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जयति जय गायत्री माता की आरती – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

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आज के इस लेख में हम आपको जयति जय गायत्री माता की आरती (Gayatri Aarti Lyrics) हिंदी में अर्थ सहित देंगे। हम सभी जब स्कूल में पढ़ते थे तब अवश्य ही हम सभी ने गायत्री मंत्र का जाप किया होगा। यहाँ तक कि हर पूजा पाठ से पहले भी गायत्री मंत्र का जाप किया जाता है और यह हम सभी को याद भी होता है। गायत्री माता को भगवान ब्रह्मा की पत्नी माना गया है जो हमें सभी प्रकार की सिद्धियाँ देने वाली होती हैं।

यदि हम जयति जय गायत्री माता (Gayatri Mata Aarti Lyrics) आरती पढ़ने के साथ-साथ उसका अर्थ भी जान लेते हैं तो इसका ज्यादा प्रभाव देखने को मिलता है। इसी के साथ ही आपको गायत्री आरती का महत्व भी जानने को मिलेंगे। लेख के अंत में आपको गायत्री आरती के फायदे भी पढ़ने को मिलेंगे। तो आइये सबसे पहले जानते हैं जयति जय गायत्री माता की आरती हिंदी में अर्थ सहित।

Gayatri Aarti Lyrics | जयति जय गायत्री माता की आरती

जय गायत्री माता, जयति जय गायत्री माता।
सत् मारग पर हमें चलाओ, जो है सुखदाता॥

हे गायत्री माता!! आपकी जय हो, जय हो, जय हो। आप ही हमें सत्य का मार्ग दिखा सकती हैं ताकि हम उस पर आगे बढ़ सकें। उसी सत्य के मार्ग पर चल कर ही हमें सभी तरह के सुखों की प्राप्ति होगी।

आदि शक्ति तुम अलख निरञ्जन, जग पालन कर्त्री।
दुःख, शोक, भय, क्लेश, कलह, दारिद्रय, दैन्य हर्त्री॥

आप ही माँ आदि शक्ति हो, आप ही अलख निरंजन हो और इस जगत का पालन-पोषण करने वाली भी आप ही हो। आप हम सभी के दुःख, शोक, भय, चिंता, कलेश, गरीबी इत्यादि को दूर करती हो।

ब्रह्म रुपिणी, प्रणत पालिनी, जगतधातृ अम्बे।
भवभयहारी, जनहितकारी, सुखदा जगदम्बे॥

आप ही ब्रह्म रूप में इस सृष्टि की रचयिता हो, आप ही श्रीहरि के रूप में इस सृष्टि का पालन-पोषण करती हो और आप ही जगत का संहार करने वाली माँ अम्बा हो। आप सभी लोकों के डर को दूर करने वाली, मनुष्य जाति के हित में कार्य करने वाली तथा हम सभी को सुख प्रदान करने वाली हो।

भय हारिणि, भव तारिणि अनघे, अज आनन्द राशी।
अविकारी, अघहरी, अविचलित, अमले, अविनाशी॥

आप हमारे भय का नाश करने वाली, भव सागर पार करवाने वाली तथा हम सभी को आनंद प्रदान करने वाली हो। आपका कोई आकार नहीं है, आप अघहरी हो, आप विचलित नहीं हो सकती हैं, आपका विनाश नहीं किया जा सकता है।

कामधेनु, सत्, चित् आनन्दा, जय गंगा गीता।
सविता की शाश्वती शक्ति, तुम सावित्री सीता॥

आप ही कामधेनु, सत्य, मन, आनंद, गंगा व भगवत गीता हो। आप ही सविता रूप में सदा रहने वाली शक्ति हो और आप ही माँ सावित्री व माँ सीता हो।

ऋग्, यजु, साम, अथर्व, प्राणयिनी प्रणव महामहिमे।
कुण्डलिनी सहस्त्रार सुषुम्ना शोभा गुण गरिमे॥

आपने ही चारों वेदों ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद की उत्पत्ति कर इस सृष्टि का कल्याण किया है। आप ही कुंडली की निर्माता, सुषमा, शोभा, गुण, गरिमा इत्यादि प्रदान करने वाली हो।

स्वाहा, स्वधा, शची, ब्रह्माणी, राधा, रुद्राणी।
जय सतरुपा, वाणी, विद्या, कमला, कल्याणी॥

आप ही स्वाहा, स्वधा, शची, ब्रह्माणी (सरस्वती), राधा व रुद्राणी (पार्वती) हो। आपके सात रूप हैं जिनमें आप वाणी, विद्या, कमला व कल्याणी माता के गुण प्रदर्शित करती हैं।

जननी हम हैं दीन-हीन दुःख-दारिद्र के घेरे।
यद्यपि कुटिल, कपटी, कपूत, तऊ बालक है तेरे॥

हे माता गायत्री व हम सभी की जननी!! हम बहुत ही दुखी हैं तथा कष्टों से घिरे हुए हैं। अब हम चाहे कुटील, दुष्ट, पापी, नासमझ इत्यादि कुछ भी हो लेकिन बालक तो आपके ही हैं अर्थात आप ही हमारी जननी हैं।

स्नेह सनी करुणामयी माता, चरण शरण दीजै।
बिलख रहे हम शिशु सुत तेरे, दया दृष्टि कीजै॥

आप सभी को स्नेह करने वाली तथा दयावान हैं, इसलिए अपने चरणों में हमें शरण देकर हमारा उद्धार कीजिये। हम सभी आपकी छत्रछाया में आने को तड़प रहे हैं, इसलिए हम पर थोड़ी दया कीजिये।

काम, क्रोध, मद, लोभ, दम्भ, दुर्भाव, द्वेष हरिये।
शुद्ध बुद्धि, निष्पाप हृदय, मन को पवित्र करिये॥

आप हम सभी के काम, क्रोध, मोह, लालसा, अहंकार, दुर्भावना, ईर्ष्या इत्यादि दुष्ट भावों को दूर कर दीजिये। आप हमारी बुद्धि को शुद्ध कीजिये, हमारे हृदय को निष्पाप करें तथा मन को पवित्र बनाये।

तुम समर्थ सब भाँति तारिणी तुष्टि-पुष्टि त्राता।
सत्यमार्ग पर हमें चलाओ जो है सुखदाता॥

आप हर चीज़ को करने में समर्थ हैं और आप ही हम सभी का कल्याण कर सकती हैं। आप ही हमें सत्य के मार्ग पर आगे लेकर जा सकती हैं जो सुख प्रदान करने वाला है।

ऊपर आपने जयति जय गायत्री माता (Gayatri Mata Aarti Lyrics) आरती हिंदी में अर्थ सहित पढ़ ली है। अब बारी आती है गायत्री आरती के फायदे और उसके महत्व को जानने की। तो चलिए वह भी जान लेते हैं।

गायत्री आरती का महत्व

गायत्री माता माँ आदिशक्ति का ही एक रूप हैं या फिर यूँ कहें कि माँ आदिशक्ति ही गायत्री माता हैं। सनातन धर्म में देवी माता के हर रूप का एक गुण होता है और इसी कारण उनकी पूजा की जाती है किन्तु गायत्री माता इन सभी से बिल्कुल भिन्न हैं। वह इसलिए क्योंकि इन्हें धर्म की स्थापना करने वाली प्रमुख देवी माना जाता है। हिन्दू धर्म का मुख्य आधार वेद ही हैं और यही सबसे पुराने ग्रंथ हैं जो सृष्टि की रचना से पहले और बाद में भी रहेंगे।

तो इन्हीं चारों वेदों की जननी गायत्री माता को माना जाता है। चारों वेदों की शक्तियां भी गायत्री मंत्र में ही निहित होती है और इसकी छाप गायत्री आरती में भी देखने को मिलती है। गायत्री आरती के माध्यम से हम गायत्री माता के द्वारा प्रदान की जाने वाली शक्तियां ग्रहण कर सकते हैं और आत्म-ज्ञान को प्राप्त कर सकते हैं। गायत्री आरती का महत्व यही है कि इसके जाप से आप स्वयं ब्रह्म को अपने अंदर अनुभव कर सकते हैं और परम ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।

गायत्री आरती के फायदे

ऊपर आपने गायत्री आरती के महत्व को पढ़ा तो उससे आपको गायत्री आरती के फायदे भी कुछ सीमा तक समझ में आ गए होंगे। फिर भी हम इसे विस्तार देते हुए बता दें कि गायत्री माता को केवल चारों वेदों की ही नहीं अपितु सभी तरह के शास्त्रों व पुराणों की भी जननी माना जाता है। उनके द्वारा ही धर्म व संस्कृति की स्थापना की गयी थी तथा मनुष्य जाति को जीवन पद्धति व मानव कल्याण का संदेश दिया गया था।

यदि हम गायत्री आरती का नियमित रूप से पाठ करते हैं तो हम अपने अंदर एक नयी चेतना का अनुभव करते हैं। इस चेतना के माध्यम से हम में कार्य करने की शक्ति आती है और साथ के साथ हम मेधावी भी बनते हैं। इससे हमारे दिमाग का विकास होता है और हमारी सोचने-समझने की शक्ति भी बढ़ती है। कुल मिलाकर नियमित रूप से गायत्री आरती को पढ़ने से हमारे दिमाग व शरीर का संपूर्ण रूप में विकास होता है।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने जयति जय गायत्री माता की आरती (Gayatri Aarti Lyrics) हिंदी में अर्थ सहित पढ़ ली है। साथ ही आपने जयति जय गायत्री माता आरती के फायदे और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

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कृष्णा

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