हम हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को अहोई अष्टमी का पर्व बहुत ही धूमधाम के साथ मनाते हैं। इस दिन सभी माएं अपने बच्चों के लिए अहोई अष्टमी का व्रत रखती हैं और उनके सुखी जीवन की प्रार्थना होई माता से करती हैं। उस समय अहोई माता की आरती (Ahoi Mata Ki Aarti) भी की जाती है ताकि उनकी कृपा हम पर और हमारे बच्चों पर बनी रहे।
ऐसे में आज हम आपके साथ अहोई माता आरती का पाठ (Ahoi Mata Aarti) ही करने जा रहे हैं। इस लेख के माध्यम से ना केवल आपको अहोई माता जी की आरती पढ़ने को मिलेगी बल्कि साथ ही उसका हिंदी अर्थ भी जानने को मिलेगा ताकि आप अहोई आरती का भावार्थ (Ahoi Aarti) भी समझ सकें। तो आइये पढ़ते हैं अहोई माता की आरती।
जय अहोई माता, जय अहोई माता।
तुमको निसदिन ध्यावत, हर विष्णु विधाता॥
जय अहोई माता।
ब्रह्माणी, रुद्राणी, कमला, तू ही है जगमाता।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
जय अहोई माता।
माता रूप निरंजन, सुख-सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, नित मंगल पाता॥
जय अहोई माता।
तू ही पाताल बसंती, तू ही है शुभदाता।
कर्म-प्रभाव प्रकाशक, जगनिधि से त्राता॥
जय अहोई माता।
जिस घर थारो वासा, वाहि में गुण आता।
कर न सके सोई कर ले, मन नहीं घबराता॥
जय अहोई माता।
तुम बिन सुख न होवे, न कोई पुत्र पाता।
खान-पान का वैभव, तुम बिन नहीं आता॥
जय अहोई माता।
शुभ गुण सुंदर युक्ता, क्षीर निधि जाता।
रतन चतुर्दश तोकू, कोई नहीं पाता॥
जय अहोई माता।
श्री अहोई माँ की आरती, जो कोई गाता।
उर उमंग अति उपजे, पाप उतर जाता॥
जय अहोई माता, मैया जय अहोई माता।
तुमको निसदिन ध्यावत, हर विष्णु विधाता॥
जय अहोई माता।
जय अहोई माता, जय अहोई माता।
तुमको निसदिन ध्यावत, हर विष्णु विधाता॥
अहोई माता की जय हो, जय हो। अहोई माता का ध्यान तो हम सभी के भाग्य विधाता श्री हरि भी करते हैं। हम सभी दिन-रात अहोई माता का ध्यान करते हैं और उनकी आराधना करते हैं।
ब्रह्माणी, रुद्राणी, कमला, तू ही है जगमाता।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
अहोई माता ही माँ सरस्वती, पार्वती व लक्ष्मी माता का रूप हैं। वे ही इस जगत की माता आदि शक्ति हैं। स्वयं सूर्य देव व चंद्र देव भी अहोई माता का ध्यान करते हैं और नारद ऋषि उनके गुणगान गाते हैं।
माता रूप निरंजन, सुख-सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, नित मंगल पाता॥
अहोई माता का रूप निरंजन है और वे ही हमें सुख व संपत्ति प्रदान करती हैं। जो कोई भी अहोई माता का ध्यान करता है और अहोई आरती करता है, उसका हमेशा मंगल ही मंगल होता है।
तू ही पाताल बसंती, तू ही है शुभदाता।
कर्म-प्रभाव प्रकाशक, जगनिधि से त्राता॥
अहोई माता पाताल लोक में निवास करती हैं और वे ही हमें सभी तरह के शुभ फल प्रदान करती हैं। हमारे द्वारा किये गए कर्मों का फल अहोई माता ही हमें देती हैं और इस विश्व की सभी निधियां हमें उनसे ही मिलती है।
जिस घर थारो वासा, वाहि में गुण आता।
कर न सके सोई कर ले, मन नहीं घबराता॥
जिस भी घर में अहोई माता का वास होता है, वहां के गुण सभी गाते हैं। अहोई माता की कृपा से उस घर का कोई कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता है और ना ही उस घर के लोगों का किसी भी बात से मन विचलित होता है।
तुम बिन सुख न होवे, न कोई पुत्र पाता।
खान-पान का वैभव, तुम बिन नहीं आता॥
अहोई माता की कृपा के बिना हमें सुखों की प्राप्ति नही हो सकती है और ना ही हमें पुत्र प्राप्ति होती है। जिस घर में अहोई माता की पूजा नहीं की जाती है, वहां पर अन्न-धन भी नहीं आता है और वहां का सारा वैभव चला जाता है।
शुभ गुण सुंदर युक्ता, क्षीर निधि जाता।
रतन चतुर्दश तोकू, कोई नहीं पाता॥
अहोई माता के भक्तगण सभी तरह के गुणों, शुभ फल व सुन्दर रूप को प्राप्त करते हैं। वे भवसागर को पार कर मोक्ष को पा लेते हैं। अहोई माता की कृपा से ही हमारा उद्धार संभव है।
श्री अहोई माँ की आरती, जो कोई गाता।
उर उमंग अति उपजे, पाप उतर जाता॥
जो कोई भी अहोई माता की आरती गाता है और उनकी आराधना करता है, उसके शरीर में नयी ऊर्जा आती है और उसके सभी पुराने पाप उतर जाते हैं।
अहोई शब्द का अर्थ होता है किसी अनहोनी को होनी में बदलना या फिर जो घटना अप्रिय हो सकती है, उसे टाल देना या उसे प्रिय घटना में बदल देना। यह सब कुछ होई माता की कृपा से ही संभव हो पाता है जो हमारे परिवार की और बच्चों की रक्षा करती हैं। जिस प्रकार करवाचौथ का व्रत पति की रक्षा करने के उद्देश्य से रखा जाता है, ठीक उसी तरह अहोई माता का व्रत पुत्र की रक्षा करने के लिए किया जाता है।
अहोई माता आरती के माध्यम से होई माता की आराधना की गयी है और उनकी शक्तियों, गुणों, कर्मों तथा उद्देश्य का वर्णन किया गया है। इस तरह से आप अहोई माता के बारे जानकारी भी पा लेते हैं और उनकी आराधना भी कर लेते हैं। यही अहोई माता की आरती का महत्व होता है।
अब यदि आप अहोई माता का व्रत कर सच्चे मन के साथ अहोई आरती का पाठ करते हैं तो इसका संपूर्ण लाभ देखने को मिलता है। यदि आपको पुत्र प्राप्ति करने में कोई संकट आ रहा है या गर्भधारण करने में समस्या आ रही है तो वह समस्या सुलझ जाती है और जल्द ही आपको पुत्र प्राप्ति होती है।
इसी के साथ ही जिन महिलाओं के बच्चे पहले से हैं, वे स्वस्थ रहते हैं तथा उन्हें कोई भी रोग या मानसिक समस्या नहीं होती है। यदि उनके जीवन में कोई संकट है या वे किसी बात को लेकर परेशान हैं तो वह संकट या समस्या भी दूर हो जाती है। अहोई माता की आरती करने वाली महिलाओं की संतान हमेशा सुखी व स्वस्थ रहती है।
अहोई माता की आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: अहोई अष्टमी का मतलब क्या होता है?
उत्तर: अहोई माता का व्रत और पूजा कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन की जाती है। इसी कारण उस दिन को अहोई अष्टमी के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न: क्या अहोई अष्टमी में पानी पी सकते हैं?
उत्तर: यह किसी महिला की सहनशक्ति पर निर्भर करता है। वैसे तो अहोई माता के व्रत में पानी नहीं पीना चाहिए किन्तु आप अपने शरीर की सहनशक्ति के अनुसार ही यह निर्णय लेंगी तो ज्यादा उत्तम रहेगा।
प्रश्न: अहोई अष्टमी व्रत में पानी पी सकते हैं क्या?
उत्तर: बहुत सी महिलाएं इस बात को लेकर आशंकित रहती हैं कि अहोई अष्टमी के व्रत में पानी पीना चाहिए या नहीं। तो यहाँ हम आपको बता दें कि इसके लिए कोई निर्धारित नियम नहीं है और इसका निर्णय आप अपने शरीर की सहनशक्ति के अनुसार ले सकती हैं।
प्रश्न: अहोई अष्टमी का पर्व क्यों मनाया जाता है?
उत्तर: अहोई अष्टमी का पर्व सभी माओं के द्वारा अपनी संतान की लंबी आयु तथा स्वस्थ रहने का आशीर्वाद अहोई माता से मांगने के लिए किया जाता है।
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