आरती

महाकालेश्वर भस्म आरती (Mahakaleshwar Bhasma Aarti)

महाकाल भस्म आरती (Mahakal Bhasm Aarti)

भारतवर्ष में भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंग स्थित हैं जहाँ उनके भिन्न-भिन्न रूपों की पूजा की जाती है। भगवान शिव के कई नाम हैं और अपने हरेक नाम के अनुसार वे अलग-अलग गुणों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसी में उनका एक रूप महाकाल का है जिसका मुख्य मंदिर उज्जैन नगरी में महाकालेश्वर के नाम से प्रसिद्ध है। वहीं पर महाकाल भस्म आरती (Mahakal Bhasm Aarti) की जाती है।

इस भस्म आरती को हम महाकालेश्वर भस्म आरती (Mahakaleshwar Bhasma Aarti) भी कह सकते हैं क्योंकि यह महाकालेश्वर मंदिर में शिवलिंग को भस्म चढ़ाते हुए की जाती है। आज के इस लेख में आपको उज्जैन भस्म आरती (Ujjain Bhasma Aarti) के बारे में संपूर्ण जानकारी मिलने वाली है। अंत में आपको भस्म आरती को पढ़ने के नियम, महत्व व लाभ भी पढ़ने को मिलेंगे।

महाकालेश्वर भस्म आरती (Mahakaleshwar Bhasma Aarti)

भगवान शिव की नगरी वैसे तो काशी को कहा जाता है लेकिन जहाँ-जहाँ शिव के ज्योतिर्लिंग स्थित हैं, वहां भी उनके नाम का बहुत महत्व है। अब शिव जी के कई नाम हैं लेकिन महाकाल के रूप में वे मध्य प्रदेश राज्य की उज्जैन नगरी में पूजे जाते हैं। वहां पर उन्हें महाकाल के नाम से ही जाना जाता है और बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक प्रमुख ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर वहीं पर शिप्रा नदी के किनारे स्थित है।

हर मंदिर में ईश्वर की एक या दो आरती की जाती है किन्तु क्या आप जानते हैं कि महाकालेश्वर आरती एक नहीं बल्कि छह हैं जिन्हें दिन में छह भिन्न समय पर किया जाता है। इन छह महाकालेश्वर आरतियों में से एक आरती भस्म आरती है जिसे हम महाकाल भस्म आरती के नाम से भी जानते हैं। यह भस्म आरती सुबह-सुबह महाकाल को जगाने के उद्देश्य से की जाती है।

उस समय महाकाल जी को चिता की भस्म से नहलाया जाता है। अब शिव को इस सृष्टि में संहारक का रूप माना जाता है अर्थात विनाश के देवता। जब भी किसी चीज़ का विनाश हो जाता है फिर चाहे वह सजीव वस्तु हो या निर्जीव तो वह जलकर राख अर्थात भस्म में बदल जाती है। महाकाल सभी वस्तुओं के इस मूल तत्व अर्थात भस्म को स्वीकार करते हैं और यही भस्म उन्हें प्रिय होती है।

ऐसे में जब सुबह के समय महाकालेश्वर मंदिर के कपाट खोले जाते हैं तो मंदिर के पुजारी महाकाल पर भस्म चढ़ाते हैं और साथ ही भस्म आरती कर उन्हें जगाते हैं। उसके बाद दिन के अलग-अलग समय में अन्य पांच महाकालेश्वर आरतियाँ की जाती है। अब इस महाकालेश्वर भस्म आरती को करने के भी कुछ नियम होते हैं जिनका पालन किया जाना हर पुरुष व महिला के लिए आवश्यक है।

हम इस लेख में आपके साथ महाकाल भस्म आरती को सांझा नहीं कर सकते हैं और यह आपको ऑनलाइन कहीं भी नहीं मिलेगी। वह इसलिए क्योंकि इसके लिए महाकालेश्वर मंदिर के द्वारा नियम बनाये गए हैं और उन नियमों के अनुसार महाकालेश्वर भस्म आरती को मंदिर प्रांगन के बाहर नहीं गाया जा सकता है और ना ही लिखा जा सकता है। ऐसे में आपको इस लेख सहित कहीं भी महाकालेश्वर की असली भस्म आरती पढ़ने को नहीं मिलेगी।

महाकाल भस्म आरती (Mahakal Bhasm Aarti) – अर्थ सहित

अब यदि आप महाकाल भस्म आरती का अर्थ जानना चाहते हैं तो इसमें शिव के महाकाल रूप का वर्णन करते हुए उनकी आराधना की गयी है। इसमें बताया गया है कि शिव जी को महाकाल क्यों कहा गया है और क्यों वे सभी देवताओं में सबसे महान और देवों के भी देव हैं। हम काल को तीन भागों में विभाजित करके देख सकते हैं जिन्हें हम भूतकाल, वर्तमानकाल व भविष्यकाल के नाम से जानते हैं।

अब भूतकाल हमारा इतिहास है या वह घटनाएँ जो घटित हो चुकी है, वर्तमानकाल उसे प्रदर्शित करता है जो अभी हम जी रहे हैं जबकि भविष्यकाल आगे घटित हो सकने वाली घटनाओं को प्रदर्शित करता है। महाकाल इन तीनों के स्वामी हैं अर्थात समयचक्र उन्हीं के अधीन है। वे ही इस सृष्टि में काल को नियंत्रित करते हैं और इसी कारण उन्हें महाकाल कहा गया है।

इसी के साथ ही उज्जैन भस्म आरती के माध्यम से उनके रूप का भी वर्णन किया गया है। एक तो उनका वह रूप जो हम देख पाते हैं जिसमें वे अपने हाथ में त्रिशूल व डमरू पकड़े हुए नंदी पर बैठे होते हैं तो वहीं दूसरी ओर, उनके निराकार रूप का वर्णन भी इसी महाकालेश्वर भस्म आरती के माध्यम से दिया गया है। इस ब्रह्माण्ड व संपूर्ण सृष्टि को महाकाल का ही रूप माना गया है और वही इसका सञ्चालन, निर्माण व विध्वंस करते हैं। तो महाकाल के बारे में संक्षेप में परिचर देकर उनकी आराधना भस्म आरती के माध्यम से की गयी है।

उज्जैन महाकाल भस्म आरती (Ujjain Mahakal Bhasm Aarti) – कथा

आपको उज्जैन नगरी के महाकाल की भस्म आरती से जुड़ी कथा या उसका इतिहास भी जान लेना चाहिए। एक समय पहले दूषण नाम के दैत्य ने बहुत आतंक मचाया हुआ था और वह उज्जैन नगरी के लोगों को परेशान कर रहा था। उसने उज्जैन नगरी के ब्राह्मणों पर भीषण अत्याचार करने शुरू कर दिए थे और तब ब्राह्मणों ने शिवजी से सहायता मांगी।

ब्राह्मणों के कहने पर शिवजी ने पहले तो दूषण को चेतावनी दी लेकिन जब वह नहीं माना तो शिवजी उज्जैन नगरी में महाकाल के रूप में प्रकट हुए। उन्होंने अपने क्रोध की अग्नि में दूषण को जलाकर भस्म कर दिया। जब वह भस्म हो गया तो शिवजी ने उसकी राख को अपने शरीर पर मला। इसके बाद शिवजी महाकाल के रूप में वहीं बस गए। इसी के बाद से ही महाकालेश्वर मंदिर में शिवजी की भस्म आरती की जाती है और उन्हें चिता की भस्म लगायी जाती है।

महाकालेश्वर भस्म आरती का समय (Mahakaleshwar Bhasma Aarti Time)

जैसा कि हमने आपको ऊपर ही बताया कि महाकालेश्वर मंदिर में महाकाल की कुल 6 आरतियाँ 6 अलग-अलग समय पर की जाती है जिसमें से सुबह की आरती भस्म आरती होती है। अब यह भस्म आरती 6 आरतियों में से सबसे पहले की जाती है जो महाकाल को भस्म लगाकर जगाने के उद्देश्य से की जाती है। ऐसे में महाकालेश्वर मंदिर के कपाट सुबह के समय 4 बजे खुलते हैं और उसी समय ही भस्म आरती की जाती है।

अब आपको इसी के साथ-साथ महाकालेश्वर मंदिर में कब कौन सी आरती किस समय की जाती है, उसकी समयसारणी भी उपलब्ध करवा देते हैं।

  • भस्म आरती या मंगला आरती – सुबह 4 बजे
  • दत्योदक आरती – सुबह 7 बजे
  • भोग आरती – सुबह 10 बजे
  • पूजन आरती – शाम 5 बजे
  • संध्या आरती – शाम 7 बजे
  • शयन आरती – रात्रि 10:30 बजे

महाकाल भस्म आरती की ऑनलाइन बुकिंग (Bhasma Aarti Booking)

यदि आपको महाकालेश्वर भस्म आरती के लिए अपना रजिस्ट्रेशन करवाना है तो भस्म आरती की बुकिंग की ऑनलाइन सुविधा महाकालेश्वर मंदिर की ओर से दी गयी है। आपको बस महाकालेश्वर मंदिर की वेबसाइट पर जाना होगा और वहां नियमानुसार भस्म आरती की बुकिंग करवा लेनी होगी।

वेबसाइट पर जाते ही आपको सबसे ऊपर ही बुकिंग का विकल्प मिल जाएगा जिस पर आपको क्लिक करना होगा। इस पर क्लिक करने के पश्चात एक नया पेज खुलेगा और उस पर तिथिनुसार जो भी स्लॉट खाली है, उसकी जानकारी दी गयी होगी। अब जिस दिन आप महाकाल की भस्म आरती की बुकिंग करवाना चाहते हैं और उसका स्लॉट खाली है तो आप वहां पर क्लिक कर उसे बुक करवा सकते हैं।

अब यदि उस समय के लिए स्लॉट खाली नहीं है तो आपको भस्म आरती का रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए प्रतीक्षा करनी होगी। सामान्य तौर पर बहुत से भक्त इसके लिए अपना पंजीकरण करवाते हैं और जैसे ही किसी दिन के लिए स्लॉट खुलते हैं तो वह हाथोंहाथ ही बुक हो जाते हैं।

भस्म आरती (Bhasm Aarti) – नियम

अब यदि आप महाकालेश्वर मंदिर में महाकाल भस्म आरती करने का मन बना रहे हैं और इसके लिए रजिस्ट्रेशन करवाने जा रहे हैं तो आपको भस्म आरती के नियम भी जान लेने चाहिए। इसके लिए महाकालेश्वर मंदिर समिति की ओर से पुरुष व महिला दोनों के लिए नियम निर्धारित किये गए हैं जिनका पालन करना अनिवार्य है।

सबसे पहला नियम तो यही है कि आप महाकाल भस्म आरती की बुकिंग तो करवा सकते हैं लेकिन फिर भी यहां पर भस्म आरती करने का अधिकार केवल और केवल महाकालेश्वर मंदिर के पुजारियों को ही होता है। हालाँकि आप भस्म आरती में उपस्थित हो सकते हैं, इसे देख सकते हैं तथा पुजारियों के कहने पर उनकी सहायता करवा सकते हैं। आप स्वयं से भस्म आरती नहीं कर सकते हैं और ना ही महाकालेश्वर मंदिर के शिवलिंग को छू सकते हैं।

महाकाल की भस्म आरती के समय पुरुषों को धोती व कुर्ता पहनना होता है। वहीं महिलाओं को भी संपूर्ण रूप से भारतीय परिधान जिसमें सूती कपड़े की साड़ी होती है, उसे पहनना होता है। इसी के साथ ही महिलाओं को अपने सिर पर घूँघट करना होता है और महाकाल को देखना नहीं होता है। वह इसलिए क्योंकि भस्म आरती के समय महाकाल निराकार रूप में होते हैं जिसे देखना महिलाओं के लिए वर्जित होता है।

उज्जैन भस्म आरती (Ujjain Bhasma Aarti) – महत्व

शिव ही इस सृष्टि के आधार हैं और वे ही हमारे विनाशक हैं। शिव ही मृत्यु हैं, वे ही भय हैं, वे ही अहंकार का अंत हैं और वे ही कालचक्र हैं। एक तरह से हमारा भूतकाल, वर्तमानकाल व भविष्यकाल शिव के ही चरणों में समर्पित है। उनके कई रूप हैं और अपने हरेक रूप में वे मनुष्य के अहम का अंत कर देते हैं। इसमें से उनका महाकाल रूप बहुत ही विस्मयकारी है क्योंकि यह समयचक्र को भी बाँध लेता है।

ऐसे में शिव के इस महाकाल रूप की महिमा का वर्णन करने हेतु ही महाकाल भस्म आरती की रचना की गयी है। इसके माध्यम से महाकाल के बारे में जानकारी तो दी ही गयी है बल्कि उसी के साथ ही महाकाल की आराधना भी की गयी है। यही महाकालेश्वर की भस्म आरती का महत्व होता है।

भस्म आरती (Bhasma Aarti) – लाभ

अब यदि आप सच्चे मन के साथ भगवान शिव का ध्यान कर महाकाल की भस्म आरती का पाठ करते हैं तो इससे आपको एक नहीं बल्कि कई तरह के लाभ देखने को मिलते हैं। सबसे पहला और बड़ा लाभ तो यही है कि आप अकाल मृत्यु से बच जाते हैं। अकाल मृत्यु का अर्थ हुआ कि बिना किसी संदेश के आपके प्राण पहले ही चले जाएं जैसे कि कोई दुर्घटना हो जाना। महाकाल की कृपा से आप अकाल मृत्यु से बच जाते हैं और स्वस्थ रहते हैं।

भस्म आरती के माध्यम से आपके ऊपर से नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव समाप्त हो जाता है और साथ ही सभी तरह के भय भी दूर हो जाते हैं। अब वह भय चाहे अंधकार, अग्नि, जल इत्यादि किसी का भी क्यों ना हो। ग्रह दोष तथा कुंडली के सभी दोष भी महाकालेश्वर भस्म आरती के माध्यम से दूर हो जाते हैं। आपको परम सत्य का ज्ञान होता है और मृत्यु का भय भी समाप्त हो जाता है। एक तरह से आप मानव जीवन में रहते हुए भी जीवन-मरण के परम सत्य का ज्ञान प्राप्त कर पाने में सक्षम हो जाते हैं।

भस्म आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: महाकाल भस्म आरती का टिकट कितने का है?

उत्तर: यदि आप महाकाल भस्म आरती करना चाहते हैं तो ऑनलाइन टिकट बुकिंग पर प्रति व्यक्ति 200 रुपये का शुल्क लिया जाता है। इस तरह से महाकाल भस्म आरती का टिकट 200 रुपये प्रति व्यक्ति है।

प्रश्न: भस्म आरती के लिए क्या करना पड़ता है?

उत्तर: भस्म आरती के लिए महिला व पुरुष दोनों को ही भारतीय परिधान पहनने होते हैं। इसमें पुरुषों को धोती कुर्ता पहनना होता है तो वहीं महिलाओं को सूती कपड़े की साड़ी पहन कर घूँघट करना होता है।

प्रश्न: क्या भस्म आरती में साड़ी पहनना अनिवार्य है?

उत्तर: महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती का हिस्सा बनने के लिए कुछ नियम निर्धारित किये गए हैं। इन नियमों के अनुसार जो भी महिला भस्म आरती में भाग लेती है, उसे साड़ी पहनना अनिवार्य होता है।

प्रश्न: क्या मैं बिना बुकिंग के भस्म आरती में शामिल हो सकता हूं?

उत्तर: आप बिना बुकिंग के भस्म आरती में शामिल नहीं हो सकते हैं। इसके लिए ऑनलाइन माध्यम से या फिर मंदिर में एक दिन पहले जाकर ऑफलाइन माध्यम से बुकिंग करवाना अनिवार्य होता है।

प्रश्न: मैं भस्म आरती उज्जैन में कैसे भाग ले सकता हूं?

उत्तर: यदि आपको भस्म आरती उज्जैन में भाग लेना है तो उसके लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाएं या फिर मंदिर प्रांगन में एक दिन पहले जाकर उसके लिए ऑफलाइन बुकिंग करवाएं।

नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘‍♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:

अन्य संबंधित लेख:

कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

Recent Posts

संतोषी मां चालीसा हिंदी में – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

आज के इस लेख में आपको संतोषी चालीसा (Santoshi Chalisa) पढ़ने को मिलेगी। सनातन धर्म…

12 hours ago

वैष्णो देवी आरती हिंदी में – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

आज हम आपके साथ वैष्णो देवी की आरती (Vaishno Devi Ki Aarti) का पाठ करेंगे।…

13 hours ago

तुलसी जी की आरती हिंदी में अर्थ सहित – महत्व व लाभ भी

आज के इस लेख में आपको तुलसी आरती (Tulsi Aarti) हिंदी में अर्थ सहित पढ़ने…

15 hours ago

तुलसी चालीसा अर्थ सहित – महत्व व लाभ भी

आज हम तुलसी चालीसा (Tulsi Chalisa Lyrics) का पाठ करेंगे। हिन्दू धर्म में तुलसी के पौधे…

15 hours ago

महाकाली जी की आरती – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

आज हम आपके साथ महाकाली माता की आरती (Mahakali Mata Ki Aarti) का पाठ करेंगे। जब…

2 days ago

महाकाली चालीसा इन हिंदी PDF फाइल व इमेज सहित डाउनलोड करें

आज हम आपके साथ श्री महाकाली चालीसा (Mahakali Chalisa Lyrics) का पाठ करेंगे। जब भी…

3 days ago

This website uses cookies.