चालीसा

मां सरस्वती चालीसा – महत्व व लाभ सहित

सरस्वती माता चालीसा (Saraswati Mata Chalisa): माँ सरस्वती को संगीत व विद्या की देवी माना गया है। यदि मनुष्य के पास शिक्षा या बुद्धि का ही अभाव होगा तो वह कभी भी प्रगति नहीं कर सकता है। यही कारण है कि हर छात्र के द्वारा मुख्यतया माँ सरस्वती की पूजा की जाती है। यहाँ तक कि हम शिक्षा से जुड़ी हरेक वस्तु को माँ सरस्वती का ही रूप मानते हैं। ऐसे में यदि हम प्रतिदिन सरस्वती चालीसा का पाठ करेंगे तो यह बहुत ही शुभकारी होता है।

इसी के साथ ही आपको मां सरस्वती चालीसा (Maa Saraswati Chalisa) पढ़ने के लाभ और उसके महत्व भी जानने को मिलेंगे। इससे आप मां सरस्वती की चालीसा का संपूर्ण लाभ उठा पाएंगे। आइए सबसे पहले पढ़ते हैं सरस्वती माता की चालीसा।

Saraswati Mata Chalisa | सरस्वती माता चालीसा

॥ दोहा ॥

जय जग जननी शारदा, जगत व्यापिनी देवि।
आदि शक्ति परमेश्वरी, जय सुर नर मुनि सेवि॥

॥ चौपाई ॥

जय जय सरस्वती कल्याणी, जय जगदम्बे वीणा-पाणी।

तेरा नाम परम सुखदाई, तब महिमा त्रिभुवन महँ छाई।

विद्या-बुद्धि सुमति गति जननी, कुमति-निवारणि मंगल करनी।

जेते राग ताल स्वर नर्तन, त्रिभुवन पूजित सब तव नन्दन।

वाद्य-कला की तू ही माता, श्रवण करत जग जेहि सुख पाता।

जहँ लगि जगत ज्ञान-विज्ञाना, सब तब समन सकल जग माना।

काव्य कला की माँ कल्याणी, कवि कोविद वर की तू वाणी।

शेष सहस फण तब गुन गावें, नारद तब पद ध्यान लगावें।

तैंतिस कोटि स्वर्ग कर देवा, करत सकल मिलि तब पद सेवा।

सनकादिक ऋषिगण दिगपाला, जपत सदा सब तेरी माला।

सकल ज्ञान विज्ञान की धारा, कवि कोविद कर एक सहारा।

तुम चारों वेद रचाये, अखिल विश्व को ज्ञान सिखाये।

छओं शास्त्र नव ग्रन्थ पुनीता, तुम ही सब कर अम्ब रचयिता।

रचेउ अम्ब तुम सकल पुराना, पढ़ि-पढ़ि पावत यह जग ज्ञाना।

वाल्मिकी कर तुम ही वाणी, वेद-व्यास कर माँ कल्याणी।

तेरी महिमा यह जग जाना, सूरदास भये सूर्य समाना।

दिव्य दृष्टि जब तुम दीन्हीं, सवा लाख कविता रच दीन्हीं।

तुलसी दास शरण जब आये, तब प्रसाद शुचि गति पाये।

रहेउ ग्रन्थ रामायण पावन, भक्ति सुमति सदगति सर सावन।

शरण गहे कवि कालीदासा, भयउ पूर्ण सब मन कर आशा।

विरचेउ ग्रन्थ अनेक महाना, भयउ महाकवि सब जग जाना।

जेते गुन विद्या कर नाता, तुम्हि सकल गुणन कर माता।

तुमरी महिमा अगम अपारा, जानि कि सकहिं मूढ़ बेचारा।

शरणागत कवि अलख निरंजन, करहु मात मम भव भय भंजन।

मो पर कृपा करहु जगदम्बे, देहु चरण-रति सदगति अम्बे।

सब सुख-आगर माँ तव चरणा, लहत चतुर नर गहि तव शरणा।

तब पग-पंकज जो नित ध्यावें, सकल पदारथ जग महँ पावें।

तब प्रसाद भव संकट मोचन, हिय कर उघरहिं विमल सुलोचन।

सुमिरत भ्रम कपाट खुलि जाहीं, निरखहि ब्रह्म, रूप जग माहीं।

तत्व-ज्ञान जब उपजहिं मन में, आत्म ब्रह्म निरखहिं जन-जन में।

निरखत मोह निशा झट भागे, हृदय बीज सब सद्गुण जागे।

मिलहिं अमर यश यहि जग माहीं, अन्त ब्रह्म पद निश्चय पाहीं।

ग्रसहिं न मतहिं मानसिक रोगा, तब पद भक्त करत नहिं सोगा।

अति अद्भुत तब महिमा न्यारी, रहहिं सदा सन्तुष्ट पुजारी।

जय जय सरस्वती सुखदात्री, विद्या बुद्धिकला की धात्री।

देहु कृपा करि विमल विलोचन, ब्रह्म-ज्ञान भव संकट मोचन।

जेहि पद पूजत सकल मुनिषा, तेहि पद पूजि रचेऊ चालीसा।

जे नर पढ़ि हैं नित चित लाई, लहिहैं कला ज्ञान सुखदाई।

पाठ करत सब विद्या आई, अन्त समय सदगति मिलि जाई।

॥ दोहा ॥

बसहु हृदय महँ शारदा, सदा करहु कल्याण।
देहु दया करि दास को, सदविद्या सद्ज्ञान॥

ऊपर आपने मां सरस्वती चालीसा (Maa Saraswati Chalisa) पढ़ ली है। अब बारी आती है सरस्वती चालीसा पढ़ने के लाभ और उसके महत्व को जानने की। तो चलिए वह भी जान लेते हैं।

मां सरस्वती चालीसा का महत्व

सरस्वती माता चालीसा को पढ़ कर आपको भलीभांति माँ सरस्वती की महत्ता तथा गुणों का ज्ञान हो गया होगा। इसी के साथ ही आपको यह भी पता चल गया होगा कि इस सृष्टि में माँ सरस्वती की आवश्यकता क्यों है और क्यों उनके बिना सब कुछ अधूरा रहेगा।

तो कुछ ऐसी बातों को प्रकट करने, माँ सरस्वती का महत्व बताने, उनके गुणों का वर्णन करने तथा उनकी उपयोगिता सिद्ध करने के उद्देश्य से ही मां सरस्वती चालीसा को लिखा गया है। यही सरस्वती चालीसा का महत्व होता है जो हम सभी ने जाना है। यदि हम इस विश्व में धर्म को बनाए रखना चाहते हैं और मानव कल्याण के कार्य करना चाहते हैं तो उसे करने की शक्ति व बुद्धि हमें माँ सरस्वती के द्वारा ही प्रदान की जाएगी।

सरस्वती चालीसा पढ़ने के लाभ

विद्यार्थी जीवन में माँ सरस्वती का महत्व बहुत होता है। इसी कारण हर विद्यालय में माँ सरस्वती की मूर्ति या चित्र लगाया जाता है जिनके सामने सभी शिक्षक, गुरु व विद्यार्थी नमन करते हैं। घर पर भी जो बच्चे प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं या जिनका व्यापार या कार्य शिक्षा के क्षेत्र से जुड़ा हुआ है, वे भी सरस्वती माता की पूजा करते हैं।

तो इसके पीछे का विज्ञान यह है कि हमें शिक्षा को माँ के समान ही दर्जा देना चाहिए और उसका सम्मान करना चाहिए। यदि आप नित्य रूप से मां सरस्वती चालीसा का पाठ करते हैं और माता रानी का ध्यान करते हैं तो अवश्य ही आपकी बुद्धि का विकास होता है और आप चीज़ों को नए व रचनात्मक तरीकों से सोच पाते हैं।

यदि आपके जीवन में कोई कठिनाई है और उसका हल नहीं निकल पा रहा है तो वह भी सरस्वती माता की कृपा से निकल जाता है। कुल मिलाकर सरस्वती माता चालीसा के पाठ से आपके दिमाग का विकास होता है और आप चीज़ों को जल्दी याद करने और उन्हें पूर्ण करने में सक्षम हो जाते हैं।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने सरस्वती माता चालीसा (Saraswati Mata Chalisa) पढ़ ली है। साथ ही आपने मां सरस्वती चालीसा पढ़ने के लाभ और उसके महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

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कृष्णा

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