आज हम नारली पूर्णिमा (Nariyal Poornima) और इस दिन मनाए जाने वाले अन्य त्योहारों के बारे में जानेंगे। हर वर्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन देशभर में रक्षाबंधन का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता हैं। इस दिन सभी बहने अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं तो वही भाई अपनी बहन की रक्षा का वचन देते हैं।
अब क्या आप जानते हैं कि इसी दिन रक्षाबंधन के साथ-साथ भारत के विभिन्न भागों में पांच अन्य त्यौहार भी मनाये जाते हैं जिनका अपना-अपना धार्मिक महत्व हैं। इनमे नारियल पूर्णिमा और अवनि अवित्तम का त्योहार (Avani Avittam In Hindi) प्रमुख है। भारत देश विभिन्न संस्कृतियों व लोक मान्यताओं का देश हैं व यही इस देश की सुंदरता हैं। ऐसे में आइए जाने इन पाँचों त्योहारों के बारे में।
मछुआरे व समुंद्र के पास रहने वाले लोग इस त्यौहार को मुख्य रूप से मनाते हैं। जिनका जीवनयापन समुंद्र पर निर्भर होता हैं, उनके लिए नारियल पूजा का अत्यधिक महत्व हैं। इस दिन सभी मछुआरे व अन्य लोग धूमधाम से नारियल की पूजा करते हैं तथा उसे समुंद्र में ले जाते हैं। इस त्योहार को नारियल पूर्णिमा और नारली पूर्णिमा दोनों नाम से जाना जाता है।
इस दिन लोग समुंद्र देवता वरुण के प्रति अपना आभार प्रकट करते हैं। मान्यता हैं कि नारियल के अंदर स्थित जल समस्त समुंद्री तरंगों को नियंत्रित करता हैं। इसलिये वे नारियल की पूजा कर उसे समुंद्र देव को अर्पण कर देते हैं। नारली पूर्णिमा का त्यौहार मुख्य रूप से भारत के समुद्री किनारों वाले राज्यों में मनाया जाता है। जैसे कि महाराष्ट्र, गोवा, तमिलनाडु, उड़ीसा इत्यादि।
यह दक्षिण भारत में मनाया जाने वाला पर्व हैं जिसे उपाकर्म कहते हैं। तमिल भाषा में इसे अवनि अवित्तम कहा जाता है। इस दिन ब्राह्मण अपना नया जनेऊ धारण करते हैं जिसे यज्ञोपवित संस्कार में धारण किया जाता हैं। अवनि तमिल कैलेंडर में एक माह का नाम होता हैं। अवित्तम का अर्थ किसी शुभ कार्य की शुरुआत करना होता हैं। इसलिये इस दिन ब्राह्मण वेद आदि के अध्ययन की शुरुआत करते हैं।
इस दिन भगवान विष्णु ने हयग्रीव अवतार लिया था जिसका मस्तक घोड़े का था तथा शरीर मानव का। उन्होंने इस रूप में हयग्रीव नामक राक्षस का वध करके उससे वेदों को पुनः प्राप्त किया था तथा भगवान ब्रह्मा को सौंपा था। इसी उपलक्ष्य में ब्राह्मण भगवान को अपना धन्यवाद अर्पित करते हैं व इस पर्व को मनाते हैं।
यह मध्य भारत का त्यौहार हैं जो समय के साथ-साथ विलुप्त होता जा रहा है। एक समय था जब घर-घर में इस त्यौहार को मनाया जाता था। यह उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में मुख्य रूप से मनाया जाता हैं जिसमें महिलाएं वहां की छाबी नदी में जौ इत्यादि का विसर्जन करती हैं।
इसमें महिलाएं अपने घर में कुछ दिनों पहले जौ, गेहूं इत्यादि बोती हैं जिसे कजरी कहा जाता हैं। फिर आज के दिन उन्हें लेकर नदी में विसर्जन कर देती हैं तथा हरियाली की कामना करती हैं। इसी के साथ वे अपनी संतान की लंबी आयु के लिए भी कामना करती हैं।
यह त्यौहार मुख्य रूप से गुजरात राज्य में मनाया जाता हैं। सावन के महीने में लाखों की संख्या में कांवड़िये कावड़ लेकर निकलते हैं तथा उसमे पवित्र गंगाजल भरकर वापस लाते हैं। उसी गंगाजल को इस दिन शिवलिंग पर चढ़ाया जाता हैं व पूजा की जाती हैं। इसी पर्व को पवित्रोपना पर्व के नाम से जाना जाता हैं।
यह त्यौहार मुख्य रूप से बंगाल, उत्तर प्रदेश व उड़ीसा राज्य में मनाया जाता हैं। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को झूला झुलाने की परंपरा हैं। मान्यता हैं कि द्वापर युग में आज के दिन ही कान्हा ने पहली बार राधा रानी को झूला झुलाया था। इस उपलक्ष्य में लोग आज के दिन श्रीकृष्ण को झूला झुलाते हैं।
इस तरह से आज आपने नारली पूर्णिमा (Nariyal Purnima) सहित अन्य सभी त्योहारों के बारे में जान लिया है। हालाँकि श्रावण मास की पूर्णिमा का मुख्य त्यौहार रक्षाबंधन ही है और इसे ही पूरे भारतवर्ष में बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
नारली पूर्णिमा से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: नारील पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है?
उत्तर: नारील पूर्णिमा के माध्यम से मछुआरे समुद्र देवता की पूजा करते हैं। उनका व्यापर समुद्र के पानी पर ही टिका हुआ होता है। ऐसे में उनके लिए यह त्यौहार बहुत ही महत्वपूर्ण होता है।
प्रश्न: नारली पूर्णिमा पर क्या करना चाहिए?
उत्तर: नारली पूर्णिमा के दिन समुद्र देव की आराधना करनी चाहिए। इसी के साथ ही उन्हें नारियल भेंट करना चाहिए। मान्यता है कि नारियल का जल समुद्र का प्रतिनिधित्व करता है।
प्रश्न: अवनि अवित्तम कैसे मनाया जाता है?
उत्तर: अवनि अवित्तम को मुख्यतया ब्राह्मणों के द्वारा मनाया जाता है। यह दिन ब्राह्मणों के द्वारा जनेऊ संस्कार करने का दिन होता है। साथ ही वे भगवान विष्णु के हयग्रीव अवतार की पूजा करते हैं।
प्रश्न: अवनि अवित्तम में क्या खास है?
उत्तर: अवनि अवित्तम में अवनि शब्द तमिल भाषा के कैलेंडर के एक माह का नाम है। वही अवित्तम का अर्थ शुभ कार्य से होता है। इस दिन तेल ब्राह्मणों के द्वारा जनेऊ संस्कार करने की परंपरा है।
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