राधा जी की आरती | Radha Ji Ki Aarti

Radha Ji Ki Aarti

राधा के बिना कृष्ण अधूरे हैं तो कृष्ण के बिना राधा। इसलिए आज हम राधा जी की आरती (Radha Ji Ki Aarti) आपको लिखित रूप में देंगे। राधा आरती (Radha Aarti) में आरती श्री वृषभानुसुता की (Aarti Shri Vrishbhanu Suta Ki) अत्यंत प्रसिद्ध है। इसलिए इस लेख में आपको राधा जी की आरती संपूर्ण रूप में पढ़ने को मिलेगी।

राधा जी की आरती (Radha Ji Ki Aarti)

आरती श्री वृषभानुसुता की,

मंजु मूर्ति मोहन ममता की।।

त्रिविध तापयुत संसृति नाशिनि,

विमल विवेक विराग विकासिनि,

पावन प्रभु-पद-प्रीति प्रकाशिनि,

सुन्दरतम छवि सुन्दरता की।।

मुनि-मन-मोहन मोहन-मोहनि,

मधुर मनोहर मूरति सोहनि,

अविरल प्रेम अमिय रस दोहनि,

प्रिय अति सदा सखी ललिता की।।

संतत सेव्य संत मुनि जनकी,

आकर अमित दिव्यगुन गन की,

आकर्षिणी कृष्ण तन मन की,

अति अमूल्य सम्पति समता की।।

कृष्णात्मिका, कृष्ण सहचारिणि,

चिन्मयवृन्दा विपिन विहारिणि,

जगजननि जग दुखनिवारिणि,

आदि अनादि शक्ति विभुता की।

आरती श्री वृषभानुसुता की।

मंजु मूर्ति मोहन ममता की।।

आरती श्री वृषभानुसुता की।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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