कश्मीर में संकटा देवी का मंदिर है जो अपने आप में अद्भुत है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहाँ स्थित संकटा माता की मूर्ति दिन में तीन बार अपना रंग रूप बदलती है। सुबह के समय मातारानी कन्या रूप में, दोपहर में यौवन अवस्था में तो शाम को प्रौढ़ावस्था का रूप लिए होती हैं। संकटा माता को कश्मीरी पंडितों की कुलदेवी माना जाता है। ऐसे में आज हम आपके साथ संकटा माता की आरती (Sankata Mata Ki Aarti) का पाठ ही करने जा रहे हैं।
आज के इस लेख में आपको ना केवल संकटा मैया की आरती (Sankata Maiya Ki Aarti) पढ़ने को मिलेगी बल्कि उसी के साथ ही संकटा आरती हिंदी अर्थ सहित (Sankata Aarti In Hindi) भी जानने को मिलेगी। लेख के अंत में हम आपके साथ संकटा माता आरती का महत्व व लाभ भी सांझा करेंगे। तो आइये सबसे पहले करते हैं श्री संकटा माता जी की आरती।
जय जय संकटा भवानी, करहूं आरती तेरी।
शरण पड़ी हूँ तेरी माता, अरज सुनहूं अब मेरी॥
जय जय संकटा भवानी॥
नहिं कोउ तुम समान जग दाता, सुर-नर-मुनि सब टेरी।
कष्ट निवारण करहु हमारा, लावहु तनिक न देरी॥
जय जय संकटा भवानी॥
काम-क्रोध अरु लोभन के वश पापहि किया घनेरी।
सो अपराधन उर में आनहु, छमहु भूल बहु मेरी॥
जय जय संकटा भवानी॥
हरहु सकल सन्ताप हृदय का, ममता मोह निबेरी।
सिंहासन पर आज बिराजें, चंवर ढ़ुरै सिर छत्र-छतेरी॥
जय जय संकटा भवानी॥
खप्पर, खड्ग हाथ में धारे, वह शोभा नहिं कहत बनेरी।
ब्रह्मादिक सुर पार न पाये, हारि थके हिय हेरी॥
जय जय संकटा भवानी॥
असुरन्ह का वध किन्हा, प्रकटेउ अमत दिलेरी।
संतन को सुख दियो सदा ही, टेर सुनत नहिं कियो अबेरी॥
जय जय संकटा भवानी॥
गावत गुण-गुण निज हो तेरी, बजत दुंदुभी भेरी।
अस निज जानि शरण में आयऊं, टेहि कर फल नहीं कहत बनेरी॥
जय जय संकटा भवानी॥
जय जय संकटा भवानी, करहूं आरती तेरी।
भव बंधन में सो नहिं आवै, निशदिन ध्यान धरीरी॥
जय जय संकटा भवानी, करहूं आरती तेरी।
शरण पड़ी हूँ तेरी माता, अरज सुनहूं अब मेरी॥
जय जय संकटा भवानी, करहूं आरती तेरी।
शरण पड़ी हूँ तेरी माता, अरज सुनहूं अब मेरी॥
हे संकटा भवानी माँ!! आपकी जय हो, जय हो। मैं सच्चे मन के साथ आपके नाम की आरती करता हूँ। मैं आपकी शरण में पड़ा हुआ हूं और अब आप मेरी प्रार्थना को सुन लीजिये।
नहिं कोउ तुम समान जग दाता, सुर-नर-मुनि सब टेरी।
कष्ट निवारण करहु हमारा, लावहु तनिक न देरी॥
आपके समान इस जगत में कोई भी दूसरा नहीं है अर्थात आपके गुण सभी से भिन्न है। देवता, मनुष्य व ऋषि-मुनि सभी आपका ही ध्यान करते हैं। अब आप बिना देरी किये मेरे कष्टों को दूर कर दीजिये।
काम-क्रोध अरु लोभन के वश पापहि किया घनेरी।
सो अपराधन उर में आनहु, छमहु भूल बहु मेरी॥
मैंने अभी तक काम, क्रोध और लाभ के वश में आकर कई तरह के पाप किये हैं। हे संकटा माता!! आप तो मेरी माता हैं और अब आप मेरे हृदय में उतर कर मेरे सभी अपराध के लिए मुझे क्षमा कर दीजिये।
हरहु सकल सन्ताप हृदय का, ममता मोह निबेरी।
सिंहासन पर आज बिराजें, चंवर ढ़ुरै सिर छत्र-छतेरी॥
हे संकटा माता!! आप मेरे मन में मची उथल-पुथल को दूर कर दीजिये और मुझ पर अपनी ममता की छाया कीजिये। आप सिंहासन पर विराजती हैं, सिर पर छत्र है और आपके भक्तों के द्वारा आपको चंवर किया जा रहा है।
खप्पर, खड्ग हाथ में धारे, वह शोभा नहिं कहत बनेरी।
ब्रह्मादिक सुर पार न पाये, हारि थके हिय हेरी॥
आपने अपने हाथों में खप्पर व खड्ग पकड़ी हुई है और इससे आपकी शोभा और भी बढ़ गयी है। स्वयं भगवान ब्रह्मा भी आपको पार नहीं पा सकते हैं और श्रीहरि भी आपकी आराधना करते हैं।
असुरन्ह का वध किन्हा, प्रकटेउ अमत दिलेरी।
संतन को सुख दियो सदा ही, टेर सुनत नहिं कियो अबेरी॥
आपने ही क्रूर असुरों का उनकी सेना सहित वध कर दिया था और भक्तों की रक्षा की थी। आपने बिना देरी किये अपने भक्तों और संतानों को सुख प्रदान करने का काम किया है।
गावत गुण-गुण निज हो तेरी, बजत दुंदुभी भेरी।
अस निज जानि शरण में आयऊं, टेहि कर फल नहीं कहत बनेरी॥
आपकी महिमा के गुण तो हम सभी गाते हैं और आपके स्वागत में दुंदुभी बजायी जाती है। मैं आपका दास आपकी शरण में आया हूँ और अब आप बिना देरी किये मुझे फल प्रदान करें।
जय जय संकटा भवानी, करहूं आरती तेरी।
भव बंधन में सो नहिं आवै, निशदिन ध्यान धरीरी॥
हे माँ संकटा भवानी!! आपकी जय हो, जय हो। मैं आपके नाम की आरती करता हूँ। जो कोई भी दिनरात माँ संकटा के नाम का ध्यान करता है, उसे इस सांसारिक मोहमाया से मुक्ति मिल जाती है।
संकटा माता केवल कश्मीरी लोगों की ही कुलदेवी नहीं है बल्कि इनके मंदिर देश में कई जगह बने हुए हैं जहाँ लाखों लोगों के द्वारा इनकी पूजा अर्चना की जाती है। ऐसे में संकटा माता के दरबार में इतनी भीड़ इसलिए जुटती है क्योंकि उनके द्वारा अपने भक्तों के हर संकट का निवारण कर दिया जाता है और उनके जीवन में खुशियाँ भर दी जाती है।
ऐसे में संकटा माता की आरती के माध्यम से माता संकटा के गुणों, शक्तियों व उपासना के महत्व को दर्शाया गया है। इसके माध्यम से यह बताने का प्रयास किया गया है कि संकटा माता हम सभी का किस तरह से उद्धार करती हैं और किन गुणों के कारण उनकी पूजा की जाती है। यही संकटा मैया की आरती का महत्व होता है।
अब यदि आप प्रतिदिन सच्चे मन के साथ संकटा माता का ध्यान करके संकटा आरती का पाठ करते हैं तो अवश्य ही संकटा माता की कृपा आप पर और आपके परिवार पर बरसती है। यदि किसी व्यक्ति की भक्ति से संकटा माता प्रसन्न हो जाती हैं तो उसके ऊपर आया हर संकट टल जाता है और उसके जीवन में आ रही सभी तरह की बाधाएं अपने आप ही दूर होने लगती हैं।
एक तरह से संकटा माता की आरती के माध्यम से हमारा जीवन सुगम बनता है और हमें हर तरह की कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना करने की शक्ति मिलती है। आगे का मार्ग प्रशस्त बनता है और हम बिना किसी चिंता के उस पर बढ़ते चले जाते हैं। इस तरह से अपने भक्तों के जीवन को सुगम बनाना ही संकटा मैया की आरती का मुख्य लाभ होता है।
संकटा माता की आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: संकटा माता की पूजा कैसे की जाती है?
उत्तर: संकटा माता की पूजा करने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान इत्यादि करके संकटा माता की मूर्ति या चित्र के सामने बैठकर उनका ध्यान करना चाहिए और फिर सच्चे मन के साथ संकटा माता की आरती करनी चाहिए।
प्रश्न: संकटा माता की पूजा कब करनी चाहिए?
उत्तर: संकटा माता की पूजा आप दिन के किसी भी समय कर सकते हैं। हालाँकि सुबह उनके बाल रूप, दोपहर में उनके युवा रूप और शाम में उनके व्यस्क रूप की पूजा की जाती है।
प्रश्न: संकटा माता की पूजा क्यों की जाती है?
उत्तर: जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि संकटा माता की पूजा करने से भक्तों के हर तरह के दुःख समाप्त होते हैं और उनका जीवन खुशियों से भर जाता है।
प्रश्न: संकटा का मतलब क्या होता है?
उत्तर: संकटा का अर्थ होता है वह जो संकट के समय में साथ दे या संकट आने पर उससे लड़ने का साहस दिखाए।
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