धर्म कथाएं

Meghnath Ki Kundli | शनि देव ने किया था मेघनाथ की जन्म कुंडली में दोष उत्पन्न

क्या आप जानते हैं कि मेघनाथ की जन्म कुंडली (Meghnath Kundali) में शनि देव के द्वारा उत्पन्न किया गया दोष ही उसकी मृत्यु का कारण बना था!! हम सभी यह तो जानते ही हैं कि रावण एक अत्यंत पराक्रमी व तीनों लोकों का विजेता था। उसने भगवान ब्रह्मा, विष्णु व महेश से कई वरदान पाए थे जिस कारण वह अत्यधिक बलशाली हो गया था।

अपने पराक्रम के बल पर ना केवल उसने पृथ्वी व पाताल लोक जीत लिए थे अपितु अन्य ग्रहों को भी अपने अधीन कर लिया था। सभी ग्रह रावण के डर के कारण उसके अनुसार ही कार्य करते थे। किंतु शनि देव की एक चाल उसके सबसे बड़े पुत्र मेघनाथ की कुंडली (Meghnath Ki Kundli) पर भारी पड़ गई। आइए जानते हैं कैसे।

Meghnath Kundali | मेघनाथ की जन्म कुंडली

रावण की कई पत्नियाँ थी जिसमें सबसे बड़ी पत्नी व लंका की प्रमुख रानी मंदोदरी थी। जब मंदोदरी गर्भवती हुई तब रावण को पहली संतान प्राप्ति होने वाली थी इस कारण रावण अत्यधिक प्रसन्न था। वह अपनी संतान को स्वयं से भी ज्यादा महान व शक्तिशाली बनाना चाहता था। इसलिए जब उसका जन्म होने वाला था तब रावण नहीं चाहता था कि उस पर किसी भी ग्रह का कोई अशुभ प्रभाव पड़े।

उसने अपनी पहली संतान मेघनाद के जन्म से पहले ही उसके लिए तैयारियां शुरू कर दी थी जिस कारण वह भविष्य में अविजयी व अमर रहे। इसके लिए उसने अपने अधीन सभी ग्रहों को बुलाया व उन सभी को आदेश दिया कि वे सभी मेघनाथ के जन्म के समय शुभ नक्षत्र बनाएं। अपने पुत्र को अविजयी व महान योद्धा बनाने के लिए मेघनाथ की कुंडली (Meghnath Kundli) का एकदम सही होना आवश्यक था।

इसके लिए सभी ग्रहों का मेघनाद के जन्म के समय उसके ग्यारहवें घर में रहना आवश्यक था। इस कारण रावण ने सभी ग्रहों को यह सख्त आदेश दिया था कि वे मेघनाथ के 11वें घर में ही रहें।

शनि देव की चिंता

सभी ग्रह लंकापति रावण का आदेश पाकर मेघनाथ के ग्यारहवें घर में प्रवेश कर गए क्योंकि कोई भी रावण से बैर नहीं लेना चाहता था। उस समय शनि देव ने भगवान विष्णु से विचार-विमर्श किया। क्योंकि यदि शनि समेत सभी ग्रह उसके लिए यह संकेत बना देंगे तो भविष्य में मेघनाद का वध करना अत्यंत मुश्किल हो जाएगा। इस कारण शनि ने रावण के आदेश को नहीं मानने और मेघनाद की कुंडली (Meghnath Ki Kundli) में दोष उत्पन्न करने का निर्णय लिया।

शनि ने बदला घर

जब मेघनाथ का जन्म होने वाला था तब सभी ग्रह रावण के कहेनुसार उसके ग्यारहवें घर में ही थे। शनि देव भी मेघनाथ के ग्यारहवें घर में ही थे ताकि रावण आश्वस्त रहे। हालाँकि यह शनि देव की रावण को भ्रमित करने की एक चाल थी।

फिर जब मेघनाथ का जन्म हुआ, ठीक उसी समय शनि देव ने अपनी चाल बदल ली। वे मेघनाथ के ग्यारहवें घर से बारहवें घर में प्रवेश कर गए जो उसकी हानि का संकेत था। इससे मेघनाथ की जन्म कुंडली (Meghnath Kundali) में दोष उत्पन्न हो गया जिस कारण उसका वध किया जा सकता था।

रावण का शनि पर क्रोध

जब रावण को यह पता चला तो वह शनि देव पर अत्यंत क्रोधित हुआ व उनके पैर में चोट की। किसी तरह शनि देव वहाँ से बच निकले। यही कारण था कि सभी ग्रहों में रावण शनि देव से सबसे ज्यादा चिढ़ता था और उसे अपने सिंहासन पर पैरों के नीचे रखता था।

शनि ग्रह के अपना घर बदलने के कारण ही भविष्य में मेघनाथ जैसे अति पराक्रमी योद्धा को भगवान श्रीराम के छोटे भाई लक्ष्मण के हाथों मृत्यु का मुख देखना पड़ा था। यदि उस दिन शनि देव मेघनाथ की कुंडली (Meghnath Kundli) में दोष उत्पन्न नहीं करते और अपना घर नहीं बदलते तो लक्ष्मण के लिए भी उसका वध करना मुश्किल होता।

मेघनाथ की कुंडली से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: मेघनाथ का जन्म किस नक्षत्र में हुआ था?

उत्तर: मेघनाथ का जन्म मघा नक्षत्र में हुआ था उसके जन्म के समय शनि देव ने अपनी ग्रह दिशा बदल दी थी

प्रश्न: मेघनाथ की उम्र कितनी थी?

उत्तर: मेघनाथ कम उम्र में ही लक्ष्मण से युद्ध करते हुए मारा गया था उस समय उसकी अनुमानित आयु 25 वर्ष के आसपास रही होगी

प्रश्न: मेघनाथ की कुलदेवी कौन थी?

उत्तर: मेघनाथ की कुलदेवी का नाम निकुम्भला देवी था युद्ध में जाने से पहले यदि मेघनाथ उनकी पूजा कर लेता था तो उसे हराया नहीं जा सकता था

प्रश्न: मेघनाथ का असली नाम क्या है?

उत्तर: मेघनाथ का असली और शुद्ध नाम मेघनाद है मेघनाद का अर्थ होता है बादलों का गर्जना

नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘‍♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:

अन्य संबंधित लेख:

कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

Recent Posts

संतोषी मां चालीसा हिंदी में – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

आज के इस लेख में आपको संतोषी चालीसा (Santoshi Chalisa) पढ़ने को मिलेगी। सनातन धर्म…

12 hours ago

वैष्णो देवी आरती हिंदी में – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

आज हम आपके साथ वैष्णो देवी की आरती (Vaishno Devi Ki Aarti) का पाठ करेंगे।…

13 hours ago

तुलसी जी की आरती हिंदी में अर्थ सहित – महत्व व लाभ भी

आज के इस लेख में आपको तुलसी आरती (Tulsi Aarti) हिंदी में अर्थ सहित पढ़ने…

15 hours ago

तुलसी चालीसा अर्थ सहित – महत्व व लाभ भी

आज हम तुलसी चालीसा (Tulsi Chalisa Lyrics) का पाठ करेंगे। हिन्दू धर्म में तुलसी के पौधे…

15 hours ago

महाकाली जी की आरती – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

आज हम आपके साथ महाकाली माता की आरती (Mahakali Mata Ki Aarti) का पाठ करेंगे। जब…

2 days ago

महाकाली चालीसा इन हिंदी PDF फाइल व इमेज सहित डाउनलोड करें

आज हम आपके साथ श्री महाकाली चालीसा (Mahakali Chalisa Lyrics) का पाठ करेंगे। जब भी…

3 days ago

This website uses cookies.