हर विवाहित महिला कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन करवा चौथ का व्रत रखती है। इस दिन उनके द्वारा अपने पति की लंबी आयु के लिए चौथ माता की पूजा की जाती है। करवाचौथ के दिन महिला पूरे दिन भूखी-प्यासी रहकर कड़ी तपस्या करती है और चौथ माता को प्रसन्न करने का प्रयास करती है। उनके द्वारा चौथ माता की आरती (Chauth Mata Ki Aarti) भी की जाती है।
ऐसे में आज के इस लेख में हम आपके साथ करवा चौथ आरती (Karwa Chauth Aarti) ही सांझा करने जा रहे हैं। इतना ही नहीं आज आपको करवाचौथ आरती का हिंदी अनुवाद (Karwachauth Aarti) भी पढ़ने को मिलेगा ताकि आप इसका भावार्थ भी समझ सकें। अंत में आपको करवा चौथ की आरती के लाभ व महत्व भी पढ़ने को मिलेंगे। तो आइये सबसे पहले करते हैं करवा चौथ की आरती।
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया॥
ओम जय करवा मैया॥
सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी।
यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी॥
ओम जय करवा मैया॥
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती।
दीर्घायु पति होवे, दुख सारे हरती॥
ओम जय करवा मैया॥
होए सुहागिन नारी, सुख संपत्ति पावे।
गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे॥
ओम जय करवा मैया॥
करवा मैया की आरती, व्रत कर जो गावे।
व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे॥
ओम जय करवा मैया॥
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया॥
करवा मैया की जय हो, करवा माता की जय हो। हे माता करवा!! जो भी आपके नाम का व्रत करता है, आप उसका बेड़ा पार करवा दीजिये।
सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी।
यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी॥
आप ही इस जगत की मातारानी हो। आप ही शिव की पत्नी रुद्राणी माता हो। इस जगत के सभी प्राणी मिलकर आपकी महिमा का गुणगान करते हैं।
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती।
दीर्घायु पति होवे, दुख सारे हरती॥
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन जो नारी करवा माता के नाम का व्रत करती है, उनके पति को दीर्घायु होने का वरदान मातारानी से मिलता है। इसी के साथ ही करवा माता उस नारी के सभी दुःख दूर कर देती हैं।
होए सुहागिन नारी, सुख संपत्ति पावे।
गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे॥
करवा माता महिलाओं को हमेशा सुहागिन बने रहने का आशीर्वाद देती है और साथ ही उनके घर में सुख-संपत्ति आती है। गणेश भगवान बहुत ही दयावान है और वे हमारे सभी विघ्नों का नाश कर देते हैं।
करवा मैया की आरती, व्रत कर जो गावे।
व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे॥
जो कोई भी करवा माता की आरती करता है और उनके नाम का व्रत कर संपूर्ण विधि सहित उनकी पूजा करता है, उसे सभी तरह के सुखों की प्राप्ति होती है।
करवा चौथ आरती के माध्यम से चौथ माता के गुणों, शक्तियों व महत्व के ऊपर प्रकाश डाला गया है। हर विवाहित महिला के लिए करवा चौथ का व्रत बहुत ही ज्यादा महत्व वाला होता है क्योंकि इस दिन वह चौथ माता से अपने पति की लंबी आयु के लिए कामना करती है। करवाचौथ आरती में चौथ माता का तो गुणगान किया ही गया है और इसी के साथ ही अपने पति की लंबी आयु की याचना भी की गयी है।
इस तरह से करवा चौथ आरती के माध्यम से एक महिला चौथ माता की पूजा तो कर ही लेती है और उसी के साथ ही अपने पति के दीर्घायु होने का वरदान भी मातारानी से माँग लेती है। यही चौथ माता की आरती का महत्व होता है।
करवा चौथ के दिन जो महिला सच्चे मन के साथ चौथ माता की आरती करती है और पूरे दिन भूखे-प्यासे रहकर कड़ी तपस्या करती है, उस महिला से चौथ माता बहुत जल्दी प्रसन्न होती हैं। ऐसे में उसके पति को स्वास्थ्य संबंधित कोई भी समस्या है तो वह दूर हो जाती है तथा वह शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ बनता है।
इसी के साथ ही यदि पति-पत्नी के संबंधों में किसी बात को लेकर मनमुटाव चल रहा है या कोई अन्य समस्या है तो वह भी स्वतः ही दूर हो जाती है तथा दोनों के बीच संबंध फिर से मधुर बनते हैं। करवा चौथ की आरती के माध्यम से एक महिला अपने पति की आयु तक को बढ़ा सकती है जो उसके सौभाग्यवती रहने का वरदान है। तो यही सब करवाचौथ की आरती के लाभ होते हैं।
चौथ माता की आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: चौथ माता का पूजा कैसे होता है?
उत्तर: चौथ माता की पूजा करने के लिए करवा चौथ के दिन सुबह के समय चौथ माता की कथा सुनी जाती है और उनकी आरती की जाती है। इसके पश्चात पूरे दिन व्रत रखकर शाम को चंद्रमा देखकर व्रत तोड़ा जाता है।
प्रश्न: चौथ माता कौन सी है?
उत्तर: चौथ माता कोई और नहीं बल्कि माता पार्वती या माता गौरी का ही एक रूप हैं जो विवाहित महिलाओं को सौभाग्यवती रहने और उनके पति के सुखद स्वास्थ्य का वरदान देती हैं।
प्रश्न: चौथ माता का व्रत क्यों किया जाता है?
उत्तर: चौथ माता का व्रत करने से विवाहित महिलाओं को सौभाग्य होने का वरदान मिलता है और उनके पति दीर्घायु होने के साथ-साथ स्वस्थ भी रहते हैं।
प्रश्न: चौथ माता का व्रत है क्या?
उत्तर: हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन चौथ माता का व्रत किया जाता है। इसे करवा चौथ का व्रत भी कहा जाता है जो विवाहित महिला के द्वारा अपने पति की लंबी आयु के लिए किया जाता है।
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