आज के इस लेख में हम आपके साथ खाटू श्याम चालीसा (Khatu Shyam Chalisa) का पाठ करने जा रहे हैं। श्याम बाबा को कलियुग का अवतार या भगवान माना जाता है। उन्हें यह उपाधि स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने दी है। यही कारण है कि श्याम बाबा की प्रसिद्धि हर दिन के साथ बढ़ती ही जा रही है।
भक्तों के द्वारा श्याम चालीसा (Shyam Chalisa) बड़े ही उत्साह के साथ पढ़ी जाती है। वैसे तो उनका नाम बर्बरीक है लेकिन श्री कृष्ण ने उन्हें श्याम नाम दिया था। उनका प्रमुख मंदिर राजस्थान के सीकर जिले के खाटू जगह में स्थित है। इस कारण श्याम बाबा देशभर में खाटू श्याम के नाम से ही प्रसिद्ध है।
बहुत से भक्त उनकी चालीसा को भी श्री खाटू श्याम चालीसा ही कह देते हैं। तो आज के इस लेख में ना केवल आपको श्री श्याम चालीसा पढ़ने को मिलेगी बल्कि इसके साथ ही उसका अर्थ भी जानने को मिलेगा। आखिर में हम आपको श्याम बाबा की चालीसा को पढ़ने से मिलने वाले फायदे और महत्व के बारे में भी बताएँगे। तो आइये सबसे पहले पढ़ते हैं श्री श्याम चालीसा।
॥ दोहा ॥
श्री गुरु चरण ध्यान धर,
सुमिरि सच्चिदानन्द।
श्याम चालीसा भणत हूँ,
रच चौपाई छन्द॥
॥ चौपाई ॥
श्याम श्याम भजि बारम्बारा,
सहज ही हो भवसागर पारा।
इन सम देव न दूजा कोई,
दीन दयालु न दाता होई।
भीमसुपुत्र अहिलवती जाया,
कहीं भीम का पौत्र कहाया।
यह सब कथा सही कल्पान्तर,
तनिक न मानों इसमें अन्तर।
बर्बरीक विष्णु अवतारा,
भक्तन हेतु मनुज तनु धारा।
वसुदेव देवकी प्यारे,
यशुमति मैया नन्द दुलारे।
मधुसूदन गोपाल मुरारी,
बृजकिशोर गोवर्धन धारी।
सियाराम श्री हरि गोविन्दा,
दीनपाल श्री बाल मुकन्दा।
दामोदर रणछोड़ बिहारी,
नाथ द्वारिकाधीश खरारी।
नरहरि रूप प्रह्लाद प्यारा,
खम्भ फारि हिरनाकुश मारा।
राधा वल्लभ रुक्मिणी कंता,
गोपी वल्लभ कंस हनंता।
मनमोहन चित्तचोर कहाये,
माखन चोरि चोरि कर खाये।
मुरलीधर यदुपति घनश्याम,
कृष्ण पतितपावन अभिरामा।
मायापति लक्ष्मीपति ईसा,
पुरुषोत्तम केशव जगदीशा।
विश्वपति त्रिभुवन उजियारा,
दीन बन्धु भक्तन रखवारा।
प्रभु का भेद कोई न पाया,
शेष महेश थके मुनिराया।
नारद शारद ऋषि योगिन्दर,
श्याम श्याम सब रटत निरन्तर।
कवि कोविद करि सके न गिनन्ता,
नाम अपार अथाह अनन्ता।
हर सृष्टि हर युग में भाई,
ले अवतार भक्त सुखदाई।
हृदय माँहि करि देखु विचारा,
श्याम भजे तो हो निस्तारा।
कीर पढ़ावत गणिका तारी,
भीलनी की भक्ति बलिहारी।
सती अहिल्या गौतम नारी,
भई श्राप वश शिला दुखारी।
श्याम चरण रच नित लाई,
पहुँची पतिलोक में जाई।
अजामिल अरु सदन कसाई,
नाम प्रताप परम गति पाई।
जाके श्याम नाम अधारा,
सुख लहहि दुःख दूर हो सारा।
श्याम सुलोचन है अति सुन्दर,
मोर मुकुट सिर तन पीताम्बर।
गल वैजयन्तिमाल सुहाई,
छवि अनूप भक्तन मन भाई।
श्याम श्याम सुमिरहु दिनराती,
शाम दुपहरि अरु परभाती।
श्याम सारथी जिसके रथ के,
रोड़े दूर होय उस पथ के।
श्याम भक्त न कहीं पर हारा,
भीर परि तब श्याम पुकारा।
रसना श्याम नाम रस पी ले,
जी ले श्याम नाम के हाले।
संसारी सुख भोग मिलेगा,
अन्त श्याम सुख योग मिलेगा।
श्याम प्रभु हैं तन के काले,
मन के गोरे भोले भाले।
श्याम संत भक्तन हितकारी,
रोग दोष अघ नाशै भारी।
प्रेम सहित जे नाम पुकारा,
भक्त लगत श्याम को प्यारा।
खाटू में है मथुरा वासी,
पार ब्रह्म पूरण अविनासी।
सुधा तान भरि मुरली बजाई,
चहुँ दिशि नाना जहाँ सुनि पाई।
वृद्ध बाल जेते नारी नर,
मुग्ध भये सुनि वंशी के स्वर।
दौड़ दौड़ पहुँचे सब जाई,
खाटू में जहां श्याम कन्हाई।
जिसने श्याम स्वरूप निहारा,
भव भय से पाया छुटकारा।
॥ दोहा ॥
श्याम सलोने साँवरे,
बर्बरीक तनु धार।
इच्छा पूर्ण भक्त की,
करो न लाओ बार॥
इस तरह से आज आपने श्याम चालीसा (Shyam Chalisa) पढ़ ली है। अब हम आपको खाटू श्याम चालीसा पढ़ने से मिलने वाले फायदे और उसके महत्व के बारे में भी बता देते हैं।
श्याम बाबा को कलयुग का अवतार माना जाता है जिनका असली नाम बर्बरीक था। वे महाभारत के युद्ध को एक क्षण में ही पलट देने की क्षमता रखते थे लेकिन भगवान श्रीकृष्ण के आदेश पर वे रुक गए थे और अपना सिर धड़ से अलग कर दिया था। उन्हें एक तरह से भगवान विष्णु का ही अवतार माना गया है और भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अपना नाम दे दिया था जिनका मुख्य मंदिर राजस्थान के खाटू में स्थित है।
ऐसे में जब हम खाटू श्याम चालीसा पढ़ते हैं तो हमें श्याम बाबा की महत्ता के बारे में शुरू से लेकर अंत तक ज्ञान होता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि श्याम चालीसा के माध्यम से हमें यह जानने में सहायता मिलती है कि क्यों उन्हें इतना महान अवतार कहा गया है और क्यों कलयुग में वे इतने अधिक महत्वपूर्ण हो जाते हैं। इसी के साथ इस खाटू चालीसा के माध्यम से श्याम बाबा के सभी गुणों, महत्ता, जीवन, भक्ति इत्यादि के बारे में भी बताया गया है।
यह तो आप सभी जानते ही हैं कि भगवान श्याम को कलयुग का अवतार माना गया है और यह हम या आप नहीं अपितु भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान श्रीकृष्ण के मुख से निकले हुए शब्द हैं। वैसे तो सनातन धर्म में कई तरह के देवी-देवता हैं तथा साथ ही भगवान ने भी कई रूपों में अवतार लिया है लेकिन यदि हम कलयुग की बात करें जिसमे हम अभी जी रहे हैं, तो इस युग में श्याम अवतार को सबसे अधिक प्रासंगिक माना गया है।
वैसे तो सभी देवी-देवता व ईश्वर के अवतारों की अपनी-अपनी महत्ता होती है लेकिन श्याम बाबा को कलयुग का अवतार इसलिए कहा गया है क्योंकि उनके दरबार में जो भी अर्जी लगाता है, उसकी सुनवाई जल्दी होती है। ऐसे में यदि आप भी नियमित रूप से श्री श्याम चालीसा का पाठ करते हैं तो अवश्य ही आपके ऊपर भी श्याम बाबा की कृपा होगी और आपके बिगड़े हुए सभी कार्य आसानी से बन जाएंगे।
आज के इस लेख के माध्यम से आपने खाटू श्याम चालीसा (Khatu Shyam Chalisa) पढ़ ली है। साथ ही आपने श्याम चालीसा के पाठ से मिलने वाले फायदे और उसके महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप इस लेख पर अपनी प्रतिक्रिया देना चाहते हैं या इस विषय पर हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपको प्रत्युत्तर देंगे।
श्याम चालीसा से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: खाटू श्याम बाबा को कैसे खुश करें?
उत्तर: यदि आप खाटू श्याम बाबा को खुश करना चाहते हैं तो नियमित रूप से खाटू चालीसा व आरती का पाठ करें। साथ ही बुरे कर्म करने से बचें तथा बड़ी ग्यारस या बारस के दिन खाटू श्याम मंदिर में दर्शन करके आये।
प्रश्न: खाटू श्याम जी को प्रसन्न करने के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर: खाटू श्याम जी को प्रसन्न करना है तो पहली बात तो आपको उनकी नियमित रूप से पूजा करनी चाहिए और उसी के साथ श्याम चालीसा का पाठ करना चाहिए। इसी के साथ सभी के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए और बुरे कर्म नहीं करने चाहिए।
प्रश्न: खाटू श्याम का निशान क्या है?
उत्तर: खाटू श्याम का निशान नीले रंग का ध्वज होता है किन्तु यह श्वेत, केसरी, लाल व पीले रंग का भी हो सकता है।
प्रश्न: खाटू श्याम जी कौन सा भगवान है?
उत्तर: खाटू श्याम जी द्वापर युग में बर्बरीक के रूप में जन्मे थे जो महाबली भीम के पोते थे। उन्हें भगवान श्रीकृष्ण ने अपना नाम दिया था और कलयुग का अवतार बताया था।
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