आज हम आपको श्री गणेश चालीसा (Shri Ganesh Chalisa) देंगे। भगवान गणेश की आरती को सभी भगवानों की आरती में प्रथम स्थान प्राप्त है। ऐसे में गणेश चालीसा का महत्व भी बहुत बढ़ जाता है। यदि आप भी गणेश चालीसा का पाठ करना चाहते हैं तो आज हम आपको गणेश जी की संपूर्ण चालीसा देंगे।
इतना ही नहीं, इस लेख के माध्यम से आपको गणेश चालीसा PDF (Ganesh Chalisa PDF) और गणेश चालीसा इमेज भी मिलेगी। इसे आप अपने मोबाइल या लैपटॉप में सेव करके रख सकते हैं। तो आइए सबसे पहले पढ़ते हैं श्री गणेश चालीसा।
॥ दोहा ॥
जय गणपति सद्गुण सदन, कविवर बदन कृपाल।
विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल॥
॥ चौपाई ॥
जय जय जय गणपति गणराजू, मंगल भरण करण शुभ काजू।
जय गजबदन सदन सुखदाता, विश्वविनायक बुद्धि विधाता।
वक्र तुण्ड शुचि शुण्ड सुहावन, तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन।
राजत मणि मुक्तन उर माला, स्वर्ण मुकुट सिर नयन विशाला।
पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं, मोदक भोग सुगन्धित फूलं।
सुन्दर पीताम्बर तन साजित, चरण पादुका मुनि मन राजित।
धनि शिव सुवन षड़ानन भ्राता, गौरी ललन विश्व विधाता।
ऋद्धि सिद्धि तव चंवर डुलावे, मूषक वाहन सोहत द्वारे।
कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी, अति शुचि पावन मंगलकारी।
एक समय गिरिराज कुमारी, पुत्र हेतु तप कीन्हों भारी।
भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा, तब पहुंच्यो तुम धरि द्विज रूपा।
अतिथि जानि कै गौरी सुखारी, बहु विधि सेवा करी तुम्हारी।
अति प्रसन्न ह्वै तुम वर दीन्हा, मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा।
मिलहिं पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला, बिना गर्भ धारण यहि काला।
गणनायक गुण ज्ञान निधाना, पूजित प्रथम रूप भगवाना।
अस कहि अन्तर्धान रूप ह्वै, पालना पर बालक स्वरूप ह्वै।
बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना, लखि मुख सुख नहिं गौरि समाना।
सकल मगन सुख मंगल गावहिं, नभ ते सुरन सुमन वर्षावहिं।
शम्भु उमा बहु दान लुटावहिं, सुर मुनिजन सुत देखन आवहिं।
लखि अति आनन्द मंगल साजा, देखन भी आए शनि राजा।
निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं, बालक देखन चाहत नाहीं।
गिरजा कछु मन भेद बढ़ायो, उत्सव मोर न शनि तुहि भायो।
कहन लगे शनि मन सकुचाई, का करिहौ शिशु मोहि दिखाई।
नहिं विश्वास उमा उर भयऊ, शनि सों बालक देखन कहऊ।
पड़तहिं शनि दृगकोण प्रकाशा, बालक सिर उड़ि गयो आकाशा।
गिरजा गिरी विकल ह्वै धरणी, सो दुख दशा गयो नहिं वरणी।
हाहाकार मच्यो कैलाशा, शनि कीन्हों लखि सुत को नाशा।
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधाए, काटि चक्र सो गज सिर लाए।
बालक के धड़ ऊपर धारयो, प्राण मंत्र पढ़ि शंकर डारयो।
नाम गणेश शम्भु तब कीन्हें, प्रथम पूज्य बुद्धि निधि वर दीन्हें।
बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा, पृथ्वी की प्रदक्षिणा लीन्हा।
चले षड़ानन भरमि भुलाई, रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई।
चरण मातु-पितु के धर लीन्हें, तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें।
धनि गणेश कहि शिव हिय हरषे, नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे।
तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई, शेष सहस मुख सके न गाई।
मैं मति हीन मलीन दुखारी, करहुं कौन बिधि विनय तुम्हारी।
भजत राम सुन्दर प्रभुदासा, जग प्रयाग ककरा दुर्वासा।
अब प्रभु दया दीन पर कीजै, अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै।
॥ दोहा ॥
श्री गणेश यह चालीसा, पाठ करैं धर ध्यान।
नित नव मंगल गृह बसै, लहै जगत सनमान॥
सम्वत् अपन सहस्र दश, ऋषि पंचमी दिनेश।
पूरण चालीसा भयो, मंगल मूर्ति गणेश॥
इस तरह से आज आपने गणेश चालीसा को तो पढ़ लिया है लेकिन तब क्या जब आप इसे प्रतिदिन पढ़ते हो!! उसके लिए इसका मोबाइल में सेव किया जाना आवश्यक है। तो अब हम आपको गणेश चालीसा PDF (Ganesh Chalisa PDF) फाइल देने जा रहे हैं और साथ ही उसकी इमेज भी।
यह रही गणेश चालीसा की इमेज:
यदि आप मोबाइल में इसे देख रहे हैं तो फोटो पर क्लिक करके रखिए। उसके बाद आपको फोटो डाउनलोड करने का विकल्प मिल जाएगा। वहीं यदि आप लैपटॉप या कंप्यूटर में इसे देख रहे हैं तो फोटो पर राईट क्लिक करें। इससे आपको फोटो डाउनलोड करने का विकल्प मिल जाएगा।
अब हम गणेश चालीसा की पीडीएफ फाइल भी आपके साथ साझा कर देते हैं।
यह रहा उसका लिंक: Ganesh Chalisa PDF
ऊपर आपको लाल रंग में गणेश चालीसा की PDF फाइल का लिंक दिख रहा होगा। आपको बस उस पर क्लिक करना है और उसके बाद आपके मोबाइल या लैपटॉप में पीडीएफ फाइल खुल जाएगी। फिर आपके सिस्टम में इनस्टॉल एप्लीकेशन या सॉफ्टवेयर के हिसाब से डाउनलोड करने का विकल्प भी ऊपर ही मिल जाएगा।
इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपने श्री गणेश चालीसा (Shri Ganesh Chalisa) पढ़ ली है। साथ ही हमने आपको इसकी फोटो और पीडीएफ फाइल भी उपलब्ध करवा दी है। यदि आपको फोटो या पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने में किसी तरह की समस्या होती है या आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो आप नीचे कमेंट करें। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देंगे।
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