राक्षस विवाह (Rakshas Vivah): मनुस्मृति के अनुसार विवाह के कुल आठ प्रकार बताए गए हैं। इनमें से पहले पांच को अच्छा विवाह माना गया हैं जिनमे ब्रह्म विवाह सबसे श्रेष्ठ विवाह हैं। विवाह के अंतिम तीन प्रकार अनुचित विवाह की श्रेणी में रखे गए हैं जिसमे से एक राक्षस विवाह हैं।
हालाँकि अन्य दो अनुचित विवाहों की तुलना में राक्षस विवाह उनसे बेहतर हैं लेकिन फिर भी इसे निम्न श्रेणी में ही रखा गया है। ऐसे में आपके मन में प्रश्न उठ रहा होगा कि आखिरकार यह राक्षस विवाह क्या है (Rakshasa Vivah) और यह कैसे होता है!! इसलिए आज हम आपके साथ राक्षस विवाह के बारे में संपूर्ण जानकारी साँझा करेंगे।
यह एक तरह से गंधर्व विवाह का ही एक रूप हैं। गंधर्व विवाह को हम वर्तमान के परिप्रेक्ष्य में प्रेम विवाह भी कह सकते हैं जिसमें कन्या व पुरुष अपने परिवार की आज्ञा के बिना एक-दूसरे से विवाह कर लेते हैं।
राक्षस विवाह में वर पक्ष के लोग तो विवाह के लिए तैयार होते हैं लेकिन कन्या पक्ष के लोग इसके विरुद्ध होते हैं। इसमें कन्या को बहलाना-फुसलाना, उससे झूठे वादे करना इत्यादि सब कुछ सम्मिलित हैं। हालाँकि यह आवश्यक नही कि इसमें कन्या के साथ कोई धोखा या छल किया जा रहा हो।
इसलिये जब वर पक्ष के लोग विवाह के लिए तैयार हो लेकिन कन्या पक्ष के विरुद्ध तब वर पक्ष के द्वारा कन्या का जबरदस्ती अपहरण करके किया जाने वाला विवाह Rakshasa Vivah की श्रेणी में आता हैं। अब चाहे वह विवाह कन्या को सब सच बताकर किया गया हो या फिर उसे धोखे में रखकर लेकिन यदि उसमें कन्या की सहमति है किन्तु उसके परिवार की नहीं, तो उसे राक्षस विवाह कहा जाता है।
Rakshas Vivah होने के लिए सर्वप्रथम कन्या की सहमति होना आवश्यक होता हैं अन्यथा वह पैशाच विवाह की श्रेणी में आ जाता हैं क्योंकि उसमे कन्या की अनुमति की आवश्यकता नही होती। इसलिये कन्या की सहमति के द्वारा उसका अपहरण करके या उसे अपने साथ भगा ले जाकर उससे विवाह कर लिया जाता हैं।
हालाँकि कन्या का अपहरण करने के पश्चात उसका उस पुरुष के साथ पूरे विधि-विधान के साथ विवाह संपन्न करवाया जाता है। इसमें कन्या का ब्रह्मचर्य आश्रम से निकलकर गृहस्थ आश्रम में प्रवेश करना भी आवश्यक होता हैं अर्थात बालिग कन्या का ही अपहरण किया जा सकता है।
यदि आप Rakshas Vivah को उदाहरण के द्वारा समझाना चाहे तो इसका सर्वश्रेठ उदाहरण हमारे ईश्वर स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी से विवाह करके दे दिया था। रुक्मिणी से विवाह करने को कृष्ण पक्ष के लोग तो तैयार थे लेकिन रुक्मिणी के पक्ष की ओर से नही। तब श्रीकृष्ण ने देवी माँ के मंदिर से रुक्मिणी का उनकी आज्ञा से अपहरण कर विवाह किया था जो राक्षस विवाह की श्रेणी में आता है।
ठीक इसी प्रकार श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा का अर्जुन से हुआ विवाह भी राक्षस विवाह की श्रेणी के अंतर्गत ही आता हैं। इतिहास में कई और ऐसे उदाहरण मिल जाएंगे जिसमे राक्षस विवाह हुआ हैं जैसे कि महाराज पृथ्वीराज चौहान का राजकुमारी संयोगिता के साथ हुआ विवाह इत्यादि। इस तरह से आज आपने राक्षस विवाह क्या है (Rakshasa Vivah) और यह किन परिस्थितियों में होता है, इसके बारे में समूची जानकारी ले ली है।
राक्षस विवाह से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: राक्षस विवाह किसे कहते हैं?
उत्तर: जब किसी विवाह के लिए लड़का व लड़की दोनों तैयार हो। साथ ही इसमें लड़के के घरवाले तैयार हो लेकिन लड़की के घरवाले नहीं, तो उस स्थिति में किया गया विवाह राक्षस विवाह की श्रेणी में आता है।
प्रश्न: राक्षस विवाह क्या होता है?
उत्तर: राक्षस विवाह वह विवाह होता है जिसमें लड़की, लड़का, लड़के के घरवाले उस विवाह या रिश्ते से सहमत होते हैं जबकि लड़की के घरवाले असहमत।
प्रश्न: राक्षस विवाह से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: राक्षस विवाह का अर्थ होता है लड़का व लड़की एक-दूसरे को पसंद करते हो। साथ ही लड़के के घरवाले भी इसके लिए तैयार हो लेकिन लड़की के घरवाले नहीं।
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