आरती

राधा कृष्ण आरती – महत्व व लाभ सहित

मुख्यतया हम या तो कृष्ण भगवान की आरती करते हैं या फिर राधिका जी की लेकिन आप में से बहुत कम लोगों ने राधा कृष्ण की आरती (Radha Krishna Ki Aarti) के बारे में सुना होगा। इसलिए आज हम आपके साथ राधे कृष्ण की आरती लिखित रूप में साँझा करेंगे ताकि आप इस मनोहर आरती का आनंद भी उठा सके।

राधा कृष्ण आरती (Radha Krishna Aarti) की विशेषता यह है कि इसमें हर श्लोक में तीन पंक्तियाँ है और इसकी प्रथम पंक्ति राधा रानी को, द्वितीय पंक्ति श्रीकृष्ण जी को तो अंतिम व तीसरी पंक्ति राधाकृष्ण के रूप को समर्पित है। आइए पढ़ते हैं राधा कृष्ण जी की आरती

Radha Krishna Ki Aarti | राधा कृष्ण की आरती

ॐ जय श्री राधा, जय श्री कृष्ण,
श्रीराधाकृष्णाय नमः॥

चंद्रमुखी चंचल चितचोरी। (राधा)
सुघर सांवरा सूरत भोरी॥ (कृष्ण)

श्यामा श्याम एक सी जोरी। (राधाकृष्ण)
॥ श्रीराधाकृष्णाय नमः ॥

पचरंग चूनर केसर क्यारी। (राधा)
पट पीताम्बर कामर कारी॥ (कृष्ण)

एकरूप अनुपम छवि प्यारी। (राधाकृष्ण)
॥ श्रीराधाकृष्णाय नमः ॥

चंद्र चन्द्रिका चमचम चमके। (राधा)
मोर मुकुट सिर दमदम दमके॥ (कृष्ण)

युगल प्रेम रस झमझम झमके। (राधाकृष्ण)
॥ श्रीराधाकृष्णाय नमः ॥

कस्तूरी कुमकुम जुत बिंदा। (राधा)
चंदन चारु तिलक बृज चंदा॥ (कृष्ण)

सुहृद लाड़ली लाल सुनंदा। (राधाकृष्ण)
॥ श्रीराधाकृष्णाय नमः ॥

घूमघुमारो घांघर सोहे। (राधा)
कटिकछनी कमलापति सोहे॥ (कृष्ण)

कमलासन सुर मुनि मन मोहे। (राधाकृष्ण)
॥ श्रीराधाकृष्णाय नमः ॥

रत्नजड़ित आभूषण सुंदर। (राधा)
कौस्तुभमणि कमलांकित नटवर॥ (कृष्ण)

रणत्क्कणत मुरली ध्वनि मनहर। (राधाकृष्ण)
॥ श्रीराधाकृष्णाय नमः ॥

मंद हँसन मतवारे नैना। (राधा)
मनमोहन मन हारे सैना॥ (कृष्ण)

मृदु मुसुकावनि मीठे बैना। (राधाकृष्ण)
॥ श्रीराधाकृष्णाय नमः ॥

श्रीराधा भव बाधा हारी। (राधा)
संकट मोचन कृष्ण मुरारी॥ (कृष्ण)

एक शक्ति एकहि आधारी। (राधाकृष्ण)
॥ श्रीराधाकृष्णाय नमः ॥

जगज्योति जगजननी माता। (राधा)
जगजीवन जग-पितु जग-दाता॥ (कृष्ण)

जगदाधार जगद्विख्याता। (राधाकृष्ण)
॥ श्रीराधाकृष्णाय नमः ॥

राधा राधा कृष्ण कन्हैया। (राधा)
भव भय सागर पार लगैया॥ (कृष्ण)

मंगल मूरति मोक्ष करैया। (राधाकृष्ण)
॥ श्रीराधाकृष्णाय नमः ॥

सर्वेश्वरी सर्व दुःख दाहन। (राधा)
त्रिभुवनपति, त्रयताप नसावन॥ (कृष्ण)

परम देवी, परमेश्वर पावन। (राधाकृष्ण)
॥ श्रीराधाकृष्णाय नमः ॥

त्रिसमय युगलचरण चित ध्यावे।
सो नर जगत परमपद पावे॥

राधाकृष्ण छैल मन भावे।
॥ श्रीराधाकृष्णाय नमः ॥

इस तरह से आज आपने राधा कृष्ण आरती (Radha Krishna Aarti) पढ़ ली है। अब हम राधा कृष्ण की आरती पढ़ने से मिलने वाले लाभ और उसके महत्व को भी जान लेते हैं।

राधा कृष्ण आरती का महत्व

राधा कृष्ण की आरती के माध्यम से हमें श्रीकृष्ण और माता राधा के गुणों, शक्तियों, महिमा, महत्व इत्यादि के बारे में जानकारी मिलती है। श्रीकृष्ण भगवान विष्णु का एक ऐसा पूर्ण अवतार है जो सभी गुणों से संपन्न है। उन्होंने अपने पूरे जीवनकाल में एक नहीं बल्कि कई उद्देश्यों को पूरा किया है। अपने कर्मों के द्वारा उन्होंने हमें कई तरह की शिक्षा भी दी है।

श्रीकृष्ण ने द्वापर युग में ही कलियुग के अंत तक की शिक्षा दे दी थी। जैसे-जैसे कलियुग का समयकाल आगे बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे ही श्रीकृष्ण भी अधिक प्रासंगिक होते जा रहे हैं। ऐसे में राधाकृष्ण के बारे में और अधिक जानने और उनके गुणों को आत्मसात करने के उद्देश्य से ही राधा कृष्ण की आरती का पाठ किया जाता है। यहीं राधा कृष्ण आरती का महत्व है।

राधा कृष्ण की आरती के फायदे

यदि आप प्रतिदिन सच्चे मन के साथ राधा कृष्ण आरती का पाठ करते हैं तो इससे श्रीकृष्ण और राधिका आपसे प्रसन्न होते हैं। दोनों के प्रसन्न होने का अर्थ हुआ, आपकी सभी तरह की दुविधाओं, संकटों, कष्टों, परेशानियों, विघ्नों, दुविधाओं, उलझनों, मतभेदों, समस्याओं, नकारात्मकता, द्वेष, ईर्ष्या, इत्यादि का अंत हो जाना।

श्रीकृष्ण और माता राधा की कृपा से हमारा जीवन सरल हो जाता है, घर में सुख-शांति का वास होता है, व्यापार, करियर व नौकरी में उन्नति होती है, शिक्षा में अव्वलता आती है, स्वास्थ्य उत्तम होता है, रिश्ते मधुर बनते हैं और समाज में प्रतिष्ठा में बढ़ोत्तरी देखने को मिलती है। इसलिए आपको शुद्ध तन, निर्मल मन और स्वच्छ स्थान पर राधा कृष्ण की आरती का पाठ करना चाहिए।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने राधा कृष्ण की आरती (Radha Krishna Ki Aarti) को अर्थ सहित पढ़ लिया है। आशा है कि आपको धर्मयात्रा संस्था के द्वारा दी गई यह जानकारी पसंद आई होगी। यदि आप अपनी प्रतिक्रिया देना चाहते हैं या इस विषय पर हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो आप नीचे कमेंट कर सकते हैं। हमारी और से आप सभी को जय श्रीकृष्ण।

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कृष्णा

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