क्या आपने कभी सोचा है कि गणेश भगवान को तो हम सभी पूजते हैं तो मुख्य रूप से महाराष्ट्र में ही गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है (Ganesh Chaturthi Kyon Manae Jaati Hai)? दरअसल इसको इस तरह से मनाए जाने के पीछे दो कारण हैं। पहला कारण मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी से जुड़ा हुआ है जिन्होंने इस गणेश चतुर्थी उत्सव की भव्य शुरुआत की थी।
फिर दूसरा कारण अंग्रेज शासन के समय बाल गंगाधर तिलक का आंदोलन है। उन्होंने अंग्रेज शासन के विरोध लोगों को एकत्रित करने के लिए गणेश चतुर्थी उत्सव को एक सार्वजनिक उत्सव के रूप में आयोजित करने की प्रथा शुरू की (Ganesh Chaturthi Kyu Manai Jati Hai) थी। उसी के बाद से यह पर्व महाराष्ट्र राज्य का एक मुख्य पर्व बन गया। तो चलिए जानते हैं महाराष्ट्र में ही मुख्य रूप से गणेश चतुर्थी क्यों मनाते हैं।
पहले महाराष्ट्र राज्य में भी गणेश चतुर्थी पर्व उसी तरह मनाया जाता था, जैसे देश के बाकी हिस्सों में मनाया जाता है। महाराष्ट्र में गणेश उत्सव को भव्य रूप से मनाने की शुरुआत मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज के द्वारा की गई थी। उनका जन्म वर्ष 1630 ईसवी में हुआ था। शिवाजी भगवान गणेश को बहुत ज्यादा मानते थे और साथ ही वे देश में मुगलों से लोहा लेने के लिए भारतवासियों और मुख्य तौर पर मराठा लोगों को एकत्रित करने का भी काम कर रहे थे।
इसी कड़ी में उन्होंने गणेश चतुर्थी के उत्सव को भव्य रूप से मनाने का निर्णय लिया। इसके बाद उनके आदेश पर हर वर्ष गणेश चतुर्थी का पर्व एक दिन का ना होकर दस दिनों का मनाया जाने लगा। छत्रपति शिवाजी स्वयं भगवान गणेश की मिट्टी से बनी मूर्ति को अपने घर में स्थापित करते। इसके अगले दस दिनों तक वे भगवान गणेश को तरह-तरह के व्यंजनों का भोग लगाते जिसमें मोदक प्रमुख थे।
फिर अंतिम दिन गणेश जी की मूर्ति को घर से बाहर निकाल कर पास की नदी या सरोवर में ले जाया जाता। इस दौरान भव्य समारोह किया जाता और गणेश जी को बड़े रथ पर बिठाया जाता। चारों ओर से लाखों मराठा लोग इस भव्य शोभायात्रा के साक्षी बनने आते। फिर उस मूर्ति को पूरे विधि-विधान के साथ नदी में विसर्जित कर दिया जाता।
उसके बाद तो महाराष्ट्र के घर-घर में इस तरह से गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाने लगा। चुनिंदा जगहों पर इसकी बड़ी शोभायात्रा निकाली जाती। फिर 18वीं शताब्दी में पेशवाओं ने भी इसे जारी रखा क्योंकि उनके कुल देवता भी भगवान गणेश ही थे। इस तरह से आपने जाना कि महाराष्ट्र में ही गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है (Ganesh Chaturthi Kyon Manae Jaati Hai) और वो भी इतने भव्य रूप में।
इस तरह से यह त्यौहार 18वीं शताब्दी तक तो भव्य रूप से मनाया जाता था। इसके बाद जब मराठा साम्राज्य की शक्ति कमजोर हो गई और देश पर अंग्रेजों का भी शासन आ गया तो त्यौहार की चमक फीकी पड़ गई। उसके बाद धीरे-धीरे गणेश चतुर्थी को इस तरीके से मनाया जाना ही बंद कर दिया गया था।
फिर से गणेश उत्सव को इतने भव्य रूप में शुरू करने का श्रेय स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक को जाता है। दरअसल बाल गंगाधर तिलक भारतवर्ष पर अंग्रेज शासन के विरुद्ध स्वराज आंदोलन चला रहे थे। कोई आंदोलन तभी शक्तिशाली बनता है जब उसे लोगों का समर्थन प्राप्त हो। लोगों का समर्थन प्राप्त करने के लिए उन तक अपनी बात को पहुँचाना आवश्यक होता है। उन तक अपनी बात पहुँचाने के लिए उनको एक स्थल पर एकत्रित करना भी आवश्यक होता है क्योंकि उस समय ना तो सोशल मीडिया था तथा ना ही टीवी इत्यादि।
इसलिए लोगों तक अपनी बात पहुँचाने के लिए उनको किसी सार्वजनिक स्थल पर एकत्र कर नेतृत्व करना आवश्यक था। इसलिए बाल गंगाधर तिलक ने सन 1893 के बाद से इसके लिए गणेश चतुर्थी के दिन को चुना। उससे पहले तक यह केवल निजी रूप से घरों में ही मनाया जा रहा था जो कि एक दिन का उत्सव बनकर रह गया था। तब बाल गंगाधर तिलक ने इसे फिर से सार्वजनिक उत्सव के रूप में बदल दिया।
उसके बाद से यह पर्व महाराष्ट्र के सभी जिलों में फैल गया तथा सभी लोग विघ्नहर्ता की पूजा करने के लिए एकत्रित होते। तब से यह उत्सव एक दिन का ना होकर 10 दिनों के लिए हो गया जिसमें लोग पहले दिन भगवान गणेश की मिट्टी से बनी मूर्ति को अपने घरों में स्थापित करते थे। फिर दस दिनों तक अपने घर में उनकी पूजा करना, उन्हें उनकी पसंद के आहारों का भोग लगाना, इत्यादि सम्मिलित था। अंतिम दिन अर्थात अनंत चतुर्दशी के दिन सभी लोग बड़ी धूमधाम से भगवान गणेश की प्रतिमा को नदी, सरोवर तक लेकर जाते हैं तथा उसमें विसर्जित कर देते हैं।
धीरे-धीरे करके गणेश चतुर्थी की प्रसिद्धि बढ़ती ही गई। यह महाराष्ट्र के हर जिले व मोहल्ले में बड़ी धूमधाम से मनाया जाने लगा। यदि आप आज देखोगे तो आजकल इस त्यौहार की प्रसिद्धि दूसरे राज्यों में भी बढ़ती जा रही है। अन्य राज्यों में भी महाराष्ट्र की भाँति यह पर्व मनाया जाने लगा है। इस तरह से आज आपने जान लिया है कि महाराष्ट्र में ही गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है (Ganesh Chaturthi Kyon Manae Jaati Hai) व इसको इस तरह से मनाने में किन लोगों का योगदान रहा था।
गणेश चतुर्थी मनाने से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी क्यों मनाया जाता है?
उत्तर: महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी को भव्य तरीके से मनाने का श्रेय छत्रपति शिवाजी महाराज व स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक को जाता है। उनके प्रयासों के कारण ही महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी को बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
प्रश्न: महाराष्ट्र में भगवान गणेश की इतनी पूजा क्यों की जाती है?
उत्तर: मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज गणेश भगवान के बहुत बड़े भक्त थे। इसी के साथ ही पेशवाओं के कुल देवता के रूप में भगवान गणेश को ही पूजनीय माना जाता था। इस कारण महाराष्ट्र में भगवान गणेश की इतनी पूजा की जाती है।
प्रश्न: महाराष्ट्र में गणपति विसर्जन क्यों किया जाता है?
उत्तर: इसकी कथा महाभारत के समय में महर्षि वेदव्यास से जुड़ी हुई है। उसके बाद इस प्रथा को छत्रपति शिवाजी महाराज और स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक ने शुरू किया था।
प्रश्न: गणेश चतुर्थी कौन से राज्य में मनाया जाता है?
उत्तर: वैसे तो गणेश चतुर्थी भारत के हरेक राज्य में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाई जाती है। हालाँकि महाराष्ट्र, गोवा, तमिलनाडु जैसे राज्यों में इसकी अलग ही धूम देखने को मिलती है।
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