Namaskar Meaning In Hindi | नमस्ते और नमस्कार में क्या अंतर है?

Namaskar In Hindi

जब भी हम किसी से मिलते हैं तो उनका अभिवादन करते हैं। अभिवादन का यह तरीका हर देश व संस्कृति में अलग-अलग होता है। भारतीय व सनातन संस्कृति में हम एक-दूसरे को नमस्कार करते हैं। अब बहुत से लोगों को नमस्कार का अर्थ (Namaskar In Hindi) नहीं पता होगा। नमस्कार का मतलब (Namaskar Meaning In Hindi) जानने के लिए आपको यह जानना होगा कि नमस्कार किसको किया जाता है

इसे जानकार ही आप समझ पाएंगे कि नमस्कार किसे कहते हैं। साथ ही हम आपको नमस्ते और नमस्कार में क्या अंतर है, इसके बारे में भी बताएँगे क्योंकि बहुत लोग इसे एक ही समझ लेते हैं। तो आइये नमस्कार से जुड़ी हरेक बारीक जानकारी जान लेते हैं।

नमस्कार का अर्थ (Namaskar In Hindi)

नमस्कार भारतीय संस्कृति में अभिवादन करने का एक ऐसा तरीका होता है जो दूसरों को सम्मान देने के उद्देश्य से किया जाता है। एक तरह से अपने से आयु, पद या गुणों में ऊँचे व्यक्तियों को नमस्कार किया जाता है। इसके अलावा समकक्ष लोगों के प्रति अत्यधिक सम्मान प्रकट करने के उद्देश्य से भी नमस्कार किया जाता है।

भारतीय संस्कृति में जब हम अपने से किसी बड़े से मिलते हैं तो उनके पैर छुए जाते हैं। अब यदि आप किसी समारोह में जा रहे हैं या कोई कार्यक्रम है, जहाँ बहुत लोग हैं और आपको एक साथ सभी का अभिवादन करना है तो उस स्थिति में नमस्कार किया जाता है। नमस्कार एक तरह से दूसरों का अभिवादन करना, उनके प्रति अपना सम्मान प्रकट करना, विनम्रता और कृतज्ञता दिखाने से संबंधित होता है।

नमस्कार का मतलब (Namaskar Meaning In Hindi) दूसरों को नमन करने से होता है। यह संस्कृत के नमन शब्द से बना है जिसमें हम दूसरों के सामने झुककर उन्हें नमन या प्रणाम करते हैं। यह एक तरह का संस्कार ही होता है जिस कारण इसमें कार शब्द को जोड़ा गया है। इस तरह से नमस्कार का अर्थ अपने दोनों हाथों को आपस में जोड़कर दूसरों के प्रति सम्मान में झुकने से है।

नमस्ते और नमस्कार में क्या अंतर है? (Namaskar Or Namaste Me Antar)

नमस्कार मुख्यतया अपने से बड़ों को किया जाने वाला अभिवादन है। इसके अलावा यह किसी समूह को भी किया जा सकता है। भगवान को भी नमस्कार किया जाता है, नमस्ते नही। इस अनुसार नमस्कार शब्द का प्रयोग सामान्यतया अपने से बड़े, गुणकारी व दैवीय शक्तियों को किया जाता है।

अब बात करते हैं नमस्ते की। नमस्ते शब्द दो शब्दों के मेल से बना है: “नमः” अर्थात प्रणाम व “ते” अर्थात तुम्हे। इसका अर्थ हुआ कि “तुम्हे प्रणाम”। नमस्ते शब्द का प्रयोग सामान्यतया अपने समकक्ष लोगों के लिए प्रयोग में लाया जाता है। यदि कोई उम्र या गुणों में आपके बराबर है तो उसको नमस्ते किया जाता है।

नमस्कार कैसे करें? (Namaskar Kaise Karen)

नमस्कार करने के लिए आपको अपने दोनों हाथों को पास लाकर अंगूठे व हथेलियों को आपस में मिलाना होता है। आपके दोनों हाथ आपके एक दम सामने होने चाहिए व छाती पर टिके होने चाहिए। सिर नीचे श्रद्धा भाव से झुका हुआ होना चाहिए। मन के अंदर किसी भी प्रकार की कोई कटुता का भाव नही होना चाहिए।

एक तरह से आप नमस्कार करते समय मन को शुद्ध कर तथा शारीरिक भाव से दूसरे को नमन करने की मुद्रा में होते हैं। शरीर व मन के इसी भाव और मुद्रा को ही नमस्कार का सार्थक अर्थ माना जाता है। इसलिए आगे से आप जब भी किसी को नमस्कार करें तो सच्चे मन और सही मुद्रा से करें।

नमस्कार किसको किया जाता है?

आपने ऊपर पढ़ा कि नमस्ते और नमस्कार में क्या अंतर है, और इसे पढ़कर आपको दोनों के बीच सूक्ष्म अंतर का ज्ञान हो गया होगा। फिर भी आपके मन में नमस्कार किसे करना चाहिए और किसे नहीं, इसको लेकर शंका हो रही होगी। ऐसे में अब हम आपको इसके बारे में भी स्पष्ट उत्तर दे देते हैं।

  • ईश्वर: इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि ईश्वर को कभी भी नमस्ते नहीं किया जाता है। ईश्वर का चाहे कैसा भी रूप हो, उन्हें सदैव नमस्कार ही किया जाएगा। उदाहरण के तौर पर भगवान, देवी-देवता, कुल देवता, पितृ देव, स्थानीय देव इत्यादि।
  • महापुरुष: नमस्कार ईश्वर के साथ-साथ उन्हें भी किया जाता है, जिन्होंने इस विश्व व समाज के लिए महान काम किये हैं। उदाहरण के तौर पर आचार्य चाणक्य, महाराणा प्रताप, लाल बहादुर शास्त्री, वीर सावरकर इत्यादि।
  • गुणों में बड़े: जो हमसे गुणों में उच्च है, उन्हें भी नमस्कार किया जाता है। उदाहरण के तौर परगुरु, सन्यासी, साधु, संत, वैरागी इत्यादि।
  • पद में बड़े: जो व्यक्ति हमसे पद में बड़ा है, उन्हें भी अभिवादन के रूप में नमस्कार किया जाता है। एक तरह से अपने से उच्च अधिकारी या नौकरी उच्च पदस्थ व्यक्ति को नमस्कार किया जाता है।
  • आयु में बड़े: गुणों और पद के बाद बारी आती है आयु की। अपने से बड़ों के सम्मान में हमेशा झुका जाता है, फिर चाहे वह उनके पैर छूना हो या नमस्कार करना।
  • विशिष्ट स्थिति: किन्हीं विशिष्ट परिस्थितियों में भी नमस्कार किया जाता है। उदाहरण के तौर पर आप कार्यक्रम में गए हैं तो आप सभी का अभिवादन करने के लिए उन्हें नमस्कार करेंगे।

इस तरह से नमस्कार का अर्थ (Namaskar In Hindi) ही यही होता है कि हम दूसरों के प्रति अपना सम्मान प्रकट कर रहे हैं और उन्हें यथोचित सम्मान दे रहे हैं। एक तरह से अपने से गुणों, पद या आयु में बड़े व्यक्ति के प्रति विनम्रता दिखाने के लिए ही नमस्कार किया जाता है।

नमस्कार करने के फायदे (Namaskar Karne Ke Fayde)

जब आप अपने से बड़ों को नमस्कार करते हैं तो इसका ना केवल धार्मिक अपितु वैज्ञानिक महत्व भी होता है। इससे विभिन्न प्रकार के लाभ हमे मिलते हैं जो शरीर के लिए अत्यंत लाभदायक होते हैं। आज हम ऐसे ही कुछ लाभों के बारे में विस्तार से जानेंगे।

#1. नमस्कार करने का वैज्ञानिक लाभ

हाथ के तंतु मस्तिष्क के तंतुओं से जुड़े होते हैं। जब आप हाथ जोड़कर नमस्कार करते हैं तो आपकी दोनों हथेलियाँ आपस में दबती हैं जिस कारण मस्तिष्क के तंतुओं पर इसका प्रभाव पड़ता है। इस कारण हृदयचक्र व आज्ञाचक्र में सक्रियता आती है तथा वे पहले से बेहतर काम करते हैं।

#2. नमस्कार करने का धार्मिक लाभ

वैज्ञानिक लाभ के साथ-साथ इसका धार्मिक महत्व भी है जो मन में अच्छी भावनाओं का विकास करता है। दरअसल हमारे शरीर में दायीं ओर झड़ा व बायीं ओर पिंगला नाड़ी होती है। हाथ जोड़ने से दोनों एक दूसरे के पास आती है व सिर श्रद्धा से झुका होता है जिससे अच्छी व सकारात्मक भावना का विकास होता है। इससे बड़ों के प्रति हमारे मन में श्रद्धा का भाव बढ़ता है जो हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है।

#3. नमस्कार करने का मनोवैज्ञानिक लाभ

यदि आप ध्यान दें, तो पाएंगे कि जब आप नमस्कार करते हैं और दोनों हाथ आपस में जुड़े होते हैं तो ऐसी मुद्रा में आप जोर से या चिल्ला कर नही बोल पाते हैं। इसी के साथ आप इस मुद्रा में क्रोध नही कर पाते हैं व ना ही हाथ जोड़कर तेज भाग सकते हैं। यह एक प्रकार का मनोवैज्ञानिक दबाव होता है जो व्यक्ति को स्वाभाविक तौर पर विनम्र स्वभाव का बनाता है।

#4. नमस्कार करने का एक्यूप्रेशर लाभ

यह एक प्रकार की एक्यूप्रेशर पद्धति भी है जिसमे आप अपने हाथ के विभिन्न पॉइंट्स को दबाते हैं। जब हम हाथ जोड़कर नमस्कार करते हैं तो इससे हाथ व उँगलियों के कई पॉइंट्स पर दबाव पड़ता है जो हमारे कान, आँख व दिमाग से जुड़े होते हैं। इससे इन पर इसका सीधा प्रभाव पड़ता है। इससे मनुष्य की याददाश्त तेज होती है व स्मरण शक्ति बढ़ती है।

#5. नमस्कार करने का रक्त संचार लाभ

हमारे आधे शरीर में सकारात्मक आयन व बाकि आधे शरीर में नकारात्मक आयन होते हैं। इसलिए नमस्कार करते समय जब हम अपने दोनों हाथों को आपस में जोड़ते हैं तो उससे सकारात्मक व नकारात्मक आयन एक दूसरे के संपर्क में आते हैं व ऊर्जा का प्रवाह होता है। यह क्रिया हमारे शरीर में रक्त संचार को बेहतर करने के लिए एक उत्तम प्रक्रिया होती है।

#6. याददाश्त का मजबूत होना

यह भी नमस्ते करने का एक बहुत बड़ा लाभ है। जब हम किसी को नमस्ते करते हैं तो हाथों के कुछ ऐसे दबाव बिंदुओं पर दबाव पड़ता है जो हमारे दिमाग की कोशिकाओं को पहले की तुलना में ज्यादा तेज करता है और स्मरण शक्ति को भी तेज बनाता है। इस प्रकार जब आप किसी को नमस्ते करते हैं तो उसको हम जल्दी भूलते नही हैं और वह व्यक्ति हमे लंबे समयकाल के लिए याद रहता है।

#7. नमस्कार करने से मन का शांत होना

जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि नमस्कार करने से आपका हृदयचक्र व आज्ञाचक्र सक्रिय हो जाता है। यह दोनों आपके मन को शांत करने और उसको विचलित होने से बचाने में मुख्य भूमिका निभाते हैं। कहने का अर्थ यह हुआ कि जब आप किसी व्यक्ति को नमस्ते करते हैं तो इससे आपके मन को शांत करने में बहुत सहायता मिलती है। इस प्रकार नमस्कार करने के केवल आध्यात्मिक लाभ ही ना होकर कई अन्य लाभ भी होते हैं जो हमारे संपूर्ण विकास में योगदान देते हैं।

निष्कर्ष

आशा है कि ऊपर का लेख पढ़कर आपको नमस्कार के अर्थ (Namaskar In Hindi) के बारे में संपूर्ण ज्ञान हो गया होगा। इसी के साथ ही नमस्कार और नमस्ते के बीच के महीन अंतर का भी पता चल गया होगा। अब आगे से आपको यह पता होगा कि आपको नमस्कार किसे करना चाहिए और नमस्ते किसे बोलना चाहिए। वह इसलिए क्योंकि आज के समय में बहुत लोग अपने से बड़ों को भी नमस्ते करने लगे हैं।

हालाँकि इसमें कोई बुरी बात नहीं है लेकिन उन्हें नमस्कार करना ज्यादा उचित रहता है। अब आगे से जब भी आप अपने से किसी बड़े या गुणकारी मनुष्य से मिलें तो उन्हें नमस्कार करना कदापि ना भूलें। इसी के साथ अपने जीवन में नमस्कार करने की आदत डालें।

नमस्कार के अर्थ से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: नमस्कार का हिंदी में क्या अर्थ होता है?

उत्तर: नमस्कार का हिंदी में अर्थ अपने से गुणों, आयु या पद में बड़े व्यक्ति के सम्मान में झुकने से है इसके लिए दोनों हाथों को जोड़कर उन्हें नमन किया जाता है

प्रश्न: नमस्कार कितने प्रकार के होते हैं?

उत्तर: नमस्कार एक ही तरह का होता है जिसमें हम अपने दोनों हाथों को जोड़कर सामने वाले को नमन करते हैं

प्रश्न: नमस्कार का मतलब उर्दू में क्या होता है?

उत्तर: नमस्कार का मतलब उर्दू में आदाब से होता है जिसे वे एक-दूसरे को अभिवादन करने के लिए करते हैं

प्रश्न: नमस्कार कौन सी भाषा है?

उत्तर: नमस्कार संस्कृत भाषा का शब्द है जिसका उपयोग हिंदी में भी किया जाता है इसका अर्थ नमन करने से है।

प्रश्न: नमस्कार को अंग्रेजी में क्या कहते हैं?

उत्तर: नमस्कार को अंग्रेजी में ग्रीट करना कहते हैं जिसमें दूसरों का अभिवादन करना होता है

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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