आज हम आपको शिव चालीसा लिखित मे (Shiv Chalisa) देने जा रहे हैं। भगवान शिव जी की चालीसा हमें उनके महत्व, शक्तियां, रूप, गुण, विशेषता इत्यादि के बारे में बताती है। ऐसे में यदि आप शिव चालीसा का नित्य रूप से पाठ करते हैं तो आप ना केवल शिवजी के गुणों को ग्रहण करते हैं बल्कि उन्हें प्रसन्न भी करते हैं।
जो भक्त प्रतिदिन शिव चालीसा का पाठ करते हैं, उनके लिए हम शिव चालीसा हिंदी में PDF (Shiv Chalisa PDF) फाइल और शिव चालीसा फोटो दोनों ही साझा करने जा रहे हैं। इसे आप डाउनलोड कर अपने मोबाइल में सेव करके रख सकते हैं। तो आइए सबसे पहले पढ़ते हैं श्री शिव चालीसा।
॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन,
मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम,
देहु अभय वरदान॥
॥ चौपाई ॥
जय गिरजापति दीन दयाला,
सदा करत सन्तन प्रतिपाला।
भाल चन्द्रमा सोहत नीके,
कानन कुण्डल नागफनी के।
अंग गौर शिर गंग बहाये,
मुण्डमाल तन क्षार लगाए।
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे,
छवि को देख नाग मन मोहे।
मैना मातु कि हवे दुलारी,
बाम अंग सोहत छवि न्यारी।
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी,
करत सदा शत्रुन क्षयकारी।
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे,
सागर मध्य कमल हैं जैसे।
कार्तिक श्याम और गणराऊ,
या छवि को कहि जात न काऊ।
देवन जबहीं जाय पुकारा,
तबहीं दुःख प्रभु आप निवारा।
किया उपद्रव तारक भारी,
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी।
तुरत षडानन आप पठायउ,
लव निमेष महँ मारि गिरायउ।
आप जलंधर असुर संहारा,
सुयश तुम्हार विदित संसारा।
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई,
सबहिं कृपा कर लीन बचाई।
किया तपहिं भागीरथ भारी,
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी।
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं,
सेवक स्तुति करत सदाहीं।
वेद नाम महिमा तव गाई,
अकथ अनादि भेद नहिं पाई।
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला,
जरे सुरासुर भये विहाला।
कीन्हीं दया तहं करी सहाई,
नीलकण्ठ तब नाम कहाई।
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा,
जीत के लंक विभीषण दीन्हा।
सहस कमल में हो रहे धारी,
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी।
एक कमल प्रभु राखेउ जोई,
कमल नयन पूजन चहं सोई।
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर,
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर।
जय जय जय अनन्त अविनाशी,
करत कृपा सब के घटवासी।
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै,
भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै।
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो,
येहि अवसर मोहि आन उबारो।
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो,
संकट से मोहि आन उबारो।
मात-पिता भ्राता सब होई,
संकट में पूछत नहिं कोई।
स्वामी एक है आस तुम्हारी,
आय हरहु मम संकट भारी।
धन निर्धन को देत सदाहीं,
जो कोई जांचे सो फल पाहीं।
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी,
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी।
शंकर हो संकट के नाशन,
मंगल कारण विघ्न विनाशन।
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं,
नारद शारद शीश नवावैं।
नमो नमो जय नमः शिवाय,
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय।
जो यह पाठ करे मन लाई,
ता पर होत हैं शम्भु सहाई।
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी,
पाठ करे सो पावन हारी।
पुत्रहीन इच्छा कर जोई,
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई।
पंडित त्रयोदशी को लावे,
ध्यान पूर्वक होम करावे।
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा,
ताके तन नहीं रहै कलेशा।
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे,
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे।
जन्म जन्म के पाप नसावे,
अन्त धाम शिवपुर में पावे।
कहै अयोध्यादास आस तुम्हारी,
जानि सकल दुःख हरहु हमारी।
॥ दोहा ॥
नित्त नेम कर प्रातः ही,
पाठ करौं चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना,
पूर्ण करो जगदीश॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु,
संवत चौसठ जान।
अस्तुति चालीसा शिवहि,
पूर्ण कीन कल्याण॥
इस तरह से आज आपने शिव चालीसा लिखित मे पढ़ ली है। अब हम आपके साथ शिव चालीसा हिंदी में PDF (Shiv Chalisa PDF) फाइल और शिव चालीसा फोटो भी साझा कर देते हैं।
यह रही शिव चालीसा की फोटो:
यदि आप मोबाइल में इसे देख रहे हैं तो फोटो पर क्लिक करके रखिए। उसके बाद आपको फोटो डाउनलोड करने का विकल्प मिल जाएगा। वहीं यदि आप लैपटॉप या कंप्यूटर में इसे देख रहे हैं तो फोटो पर राईट क्लिक करें। इससे आपको फोटो डाउनलोड करने का विकल्प मिल जाएगा।
अब हम शिव चालीसा की हिंदी में PDF फाइल भी आपके साथ साझा कर देते हैं।
यह रहा उसका लिंक: शिव चालीसा हिंदी में PDF
ऊपर आपको लाल रंग में शिव चालीसा की हिंदी में PDF फाइल का लिंक दिख रहा होगा। आपको बस उस पर क्लिक करना है और उसके बाद आपके मोबाइल या लैपटॉप में पीडीएफ फाइल खुल जाएगी। फिर आपके सिस्टम में इनस्टॉल एप्लीकेशन या सॉफ्टवेयर के हिसाब से डाउनलोड करने का विकल्प भी ऊपर ही मिल जाएगा।
इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपने शिव चालीसा लिखित मे (Shiv Chalisa) पढ़ ली है। साथ ही हमने आपको इसकी फोटो और पीडीएफ फाइल भी उपलब्ध करवा दी है। यदि आपको फोटो या पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने में किसी तरह की समस्या होती है या आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो आप नीचे कमेंट करें। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देंगे।
श्री शिव चालीसा से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: क्या मैं रात में शिव चालीसा का जाप कर सकता हूं?
उत्तर: जी हां, आप रात में भी शिव चालीसा का जाप कर सकते हैं। बस एक बात का ध्य्रण रखे कि उस समय आपका तन, मन व स्थान तीनो शुद्ध होने आवश्यक है।
प्रश्न: शिव चालीसा कितनी बार पढ़नी चाहिए?
उत्तर: शिव चालीसा को आप अपनी इच्छानुसार कितनी भी बार पढ़ सकते हैं। इसके लिए कोई निश्चित नियम नहीं है। ऐसे में आपका जितनी बार भी मन करे, उतनी बार शिव चालीसा का पाठ करें।
प्रश्न: शिव चालीसा किसने लिखी थी?
उत्तर: शिव चालीसा के रचयिता संत अयोध्यादास जी है। उन्होंने मगसर छठि हेमन्त ॠतु में इसे लिखा था।
प्रश्न: शिव चालीसा के रचयिता कौन है?
उत्तर: शिव चालीसा के रचयिता संत अयोध्यादास जी है। शिव चालीसा की अंतिम पंक्ति में उनका नाम भी आता है।
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