चालीसा

गोगा चालीसा (जाहरवीर चालीसा) – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

आज हम आपके साथ जाहरवीर चालीसा (Jaharveer Chalisa) का पाठ करेंगे। भारत देश में समय-समय पर कई तरह के महापुरुषों, संतों व गुरुओं ने जन्म लिया है। उन्होंने मानव जाति को तरह-तरह के उपदेश दिए हैं और मानवता की रक्षा की है। इसी में एक प्रसिद्ध नाम है जाहरवीर का जिनकी महिमा अपरंपार है।

जाहरवीर को गोगा या गोगाजी के नाम से भी जाना जाता है। इस कारण उनकी चालीसा को गोगा चालीसा (Goga Chalisa) भी कह देते हैं। ऐसे में आज के इस लेख में हम गोगा जी की चालीसा का पाठ करेंगे और साथ ही उसका अर्थ भी समझाएंगे। अंत में हम जाहरवीर चालीसा के फायदे और महत्व भी आपको बताएँगे। आइए सबसे पहले पढ़ते हैं गोगा जी चालीसा हिंदी में।

Jaharveer Chalisa | जाहरवीर चालीसा

॥ दोहा ॥

सुवन केहरी जेवर सुत महाबली रनधीर।
बन्दौं सुत रानी बाछला विपत निवारण वीर॥

जय जय जय चौहान वन्स गूगा वीर अनूप।
अनंगपाल को जीतकर आप बने सुर भूप॥

॥ चौपाई ॥

जय जय जय जाहर रणधीरा, पर दुख भंजन बागड़ वीरा।

गुरु गोरख का हे वरदानी, जाहरवीर जोधा लासानी।

गौरवरण मुख महा विसाला, माथे मुकट घुंघराले बाला।

कांधे धनुष गले तुलसी माला, कमर कृपान रक्षा को डाला।

जन्में गूगावीर जग जाना, ईसवी सन हजार दरमियाना।

बल सागर गुण निधि कुमारा, दुखी जनों का बना सहारा।

बागड़ पति बाछला नन्दन, जेवर सुत हरि भक्त निकन्दन।

जेवर राव का पुत्र कहाये, माता पिता के नाम बढ़ाये।

पूरन हुई कामना सारी, जिसने विनती करी तुम्हारी।

सन्त उबारे असुर संहारे, भक्त जनों के काज संवारे।

गूगावीर की अजब कहानी, जिसको ब्याही श्रीयल रानी।

बाछल रानी जेवर राना, महादुखी थे बिन सन्ताना।

भंगिन ने जब बोली मारी, जीवन हो गया उनको भारी।

सूखा बाग पड़ा नौलक्खा, देख-देख जग का मन दुक्खा।

कुछ दिन पीछे साधू आये, चेला चेली संग में लाये।

जेवर राव ने कुआ बनवाया, उद्घाटन जब करना चाहा।

खारी नीर कुए से निकला, राजा रानी का मन पिघला।

रानी तब ज्योतिषी बुलवाया, कौन पाप मैं पुत्र न पाया।

कोई उपाय हमको बतलाओ, उन कहा गोरख गुरु मनाओ।

गुरु गोरख जो खुश हो जाई, सन्तान पाना मुश्किल नाई।

बाछल रानी गोरख गुन गावे, नेम धर्म को न बिसरावे।

करे तपस्या दिन और राती, एक वक्त खाय रूखी चपाती।

कार्तिक माघ में करे स्नाना, व्रत इकादसी नहीं भुलाना।

पूरनमासी व्रत नहीं छोड़े, दान पुण्य से मुख नहीं मोड़े।

चेलों के संग गोरख आये, नौलखे में तम्बू तनवाये।

मीठा नीर कुए का कीना, सूखा बाग हरा कर दीना।

मेवा फल सब साधु खाए, अपने गुरु के गुन को गाये।

औघड़ भिक्षा मांगने आए, बाछल रानी ने दुख सुनाये।

औघड़ जान लियो मन माहीं, तप बल से कुछ मुश्किल नाहीं।

रानी होवे मनसा पूरी, गुरु शरण है बहुत जरूरी।

बारह बरस जपा गुरु नामा, तब गोरख ने मन में जाना।

पुत्र देन की हामी भर ली, पूरनमासी निश्चय कर ली।

काछल कपटिन गजब गुजारा, धोखा गुरु संग किया करारा।

बाछल बनकर पुत्र पाया, बहन का दरद जरा नहीं आया।

औघड़ गुरु को भेद बताया, तब बाछल ने गूगल पाया।

कर परसादी दिया गूगल दाना, अब तुम पुत्र जनो मरदाना।

लीली घोड़ी और पण्डतानी, लूना दासी ने भी जानी।

रानी गूगल बाट के खाई, सब बांझों को मिली दवाई।

नरसिंह पंडित लीला घोड़ा, भज्जु कुतवाल जना रणधीरा।

रूप विकट धर सब ही डरावे, जाहरवीर के मन को भावे।

भादों कृष्ण जब नौमी आई, जेवरराव के बजी बधाई।

विवाह हुआ गूगा भये राना, संगलदीप में बने मेहमाना।

रानी श्रीयल संग परे फेरे, जाहर राज बागड़ का करे।

अरजन सरजन काछल जने, गूगा वीर से रहे वे तने।

दिल्ली गए लड़ने के काजा, अनंग पाल चढ़े महाराजा।

उसने घेरी बागड़ सारी, जाहरवीर न हिम्मत हारी।

अरजन सरजन जान से मारे, अनंगपाल ने शस्त्र डारे।

चरण पकड़कर पिण्ड छुड़ाया, सिंह भवन माड़ी बनवाया।

उसी में गूगावीर समाये, गोरख टीला धूनी रमाये।

पुण्य वान सेवक वहाँ आये, तन मन धन से सेवा लाए।

मन्सा पूरी उनकी होई, गूगावीर को सुमरे जोई।

चालीस दिन पढ़े जाहर चालीसा, सारे कष्ट हरे जगदीसा।

दूध पूत उन्हें दे विधाता, कृपा करे गुरु गोरखनाथ।

Goga Chalisa | गोगा चालीसा – अर्थ सहित

सम्राट पृथ्वीराज चौहान के समय राजस्थान के चुरू जिले में जाहरवीर का जन्म हुआ था। उन्हें बाबा गोरखनाथ का आशीर्वाद प्राप्त हुआ था। उन्होंने अपने जीवनकाल में मानव जाति की रक्षा व उत्थान के लिए कई तरह के कार्य किए थे। उसी कारण जाहरवीर जी की पूजा उत्तर भारत के राज्यों में मुख्य रूप से की जाती है। ऐसे में आइए पढ़े गोगा जी की चालीसा का अर्थ।

॥ दोहा ॥

सुवन केहरी जेवर सुत महाबली रनधीर।
बन्दौं सुत रानी बाछला विपत निवारण वीर॥

जय जय जय चौहान वन्स गूगा वीर अनूप।
अनंगपाल को जीतकर आप बने सुर भूप॥

हे जाहरवीर! आप बहुत शक्तिशाली व महाबली हैं। गोगाजी के पिता का नाम जेवरसिंह व माता का नाम बाछल देवी था। वे चौहान वंश के एक प्रमुख राजा थे जिन्होंने अपनी प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैलायी। उन्होंने अनंगपाल राजा को हराकर बहुत प्रसिद्धी प्राप्त की।

॥ चौपाई ॥

जय जय जय जाहर रणधीरा, पर दुख भंजन बागड़ वीरा।

गुरु गोरख का हे वरदानी, जाहरवीर जोधा लासानी।

गौरवरण मुख महा विसाला, माथे मुकट घुंघराले बाला।

कांधे धनुष गले तुलसी माला, कमर कृपान रक्षा को डाला।

हे युद्धभूमि में लड़ने वाले जाहरवीर!! आपकी जय हो। आपने हमारे दुखों का नाश किया है। गुरु गोरखनाथ के आशीर्वाद से ही आप अपने माता-पिता को प्राप्त हुए। आपका रंग गौरा है और बाल घुंघराले है। आपने अपने कन्धों पर धनुष लिया हुआ है और गले में तुलसी की माला है। लोगों की रक्षा के लिए आपने अपनी कमर पर तलवार ली हुई है।

जन्में गूगावीर जग जाना, ईसवी सन हजार दरमियाना।

बल सागर गुण निधि कुमारा, दुखी जनों का बना सहारा।

बागड़ पति बाछला नन्दन, जेवर सुत हरि भक्त निकन्दन।

जेवर राव का पुत्र कहाये, माता पिता के नाम बढ़ाये।

दसवीं ईसवीं में आपका जन्म हुआ जिसे सारा जगत जानता है। आपके अंदर अपार शक्ति है और इससे आप दुखी लोगों के सहारा बनकर उभरे। बाछल आपकी माता और जेवर आपके पिता का नाम है और आप भागवान विष्णु के भक्त हैं। आप जेवर जी के पुत्र हैं और आपने अपने माता-पिता का नाम ऊंचा किया।

पूरन हुई कामना सारी, जिसने विनती करी तुम्हारी।

सन्त उबारे असुर संहारे, भक्त जनों के काज संवारे।

गूगावीर की अजब कहानी, जिसको ब्याही श्रीयल रानी।

बाछल रानी जेवर राना, महादुखी थे बिन सन्ताना।

जिस किसी ने भी आपसे विनती की, आपने उसकी सभी तरह की कामनाओं को पूरा किया। आपने संतों का भला किया और दुष्टों का नाश किया। आपने अपने भक्तों के सभी काम पूरे किये। आपके माता-पिता संतान ना हो पाने के कारण बहुत ही दुखी रहते थे।

भंगिन ने जब बोली मारी, जीवन हो गया उनको भारी।

सूखा बाग पड़ा नौलक्खा, देख-देख जग का मन दुक्खा।

कुछ दिन पीछे साधू आये, चेला चेली संग में लाये।

जेवर राव ने कुआ बनवाया, उद्घाटन जब करना चाहा।

आपके पिता के राज में उनके राज्य में भारी सूखा पड़ा। इससे राज्य की प्रजा बहुत निराश हो गयी। उसके कुछ दिन बाद आपके पिता के राज्य में साधू-संत आये और अपने साथ अपने चेले भी लाये। आपके पिता जेवरराव ने कुआँ खुदवाया और फिर उसका उद्घाटन किया।

खारी नीर कुए से निकला, राजा रानी का मन पिघला।

रानी तब ज्योतिषी बुलवाया, कौन पाप मैं पुत्र न पाया।

कोई उपाय हमको बतलाओ, उन कहा गोरख गुरु मनाओ।

गुरु गोरख जो खुश हो जाई, सन्तान पाना मुश्किल नाई।

कुएं में से खारा पानी निकला और यह देख कर सभी दुखी हो गए। तब आपकी माता ने ज्योतिषी को बुलाया और उन्हें पुत्र ना होने की पीड़ा सुनायी। उन्होंने ज्योतिष से इसका कोई उपाय पूछा और ज्योतिष ने उनसे गुरु गोरखनाथ से मिलने को कहा। उन्होंने बताया कि यदि बाबा गोरखनाथ प्रसन्न हो जाते हैं तो पुत्र प्राप्ति होती है।

बाछल रानी गोरख गुन गावे, नेम धर्म को न बिसरावे।

करे तपस्या दिन और राती, एक वक्त खाय रूखी चपाती।

कार्तिक माघ में करे स्नाना, व्रत इकादसी नहीं भुलाना।

पूरनमासी व्रत नहीं छोड़े, दान पुण्य से मुख नहीं मोड़े।

इसके बाद बाछल रानी ने गुरु गोरख का नाम लेना और उनकी पूजा करना शुरू कर दिया। उन्होंने दिन-रात गुरु गोरखनाथ की तपस्या की और एक समय रूखी-सूखी रोटी खायी। कार्तिक मास में उन्होंने स्नान किया और एकादशी का व्रत भी किया। पूर्णिमा के दिन भी उन्होंने व्रत किये और बहुत दान-पुण्य किया।

चेलों के संग गोरख आये, नौलखे में तम्बू तनवाये।

मीठा नीर कुए का कीना, सूखा बाग हरा कर दीना।

मेवा फल सब साधु खाए, अपने गुरु के गुन को गाये।

औघड़ भिक्षा मांगने आए, बाछल रानी ने दुख सुनाये।

बाछल रानी की भक्ति से प्रसन्न होकर बाबा गोरख उनके राज्य में आये और वहां अपना तम्बू लगाया। उन्होंने खारे पानी के कुएं को मीठे पानी में बदल दिया और सूखी धरती को हरा-भरा कर दिया। उनके चमत्कार को देख कर सभी उनके आगे नतमस्तक हो गए। तब बाछल रानी ने उन्हें अपना दुःख बताया।

औघड़ जान लियो मन माहीं, तप बल से कुछ मुश्किल नाहीं।

रानी होवे मनसा पूरी, गुरु शरण है बहुत जरूरी।

बारह बरस जपा गुरु नामा, तब गोरख ने मन में जाना।

पुत्र देन की हामी भर ली, पूरनमासी निश्चय कर ली।

बाबा ने रानी के मन का भेद जान लिया और उन्हें बताया कि तपस्या से कुछ भी संभव हो सकता है। गुरु की शरण में आकर रानी की इच्छा अवश्य ही पूरी होगी। बारह महीने रानी ने गुरु का नाम जपा और तब जाकर गुरु गोरखनाथ उनसे प्रसन्न हुए। उन्होंने रानी को पुत्र होने का आशीर्वाद दे दिया।

काछल कपटिन गजब गुजारा, धोखा गुरु संग किया करारा।

बाछल बनकर पुत्र पाया, बहन का दरद जरा नहीं आया।

औघड़ गुरु को भेद बताया, तब बाछल ने गूगल पाया।

कर परसादी दिया गूगल दाना, अब तुम पुत्र जनो मरदाना।

बाबा गोरख ने रानी बाछल को गूगल नाम का एक फल दिया और कहा कि इसको खाने से उन्हें शक्तिशाली पुत्र की प्राप्ति होगी। रानी ने गुरु का आशीर्वाद पाकर उसे ग्रहण कर लिया।

लीली घोड़ी और पण्डतानी, लूना दासी ने भी जानी।

रानी गूगल बाट के खाई, सब बांझों को मिली दवाई।

नरसिंह पंडित लीला घोड़ा, भज्जु कुतवाल जना रणधीरा।

रूप विकट धर सब ही डरावे, जाहरवीर के मन को भावे।

रानी बाछल ने उस गूगल फल को अकेले ही ग्रहण नहीं किया बल्कि अपनी सभी बाँझ दासियों के साथ इसे मिल बाँट कर खाया। उसके कुछ समय पश्चात रानी बाछल ने एक शक्तिशाली पुत्र को जन्म दिया जिसका शरीर बहुत ही विशाल और मन को मोह लेने वाला था।

भादों कृष्ण जब नौमी आई, जेवरराव के बजी बधाई।

विवाह हुआ गूगा भये राना, संगलदीप में बने मेहमाना।

रानी श्रीयल संग परे फेरे, जाहर राज बागड़ का करे।

अरजन सरजन काछल जने, गूगा वीर से रहे वे तने।

भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की नवमी को जेवरराव के घर खुशियाँ आयी क्योंकि उनके पुत्र गोगा का विवाह श्रीयल की रानी के साथ हुआ। इसे लेकर पूरे राज्य में उत्साह का माहौल था।

दिल्ली गए लड़ने के काजा, अनंग पाल चढ़े महाराजा।

उसने घेरी बागड़ सारी, जाहरवीर न हिम्मत हारी।

अरजन सरजन जान से मारे, अनंगपाल ने शस्त्र डारे।

चरण पकड़कर पिण्ड छुड़ाया, सिंह भवन माड़ी बनवाया।

उसी में गूगावीर समाये, गोरख टीला धूनी रमाये।

दिल्ली के राजा अनंगपाल ने अपनी सेना के साथ जाहरवीर की बागड़ नगरी को चारो ओर से घेर लिया लेकिन इसे देख कर गोगाजी ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने अनंगपाल की सेना को परास्त कर दिया। तब अनंगपाल ने जाहरवीर के पैरों को पकड़ कर क्षमा मांगी और वहां पर सिंह भवन के नाम से एक माड़ी बनवायी। उसी माड़ी में गोगाजी समा गए थे।

पुण्य वान सेवक वहाँ आये, तन मन धन से सेवा लाए।

मन्सा पूरी उनकी होई, गूगावीर को सुमरे जोई।

चालीस दिन पढ़े जाहर चालीसा, सारे कष्ट हरे जगदीसा।

दूध पूत उन्हें दे विधाता, कृपा करे गुरु गोरखनाथ।

जो भी भक्तगण या सेवक अपने तन-मन-धन के साथ वहां आता है और गोगा जी की सेवा करता है, उसकी हर इच्छा पूरी हो जाती है। जो भी चालीस दिन तक जहर चालीसा का पाठ करता है, उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। गुरु गोरखनाथ की कृपा से सभी लोगों को संतान प्राप्ति होती है।

इस तरह से आज आपने गोगा जी चालीसा (Goga Ji Chalisa) पढ़ ली है। अब हम आपको गोगा चालीसा पढ़ने से मिलने वाले फायदे और उसके महत्व के बारे में भी बता देते हैं।

जाहरवीर चालीसा का महत्व

अभी तक आपने जाहरवीर चालीसा का पाठ कर लिया है व साथ ही उसका अर्थ भी जान लिया है किन्तु आपको उसी के साथ जाहरवीर जी की चालीसा का महत्व भी पता होना चाहिए। सनातन धर्म में समय-समय पर कई महापुरुषों और संतों ने जन्म लिया है जिन्होंने मानव जीवन को उत्तम बनाने की दृष्टि से कई तरह के कार्य किये हैं। अब उनके कामो को दिखाने और उनकी महिमा को बताने के लिए ही उनकी चालीसा लिखी जाती है।

आपने ऊपर गोगा जी की चालीसा पढ़ी और साथ ही उसका अर्थ भी जाना। तो इसके द्वारा आपको केवल इसी चालीसा के माध्यम से ही गुरु जाहरवीर जी के बारे में समूची जानकारी संक्षिप्त रूप में प्राप्त हो गयी। तो इस तरह से इस चालीसा के माध्यम से हमें गुरु जाहरवीर जी के बारे में बेहतर तरीके से जानने का अवसर प्राप्त होता है और उनकी महत्ता का ज्ञान होता है।

गोगाजी चालीसा के फायदे

अब यदि आप प्रतिदिन गोगाजी चालीसा का पाठ (Goga Ji Chalisa) करते हैं और उनकी सच्चे मन से भक्ति करते हैं तो अवश्य ही उनकी कृपा दृष्टि आप पर रहती है और उनका आशीर्वाद आपको प्राप्त होता है। देशभर में करोड़ो श्रद्धालु प्रतिदिन जाहरवीर की चालीसा व आरती का पाठ करते हैं और उनका ध्यान लगाते हैं जिस कारण उनके मन को शांति का अनुभव होता है।

ऐसे में यदि आप भी उनका ध्यान व मनन करना चाहते हैं तो इसके लिए जाहरवीर जी की चालीसा का पाठ करने से उत्तम कुछ भी नहीं है। आज से ही आप प्रतिदिन सुबह उठ कर जाहरवीर की चालीसा का पाठ करने का नियम बना लें और इसका परिणाम आपको कुछ ही दिनों में देखने को मिल जायेगा।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने जाहरवीर चालीसा हिंदी में अर्थ सहित (Jaharveer Chalisa) पढ़ ली है। साथ ही आपने गोगा चालीसा के पाठ से मिलने वाले लाभ और उसके महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप इस लेख पर अपनी प्रतिक्रिया देना चाहते हैं या इस विषय पर हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपको प्रत्युत्तर देंगे।

जाहरवीर की चालीसा से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: गोगा जी का मंत्र क्या है?

उत्तर: सतनमो आदेश गुरूजी नु आदेश। पत्त रखन वाला मेरा गूगा जी महाराज। आदेश जाहरवीर नु आदेश। तेरे धूने नु आदेश।

प्रश्न: जाहरवीर बाबा की पूजा कैसे करनी चाहिए?

उत्तर: जाहरवीर बाबा की पूजा करने के लिए आप प्रतिदिन सुबह उठ कर जाहरवीर चालीसा पढ़ें व उनकी आरती करें।

प्रश्न: जाहरवीर बाबा का भोग क्या है?

उत्तर: जाहरवीर बाबा का भोग चने की दाल व प्याज है क्योंकि यह दोनों ही उन्हें बहुत प्रिय थे।

प्रश्न: गोगाजी किसका अवतार?

उत्तर: गोगाजी नागों के देवता कहे जाते हैं जो बाबा गोरखनाथ के आशीर्वाद से हुए थे।

नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘‍♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:

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कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

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