रामायण में लक्ष्मण मेघनाथ युद्ध (Laxman Meghnath Yudh) एक दिन नहीं बल्कि तीन दिन लड़ा गया था। मेघनाथ एक ऐसा योद्धा था जिसने श्रीराम की वानर सेना में हाहाकार मचा दिया था। उसने अपने पिता की आज्ञा स्वरुप शत्रुओं की सेना में भीषण तबाही मचाई थी। पहले दिन उसने श्रीराम व लक्ष्मण को नागपाश में बांध दिया था तो दूसरे दिन लक्ष्मण को शक्तिबाण की सहायता से मुर्छित कर दिया था। लेकिन दोनों ही बार हनुमान की चतुराई से दोनों सुरक्षित बच निकले।
तीसरे दिन वह निकुंबला देवी का यज्ञ कर रहा था जिसके समाप्त होने के पश्चात वह अजय हो जाता व किसी भी शत्रु का उसे युद्ध में हराना असंभव हो जाता। किंतु लक्ष्मण ने यज्ञ के समाप्त होने से पहले पहुँचकर उस यज्ञ को ध्वस्त कर डाला। इसके बाद तो मेघनाथ लक्ष्मण युद्ध (Meghnath Laxman Yudh) बहुत ही भीषण स्थिति में पहुँच गया था। उसके पास तीन सर्वोच्च अस्त्र थे जिनका प्रयोग उसने लक्ष्मण पर किया। आइए जानते हैं।
मेघनाद ने एक बार राक्षसों के गुरु शुक्राचार्य की सहायता से सात यज्ञों का महा आयोजन किया था जिसमें उसे त्रिदेव से कई प्रकार की शक्तियां व वर प्राप्त हुए थे। उन्हीं शक्तियों में उसे भगवान ब्रह्मा के सर्वोच्च अस्त्र ब्रह्मास्त्र, भगवान विष्णु के सर्वोच्च अस्त्र नारायण अस्त्र व भगवान शिव के सर्वोच्च अस्त्र पशुपति अस्त्र प्राप्त हुए थे। यह तीन अस्त्र अत्यंत विनाशकारी थे जिनका प्रयोग करने पर प्रलय तक आ सकती थी।
चूँकि भगवान विष्णु ने रावण रुपी पापी का अंत करने व धर्म की पुनः स्थापना के उद्देश्य से इस धरती पर श्रीराम रूप में जन्म लिया था तो शेषनाग ने उनके छोटे भाई लक्ष्मण के रूप में। जब शेषनाग रुपी लक्ष्मण व रावण पुत्र मेघनाथ के बीच तीसरे दिन युद्ध शुरू हुआ तब मेघनाथ ने अपने सभी बड़े अस्त्रों का प्रयोग किया था।
सबसे पहले मेघनाथ ने लक्ष्मण पर भगवान ब्रह्मा के सबसे बड़े अस्त्र ब्रह्मास्त्र को छोड़ा। जब लक्ष्मण ने ब्रह्मास्त्र को देखा तो वे उसके सामने हाथ जोड़कर खड़े हो गए। लक्ष्मण को देखकर ब्रह्मास्त्र उन्हें बिना कोई हानि पहुँचाए वापस चला गया।
चूँकि जब भगवान ब्रह्मा ने ब्रह्मास्त्र का निर्माण किया था तब उन्होंने इसे धर्म की रक्षा के उद्देश्य से बनाया था जिसका प्रयोग किसी भी युद्ध में अंतिम विकल्प के रूप में किया जाना था। साथ ही उन्होंने इसके निर्माण में यह ध्यान रखा था कि इससे भगवान शिव, आदिशक्ति, भगवान विष्णु व शेषनाग को कोई हानि नहीं पहुँचे। इसलिए जब मेघनाथ ने लक्ष्मण पर ब्रह्मास्त्र चलाया तो स्वयं शेषनाग के अवतार होने के कारण उन पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
ब्रह्मास्त्र के लौटकर आने के पश्चात मेघनाथ ने लक्ष्मण पर भगवान शिव के सबसे बड़े अस्त्र पशुपति अस्त्र से प्रहार किया जो कि शिव का त्रिशूल था। किंतु इसका भी कोई प्रभाव लक्ष्मण पर नहीं पड़ा। इसके साथ भी यही नियम था कि वह भगवान विष्णु व शेषनाग पर कोई प्रभाव नहीं डाल सकता था। इसलिए यह भी बिना अपना प्रभाव दिखाए वापस आ गया।
मेघनाथ लक्ष्मण युद्ध (Meghnath Laxman Yudh) में यह कुछ ऐसे पल थे जब मेघनाथ को यह अहसास होने लगा था कि वह जिससे युद्ध कर रहा है, वह सामान्य मनुष्य नहीं बल्कि ईश्वरीय अवतार है। हालाँकि अभी भी उसके पास भगवान विष्णु का सबसे बड़ा अस्त्र नारायण अस्त्र था। आइए जाने तब क्या हुआ।
इसके बाद मेघनाथ ने अपने अंतिम सबसे बड़े अस्त्र नारायण अस्त्र से लक्ष्मण पर प्रहार किया जो भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र था। चूँकि वे स्वयं भगवान विष्णु के शेषनाग थे इसलिए इससे उन पर क्या ही प्रभाव पड़ता क्योंकि शेषनाग तो उनके लिए पूजनीय थे। इसलिए नारायण अस्त्र लक्ष्मण के चारों ओर परिक्रमा कर व उन्हें प्रणाम कर वापस आ गया।
तीनो अस्त्रों के विफल होने के कारण मेघनाथ को यह आभास हो गया था कि लक्ष्मण व श्रीराम कोई साधारण मनुष्य नहीं अपितु स्वयं भगवान के अवतार हैं। उसने यह बात जाकर अपने पिता रावण को समझाई लेकिन उसके न समझने पर वह वापस युद्धभूमि में आया। इसके बाद हुआ लक्ष्मण मेघनाथ युद्ध (Laxman Meghnath Yudh) दोनों के बीच अंतिम युद्ध था जिसमें मेघनाथ का वध हो गया था।
मेघनाथ लक्ष्मण युद्ध से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: लक्ष्मण ने मेघनाथ को क्यों मारा?
उत्तर: लक्ष्मण ने मेघनाथ को अपने शक्तिबाण की सहायता से मारा था। यह लक्ष्मण की शक्ति व तपस्या का ही परिणाम था कि मेघनाथ का सिर धड़ से अलग हो गया था।
प्रश्न: रामायण में सबसे पहले किसकी मृत्यु हुई?
उत्तर: रामायण में सबसे पहले भगवान श्रीराम के हाथों ताड़का व उसके पुत्र सुबाहु का वध हुआ था। यह विश्वामित्र के आदेश पर किया गया था।
प्रश्न: लक्ष्मण शक्ति कैसे लगी थी?
उत्तर: लक्ष्मण ने धनुष पर बाण चढ़ाकर उसे यह आदेश दिया था कि यदि वह श्रीराम का सच्चा भक्त है तो आज मेघनाथ का वध कर ही वापस आएगा। लक्ष्मण की इसी शक्ति से मेघनाथ का वध हो सका था।
प्रश्न: लक्ष्मण को जहर किसने दिया था?
उत्तर: लक्ष्मण को किसी के द्वारा जहर नहीं दिया गया था। हालाँकि राम-रावण युद्ध के समय मेघनाथ के द्वारा नागपाश में बांधने के कारण लक्ष्मण के शरीर में जहर जा रहा था।
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