वैदिक ज्ञान

सूर्य ग्रहण में मंदिर क्यों बंद रहते हैं? जाने इसके पीछे का रहस्य

सूर्य ग्रहण का प्रभाव (Surya Grahan Ka Prabhav) बहुत ही तेज होता है। हम यह तो जानते हैं कि सूर्य ग्रहण के समय मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं तथा उस समय किसी प्रकार की पूजा पाठ करने की अनुमति नहीं होती है लेकिन ऐसा क्यों? दरअसल यह मान्यता केवल सूर्य ग्रहण के लिए ही नहीं अपितु चंद्र ग्रहण के लिए भी है लेकिन रात्रि के समय तो मंदिर पहले से ही बंद होते हैं। इसलिए मुख्यतया सूर्य ग्रहण के समय मंदिर बंद होने की बात की जाती है।

ग्रहण की स्थिति में मंदिर तो क्या घर में भी पूजा पाठ नहीं किया जाता तथा न ही घर पर बने पूजा स्थल में जाने को शुभ माना जाता है। अब यहाँ यह प्रश्न उठता है कि आखिरकार ग्रहण में मंदिर क्यों बंद रहते हैं? आज हम इसके पीछे के तथ्य को जानेंगे जिससे कि आपका ज्ञानवर्धन हो सके तथा आप यह जान सकें कि ऐसा किस लिए किया जाता है। आइए जानते हैं।

Surya Grahan Ka Prabhav | सूर्य ग्रहण का प्रभाव

सूर्य ग्रहण के समय मंदिर क्यों बंद किए जाते हैं, इसके बारे में जानने से पहले हमारा यह जानना आवश्यक है कि आखिर मंदिर बनाए क्यों जाते हैं। दरअसल मंदिर केवल धार्मिक श्रद्धा के लिए ही नहीं अपितु वैज्ञानिक कारण को ध्यान में रखकर बनाए जाते हैं। मंदिरों की स्थापना उस स्थान पर की जाती है जहाँ भूमि पर विद्युतीय तथा चुम्बकीय तरंगों का टकराव होता है तथा उसके मूल बिंदु पर गर्भगृह की मूर्ति स्थापित की जाती है।

ऐसा करने से वहाँ चारों ओर सकारात्मक उर्जा का प्रवाह होता है तथा प्रतिदिन मंदिर आने वालों के अंदर ऊर्जा का संचार होता है। इसलिए मनुष्यों में सकारात्मक ऊर्जा को बनाए रखने के लिए मंदिरों की स्थापना की जाती है। सूर्य ग्रहण के नुकसान इतने ज्यादा प्रभावी होते हैं कि उस दौरान मंदिर तो क्या बल्कि घर के पूजा स्थल में जाना भी वर्जित होता है।

जब ग्रहण लगने वाला होता है तब उससे लगभग 12 घंटे पहले ही सूतक काल प्रारंभ हो जाता है जो ग्रहण समाप्त होने के पश्चात तक रहता है। सूतक काल लगते ही मंदिर के कपाट भक्तों के लिए बंद कर दिए जाते हैं तथा उस समय भगवान की मूर्तियों को छूने की भी मनाही होती है। इस समय ना तो कोई मंदिर के अंदर जा सकता है तथा न ही किसी प्रकार की पूजा पाठ की जा सकती है।

ग्रहण में मंदिर क्यों बंद रहते हैं?

अब हम जानते हैं कि उस समय मंदिर के कपाट क्यों बंद कर दिए जाते हैं। हमारी धरती पर ऊर्जा का सबसे मुख्य तथा एकमात्र स्रोत सूर्य है व उसकी प्रकाशमय किरणों के कारण ही सृष्टि में सभी चीजें चल पाती है। यह ऊर्जा प्रकाश रूप में हमारे पास पहुँचती है।

जब सूर्य ग्रहण लगता है तो उस समय सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक पूर्ण रूप से पहुँचने में प्रभावित होता है। ऐसे समय में हानिकारक किरणों जैसे कि एक्स रेज़ तथा पराबैंगनी किरणों की मात्रा वायुमंडल में बढ़ जाती है जो मनुष्य के ऊपर नकारात्मक प्रभाव डालती है। यह एक प्रकार की नकारात्मक किरणें होती है जिसका हम सब पर दुष्प्रभाव पड़ता है।

चूँकि मंदिर तथा मंदिर में रखी भगवान की मूर्तियाँ सकारात्मक ऊर्जा का एक मुख्य स्रोत होती हैं। इसलिए ऐसे समय में उन्हें इन नकारात्मक किरणों के प्रभाव से बचाने के लिए मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।

  • मूर्तियों को छूना क्यों है वर्जित

सूर्य ग्रहण के दौरान मंदिर को बंद तो रखा ही जाता है लेकिन इसी के साथ ही ईश्वर की मूर्तियों को स्पर्श करना भी वर्जित होता है। अब यदि आपने चुंबक देखा है तो उसके विपरीत ध्रुव एक दूसरे को खींचते है। ऐसे में सकारात्मक ऊर्जा वाली ईश्वर की मूर्तियाँ सूर्य ग्रहण के समय नकारात्मक ऊर्जा को अपने अंदर ले सकती है। ऐसे में उन्हें छूने से आपको सूर्य ग्रहण के नुकसान देखने को मिल सकते हैं।

  • मंदिर में रखे जाते हैं तुलसी के पत्ते

जब ग्रहण का समय होता है तब न केवल मंदिर के कपाट बंद रखे जाते हैं अपितु किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव से बचाने के लिए भगवान की मूर्तियों के पास तुलसी के पत्ते भी रखे जाते हैं जिससे ग्रहण का प्रभाव कम हो जाता है।

  • ग्रहण के बाद शुद्धिकरण

ग्रहण समाप्ति के पश्चात मंदिर के द्वार भक्तों के लिए सीधे नहीं खोले जाते अपितु उससे पहले पूरे मंदिर का गंगाजल से शुद्धिकरण किया जाता है। सब जगह साफ-सफाई की जाती है तथा मूर्तियों को धोया जाता है, उसके पश्चात ही मंदिर के कपाट भक्तों के लिए खोले जाते हैं।

इस तरह से आपने सूर्य ग्रहण का प्रभाव (Surya Grahan Ka Prabhav) जान लिया है। सनातन धर्म में हर चीज़ से जुड़ा कोई ना कोई तथ्य होता है। इसलिए सामान्य मनुष्य को सतर्क करने के उद्देश्य से उसे तरह-तरह की कहानियां बताई जाती है ताकि वे नियमों का पालन करे।

सूर्य ग्रहण के ऊपर प्रश्नोत्तर

प्रश्न: क्या ग्रहण के दौरान मंदिर बंद होते हैं?

उत्तर: ग्रहण के दौरान पृथ्वी और वायुमंडल में नकारात्मक शक्तियां बहुत हावी हो जाती है इस दौरान मंदिर भी बंद होते हैं और ईश्वर की मूर्तियों को छूना भी वर्जित होता है

प्रश्न: क्या सूर्य ग्रहण के समय पूजा कर सकते हैं?

उत्तर: सूर्य ग्रहण के समय आप ना तो मंदिर जा सकते हैं, ना ईश्वर की मूर्ति को स्पर्श कर सकते हैं और ना ही उनके सामने बैठकर पूजा-पाठ कर सकते हैं

प्रश्न: ग्रहण के बाद मंदिर कब खुलेगा?

उत्तर: ग्रहण समाप्त होने के पश्चात मंदिर को तुरंत भक्तों के लिए नहीं खोला जाता है इससे पहले मंदिर का शुद्धिकरण किया जाता है और उसके बाद ही मंदिर के कपाट आम भक्तों के लिए खोले जाते हैं

प्रश्न: क्या हम सूतक के दौरान मंदिर जा सकते हैं?

उत्तर: सभी तरह के मंदिरों के कपाट सूतक लगते ही बंद हो जाते हैं और ग्रहण समाप्ति तक बंद रहते हैं उसके बाद मंदिर का शुद्धिकरण कर उसके द्वार खोले जाते हैं

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कृष्णा

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