रक्षाबंधन कहानी (Raksha Bandhan Kahani) एक नहीं बल्कि कई हैं। इसमें कुछ पौराणिक कहानियां है तो कुछ ऐतिहासिक। इसी क्रम में रक्षाबंधन के त्यौहार से आचार्य चाणक्य के समय की एक रोचक कहानी जुड़ी हुई है। यह उस समय की बात है जब भारत देश की सीमा पाकिस्तान, अफगानिस्तान तक थी जो उस समय कैकेय, गांधार, पंजाब इत्यादि नाम से प्रख्यात थे।
कैकेय प्रदेश के शक्तिशाली राजा का नाम पुरु/ पोरस था जिससे आसपास के राजा भी भय खाते थे। उस समय विश्व विजय पर निकला रोमन राजा सिकंदर/ अलेग्जेंडर भारत देश की ओर बढ़ रहा था। आइए जानते हैं उस समय की रक्षाबंधन से जुड़ी कथा (History Of Raksha Bandhan In Hindi) के बारे में।
उस समय सिकंदर कई देशों को जीतता हुआ आगे बढ़ रहा था। उसकी सेना ने कई राष्ट्रों की सेनाओं का विनाश कर डाला था तथा कई राजाओं का वध कर दिया था। कुछ राजाओं ने उसकी अधीनता स्वीकार कर ली थी तथा जिन्होंने नहीं की थी वे मारे गए थे।
जब वह भारत की भूमि पर पहुँचा तो झेलम नदी के उस पार राजा पुरु का राज्य था। उस राज्य को जीतकर ही मुख्य भारत की भूमि में प्रवेश किया जा सकता था। किंतु राजा पुरु अन्य किसी राजा से अत्यधिक शक्तिशाली थे जिनके पास असंख्य हाथियों की विशाल सेना थी। उनके एक साथ चलने मात्र से ही धरती थरथराने लग जाती थी।
यह घटनाक्रम उसी समय घटित हुआ था जिस कारण इसका जुड़ाव रक्षाबंधन (Story Of Raksha Bandhan In Hindi) से माना जाता है। आइए जाने उस समय क्या कुछ घटित हुआ था।
उस समय सिकंदर का राजा पुरु से युद्ध होने से पहले उसकी पत्नी रोक्साना राजा पुरु के पास आती है। वह उन्हें अपना भाई बनाते हुए उनके हाथ में रक्षा सूत्र बांधती है। राजा पुरु भी उसका पूरा आदर-सत्कार करते हैं तथा उसे अपनी बहन के रूप में स्वीकार करते हैं। रोक्साना राजा पुरु से वचन लेती है कि यदि वह सिकंदर को हरा भी देते हैं तो उनका वध नहीं करेंगे। राजा पुरु उसका यह आग्रह स्वीकार कर लेते हैं।
इसके बाद सिकंदर तथा राजा पुरु की सेना के बीच भयानक युद्ध होता है। एक ओर सिकंदर की सेना घोड़ों पर सवार होती है तो दूसरी ओर राजा पुरु की सेना हाथियों पर आती है। यह युद्ध बहुत भीषण था तथा अंत में सिकंदर का घोड़ा मारा जाता है और वह घायल होकर धरती पर गिर पड़ता है।
राजा पुरु शत्रुओं के रक्त से लथपथ होते हैं तथा वह अपना भाला हवा में उठाकर सिकंदर का वध करने जा ही रहे होते हैं कि उन्हें अपनी बहन रोक्साना का बांधा रक्षा सूत्र हाथ में बंधा दिखाई देता है। अपनी बहन को दिए वचन के अनुसार राजा पुरु उस समय सिकंदर का वध नहीं करते। दूसरी ओर सिकंदर की सेना ने यह दृश्य प्रथम बार देखा था। वह भयभीत होकर जल्दी से सिकंदर को वहाँ से सुरक्षित निकालकर ले जाती है।
इस प्रकार राजा पुरु/ पोरस ने अपने भाई का कर्तव्य निभाते हुए अपनी बहन के सुहाग की रक्षा की थी। अब यह रक्षाबंधन कहानी (Raksha Bandhan Kahani) कितनी सच्ची है और कितनी नहीं, इसकी पुष्टि नहीं की जा सकती है। वह इसलिए क्योंकि इतिहासकारों के द्वारा इस पर भिन्न-भिन्न टिप्पणियां देखने को मिलती है।
रक्षाबंधन कहानी से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है कहानी बताइए?
उत्तर: रक्षाबंधन विभिन्न कारणों से मनाया जाता है। इसके पीछे की मुख्य कहानी भगवान श्रीकृष्ण व द्रौपदी से जुड़ी हुई है। द्रौपदी ने श्रीकृष्ण को अपना धर्म भाई बनाया हुआ था और उन्हें राखी बाँधा करती थी तभी से रक्षाबंधन मनाया जाता है।
प्रश्न: रात में राखी क्यों नहीं बांधी जाती?
उत्तर: ऐसा कुछ नहीं है। यह केवल और केवल मुहूर्त पर निर्भर करता है। अब मुहूर्त जिस भी समय का निकलता है, उसी समय ही राखी बाँधी जाती है।
प्रश्न: लड़कियां किस हाथ में राखी पहनती हैं?
उत्तर: लड़कियों को सामान्य तौर पर बाएं हाथ में राखी बाँधी जाती है जबकि लड़कों को दाहिने हाथ में राखी बंधवानी होती है।
प्रश्न: क्या मां बेटे को राखी बांध सकती है?
उत्तर: नहीं, मां बेटे को राखी नहीं बांध सकती है। यह भाई-बहन के बीच का त्यौहार होता है। ऐसे में माँ के द्वारा अपने बेटे को राखी नहीं बाँधी जा सकती है।
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Very impresive.