Kamla Mata: कमला माता की कहानी जो है अंतिम महाविद्या

कमला देवी (Kamla Devi)

दस महाविद्याओं में कमला देवी (Kamla Devi) को आखिरी व दसवीं महाविद्या के नाम से जाना जाता है। माता सती के 10 रूपों में से कमला माता (Kamla Mata) आखिरी रूप थीं जिन्हें कमला महाविद्या के रूप में पूजा जाता है। इन्हें माता लक्ष्मी के समकक्ष माना गया है अर्थात यह एक तरह से माता लक्ष्मी का ही रूप हैं।

कमला मां की पूजा करने से माँ लक्ष्मी के समान ही फल की प्राप्ति होती है। आपने भी बहुत जगह माँ लक्ष्मी को Maa Kamla के नाम से संबोधित होते हुए सुना होगा। आज हम आपको कमला माता की कहानी, महत्व, साधना मंत्र के लाभ इत्यादि विस्तार से बताएँगे।

Kamla Devi | कमला देवी

क्या आप जानते हैं कि कमला माता वैसे तो देवी सती या देवी पार्वती का रूप हैं लेकिन उन्हें माँ लक्ष्मी के समकक्ष माना जाता है। अब यह एक रहस्य नहीं तो और क्या है। हालांकि इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि देवी के सभी रूप आपस में जुड़े हुए हैं। कमला मां यह दिखाती हैं कि देवी पार्वती ही देवी लक्ष्मी हैं और देवी लक्ष्मी ही देवी पार्वती हैं।

अब हम यहाँ कमला माता के उस रूप की चर्चा करने वाले हैं जिस कारण उनकी उत्पत्ति हुई और वे Kamla Mahavidya कहलायी। इसके पीछे शिव-सती की एक रोचक कथा जुड़ी हुई है जिसके बारे में शायद आपने सुन भी रखा होगा। हालांकि आपने माता सती के आत्म-दाह के बारे में सुना होगा, उससे पहले क्या हुआ था, इसके बारे में आपको नहीं पता होगा। इसलिए आज हम आपके साथ सबसे पहले कमला माता की कथा ही सांझा करने वाले हैं।

कमला माता की कहानी

यह कथा बहुत ही रोचक है जो भगवान शिव व उनकी प्रथम पत्नी माता सती से जुड़ी हुई है। हालांकि उनकी दूसरी पत्नी माता पार्वती माँ सती का ही पुनर्जन्म मानी जाती हैं। कमला महाविद्या की कहानी के अनुसार, एक बार माता सती के पिता राजा दक्ष ने विशाल यज्ञ का आयोजन करवाया था।

चूंकि राजा दक्ष भगवान शिव से द्वेष भावना रखते थे और अपनी पुत्री सती के द्वारा उनसे विवाह किए जाने के कारण शुब्ध थे, इसलिए उन्होंने उन दोनों को इस यज्ञ में नहीं बुलाया। भगवान शिव इस बारे में जानते थे लेकिन माता सती इस बात से अनभिज्ञ थी।

यज्ञ से पहले जब माता सती ने आकाश मार्ग से सभी देवी-देवताओं व ऋषि-मुनियों को उस ओर जाते देखा तो अपने पति से इसका कारण पूछा। भगवान शिव ने माता सती को सब सत्य बता दिया और निमंत्रण ना होने की बात कही। तब माता सती ने भगवान शिव से कहा कि एक पुत्री को अपने पिता के यज्ञ में जाने के लिए निमंत्रण की आवश्यकता नहीं होती है।

माता सती अकेले ही यज्ञ में जाना चाहती थी। इसके लिए उन्होंने अपने पति शिव से अनुमति मांगी किंतु उन्होंने मना कर दिया। माता सती के द्वारा बार-बार आग्रह करने पर भी शिव नहीं माने तो माता सती को क्रोध आ गया और उन्होंने शिव को अपनी महत्ता दिखाने का निर्णय लिया।

तब माता सती ने भगवान शिव को अपने 10 रूपों के दर्शन दिए जिनमें से अंतिम Kamla Mata थी। मातारानी के यही 10 रूप दस महाविद्या कहलाए। अन्य नौ रूपों में क्रमशः काली, तारा, षोडशी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी मातंगी आती हैं।

कमला नाम का अर्थ

कमला का अर्थ कमल के पुष्प से है। माँ सती का यह रूप कमल के आसन पर विराजमान है। साथ ही मातारानी जिस सरोवर में हैं, वहां भी चारों ओर कमल के पुष्प हैं। मातारानी ने हाथों मे भी कमल के पुष्प ही पकड़े हुए हैं जिस कारण उनका नाम कमला देवी पड़ा।

अब देवी लक्ष्मी को भी सबसे अधिक प्रिय कमल पुष्प ही होते हैं। उनकी पूजा में भी कमल पुष्प ही चढ़ाये जाते हैं। इसी कारण Kamla Devi के इस रूप को देवी लक्ष्मी के समकक्ष ही माना गया है। नीचे हम आपको कमला माता के संपूर्ण रूप का विवरण देने वाले हैं।

Kamla Mata का रूप

माता कमला का स्वरुप मन को मोह लेने वाला व शांति प्रदान करने वाला है। माता का वर्ण सुनहरे रंग का है जिसमें से तेज निकल रहा है। उन्होंने लाल रंग के वस्त्र पहने हुए हैं और कई तरह के सोने के आभूषणों से सुसज्जित हैं। माता ने मुकुट पहना हुआ है तथा उनके केश खुले हुए हैं।

भगवान शिव की भांति उनके भी तीन नेत्र हैं तथा वे एक सरोवर में कमल के पुष्प पर विराजमान हैं। माता जिस सरोवर में हैं वहां उनके आसपास कई कमल के पुष्प लगे हुए हैं। मातारानी के चार हाथ हैं जिनमें से दो में उन्होंने कमल के पुष्प ही पकड़े हुए हैं तथा अन्य दो हाथ वर व अभय मुद्रा में हैं।

मातारानी के दोनों ओर चार हाथी हैं जो जल से उनका अभिषेक कर रहे हैं। Maa Kamla का यह रूप अपने भक्तों पर सदैव कृपा करने वाला और उनकी सभी इच्छाओं की पूर्ति करने वाला माना जाता है।

कमला देवी मंत्र

ॐ ह्रीं अष्ट महालक्ष्म्यै नमः॥

यदि आप Kamla Devi की आराधना करना चाहते हैं तो आपको ऊपर दिए गए कमला देवी मंत्र का जाप करना होगा। वैसे तो आप इसका जाप कभी भी कर सकते हैं लेकिन गुप्त नवरात्र के अंतिम दिन अर्थात दसवें दिन इसका जाप करने से ज्यादा लाभ मिलता है।

कमला साधना के लाभ

जैसा कि हमने ऊपर बताया कि माँ लक्ष्मी की साधना करने से जो लाभ भक्तों को मिलते हैं वही लाभ माँ कमला की पूजा करने से भी मिलते हैं क्योंकि देवी कमला को माँ लक्ष्मी का ही रूप माना जाता है। इसलिए जो भी भक्तगण माँ कमला के रूप की पूजा करते हैं उनकी व उनके परिवार की आर्थिक स्थिति पहले की तुलना में बेहतर होती है।

उनके परिवार पर आया आर्थिक संकट दूर होता है तथा व्यापार में उन्नति देखने को मिलती है। व्यक्ति विशेष के सुख व वैभव में वृद्धि देखने को मिलती है तथा आर्थिक रूप से छाये संकट के सभी बादल छंट जाते हैं।

Kamla Mahavidya की पूजा मुख्य रूप से गुप्त नवरात्रों में की जाती है। गुप्त नवरात्रों में मातारानी की 10 महाविद्याओं की ही पूजा की जाती है जिसमें से अंतिम दिन महाविद्या कमला की पूजा करने का विधान है।

Maa Kamla से संबंधित अन्य जानकारी

  • माँ कमला को अपने गुणों के कारण सभी देवियों व महाविद्या में सर्वोच्च माना जाता है।
  • माँ कमला से संबंधित रुद्रावतार कमलेश्वर महादेव हैं।
  • माँ कमला को माँ लक्ष्मी के समान प्रकाश पसंद है तथा वे अँधेरे से दूर रहती हैं।
  • देवी कमला को एक तरह से तांत्रिक लक्ष्मी भी कहा जाता है।
  • वह इसलिए क्योंकि लक्ष्मी के इस रूप की पूजा मुख्य रूप से तांत्रिकों के द्वारा की जाती है।

इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपने कमला देवी (Kamla Devi) के ऊपर संपूर्ण ज्ञान ले लिया है। आपने यहाँ जाना कि देवी लक्ष्मी को हम कमला माता के रूप में भी पूज सकते हैं। ऐसे में यदि आप धन प्राप्ति के मार्ग खोज रहे हैं तो निश्चित तौर पर आपको कमला मां की पूजा करनी शुरू कर देनी चाहिए।

कमला देवी से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: माता कमला कौन है?

उत्तर: माता कमला को माँ लक्ष्मी का ही एक रूप माना जाता है हालांकि उनका प्राकट्य माता सती की शक्ति से हुआ था

प्रश्न: देवी कमला महाविद्या का मंत्र क्या है?

उत्तर: देवी कमला महाविद्या का मंत्र “ॐ ह्रीं अष्ट महालक्ष्म्यै नमः” है जिसका गुप्त नवरात्र के अंतिम दिन जाप किया जाता है

प्रश्न: कमला महाविद्या की पूजा कैसे करें?

उत्तर: यदि आप कमला महाविद्या की पूजा करना चाहते हैं तो उसके लिए गुप्त नवरात्र के आखिरी दिन माँ लक्ष्मी की मूर्ति के सामने बैठकर कमला महाविद्या मंत्र का जाप करना चाहिए

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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