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गीता जयंती (Geeta Jayanti In Hindi) का हिंदू धर्म में एक विशेष स्थान हैं। यह प्रति वर्ष मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन मनायी जाती है। इसी दिन भगवान विष्णु के रूप भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र की युद्धभूमि में खड़े होकर अपने मार्ग से विचलित हो रहे अर्जुन को प्रथम बार गीता का उपदेश दिया था। तब से उस दिन को गीता जयंती के दिन से मनाया जाने लगा है।
इसे गीता महोत्सव (Gita Jayanti In Hindi) के नाम से भी जाना जाता है। आज हम आपके साथ गीता जयंती की कथा, महत्व व मनाने की विधि, इत्यादि सब साझा करेंगे। आइए जानते हैं।
जब पांडवो व श्रीकृष्ण के द्वारा महाभारत के युद्ध को रोकने के लिए शांति के सभी प्रयास विफल हो गए तब दोनों सेनाएं युद्धभूमि में आमने-सामने आ खड़ी हुई। युद्ध शुरू होने से पूर्व धनुर्धारी अर्जुन ने अपने सारथी श्रीकृष्ण से अपना रथ दोनों सेनाओं के मध्य में ले जाने को कहा। वहां जाकर अर्जुन अपने ही सगे-संबंधियों को अपने विरुद्ध देखकर अधीर हो गए और युद्ध से पीछे हटने की बात कहने लगे।
जब श्रीकृष्ण ने पांडवो के सबसे शक्तिशाली योद्धा को यूँ विचलित होते देखा तो उन्होंने गीता का ज्ञान देना शुरू किया। श्रीकृष्ण अर्जुन को भगवत गीता के द्वारा यह बता देना चाहते थे कि मनुष्य के हाथ में केवल कर्म करना हैं और जिनको देखकर वह विचलित हो रहा है वह केवल एक मोह है।
दोनों सेनाओं के बीच खड़े होकर श्रीकृष्ण ने लगभग 40 मिनट तक गीता का पाठ अर्जुन को दिया। यह मार्गशीर्ष मास की शुक्ल एकादशी का ही दिन था। तब से इस दिन की महत्ता तथा गीता के प्रादुर्भाव को बताने के लिए गीता महोत्सव (Gita Jayanti In Hindi) का पर्व मनाने की शुरुआत हुई।
हिन्दू धर्म का सार उसके वेद, पुराण व उपनिषद है। श्रीकृष्ण ने जो भगवत गीता का पाठ किया था वह इन्ही समस्त वेदों और उपनिषदों का सार है। अर्थात जो सभी वेद और उपनिषद हमे शिक्षा देते हैं उसी की व्याख्या गीता करती है। उदाहरण के तौर पर यदि समस्त वेद और उपनिषद गौ माता हैं तो गीता उस गौ माता के थनों में से निकलने वाला अमृत रुपी दूध है।
गीता मनुष्य को मानवीय जीवन के उन पहलुओं के बारे में बतलाती है जिसको यदि मनुष्य समझ जाए तो उसका जीवन धन्य हो जाए। यह आत्मा के परमात्मा से मिलन, परमात्मा के अनंत स्वरुप, जीवन-मृत्यु के रहस्य, पुनर्जन्म की व्याख्या, सुख-दुःख का पर्याय, मोह-माया का प्रभाव, कर्म-फल का खेल, भाग्य-प्रारब्ध का बनना इत्यादि कई गूढ़ बातों को सरल शब्दों में समझा देती है।
मोक्षदा एकादशी का अर्थ हुआ वह एकादशी जिस दिन मनुष्य को मोक्ष प्राप्त करने का रहस्य पता चला हो। गीता जयंती के सार को जो समझ जाता हैं उसे मोक्ष प्राप्त करने से कोई नही रोक सकता। मनुष्य अपने जीवन में कर्म-फल, मोह-माया, सुख-दुःख इत्यादि कई पहलुओं में फंसकर पुनर्जन्म के चक्कर में पीसता रहता है।
वही गीता के संदेश को ग्रहण करके यदि मनुष्य उसी मार्ग पर चले तो वह इन सभी बंधनों से हमेशा के लिए मुक्त हो जाता है। इसके बाद वह सदा के लिए परमात्मा में लीन हो जाता है व मोक्ष को प्राप्त करता है। इसलिये गीता जयंती के दिन को मोक्षदा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
इस दिन सभी भक्तगण अपने घर या मंदिर में भगवत गीता की पूजा करे और उसका पाठ करे। घर के सभी सदस्य श्रीकृष्ण के उपदेशो को आत्म-सात करते हुए अपने जीवन में अपनाए। गीता जयंती मनाने का यही मुख्य उद्देश्य है कि विश्व के सभी प्राणी आपसी बैर-भाव, क्रोध, आलस्य, दुर्भावना इत्यादि नकारात्मक भावनाओ को त्याग कर केवल और केवल अपने कर्म पर ध्यान दे व फल की चिंता ना करे।
यहाँ कर्म से तात्पर्य बुरे या अच्छे कर्मो से नही अपितु कर्म करने से है। मनुष्य को कभी भी कोई कार्य उसके फल की चिंता में नही करना चाहिए क्योंकि वह केवल ईश्वर के हाथ में है। इसलिये उसे बस कर्म करते रहना चाहिए और फल की इच्छा का त्याग कर देना चाहिए।
ऐसे ही जीवन के अमूल्य गुणों को आत्म-सात करने के उद्देश्य से हर वर्ष गीता जयंती का त्यौहार (Geeta Jayanti In Hindi) पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है ताकि सभी को इसकी महत्ता का ज्ञान हो सके।
गीता जयंती से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: गीता जयंती कब और क्यों मनाई जाती है?
उत्तर: गीता जयंती मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को मनाई जाती है। यह भगवद गीता के उपदेशों को ग्रहण करने और श्रीकृष्ण के बताए मार्ग पर आगे बढ़ने के उद्देश्य से मनाई जाती है।
प्रश्न: श्रीमद्भागवत गीता जयंती कब है?
उत्तर: श्रीमद्भागवत गीता जयंती मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह दिसंबर महीने के आसपास आती है।
प्रश्न: गीता जयंती में क्या करना चाहिए?
उत्तर: गीता जयंती वाले दिन भगवान श्रीकृष्ण व भगवद गीता को प्रणाम कर उनका पूजन करे। गीता का पाठ करे और श्रीकृष्ण के बताए मार्ग पर आगे बढ़े।
प्रश्न: गीता जयंती का दूसरा नाम क्या है?
उत्तर: गीता जयंती का दूसरा नाम गीता महोत्सव है। वही इसे मोक्षदा एकादशी भी कह दिया जाता है क्योंकि गीता के बताए मार्ग पर आगे बढ़ने से हमें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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