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नर्मदा अष्टक नमामि देवी नर्मदे – हिंदी में अर्थ, महत्व व लाभ सहित

आज हम आपको नर्मदा अष्टक हिंदी में अर्थ (Narmada Ashtak Lyrics In Hindi) सहित देंगे। इससे आप उसका भावार्थ समझ पाएंगे। कहने का तात्पर्य यह हुआ कि आज हम नर्मदा अष्टक का हिंदी अनुवाद करके आपको देंगे ताकि आप उसका महत्व समझ सकें।

नर्मदा अष्टक नमामि देवी नर्मदे (Narmada Ashtak Lyrics Hindi) का महत्व किसी से छुपा नहीं है। इसलिए लेख के अंत में हम आपके साथ नर्मदा अष्टक के लाभ और महत्व भी साझा करेंगे। तो आइए सबसे पहले जानते हैं नर्मदा अष्टक हिंदी में अर्थ सहित।

Narmada Ashtak Lyrics In Hindi | नर्मदा अष्टक हिंदी में अर्थ

सबिंदु सिन्धु सुस्खल तरंग भंग रंजितम
द्विषत्सु पाप जात जात कारि वारि संयुतम।
कृतान्त दूत काल भुत भीति हारि वर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे॥

हे माँ नर्मदा!! आप मैखल पर्वत के अमरकंटक से निकल कर अविरल बहती हुई समुंद्र में मिल जाती हो। इस बीच आपकी अनेकों लहरे उठती हैं और आप दुष्टों के पापों को भी नष्ट कर देती हैं और उनका मन शुद्ध बना देती हैं। आपके प्रभाव से तो स्वयं काल, यमराज, भूत इत्यादि भी दूर चले जाते हैं। मैं आपका भक्त, आपके चरणों का ध्यान कर उन्हें प्रणाम करता हूँ।

त्वदम्बु लीन दीन मीन दिव्य सम्प्रदायकम
कलौ मलौघ भारहारि सर्वतीर्थ नायकं।
सुमस्त्य कच्छ नक्र चक्र चक्रवाक् शर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे॥

आपके जल में तो मछली भी परम सुख को प्राप्त करती है और आप हम सभी के भार को हल्का कर देती हैं। आप ही सभी तीर्थों की नगरी हैं। आपके जल में तो मछली, कछुआ, मगरमच्छ इत्यादि जलीय जीव-जंतु सुख से रहते हैं। हे माँ नर्मदा!! मैं आपके चरणों में झुककर आपको प्रणाम करता हूँ।

महागभीर नीर पुर पापधुत भूतलं
ध्वनत समस्त पातकारि दरितापदाचलम।
जगल्ल्ये महाभये मृकुंडूसूनु हर्म्यदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे॥

आप अपने अथाह जल से इस धरती के पापों को धो देती हैं। आपका कलकल बहता हुआ पानी कई क्षेत्रों से होकर बहता है जिसकी ध्वनि चारों ओर गुंजायेमान रहती है। आपने ही महाप्रलय के समय मार्कंडेय ऋषि जी को आश्रय दिया था। मैं आपके चरणों को छूकर उन्हें प्रणाम करता हूँ।

गतं तदैव में भयं त्वदम्बु वीक्षितम यदा
मृकुंडूसूनु शौनका सुरारी सेवी सर्वदा।
पुनर्भवाब्धि जन्मजं भवाब्धि दुःख वर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे॥

आपके जल के पान से तो मार्कंडेय ऋषि, शौनक ऋषि व देवता भी भय मुक्त हो जाते हैं और आप उन्हें अभय का वरदान देती हैं। आपके पावन जल में डुबकी लगाने से मेरे जन्मों जन्म के भय, दुःख, पीड़ा इत्यादि नष्ट हो गयी है। मैं आपके चरणों को नमस्कार करता हूँ।

अलक्षलक्ष किन्न रामरासुरादी पूजितं
सुलक्ष नीर तीर धीर पक्षीलक्ष कुजितम।
वशिष्ठशिष्ट पिप्पलाद कर्दमादि शर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे॥

आप लाखों किन्नरों व देवताओं के द्वारा पूजी जाती हैं। आपके तटों पर भिन्न-भिन्न भांत के पक्षी चहचहाते हैं। वशिष्ठ ऋषि, पिप्पलाद, कर्दम ऋषि इत्यादि आपको ही पूजते हैं। मैं भी आपके चरणों को छूकर उन्हें प्रणाम करता हूँ।

सनत्कुमार नाचिकेत कश्यपात्रि षटपदै
धृतम स्वकीय मानषेशु नारदादि षटपदै:।
रविन्दु रन्ति देवदेव राजकर्म शर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे॥

सनत्कुमार, नाचिकेतु, कश्यप, अत्री इत्यादि सभी भंवरे की तरह आपके निकट ही रहते हैं। आपको मनुष्य योनि के लोग ग्रहण करते हैं और नारद मुनि भी आपके समीप ही निवास करते हैं। आपकी वंदना तो सूर्य, चन्द्रमा, देवता तथा स्वयं देव इंद्र भी करते हैं। मैं भी आपके चरणों का ध्यान कर आपकी वंदना करता हूँ।

अलक्षलक्ष लक्षपाप लक्ष सार सायुधं
ततस्तु जीवजंतु तंतु भुक्तिमुक्ति दायकं।
विरन्ची विष्णु शंकरं स्वकीयधाम वर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे॥

आप सभी तरह के पापों का नाश कर देती हैं और हम सभी को लंबी आयु प्रदान करती हैं। आपके किनारे जो भी जीव-जंतु आपकी भक्ति में लीन रहते हैं, आप उन्हें मुक्ति प्रदान करती हैं। भगवान ब्रह्मा, विष्णु व शंकर भी अपने-अपने धाम में आपकी पूजा करते हैं। मैं भी आपके चरणों का ध्यान कर आपकी वंदना करता हूँ।

अहोमृतम श्रुवन श्रुतम महेषकेश जातटे
किरात सूत वाड़वेषु पण्डिते शठे नटे।
दुरंत पाप ताप हारि सर्वजंतु शर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे॥

आप शिवजी भगवान की जटाओं से निकली हुई अमृत के समान हैं जिसकी तरंगों की मधुर ध्वनि हम सभी सुनते हैं। आप सभी तरह के लोगों के पापों को हर लेती हैं और उन्हें सुख प्रदान करती हैं। मैं आपके सामने हाथ जोड़कर और आपके चरणों का ध्यान कर आपकी वंदना करता हूँ।

इदन्तु नर्मदाष्टकम त्रिकलामेव ये सदा
पठन्ति ते निरंतरम न यान्ति दुर्गतिम कदा।
सुलभ्य देव दुर्लभं महेशधाम गौरवम
पुनर्भवा नरा न वै त्रिलोकयंती रौरवम॥

जो भी भक्तगण सच्चे मन से इस नर्मदाष्टकम का पाठ करते हैं, उन्हें सभी तरह की कलाएं प्राप्त होती है। जो इसका निरंतर अर्थात सुबह, दोपहर व शाम को पाठ करते हैं, उनकी कभी भी दुर्गति नहीं होती है। यह देवताओं सहित हम मनुष्यों को सरल रूप में मिली हुई है और इसके पाठ से हमें दुर्लभ माने जाने वाले शिव शंकर के धाम में स्थान मिलता है। नर्मदाष्टकम के माध्यम से हमें जीवन-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिल जाती है और हम मोक्ष को प्राप्त करते हैं।

ऊपर आपने नर्मदा अष्टक नमामि देवी नर्मदे (Narmada Ashtak Lyrics Hindi) का हिंदी अर्थ जान लिया है। इससे आपको नर्मदा अष्टक का भावार्थ समझ में आ गया होगा। अब हम नर्मदा अष्टक के लाभ और महत्व भी जान लेते हैं।

नर्मदाष्टकम का महत्व

नर्मदा माता मध्य प्रदेश राज्य के मैखल पर्वत के अमरकंटक से निकलती हैं। वहां से यह महाराष्ट्र व गुजरात राज्यों में बहती हुई समुंद्र में मिल जाती हैं। नर्मदा अष्टकम के माध्यम से माँ नर्मदा के गुणों, महत्व व शक्तियों का वर्णन किया गया है। साथ ही उनकी उत्पत्ति, उद्देश्य, पुण्य कर्म तथा आशीर्वाद का वर्णन भी किया गया है। यही नर्मदा अष्टक को लिखने का महत्व है।

नर्मदा अष्टक नमामि देवी नर्मदे पढ़ने से हमें नर्मदा माता के बारे में संपूर्ण ज्ञान मिलता है। एक तरह से माँ नर्मदा के संपूर्ण जीवनकाल और उद्देश्य पूर्ति के बारे में इसी नर्मदा अष्टक के माध्यम से पता चल जाता है। इसी कारण श्री नर्मदा अष्टकम का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है। हमें हर दिन श्री नर्मदा अष्टक का पाठ सच्चे मन के साथ करना चाहिए।

नर्मदा अष्टक के लाभ

नर्मदा माता को भगवान शिव से यह आशीर्वाद मिला था कि वे इस संसार में सभी के पापों का नाश करेंगी। इसी कारण जो भी नर्मदा नदी में स्नान करता है या डुबकी लगाता है, मान्यता है कि उसके द्वारा अनजाने में किये गए सभी पापों का नाश हो जाता है। इसके अलावा नर्मदा नदी को हमेशा सुख व आनंद प्रदान करने वाली देवी भी माना जाता है और यह आशीर्वाद भी उन्हें महादेव ने ही दिया था।

ऐसे में यदि आप सच्चे मन के साथ प्रतिदिन श्री नर्मदा अष्टकम का पाठ करते हैं तो आपके मन को शांति व संतोष का अनुभव होता है। आपके द्वारा अनजाने में जो भी पाप या भूल हुई है, वह सभी समाप्त हो जाते हैं और मन निर्मल बनता है। ऐसे में आपको प्रतिदिन श्री नर्मदा अष्टक का पाठ करना चाहिए।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने नर्मदा अष्टक हिंदी में अर्थ (Narmada Ashtak Lyrics In Hindi) सहित पढ़ लिया है। साथ ही आपने नर्मदा अष्टक के लाभ और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

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कृष्णा

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