सहस्त्रबाहु और रावण का युद्ध (Sahastrabahu Aur Ravan Ka Yudh) बहुत ही भीषण था। हम सभी यह तो जानते हैं कि दुष्ट राजा रावण का वध भगवान श्रीराम के हाथों हुआ था। इससे पहले भी वह कई राजाओं से हार चुका था जिसमें से किष्किन्धा नरेश बालि से हुई पराजय प्रमुख है।
इतना ही नहीं, एक बार रावण का महिष्मति के राजा सहस्त्रबाहु से भी भयंकर युद्ध हुआ था जिसमें उसकी बुरी तरह पराजय हुई थी। आज हम आपको रावण और सहस्त्रबाहु का युद्ध (Ravan Aur Sahastrabahu Ka Yudh) और उस समय के घटनाक्रम के बारे में विस्तार से बताएँगे।
जब रावण लंका पर राज कर था तब समुंद्र के उस पार महिष्मति नदी के किनारे राजा सहस्त्रबाहु का राज्य था। सहस्त्रबाहु बहुत शक्तिशाली राजा था जिसकी एक हज़ार विशाल भुजाएं थी। इसी कारण उसे सहस्त्रबाहु के नाम से जाना जाता था अर्थात हजार भुजाओं वाला। वास्तव में उसका नाम सहस्त्रार्जुन था। वर्तमान में उसका राज्य मध्यप्रदेश में नर्मदा नदी के किनारे माना जा सकता है।
रावण के अंदर पृथ्वी के साथ-साथ तीनों लोकों पर अपना अधिकार करने की लालसा थी। इसी के लिए वह समय-समय पर विभिन्न राज्यों पर आक्रमण करके उन्हें अपने अधिकार क्षेत्र में ले लिया करता था। रावण के इसी विश्व विजयी अभियान के कारण सब जगह भय व्याप्त था।
एक बार रावण अपने विश्व विजय अभियान के लिए महिष्मति नगरी पर आक्रमण करने आया था। युद्ध से पहले वह नर्मदा नदी के किनारे भगवान शिव की आराधना कर रहा था। उसके लिए उसने नर्मदा के घाट पर शिवलिंग की स्थापना की तथा विधिवत रूप से पूजा-अर्चना करने लगा।
उसी समय नर्मदा नदी के उस ओर राजा सहस्त्रबाहु अपनी पत्नियों के संग स्नान करने आये हुए थे। वे उन सभी के साथ जल क्रीड़ा कर रहे थे। उन्होंने अपना पराक्रम दिखाने के लिए अपने हज़ार हाथों का प्रयोग करते हुए नर्मदा नदी का बहाव दोनों ओर से रोक दिया।
नर्मदा नदी का बहाव रुक जाने से रावण की पूजा का सारा सामान भी नदी में बह गया तथा उसका ध्यान भंग हो गया। यह देखकर वह अत्यधिक क्रोधित हो गया तथा इसी अहंकार में उसने राजा सहस्त्रबाहु को युद्ध की चुनौती दे डाली।
राजा सहस्त्रबाहु ने भी रावण की चुनौती स्वीकार कर ली तथा दोनों के बीच भीषण युद्ध शुरू हो गया। कई देर तक यह युद्ध चलता रहा लेकिन अंत में राजा सहस्त्रबाहु ने अपने हज़ार हाथों के बल का प्रयोग करते हुए रावण को उसमे जकड़ लिया। रावण ने उसके हाथों से निकलने का बहुत प्रयास किया लेकिन असफल रहा। इस प्रकार राजा सहस्त्रबाहु ने रावण को पराजित कर दिया तथा उसे अपने कारावास में बंदी बना लिया।
जब कई दिनों तक रावण सहस्त्रबाहु के कारावास में रहा तो लंका राज्य में चिंता होने लगी। सभी अपने राजा रावण को ना पाकर चिंतित थे और वहां की सेना नेतृत्वविहीन ही चुकी थी। तब महर्षि पुलत्स्य जो रावण के दादा भी थे, वे महिष्मति नगरी गए और सहस्त्रबाहु से मिले।
उन्होंने सहस्त्रबाहु को रावण को छोड़ देने का आग्रह किया ताकि लंका का संचालन सुचारू रूप से हो सके। ऋषि पुलत्स्य के कहने के पश्चात सहस्त्रबाहु ने रावण को कारावास से मुक्त कर दिया। इसके बाद रावण चुपचाप अपनी नगरी लंका आ गया। इस तरह से सहस्त्रबाहु और रावण का युद्ध (Sahastrabahu Aur Ravan Ka Yudh) रावण के लिए एक कलंक था।
सहस्त्रबाहु रावण युद्ध से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: क्या सहस्त्रबाहु ने रावण को हराया था?
उत्तर: जी हां, महिष्मति के राजा सहस्त्रबाहु ने रावण को बहुत बुरी तरह से हराया था और कई दिनों तक उसे अपने कारावास में बंदी बनाकर भी रखा था।
प्रश्न: क्या कलयुग में रावण लौटेगा?
उत्तर: रावण का अंत भगवान श्रीराम ने अपने ब्रह्मास्त्र से कर दिया था। ऐसे में रावण का अंत उसी समय हो गया था। कलियुग में रावण तो नही लेकिन रावण के जैसी असुरी प्रवृत्तियां लोगों के मन में लौटने लगी है।
प्रश्न: रावण का शव अभी कहां है?
उत्तर: रावण का शव अभी कहीं नहीं है। त्रेता युग में भगवान श्रीराम के द्वारा मृत्यु हो जाने के पश्चात लंकावासियों ने रावण का अंतिम संस्कार कर दिया था।
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