विद्यालय में हमें हमेशा गायत्री मंत्र का जाप अवश्य करवाया जाता है (Gayatri Jayanti In Hindi)। हम सभी को गायत्री मंत्र कंठस्थ भी होगा तथा घर में भी सभी को यह मंत्र आता होगा (Gayatri Jayanti Puja Vidhi)। किंतु क्या आप जानते हैं कि गायत्री मंत्र की जनक गायत्री माता का हिंदू धर्म तथा वेदों में कितना मुख्य स्थान है? गायत्री माता को वेदों की माता के रूप में जाना जाता है तथा उन्हें देव माता की संज्ञा भी दी गयी है। इसलिये हर वर्ष गायंत्री जयंती मनाने की परंपरा है। आइये इसके बारे में जानते हैं।
जब भगवान ब्रह्मा सृष्टि की रचना कर रहे थे तब उनके मुख पर सर्वप्रथम गायत्री मंत्र की रचना हुई थी। उसी से गायत्री माता की उत्पत्ति हुई तथा उसके पश्चात उनके द्वारा चारो वेदों की रचना संभव हुई। यही कारण है कि उन्हें वेदों की माता तथा भगवान ब्रह्मा को वेदों के पिता के रूप में जाना जाता है (Gayatri Mantra In Hindi)।
ॐ भूर् भुवः स्वः।
तत् सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि।
धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
भावार्थ: उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अपनी अन्तरात्मा में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे (Gayatri Mantra Meaning in Hindi)।
इसी के साथ गायत्री माता को समस्त देवो की आराध्य तथा माता के रूप में पहचाना जाता है। उन्हें माँ पार्वती, लक्ष्मी तथा सरस्वती के समरूप माना गया है। माँ गायत्री को भगवान ब्रह्मा की पत्नी के रूप में भी पहचाना गया है।
संपूर्ण देश में गायत्री जयंती का पर्व ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। मुख्यतया ब्राह्मण परिवारों में इसका महत्त्व है। भिन्न लोगों में इसकी तिथि को लेकर भिन्न मान्यताएं हैं तथा उनके अनुसार यह ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाते हैं।
इसी के साथ कुछ लोग इसे श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन भी मनाते हैं। सर्वप्रसिद्ध मान्यता के अनुसार इसे ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष के एकादशी को ही मनाया जाता है।
यदि आप गायत्री माता का रूप देखेंगे तो वह पंचमुखी रूप में दिखाई देंगी। ज्यादातर सभी माताएं एक मुख का रूप लिए होती है जबकि गायत्री माता के पांच मुख है। अथर्ववेद में गायत्री माता को सृष्टि के निर्माण के पंचतत्वों का रूप माना गया है अर्थात उनके पांच मुख जल, वायु, अग्नि, आकाश तथा पृथ्वी को प्रदर्शित करते हैं।
इस प्रकार माँ गायत्री देवी सृष्टि के सभी प्राणियों तथा वस्तुओं की भगवान ब्रह्मा के समान जननी हैं। वेदों की माता तथा सृष्टि के निर्माता के रूप में उनका अहम योगदान है।
एक समय भगवान ब्रह्मा को एक यज्ञ में भाग लेने जाना था। उस समय माँ सावित्री/ सरस्वती देवी वहां उपस्थित नही थी। भगवान ब्रह्मा का यज्ञ में भाग लेना भी आवश्यक था। इसलिये भगवान ब्रह्मा ने माँ सरस्वती के रूप माँ गायत्री देवी से विवाह किया तथा यज्ञ में भाग लिया। इस प्रकार भगवान ब्रह्मा से माँ गायत्री का विवाह संपन्न हुआ था।
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जय श्री कृष्णा 🙏🙏
जय माता दी 🙏