आज के समय में बहुत लोग केदारनाथ यात्रा (Kedarnath Yatra) पर जाने का प्लान कर रहे हैं। केदारनाथ मंदिर भक्तों के लिए वर्ष के केवल 6 माह ही खुलता है। इन 6 महीनों में ही देश-विदेश से करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु बाबा के यहाँ पहुँच जाते हैं। हालाँकि केदारनाथ मंदिर की यात्रा पर जाने से पहले भक्तों के कई प्रश्न होते हैं।
इसमें सबसे प्रमुख प्रश्न है केदारनाथ कैसे पहुंचे (Kedarnath Kaise Jaye), जिसका उत्तर हर कोई जानना चाहता है। यही कारण है कि आज के इस लेख में हम आपके सामने केदारनाथ यात्रा रूट को शुरू से लेकर अंत तक रखने वाले हैं। इसे पढ़कर आपको केदारनाथ मंदिर जाने में कोई दुविधा नहीं होगी।
केदारनाथ मंदिर एक ऐसा मंदिर है जो ना केवल अपनी धार्मिक आस्था के कारण श्रद्धालुओं के बीच लोकप्रिय है बल्कि अपनी प्राकृतिक सुंदरता के कारण सैलानियों व ट्रेकर्स के बीच भी उतना ही प्रसिद्ध है। वर्ष 2013 में केदारनाथ में आई प्राकृतिक आपदा के बाद इसकी प्रसिद्धि देश-विदेश में बहुत तेज गति से बढ़ी है।
प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु व सैलानी केदारनाथ धाम की यात्रा पर आते हैं और भगवान शिव की आराधना करते हैं। यदि आप भी केदारनाथ की यात्रा पर जाने का सोच रहे हैं तो आज हम केदारनाथ यात्रा कैसे करें (Kedarnath Yatra Kaise Karen), के बारे में जानेंगे। सबसे पहले हम आपको भारत के किसी भी शहर से केदारनाथ तक पहुँचने का संपूर्ण मार्ग बता देते हैं। फिर एक-एक करके आपको बताएँगे कि आप केदारनाथ मंदिर तक कैसे पहुँच सकते हैं।
सर्वप्रथम हवाई, रेल या सड़क मार्ग के द्वारा भारत के किसी भी शहर से उत्तराखंड के हरिद्वार, ऋषिकेश या देहरादून पहुँच जाएं। दिल्ली से केदारनाथ की दूरी लगभग 452 किलोमीटर के आसपास है।
फिर इन तीनों मुख्य शहरों से सोनप्रयाग के लिए स्थानीय बस, टैक्सी, कार इत्यादि लें। इन तीनों शहरों से सोनप्रयाग की दूरी 200 से 250 किलोमीटर के बीच है। आप चाहें तो यहाँ से गुप्तकाशी की बस लेकर वहां से भी सोनप्रयाग पहुँच सकते हैं।
सोनप्रयाग से मंदाकिनी नदी पर बना पुल पार करें और वहां चलने वाली शेयर्ड जीप (Sonprayag To Gaurikund Distance) लें। यह जीप आपको सोनप्रयाग से 5 किलोमीटर दूर गौरीकुंड छोड़ देगी। ध्यान रहे, सोनप्रयाग से गौरीकुंड तक केवल यह शेयर्ड जीप ही जाती है, बाकि सभी सरकारी या निजी वाहन केवल सोनप्रयाग तक ही जा सकते हैं।
गौरीकुंड केदारनाथ तक पहुँचने का आखिरी मोटर मार्ग है। इससे आगे की दूरी आपको पैदल, पालकी, खच्चर, घोड़े पर ही करनी पड़ेगी। गौरीकुंड से केदारनाथ की दूरी 16 किलोमीटर (Gaurikund Se Kedarnath Ki Duri) है। यदि आप हेलीकॉप्टर से केदारनाथ पहुंचना चाहते हैं तो आपको फाटा एयरबेस जाना पड़ेगा जो गुप्तकाशी के पास में स्थित है।
आपने दिल्ली से केदारनाथ की पूरी यात्रा अर्थात दूरी के बारे में जान लिया है। दिल्ली से केदारनाथ के बीच में मुख्य तौर पर तीन पड़ाव आते हैं जिनके नाम ऋषिकेश, सोनप्रयाग और गौरीकुंड हैं। केदारनाथ पहुँचने की सड़क गौरीकुंड तक समाप्त हो जाती है और वहां से पहाड़ों की चढ़ाई शुरू हो जाती है।
ऐसे में कुछ लोग हवाई जहाज से जाते हैं तो कुछ रेल मार्ग के द्वारा तो वहीं दिल्ली, चंडीगढ़ इत्यादि पास के शहरों में रहने वाले लोग केदारनाथ अपने वाहन या बस से भी पहुँचते हैं। तो आइये तीनों मार्ग के बारे में ही जान लेते हैं।
यदि आप हवाई जहाज से केदारनाथ जाना चाहते हैं तो केदारनाथ के सबसे पास का हवाईअड्डा देहरादून का ग्रांट जॉली एअरपोर्ट (Kedarnath Near Airport Name) है। आप देहरादून एअरपोर्ट उतर कर वहां से बस या टैक्सी लें जो आपको सोनप्रयाग तक पहुंचा देगी। देहरादून से सोनप्रयाग की दूरी 239 किलोमीटर के आसपास है। सोनप्रयाग पहुँचने के बाद वहां से शेयर्ड जीप लेकर गौरीकुंड पहुंचें, जहाँ से आगे केदारनाथ 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
यदि आप सभी भारतीयों की पसंद रेलगाड़ी से केदारनाथ (Kedarnath Train Se Kaise Jaye) आ रहे हैं तो आपको बता दें कि केदारनाथ के सबसे पास का रेलवे स्टेशन ऋषिकेश का है। किंतु आप चाहें तो हरिद्वार या देहरादून भी आ सकते हैं। तीनों शहरों से सोनप्रयाग की दूरी में ज्यादा अंतर नही है। इसलिए आप रेलमार्ग से ऋषिकेश, हरिद्वार या देहरादून कहीं भी आ जाएं, तीनों ही शहरों से आपको कई स्थानीय बस या टैक्सी सोनप्रयाग तक के लिए मिल जायेंगी।
दिल्ली, चंडीगढ़, जयपुर इत्यादि सभी प्रमुख शहरों से हरिद्वार, ऋषिकेश या देहरादून की कई बसें (Kedarnath Bus Seva) चलती हैं। आप कोई भी बस पकड़ कर यहाँ पहुँच जाएं और फिर आगे के लिए स्थानीय बस या टैक्सी कर लें।
आप बस, टैक्सी, कार या अपने वाहन से केदारनाथ के लिए सोनप्रयाग तक ही जा सकते हैं। जिस भी वाहन से आप जायेंगे वह आपको सोनप्रयाग के पास मंदाकिनी नदी पर बने पुल के पास उतार देगा। यहाँ से आपको पैदल ही मंदाकिनी नदी पर बना पुल पार करना होगा और जीप स्टैंड तक जाना होगा।
यहाँ से सरकारी जीप यात्रियों को 20 से 30 रुपए में गौरीकुंड छोड़ती है। सोनप्रयाग से गौरीकुंड की दूरी लगभग 5 किलोमीटर के पास है। इसलिए आप पुल पार करके यह शेयर्ड जीप लें और गौरीकुंड पहुँच जाएं।
गौरीकुंड केदारनाथ तक मोटर मार्ग से पहुँचने का आखिरी स्थान है। इससे आगे कोई भी वाहन नही जाता है। यहाँ से केदारनाथ की दूरी लगभग 16 किलोमीटर के आसपास है। इसलिए आगे का मार्ग आप पैदल या विभिन्न अन्य साधनों की सहायता से कर सकते हैं। आइए उनके बारे में भी जान लेते हैं।
यदि आप स्वस्थ व युवा हैं तो हम आपको केदारनाथ का ट्रेक पैदल करने के लिए ही कहेंगे। देश-विदेश से लाखों की संख्या में जो लोग केदारनाथ के दर्शन करने आते हैं वे केवल मुख्य मंदिर को ही नही अपितु इसके आसपास के दृश्यों, ट्रेक की सुंदरता इत्यादि भी देखने आते हैं।
इसलिए यदि आप फिट हैं और पैदल चल सकते (Kedarnath Paidal Yatra) हैं तो आपको केदारनाथ का ट्रेक पैदल ही पार करना चाहिए। ऐसा नही है कि आप अकेले ही इस ट्रेक को कर रहे होंगे या बहुत कम लोग आपके साथ होंगे। आप देखेंगे कि आपके साथ हजारों की संख्या में श्रद्धालु केदारनाथ मंदिर की ओर हर हर महादेव का जयकारा लगाते हुए बढ़ रहे होंगे।
केदारनाथ का ट्रेक पैदल पूरा करने में सामान्यतया 8 घंटों का समय लगता है। इसलिए आप गौरीकुंड से सुबह जल्दी केदारनाथ के ट्रेक के लिए निकल जाएं ताकि दिन छिपने से पहले-पहले वहां की प्राकृतिक सुंदरता व आसपास के दृश्यों का आनंद उठा सकें।
इसके साथ ही केदारनाथ की यात्रा को भारत सरकार के द्वारा अत्यधिक सुगम बना दिया गया है। 16 किलोमीटर का पूरा ट्रेक श्रद्धालुओं की सुगमता को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। बीच-बीच में आपको कई विश्राम गृह, खाने-पीने की व्यवस्था, सुस्ताने के लिए स्थल इत्यादि मिल जाएंगे। इसलिए यदि आप बीच में विश्राम करना चाहते हैं या कुछ खाना-पीना चाहते हैं तो उसकी चिंता करने की बिल्कुल भी आवश्यकता नही।
यदि आप पैदल केदारनाथ तक पहुँचने में सक्षम नही हैं तो यहाँ आपको घोड़ों या खच्चर की सुविधा आसानी से मिल जाएगी। यह सुविधा गौरीकुंड में जहाँ से यात्रा शुरू होती है वहीं से उपलब्ध है। इसका शुल्क उत्तराखंड की सरकार के द्वारा प्रति वर्ष निर्धारित किया जाता है।
सामान्यतया गौरीकुंड से केदारनाथ तक जाने के लिए घोड़े का किराया 1000 से 1500 के बीच (Kedarnath Ghode Ka Kiraya) है। यदि आप आने-जाने दोनों के लिए घोड़ा लेते हैं तो किराया 2000 तक लगता है।
यदि आप घोड़े पर केदारनाथ नही जाना चाहते हैं तो आपके लिए सरकार की ओर से पालकी की सुविधा (Kedarnath Palki Yatra) भी उपलब्ध है। इसमें आपको एक पालकी पर बैठ जाना है व दो व्यक्ति इसे आगे व पीछे से पकड़ कर आपको केदारनाथ तक पहुंचा देंगे। सामान्यतया पालकी का किराया ज्यादा होता है जो कि लगभग 4 से 6 हज़ार के बीच है।
इसके अलावा आपको वहां ऐसे लोगों की सुविधा भी मिल जाएगी जो आपको अपनी पीठ पर लादकर केदारनाथ पहुंचा देंगे। वे आपको कपड़े की पोटली की सहायता से अपनी पीठ पर लाद लेंगे व अपने कन्धों और सिर से उसे पकड़ कर केदारनाथ पहुंचा देंगे। हालाँकि यह उस व्यक्ति के लिए कष्टदायक हो सकता है।
यदि आप ऊपर दिए गए किसी भी साधन से केदारनाथ नही जाना चाहते हैं तो सरकार के द्वारा केदारनाथ तक सीधे हवाई मार्ग से पहुँचने की सुविधा भी उपलब्ध (Kedarnath Helicopter Seva) है। यह आपको केवल 20 मिनट में केदारनाथ तक पहुंचा देगी। इसके लिए आपको गौरीकुंड जाने की आवश्यकता नही है।
जब आप हरिद्वार, ऋषिकेश या देहरादून से सोनप्रयाग जाएंगे तब उसके बीच में गुप्तकाशी नाम की एक जगह पड़ती है। आपको वहीं उतरना है। यहाँ से 15 किलोमीटर की दूरी पर फाटा नाम की एक जगह आती है। आप फाटा के एयरबेस पर पहुँच जाएं जहाँ से केदारनाथ की हेलीकॉप्टर सुविधा उपलब्ध है।
आप चाहें तो केदारनाथ की हवाई सेवा की ऑनलाइन बुकिंग भी करवा सकते हैं या फिर वहां पहुंच कर ऑफलाइन भी बुक कर सकते हैं। इसका किराया भी प्रतिवर्ष उत्तराखंड सरकार के द्वारा निर्धारित किया जाता है। सामान्यतया फाटा से केदारनाथ का किराया 3500 रुपए (Kedarnath Helicopter Price) लगता है। यदि आपको आने-जाने का हेलीकॉप्टर बुक करवाना है तो उसका किराया लगभग सात हज़ार के आसपास पड़ेगा।
इसके अलावा आपको सरसी गाँव से भी हेलीकॉप्टर सुविधा मिल जाएगी। कुछ लोग सीधे ऋषिकेश या देहरादून से भी केदारनाथ की हवाईयात्रा करते हैं जो कि बहुत महँगी पड़ती है। हालाँकि हम यहाँ आपको केदारनाथ हवाईमार्ग से ना जाकर ऊपर बताये गए मार्गों से जाने को कहेंगे क्योंकि हवाईमार्ग में आप केदारनाथ की असली सुंदरता का आनंद नहीं उठा पाएंगे।
अब जब बात केदारनाथ यात्रा की हो रही है तो आपको इसके ट्रेक के बारे में भी संपूर्ण जानकारी होनी चाहिए। अब तक आप यह तो जान ही गए होंगे कि केदारनाथ का ट्रेक गौरीकुण्ड से शुरू होता है जहाँ से केदारनाथ लगभग 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहीं से आपकी केदारनाथ की असली यात्रा शुरू होती है।
केदारनाथ के ट्रेक में आपको निम्नलिखित पड़ावों से गुजरना होता है:
केदारनाथ के ट्रेक में आपको कई प्राकृतिक झरने, वॉटरफॉल, पहाड़ियों के सुंदर दृश्य, साथ-साथ चलती मंदाकिनी नदी का बहता पानी, हिमालय की चोटियों के दृश्य, सुगन्धित पुष्प, पशु-पक्षी और उनके चहचहाने की आवाज इत्यादि देखने को मिलेंगे जो आपका मन आनंदित कर देंगे। अब केदारनाथ यात्रा कैसे करें, इसके बारे में ऊपर दिए गए स्थानों के क्रम के अनुसार जानते हैं।
आप चाहें तो इनमे से कहीं भी रुक सकते हैं लेकिन हम आपको सलाह देंगे कि इसके लिए आप पहले से ही ऑनलाइन बुकिंग (GMVN Kedarnath Room Booking) करवा कर रखें क्योंकि प्रतिदिन लाखों की संख्या में भक्तगण केदारनाथ धाम पहुँचते हैं। इसलिए उस समय कमरा खाली मिले या नही, इसके बारे में कहा नही जा सकता है। इसके अलावा आपको कई निजी कैंप व रहने की अन्य सुविधाएँ भी आसपास मिल जाएगी।
इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपने केदारनाथ यात्रा (Kedarnath Yatra) के बारे में संपूर्ण जानकारी ले ली है। आज के समय में बहुत से लोग केदारनाथ की यात्रा पर जा रहे हैं लेकिन इसके लिए वे हेलीकाप्टर सेवा का उपयोग ले रहे हैं। ऐसे में हम आपको यही परामर्श देंगे कि यदि आप स्वयं चलकर जा सकते हैं तो हेलीकाप्टर का इस्तेमाल ना करें। इसके अत्यधिक इस्तेमाल से केदारनाथ के पहाड़ों को नुकसान हो रहा है।
केदारनाथ यात्रा से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: केदारनाथ जाने के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर: केदारनाथ जाने के लिए सबसे पहले तो आपको यात्रा का ऑनलाइन पंजीकरण करवा लेना चाहिए। इसके साथ ही आपको वहां के मौसम की जानकारी लेनी चाहिए।
प्रश्न: केदारनाथ यात्रा कब जाना चाहिए?
उत्तर: आप केदारनाथ यात्रा पर अप्रैल से नवंबर के बीच में जा सकते हैं। ज्यादातर श्रद्धालु यहाँ पर मई व जून के महीने में जाते हैं।
प्रश्न: केदारनाथ जाने में कितना खर्चा आता है?
उत्तर: केदारनाथ जाने पर सामान्य तौर पर 15 से 25 हज़ार तक का खर्चा आता है। अब यह आप पर निर्भर करता है कि आप कहाँ से आ रहे हैं, कहाँ रुक रहे हैं और कितने दिन रुक रहे हैं।
प्रश्न: केदारनाथ जाने के लिए कितना पैदल चलना पड़ता है?
उत्तर: केदारनाथ जाने के लिए 16 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ता है। केदारनाथ जाने के लिए पहाड़ों की चढ़ाई गौरीकुंड से शुरू होती है जहाँ से केदारनाथ की दूरी 16 किलोमीटर है।
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