Saraswati Mata Ki Katha: माँ सरस्वती की उत्पत्ति कैसे हुई?

Saraswati Mata Ki Kahani

क्या आप सरस्वती माता की कहानी (Saraswati Mata Ki Kahani) जानने को यहाँ आये हैं। सरस्वती माता को हम विद्या की देवी कहते हैं लेकिन इसी के साथ ही वे एक और चीज़ के लिए पूजी जाती हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि वह क्या चीज़ है!! तो उसका नाम है संगीत। सरस्वती माता को विद्या व संगीत की देवी माना जाता है। इसी से ही उनके जन्म की कथा भी जुड़ी हुई है।

आपके मन में सरस्वती माता को लेकर कई तरह के प्रश्न (Saraswati Mata Story In Hindi) होंगे। जैसे कि माँ सरस्वती की उत्पत्ति कैसे हुई या फिर मां सरस्वती का जन्म कब हुआ थाइत्यादि। ऐसे में आज के इस लेख के माध्यम से हम आपके हरेक प्रश्न का विस्तार से उत्तर देने वाले हैं। इसे पढ़कर आपके मन से सरस्वती माता के जन्म को लेकर हर तरह की शंका दूर हो जाएगी।

सरस्वती माता की कहानी (Saraswati Mata Ki Kahani)

सरस्वती माता भगवान ब्रह्मा की पत्नी थी। अब क्या आपने कभी सोचा है कि उनका विवाह सृष्टि के रचनाकार भगवान ब्रह्मा से ही क्यों हुआ? इसके पीछे क्या कारण था? अब जिस प्रकार शिव को पार्वती शक्ति के रूप में पूरा करती हैं, विष्णु को लक्ष्मी वैभव के रूप में पूरा करती हैं तो ब्रह्मा को किस चीज़ की कमी थी, जिसे माँ सरस्वती ने पूरा किया था।

दरअसल सरस्वती माता की कथा (Saraswati Mata Ki Katha) इसी से ही जुड़ी हुई है। एक समय में ब्रह्मा जी बहुत ज्याद दुखी हो गए थे क्योंकि उनकी बनाई सृष्टि नीरस हो चुकी थी। तब उस कमी को सरस्वती माँ ने ही पूरा किया था। इसके पश्चात ही दोनों का विवाह हुआ था। आइये जाने उस घटना के बारे में।

ब्रह्मा जी ने की सृष्टि की रचना

यह उस समय की बात है जब भगवान ब्रह्मा को भगवान शिव ने पृथ्वी के निर्माण का आदेश दिया था। महादेव के आदेशानुसार, भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि व इस पृथ्वी का निर्माण किया। उन्होंने पृथ्वी में समुंद्र, नदियाँ, पहाड़, जीव-जंतु, पेड़-पौधे इत्यादि सभी चीज़ों का निर्माण कर दिया। अपने द्वारा पृथ्वी का निर्माण किये जाने के पश्चात जब भगवान ब्रह्मा ने उसे देखा तो उन्हें अपनी बनाई रचना में कुछ कमी लगी।

पृथ्वी दिखने में तो बहुत सुंदर थी लेकिन चारों ओर केवल मौन व उदासी छाई थी। कहीं कोई ध्वनि व संवाद नही था एवं सब सूना-सूना सा प्रतीत हो रहा था। कहने का तात्पर्य यह हुआ कि पृथ्वी में कहीं भी कोई ध्वनि या संगीत नही था जिस कारण पक्षियों के चहचहाने, नदियों के बहने, हवा की सरसराहट इत्यादि कुछ भी सुनाई नही पड़ रहा था। यह देखकर भगवान ब्रह्मा अपनी रचना पर अत्यंत दुखी हो गए।

मां सरस्वती का जन्म कब हुआ था?

बस यही वह घटना थी, जो माँ सरस्वती के जन्म का कारण बनी। आइये जानते हैं आगे क्या हुआ। अपनी बनायी सृष्टि की ऐसी स्थिति देखकर दुखी मन से भगवान ब्रह्मा विष्णु लोक पहुंचे और उनके सामने अपनी समस्या रखी। उन्होंने भगवान विष्णु को बताया कि चूँकि अब यह सृष्टि उन्हें ही चलानी है लेकिन वे उन्हें यह सुनसान सृष्टि नही सौंप सकते, इसलिए इसका कोई मार्ग निकालें। भगवान विष्णु ब्रह्मा की चिंता का कारण समझ गए और इसके लिए उन्होंने आदिशक्ति को बुलाने का आह्वान किया।

भगवान विष्णु जानते थे कि किसी भी चीज़ को पूर्ण केवल पुरुषत्व नही कर सकता और उसमे स्त्रीत्व का होना अति-आवश्यक है। भगवान विष्णु के द्वारा आह्वान किये जाने पर माँ आदिशक्ति वहां प्रकट हुईं ताकि वे एक नयी दैवीय शक्ति को जन्म दे सकें।

माँ के प्रकट होने के बाद भगवान ब्रह्मा ने उन्हें सृष्टि का अवलोकन कर उसकी कमी को दूर करने की याचना की। माँ आदिशक्ति ने सृष्टि का गहन अध्ययन किया और पाया कि इसमें तत्व तो सभी विद्यमान हैं लेकिन ध्वनि व संवाद की कमी है। साथ ही सृष्टि में बुद्धि व ज्ञान का भी अभाव था। अब माँ को एक नयी शक्ति का विकास करना था जो सृष्टि की इस कमी को दूर कर सके।

माँ सरस्वती की उत्पत्ति कैसे हुई?

सृष्टि की कमी को दूर करने के लिए, माँ दुर्गा के शरीर से एक तेज़ उत्पन्न हुआ व उसमे से स्वेत वस्त्रों में चार हाथों वाली एक दिव्य नारी प्रकट हुई। उसने अपने दो हाथों में वीणा पकड़ रखी थी व तीसरे में वर्णमाला और चौथे हाथ में पुस्तक ले रखी थी। उस नारी का नाम सरस्वती रखा गया।

माँ सरस्वती ने प्रकट होते ही अपनी वीणा से मधुर संगीत बजाया। वीणा का संगीत बजते ही विश्व के समस्त प्राणियों में वाणी का विकास हुआ, वायु में सरसराहट होने लगी, जलधारा में कोलाहल हुआ व पूरा विश्व मानो चहक सा उठा। पूरी पृथ्वी में विभिन्न प्रकार की ध्वनियाँ गुंजायेमान हो उठी जिस कारण हर किसी में एक नया उत्साह व उमंग का संचार हुआ।

इसी के साथ उन्होंने विश्व के सभी प्राणियों व जीव-जन्तुओं की प्रजातियों में उनकी क्षमता के अनुसार विद्या का विकास किया। माँ सरस्वती के प्रभाव के कारण ही हर जीव के अंदर विभिन्न कार्यों को करने की दक्षता थी व सभी में उसी अनुसार अलग-अलग कौशल विकसित हुआ।

भगवान ब्रह्मा और माँ सरस्वती का विवाह

इसके बाद माँ आदिशक्ति ने ब्रह्मा जी से कहा कि जिस प्रकार माँ लक्ष्मी भगवान विष्णु की आदिशक्ति हैं, माँ पार्वती महादेव की, उसी प्रकार माँ सरस्वती आपकी आदिशक्ति व धर्मपत्नी होंगी। माँ आदिशक्ति के कहेनुसार, भगवान ब्रह्मा ने माँ सरस्वती को अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार कर लिया।

इस कारण हम सभी माँ सरस्वती को विद्या, बुद्धि, वीणा व संगीत की देवी मानकर उनकी पूजा करते हैं। हर गुरुकुल व विद्यालय में विद्यार्थी माँ सरस्वती की आराधना मुख्य तौर पर करता है। संगीतकार भी माँ सरस्वती को अपनी आराध्य देवी मानते हैं। इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपने सरस्वती माता की कहानी (Saraswati Mata Ki Kahani) को जान लिया है।

सरस्वती माता की कहानी से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: सरस्वती का इतिहास क्या है?

उत्तर: जब भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि का निर्माण किया था, तब वह संगीत के बिना नीरस थी इस कारण माँ सरस्वती का जन्म हुआ और उन्होंने इस सृष्टि में रस घोला

प्रश्न: ब्रह्मा जी ने सरस्वती से शादी क्यों की?

उत्तर: ब्रह्मा जी के सृष्टि निर्माण के समय माँ सरस्वती ने अपनी शक्ति से उसमें संगीत दिया था इस कारण नीरस सृष्टि में रंग भर गए थे इसलिए ब्रह्मा जी ने सरस्वती से शादी की थी

प्रश्न: माँ सरस्वती के पति कौन है?

उत्तर: माँ सरस्वती के पति भगवान ब्रह्मा जी हैं उन्होंने ही इस सृष्टि का निर्माण किया है और माँ सरस्वती ने उसमें संगीत का रस घोला है

प्रश्न: सरस्वती माता किसका अवतार है?

उत्तर: सरस्वती माता किसी का भी अवतार नहीं हैं उन्हें माँ दुर्गा ने अपनी शक्ति से प्रकट किया था

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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