राधा-कृष्ण का प्रेम किसी से छुपा हुआ नहीं है लेकिन कृष्ण के वृंदावन से चले जाने के बाद राधा का वर्णन बहुत कम हो जाता है। ऐसे में बहुत से भक्त यह जानना चाहते हैं कि आखिरकार राधा की मृत्यु कैसे हुई (Radha Ki Mrityu Kaise Hui)? अब माता राधा की मृत्यु से जुड़े रहस्य को इस लेख के माध्यम से उजागर किया गया है।
इतना ही नहीं, आज हम आपको राधा की मृत्यु कहां हुई थी व राधा की मृत्यु कब हुई थी, जैसे महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर भी देने वाले हैं। इसे जानकर अवश्य ही आपको माता राधा के अंतिम पलों को जानने में सहायता होगी। साथ ही यह भी जानने को मिलेगा कि राधा की मृत्यु (How Radha Died In Hindi) के बाद श्रीकृष्ण ने क्या किया था।
वैसे तो ग्रंथों में राधा के बारे में नहीं लिखा गया है किन्तु बाद की लोक कथाओं और काव्यों में राधा को स्थान दिया गया है। द्वापर युग के समय श्रीकृष्ण के ऊपर लिखे गए किसी भी ग्रंथ में राधा का नाम नहीं मिलता है। ऐसे में आज हम आपको बाद की प्रचलित लोक कथाओं के अनुसार ही राधारानी की मृत्यु का रहस्य बतायेंगे।
राधा की मौत (How Radha Died In Hindi) कोई सामान्य मौत नहीं थी। वह इसलिए क्योंकि जिसे ईश्वर के निकट मौत मिले, वह मौत नहीं मोक्ष कही जाती है। वैसे भी राधा तो स्वयं कृष्ण का ही रूप थी और इसी कारण दोनों का विवाह नहीं हो पाया था। अब माता राधा के जीवन के अंतिम क्षण कैसे थे और उन्होंने किस तरह से अपने प्राण त्यागे थे, आइये उसके बारे में एक-एक करके जान लेते हैं।
हम सभी राजा दशरथ के द्वारा कैकेयी को दिए दो वचनों के बारे में तो जानते हैं लेकिन श्रीकृष्ण ने भी वृंदावन से जाने से पहले राधा रानी को दो वचन दिए थे। बात उस समय की है जब मथुरा से श्रीकृष्ण का बुलावा आ गया था ताकि वे कंस का वध कर अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सकें। उसके लिए कृष्ण को वृंदावन नगरी और राधा को हमेशा के लिए छोड़कर जाना था। उस समय श्रीकृष्ण यमुना किनारे उदास बैठी राधा से मिलने गए थे।
जब श्रीकृष्ण राधा से मिलकर जाने लगे तो राधा ने उनसे दो वचन माँग लिए थे। पहले वचन के अनुसार राधा के हृदय में हमेशा श्रीकृष्ण का ही वास रहेगा। दूसरे वचन के अनुसार, राधा की मृत्यु से पहले श्रीकृष्ण उन्हें दर्शन अवश्य देंगे अर्थात उनसे मिलने आएंगे। श्रीकृष्ण ने राधा को यह दोनों वचन दिए और बदले में एक वचन यह माँग लिया कि राधा कृष्ण की याद में अब एक भी आंसू नहीं बहाएगी। इसके बाद श्रीकृष्ण मथुरा नगरी चले गए थे।
मथुरा जाने के बाद श्रीकृष्ण ने दुष्ट कंस का वध कर दिया था। इसके कुछ वर्षों के पश्चात वे द्वारका बस गए थे। वहां उनका विवाह रुक्मिणी से हो गया था। श्रीकृष्ण की कुल आठ पत्नियाँ थी। दूसरी ओर, राधा का विवाह भी अपने ही गाँव के किसी यादव से हो गया था। राधा ने अपने हर कर्तव्य का पालन किया लेकिन उनके हृदय में केवल श्रीकृष्ण का ही वास था। एक दिन वह आया जब राधा बूढ़ी हो गयी और अपने सभी कर्तव्यों से मुक्त हो गयी।
तब वे बरसाना से द्वारका की ओर निकल पड़ी। द्वारका के राजभवन में उनकी भेंट श्रीकृष्ण से हुई। श्रीकृष्ण ने उन्हें राजभवन में ही एक देविका के तौर पर रख लिया था। हालाँकि अब समय का चक्र बदल चुका था और दोनों को ही अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना था। राधा रानी का वहां मन नहीं लगा क्योंकि वृंदावन के कान्हा और द्वारका के श्रीकृष्ण में बहुत अंतर आ चुका था। इस कारण एक दिन राधा ने द्वारका के राजभवन को भी त्याग दिया और वनों में चली गयी।
अब राधा की मृत्यु का रहस्य (Radha Ki Mrityu Ka Rahasya) जानने का समय आ गया है। द्वारका नगरी छोड़ने के अगले कुछ समय तक राधा वनों में कृष्ण की खोज में भटकती रही। भटकते-भटकते कई दिन बीत गए और एक दिन ऐसा आया जब राधा का शरीर कमजोर पड़ने लगा और मृत्यु निकट आने लगी। कृष्ण से लिए अपने वचन के अनुसार राधा ने उन्हें दर्शन देने को कहा। राधा के पुकारते ही श्रीकृष्ण उसी समय द्वारका को छोड़कर राधा की ओर कुछ उसी तरह दौड़े जिस प्रकार एक समय पहले राधा कृष्ण की बांसुरी की धुन को सुनकर दौड़े चली आती थी।
जब कृष्ण राधा के पास पहुंचे तो उनकी मरणासन्न स्थिति को देखकर बहुत दुखी हो गए। उन्होंने राधा से उनकी अंतिम इच्छा प्रकट करने को कहा। इस पर राधा ने उन्हें फिर से उसी धुन में बांसुरी बजाने को कहा जिसे वे वृंदावन में बजाया करते थे। यह सुनकर श्रीकृष्ण ने अपनी बांसुरी उठायी और उसे बजाने लगे। कहते हैं कि श्रीकृष्ण ने दिन-रात बिना रुके बांसुरी बजायी।
बांसुरी की यही धुन सुनते-सुनते ही राधारानी ने अपने प्राण त्याग दिए थे। यह भी कहते हैं कि राधा की मृत्यु को देखकर स्वयं नारायण अवतार श्रीकृष्ण भी इतने दुखी हो गए थे कि उन्होंने अपनी बांसुरी वहीं तोड़कर फेंक दी थी और फिर कभी उसे हाथ नहीं लगाया था। आशा है कि आपको अपने प्रश्न, राधा की मृत्यु कैसे हुई (Radha Ki Mrityu Kaise Hui), का उत्तर मिल गया होगा।
अब यदि आपके मन में यह प्रश्न है कि राधारानी की मृत्यु कहां हुई थी तो इसका कोई स्पष्ट उत्तर नहीं है। वह इसलिए क्योंकि द्वारका नगरी को छोड़ने के बाद राधा वनों में चली गयी थी और कई दिनों तक वहीं रही थी। संभवतः वह द्वारका नगरी के आसपास के वन ही होंगे क्योंकि वे श्रीकृष्ण से ज्यादा दूर नहीं गयी होगी।
फिर भी यह पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता है कि वह कौन सा स्थान था, जहाँ माता राधा ने अपने प्राण त्याग दिए थे। इसके बारे में कहीं पर भी वर्णन नहीं मिलता है। अपनी मृत्यु के पश्चात राधा श्रीकृष्ण में ही विलीन हो गयी थी।
श्रीकृष्ण ने द्वापर युग के अंत में जन्म लिया था। एक तरह से वह समयकाल द्वापर युग के अंत का और कलियुग की शुरुआत का समय ही माना जाएगा। कलियुग की शुरुआत अर्जुन के प्रपोत्र व अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित के समय हुई थी। एक तरह से श्रीकृष्ण की तीसरी पीढ़ी में इसकी शुरुआत हुई थी। हालाँकि श्रीकृष्ण का पूरा परिवार तो गांधारी के दिए श्राप के कारण पहले ही मृत्यु की गोद में समा गया था।
कथाओं में यह बताया गया है कि जब माता राधा कृष्ण से मिलने द्वारका नगरी आयी थी तो उस समय उन्हें श्रीकृष्ण के रुक्मिणी और सत्यभामा से हुए विवाह का पता लगा था। इसका अर्थ यह हुआ कि उस समय तक श्रीकृष्ण के दो ही विवाह हुए थे। उसके बाद राधारानी कुछ समय के लिए ही द्वारका नगरी रही थी और फिर वनों में जाकर कुछ ही दिनों में उन्होंने प्राण त्याग दिए थे। इस तरह से राधा की मौत श्रीकृष्ण के दूसरे विवाह के कुछ समय पश्चात ही हो गयी थी।
बहुत लोगों के मन में यह भांति भी रहती है कि राधा की मृत्यु किसी पाप के कारण हुई थी जबकि ऐसा नहीं है। माता राधा स्वयं नारायण का अवतार थी जबकि रुक्मिणी लक्ष्मी का अवतार थी। श्रीकृष्ण व राधा दोनों ही नारायण अवतार थे और इसी कारण दोनों का विवाह नहीं हो पाया था। नारायण को किसी तरह का पाप नहीं लग सकता है।
तो यह बात बिल्कुल मिथ्या है कि राधा की मौत किसी पाप के कारण हुई थी। यह लोगों के द्वारा सनातन धर्म का दुष्प्रचार करने के लिए फैलाया गया एक भ्रम है। ऐसे में आप इसे अपने दिमाग से निकाल दें कि राधा की मृत्यु किसी पाप के कारण हुई थी।
इस लेख के माध्यम से आज आपने यह जान लिया है कि राधा की मृत्यु कैसे हुई (Radha Ki Mrityu Kaise Hui) थी। राधा की मृत्यु और उसके बाद श्रीकृष्ण के द्वारा अपनी बांसुरी तोड़ने की घटना बहुत ही मार्मिक है। इसके द्वारा ईश्वर ने भी मानवीय रूप में मनुष्य की भावनाओं को दिखाने का काम किया है जो अद्भुत है।
श्रीकृष्ण का राधा के प्रति और राधा का श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम निश्छल था जिसकी तुलना नहीं की जा सकती है। यही कारण है कि श्रीकृष्ण की आठ पत्नियाँ होने के बाद भी आज तक उनका नाम केवल और केवल राधारानी के साथ ही लिया जाता है।
राधा की मृत्यु से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: राधा का अंत में क्या हुआ?
उत्तर: राधा का अंत बहुत ही सुखद था। उन्होंने श्रीकृष्ण के चरणों में रहकर और उनकी बांसुरी की मधुर धुन को सुनते हुए अपने प्राण त्यागे थे।
प्रश्न: राधा की मृत्यु कैसे और क्यों हुई?
उत्तर: राधा की मृत्यु सामान्य रूप से श्रीकृष्ण के सामने ही हुई थी। अब उनकी मृत्यु क्यों हुई, इसका उत्तर तो यही है कि जिस किसी ने भी मनुष्य के रुप में जन्म लिया है, फिर चाहे वे ईश्वर ही क्यों ना हो, उनकी मृत्यु निश्चित है।
प्रश्न: श्री राधा की अंतिम इच्छा क्या थी?
उत्तर: श्री राधा की अंतिम इच्छा यही थी कि वे श्रीकृष्ण को अपने सामने उसी तरह बांसुरी बजाते हुए देखना चाहती थी, जिस प्रकार वे वृंदावन की गलियों में बजाया करते थे।
प्रश्न: राधा कितने समय तक जीवित रही?
उत्तर: राधा की आयु को लेकर कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं मिलता है। बस यह बताया गया है कि जब राधारानी बूढ़ी हो गयी थी तब उन्होंने श्रीकृष्ण के सामने ही अपने प्राण त्याग दिए थे।
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