आज हम आपको बताएँगे कि अलग-अलग जगह होली कैसे खेलते हैं (Holi Kaise Khelte Hain) और उसका क्या तरीका है। फाल्गुन मास की पूर्णिमा को पूरा देश होली के रंगों में रंग जाता हैं। जहाँ देखो वहां सभी एक-दूसरे पर रंग और पानी डालते हैं और खुशियाँ मनाते हैं।
आप भी हर वर्ष रंगों व पानी से होली खेलते होंगे लेकिन क्या आप जानते हैं कि होली को केवल रंगों और पानी से ही नही अपितु कई और चीज़ों से भी खेला जाता हैं। अब यहाँ प्रश्न उठता है कि और किस-किस तरह से होली कैसे खेली जाती है (Holi Kaise Kheli Jaati Hai) और इसके क्या प्रकार है। आज हम आपको इसी के बारे में ही बताने वाले हैं।
होली देश के विभिन्न भागों में वहां की परंपराओं के अनुसार मनाई जाती हैं। कहीं लोग इसे लट्ठमार होली के रूप में खेलते हैं तो कहीं फूलों से तो कहीं लड्डुओं की होली खेली जाती हैं। आज हम आपको होली के विभिन्न प्रकारों के बारे में बताने जा रहे हैं।
यह होली मनाने का मुख्य तरीका है। अधिकतर जगह होली को तरह-तरह के रंगों के साथ ही खेला जाता है। इन्हें गुलाल कहा जाता है जो विभिन्न रंग के होते हैं। ऐसे में लोग, गुलाबी, लाल, पीला, नीला, हरा, बैंगनी इत्यादि रंगों के साथ होली खेलते हैं। कहीं-कहीं इसे अबीर भी कह दिया जाता है।
यह होली ब्रज के बरसाना क्षेत्र में सर्वाधिक लोकप्रिय हैं। दरअसल प्राचीन समय में श्रीकृष्ण गोकुल गाँव से थे और राधारानी बरसाना गाँव से। तब गोकुल और नंदगांव से पुरुष बरसाने की महिलाओं के साथ होली खेलने आते थे और अठखेलियाँ करते थे। तब वहां की महिलाएं उन्हें लट्ठ मार कर भगा देती थी।
बस उन्हीं घटनाओं को जीवंत रूप देने के उद्देश्य से बरसाने की लट्ठमार होली आज तक लोकप्रिय हैं। इसमें मुख्यतया नंदगांव और गोकुल के पुरुष तो बरसाने की महिलाएं भाग लेती हैं। महिलाएं उन पर एक बड़े लट्ठ से वार करती हैं तो पुरुष ढाल के माध्यम से स्वयं को बचाते हुए नज़र आते हैं।
ब्रज क्षेत्र में लड्डुओं की होली भी बहुत लोकप्रिय हैं जो मुख्यतया मंदिरों में खेली जाती हैं। इसमें मंदिर के गर्भगृह से पंडित जी भक्तों पर लड्डुओं की बरसात करते हैं। सभी भक्तों में उन लड्डुओं को पकड़ने और खाने की प्रतिस्पर्धा चलती रहती हैं।
इस होली में सभी लड्डुओं से भर जाते हैं, कोई उन्हें अपनी झोली में भर लेता हैं तो कोई उसी समय खा जाता हैं। इस होली को खेलने का भी अपना एक अलग आनंद हैं।
यह होली तो देश के कई भागों में बड़े ही उत्साह के साथ खेली जाती हैं। कई सार्वजनिक कार्यक्रमों, मंदिरों, गौशाला के प्रांगनों में पुष्प होली खेली जाती हैं। इसमें सभी लोग एक-दूसरे के ऊपर रंग नही बल्कि पुष्प उड़ाते हैं और होली का आनंद उठाते हैं।
यह होली भी ब्रज क्षेत्र की लट्ठमार होली के जैसी ही हैं। इसे मुख्यतया हरियाणा राज्य में खेला जाता हैं। यह एक भाभी-देवर के बीच खेली जाने वाली होली होती हैं। इसमें देवर अपनी भाभी को रंग लगाने का प्रयास करते हैं तो वही भाभियाँ अपने देवर पर लाठी चलाती हैं। देवरों को लाठी के वार से बचकर अपनी भाभी को रंग लगाना होता हैं।
यह होली खतरनाक होती हैं जिसे राजस्थान के बाड़मेर और डूंगरपुर जिलों में आदिवासी लोगों के द्वारा खेला जाता हैं। इसमें उनके पारंपरिक गीत चलाये जाते हैं और ढोल-नगाड़े बजाये जाते हैं। दो गावों या समुदाय के लोग एक-दूसरे के आमने-सामने खड़े हो जाते हैं और पत्थर बरसते हैं।
जैसे-जैसे ढोल-नगाड़ों की आवाज़ तेज होती जाती हैं वैसे-वैसे ही एक-दूसरे पर पत्थर चलाने का सिलसिला भी तेज होता जाता हैं। पत्थरों की मार से बचने के लिए लोग सिर पर पगड़ी और भारी कपड़े पहनते हैं।
यह होली मुख्यतया बिहार और उत्तर प्रदेश राज्य में प्रसिद्ध हैं। इसमें लोग होली खेलते हुए एक-दूसरे के पहने हुए कपड़े, कुर्ता इत्यादि फाड़ देते हैं। आपने बिहार के भूतपूर्व मुख्यमंत्री श्री लालू प्रसाद यादव जी को भी कुर्ता-फाड़ होली खेलते हुए टीवी इत्यादि पर देखा होगा।
यह होली खेलना बहुत लोग पसंद नही करते होंगे लेकिन कुछ लोगों को ऐसे होली खेलने में बहुत आनंद भी आता हैं। इसमें लोगों के बीच एक-दूसरे को कीचड़ में फेंकने की प्रतिस्पर्धा लगी रहती हैं। सभी लोग बुरी तरह से कीचड़ में लोटपोट हो जाते हैं और होली का आनंद उठाते हैं।
आपने स्पेन की होली तो देखी ही होगी जिसमे सभी लोग एक-दूसरे के ऊपर टमाटर फेंकते हैं और होली खेलते हैं। ठीक वैसी ही होली असम राज्य के गुवाहाटी शहर में भी खेली जाती हैं। इसमें सभी लोग एक जगह एकत्रित होकर एक-दूसरे पर टमाटरों की बरसात कर देते हैं।
यह सुनकर आपको थोड़ा विस्मयी लगेगा लेकिन भगवान शिव की नगरी बनारस में जली हुई चिताओं की राख से होली खेलने का विधान हैं। इस होली को मुख्यतया होरी साधु व अन्य साधु-संत खेलते हैं और एक-दूसरे के शरीर पर जली हुई चिताओं की राख को लगाते हैं।
मान्यता हैं कि भगवान शिव अपने भक्तों के साथ यही पर होली का त्यौहार मनाया करते थे और उनके शरीर पर जली हुई चिताओं की राख को मलते थे। बस उसी घटना के परिप्रेक्ष्य में हर वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु वाराणसी आते हैं और जली हुई चिताओं की राख से होली खेलते हैं।
इसके अलावा देश के विभिन्न भागों में कुछ अन्य चीज़ों से भी होली खेली जाती हैं। तभी तो अपने देश भारत को विभिन्नताओं में एकता का देश कहा जाता हैं। इस तरह से आज आपने जान लिया है कि होली कैसे खेलते हैं (Holi Kaise Khelte Hain) और इसके क्या कुछ प्रकार है।
होली खेलने से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: होली कितने प्रकार की होती है?
उत्तर: होली कई प्रकार की होती है। जैसे कि लट्ठमार होली, लड्डू होली, फूलों की होली, चिता भस्म होली, रंगों की होली, पानी की होली इत्यादि। भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग चीज़ों से होली खेलने की परंपरा है।
प्रश्न: राजस्थान में कितने प्रकार की होली मनाई जाती है?
उत्तर: राजस्थान में मुख्यतया तीन प्रकार की होली मनाई जाती है। सबसे पहले तो रंगों की होली आती है। उसके अलावा कुछ-कुछ क्षेत्रों में पानी और फूलों की होली तो कही पर पत्थरों की होली भी खेली जाती है।
प्रश्न: होली के दूसरे दिन को क्या कहते हैं?
उत्तर: होली के दूसरे दिन कोधुलंडी कहते हैं। इसी दिन ही रंगों से होली खेली जाती है होली का पहला दिन होलिका दहन के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न: धुलेंडी का अर्थ क्या है?
उत्तर: धुलेंडी होली के अगले दिन को मनाया जाता है। इसका अर्थ होता है रंगों से खेले जाना वाला उत्सव। इस दिन सभी लोग एक-दूसरे के ऊपर गुलाल उड़ाते हैं।
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