली धार छोड़ते हुए सूर्य देव को जल दें। सूर्य देव को जल देते समय लोटे से निकलती जल की धार को देखते रहें व सूर्य मंत्र का जाप करें।
जब लोटे में जल समाप्त हो जाये तब झुककर जल को स्पर्श कर अपने माथे व आँखों पर (Surya Ko Arghya Dene Ki Vidhi) लगाएं। इसके बाद इस जल की तीन बार परिक्रमा करें व सूर्य देव को प्रणाम करें। तो यह थी सूर्य देव को जल देने की संपूर्ण विधि। इसके साथ ही सूर्य देव को जल देने के कुछ नियम भी हैं जिनका आपको ध्यान रखना चाहिए।
अब हम आपके सामने सूर्य को जल देने की विधि रखने जा रहे हैं। यदि आप सूर्य को जल देना (Surya Ko Jal Dena) चाहते हैं तो आपको इन नियमों के तहत ही उन्हें जल चढ़ाना चाहिए।
तो कुछ इस तरह से सूर्य अर्घ्य (Surya Arghya) दिया जाता है। हालाँकि आप अपनी स्थिति व समय के अनुसार उन्हें जल दे सकते हैं किन्तु ऊपर बताई गयी विधि सूर्य देव को जल देने की सर्वोत्तम विधि होती है।
सूर्य को जल देते समय आपको भगवान सूर्य के बारह नाम क्रमशः लेने होते हैं, जो कि इस प्रकार हैं:
अब सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न जो उठता है वह यह है कि आखिरकार सूर्य देव को जल चढ़ाने से हमारा क्या फायदा होता है? क्या हम यह केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही करते हैं या इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी है। क्या इससे हमें शारीरिक या मानसिक रूप से भी कोई लाभ मिलता है? आइये जाने सूर्य को जल चढ़ाने से क्या फायदा होता है।
सूर्य प्रकाश का एकमात्र स्रोत है व इसी से हमें विश्व में हर चीज़ दिखाई देती है। उस समय सूर्य से जो प्रकाश हमारे पास पहुँचता है वह सात रंगों का होता है। जब हम सूर्य को एक सीधी धारा में जल अर्पित करते हैं तो सूर्य का प्रकाश उसमे से परावर्तित होकर हमारी आँखों में सकारात्मक प्रभाव डालता है। साथ ही उस समय सूर्य का प्रकाश इतना तेज़ नही होता है जिस कारण हम सूर्य को सीधी आँखों से देख सकते हैं।
ऐसा करने से हमारी आखों के दोष दूर होते हैं व रंगों का असंतुलन ठीक होता है। सूर्य के द्वारा आखों को मिले प्रकाश व रंगों का संतुलन होने से हमारी आँखें पहले से ज्यादा स्वस्थ व तेज बनती है और उनकी रोशनी बढ़ती है।
यह तो सब जानते हैं कि सूर्य से हमें विटामिन डी मिलता है। साथ ही विटामिन डी का मुख्य स्रोत भी सूर्य से निकली किरणें ही है। सुबह के समय सूर्य से हमें विटामिन डी सबसे अधिक मात्रा में मिलता है। इसलिए सुबह के समय सैर या मोर्निंग वॉक की जाती है। विटामिन डी की भरपूर मात्रा मिलने से हमारी हड्डियाँ मजबूत बनती है व हमारे शरीर में कैल्शियम की कमी नही होती है। इससे हमारा संपूर्ण शरीर हष्ट पुष्ट बनता है।
सुबह के समय सूर्य की किरणें हानिकारक नही होती है जो हमारे शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होती है। हमारे शरीर में जो विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया, जीवाणु, विषाणु होते हैं वह सब सूर्य के प्रकाश में नष्ट या निष्प्रभावी हो जाते हैं। इससे यह हमारे शरीर की विभिन्न प्रकार के संक्रमणों व रोगों से भी रक्षा करता है।
सूर्य को जल देने व जल की धारा पर ध्यान केन्द्रित करने से हमारा मन पहले की तुलना में ज्यादा एकाग्र व शांत बनता है। यदि आपको अपने काम पर ध्यान केन्द्रित करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है तो प्रतिदिन सूर्य को जल देने से यह समस्या समाप्त हो सकती है। इससे आपका मन एकाग्रचित्त होगा व सोचने-समझने की क्षमता भी विकसित होगी।
सूर्य को जल देते समय हमारी छाती सूर्य के सामने होती है जिसमे प्रकाश सोखने की क्षमता सबसे अधिक होती है। हमारे हृदय तक सूर्य का प्रकाश सीधे पहुँचता है जो हमारे अंदर सकारात्मक ऊर्जा के संचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इससे हमारे मन से दूषित विचार दूर होते हैं, चित्त शांत व प्रसन्न रहता है, इच्छाशक्ति मजबूत बनती है व अच्छे कार्य करने की प्रेरणा मिलती है। आप स्वयं पाएंगे कि आपका मन पहले की तुलना में कई अधिक शांत व स्वच्छ विचारों वाला हो गया है।
इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपने सूर्य अर्घ्य (Surya Arghya) के बारे में संपूर्ण जानकारी ले ली है। यदि अभी भी आपके मन में किसी तरह की शंका शेष रह गयी है तो आप नीचे कमेंट करके हम से पूछ सकते हैं।
सूर्य अर्घ्य से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: सूर्य को अर्घ कैसे देते हैं?
उत्तर: सूर्य को अर्घ देने के ऊपर संपूर्ण जानकारी हमने इस लेख में दी है। यहाँ आपको सूर्य को जल देने के नियम, विधि व मंत्र के बारे में पढ़ने को मिलेगा।
प्रश्न: सूर्य को अर्घ्य देते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?
उत्तर: सूर्य को अर्घ्य देते समय सूर्य देव के 12 नामों को बोला जाता है। इसके बारे में हमने इस लेख में बताया है।
प्रश्न: सूर्य को जल कितने बजे तक देना चाहिए?
उत्तर: सूर्योदय के समय सूर्य को जल दिया जाना चाहिए। यह ब्रह्म मुहूर्त का समय होता है जो सामान्य तौर पर सुबह 4 बजे से 6 बजे के बीच का होता है।
प्रश्न: सूर्य को जल देने वाले लोटे में क्या डालें?
उत्तर: सूर्य को जल देने वाले लोटे में अक्षत, पुष्प व तिल डाल सकते हैं। आप चाहें तो सादा जल भी सूर्य देव को चढ़ा सकते हैं।
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