Kedarnath Facts In Hindi: केदारनाथ मंदिर से जुड़े 10 रोचक तथ्य

Kedarnath Facts In Hindi

क्या आप भी केदारनाथ मंदिर से जुड़े रोचक तथ्य (Kedarnath Facts In Hindi) जानना चाहते हैं। केदारनाथ धाम एक ऐसा धाम है जिसके बारे में हर कोई गहराई से जानना चाहता है। इसकी लोकप्रियता व प्रसिद्धि को देखकर हर किसी के मन में यह प्रश्न उठता है कि आखिर केदारनाथ मंदिर से जुड़ी कुछ अनकही बातें क्या हैं। ऐसे में आज हम इसी के बारे में ही बात करने वाले हैं।

फिर चाहे वह केदारनाथ शिवलिंग (Kedarnath Shivling) हो या केदारनाथ मंदिर के दर्शन (Kedarnath Mandir Ke Darshan) करने से संबंधित बात हो। आज हम आपके सामने केदारनाथ मंदिर से जुड़े सभी तरह के रोचक व अनकहे पहलू रखने जा रहे हैं जिन्हें पढ़कर आप भी आश्चर्यचकित हुए बिना नहीं रह पाएंगे।

Kedarnath Facts In Hindi: केदारनाथ मंदिर से जुड़े 10 रोचक तथ्य

वैसे तो केदारनाथ मंदिर से जुड़े एक या दो नहीं सैकड़ों तथ्य हैं जो हम आपके सामने रख सकते हैं। केदारनाथ मंदिर है ही इतना अद्भुत व उत्कृष्ट जिसके निर्माण से लेकर प्राकृतिक आपदाओं में कोई ना कोई रोचक तथ्य जुड़ा हुआ है। एक सबसे बड़ा तथ्य तो यही है कि पूरे 400 वर्षों तक केदारनाथ मंदिर बर्फ से ढक गया था और वहां जाने के सभी मार्ग बंद हो गए थे।

वहीं बहुत कम भक्तों को पता होगा कि केदारनाथ मंदिर को केदारनाथ ज्योतिर्लिंग (Kedarnath Jyotirlinga) के नाम से भी जाना जाता है। वहीं साथ ही इसे पंच केदार में प्रमुख केदार की संज्ञा भी दी गयी है। आइये एक-एक करके केदारनाथ मंदिर से जुड़े 10 रोचक तथ्यों के बारे में जान लेते हैं।

1. केदारनाथ शिवलिंग (Kedarnath Shivling)

केदारनाथ का सबसे बड़ा रोचक तथ्य व रहस्य यहाँ पर स्थित शिवलिंग है। यह शिवलिंग त्रिकोण के आकार का एक बड़ा पत्थर है जिसे भगवान शिव के बैल रुपी अवतार का पीठ वाला भाग माना जाता है। यह शिवलिंग मानव निर्मित ना होकर प्राकृतिक है जो धरती में से प्रकट हुआ था।

इस शिवलिंग के निर्माण के पीछे महाभारत के समयकाल की पांडवों व भगवान शिव से जुड़ी कथा प्रचलित है। इसमें महाबली भीम शिव के बैल रुपी अवतार के पीछे वाले भाग को पकड़ लेता है जिस कारण वह भाग वहीं रह जाता है। बैल के चार भाग चार अन्य स्थानों पर प्रकट होते हैं। इन्हीं पाँचों स्थानों को सम्मिलित रूप से पंच केदार के नाम से जाना जाता है।

2. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग (Kedarnath Jyotirlinga)

केदारनाथ पंच केदार में से एक होने के साथ-साथ 12 ज्योतिर्लिंग में भी एक ज्योतिर्लिंग है। दरअसल एक समय में नर व नारायण (भगवान विष्णु) इस जगह पर भगवान शिव की तपस्या कर रहे थे। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर शिव ने उन दोनों को दर्शन दिए।

इसके बाद शिव ने अपने एक रूप को हमेशा इस स्थल पर ज्योतिर्लिंग के रूप में निवास करने का आशीर्वाद दोनों को दिया। उसके बाद से केदारनाथ का स्थान ज्योतिर्लिंग में भी सम्मिलित हो गया।

3. केदारनाथ मंदिर का निर्माण

केदारनाथ मंदिर का निर्माण बड़े-बड़े पत्थरों, चट्टानों, शिलाखंडों से किया गया है। इन शिलाखंडों को आपस में जोड़ने के लिए इंटरलॉकिंग तकनीक को अपनाया गया है जिसमें कहीं भी सीमेंट इत्यादि का प्रयोग नही किया गया है।

अब इसमें सबसे बड़ा रोचक तथ्य व रहस्य यह है कि केदारनाथ स्वयं समुंद्र तल से 22,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इतनी अधिक ऊंचाई पर इतने विशाल शिलाखंडों को पहुँचाना व फिर उन्हें एक के ऊपर एक रखकर इंटरलॉकिंग करना किसी मानव के लिए सक्षम नही दिखता। मंदिर निर्माण का यह अद्भुत रूप इसे और रोचक बना देता है।

4. केदारनाथ मंदिर के दर्शन (Kedarnath Mandir Ke Darshan)

केदारनाथ मंदिर भक्तों के लिए केवल छह माह तक ही खुलता है। मई में अक्षय तृतीया के दिन इसे खोला जाता है व दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा में इसे बंद कर दिया जाता है। उसके बाद मंदिर के कपाट छह माह तक बंद रहते हैं व भगवान शिव के प्रतीकात्मक स्वरुप को नीचे उखीमठ में स्थापित कर दिया जाता है।

ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि उस समय यहाँ भीषण बर्फबारी होती है। इस कारण वहां के स्थानीय नागरिक, दुकान वाले, प्रशासन के अधिकारी व अन्य लोग वहां से नीचे रहने चले जाते हैं। इस दौरान केदारनाथ धाम जाने के सभी मार्ग बंद हो जाते हैं व यह स्थल पूरी तरह से सुनसान रहता है।

5. भैरवनाथ मंदिर

केदारनाथ के मुख्य मंदिर से आधा किलोमीटर से भी कम दूरी पर एक मंदिर है जिसका नाम है श्री भैरवनाथ मंदिर। भैरवनाथ को इस क्षेत्र का क्षेत्रपाल कहा जाता है जिनके द्वारा केदारनाथ मंदिर व इसके आसपास वाले स्थलों की सुरक्षा की जाती है।

जो कोई भी केदारनाथ की यात्रा पर जाता है उसका इस भैरव मंदिर में दर्शन करना आवश्यक होता है अन्यथा केदारनाथ की यात्रा पूर्ण नही मानी जाती है। सर्दियों में बाबा भैरवनाथ के द्वारा ही केदारनाथ मंदिर की सुरक्षा व पूजा की जाती है।

6. केदारनाथ मंदिर की अखंड ज्योत

इसका एक और सबसे बड़ा रोचक तथ्य जो है वह है यहाँ जलने वाली अखंड ज्योत या दीपक। दरअसल जब मंदिर के पुजारियों के द्वारा सर्दियों में मंदिर के कपाट बंद कर ताला लगा दिया जाता है तब मंदिर के अंदर एक जलता हुआ दीपक छोड़ दिया जाता है।

इसके छह माह के पश्चात जब मंदिर के कपाट पुनः खोले जाते हैं तब वह दीपक उसी तरह जलता हुआ पाया जाता है। इसके साथ ही ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे कल ही किसी ने मंदिर में पूजा-अर्चना व साफ-सफाई की हो। 2013 में आई भीषण त्रासदी के बाद जब मंदिर के कपाट मई माह में खोले गए थे तब भी यह अखंड ज्योत जल रही थी।

7. 2013 की प्राकृतिक आपदा

वर्ष 2013 में केदारनाथ में आयी प्राकृतिक आपदा के बारे में कौन नही जानता। यह आपदा इतनी ज्यादा भीषण थी कि लगभग 10 हज़ार से ज्यादा भक्तों की मृत्यु हो गयी थी व केदारनाथ जाने का मार्ग व अन्य स्थल पूरी तरह से तहस-नहस हो गए थे लेकिन आश्चर्य की बात यह थी कि मुख्य मंदिर को कुछ भी नुकसान नही पहुंचा था।

इसका कारण था बाढ़ के पानी में बहकर आई एक विशाल चट्टान जिसे आज हम भीमशिला के नाम से जानते हैं। 2013 में जब बाढ़ का पानी तेज गति से केदारनाथ मंदिर की ओर बढ़ रहा था तब उस पानी के साथ एक विशाल चट्टान भी बहती हुई मंदिर तक आई और ठीक मंदिर के पीछे आकर रुक गयी। बाढ़ का पानी उस चट्टान से टकरा कर दो भागों में बंट गया व मंदिर के दोनों ओर से निकल गया। इस कारण मंदिर को कुछ भी नुकसान नही हुआ था। यह एक चमत्कार ही था जिसे संपूर्ण विश्व ने देखा था।

8. मंदिर का बर्फ से ढक जाना

केदारनाथ ने केवल 2013 की प्राकृतिक आपदा ही नही झेली थी बल्कि 400 वर्षों तक यह मंदिर बर्फ में ढका रहा था। जी हां, सही सुना आपने। वाडिया इंस्टीट्यूट हिमालय देहरादून के द्वारा एक शोध किया गया जिसमे बताया गया कि 13वीं शताब्दी से लेकर 17वीं शताब्दी तक इस जगह पर भीषण बर्फबारी हुई थी।

उस बर्फबारी में ना केवल केदारनाथ मंदिर बल्कि संपूर्ण क्षेत्र बर्फ में दब गया था। तब 400 वर्षों तक केदारनाथ मंदिर पूरी तरह से बर्फ में ढका रहा था। उसके बाद 17वीं शताब्दी में बर्फ हटने के बाद मंदिर पुनः देखने में आया और फिर से यहाँ की यात्रा शुरू कर दी गयी। मंदिर की दीवारों पर बर्फ से ढके होने के निशान आज तक देखे जा सकते हैं।

9. केदारनाथ मंदिर के पुजारी

केदारनाथ मंदिर से जुड़ा एक और रोचक तथ्य जिससे जुड़ा हुआ है वो है यहाँ के पुजारी। सदियों पहले जब भारत की भूमि पर आदि शंकराचार्य ने जन्म लिया था तब उनके द्वारा केदारनाथ मंदिर का पुनः निर्माण किया गया था। साथ ही उनकी समाधि भी केदारनाथ मंदिर के पीछे स्थित है।

आदि शंकराचार्य के द्वारा केदारनाथ मंदिर की देखभाल व पूजा-अर्चना का कार्य कर्नाटक राज्य के वीरा शैव जंगम समुदाय के ब्राह्मणों को सौंपा गया था। तब से यह परंपरा आज तक चली आ रही है। इसके साथ ही मंदिर के सभी पूजा-अनुष्ठान व कार्य कन्नड़ भाषा में ही किये जाते हैं।

10. केदारनाथ धाम का लुप्त हो जाना

पुराणों में यह भविष्यवाणी की गयी है कि भविष्य में केदारनाथ धाम लुप्त हो जाएगा। उनके अनुसार नारायण की शक्ति से पहाड़ों का आपस में मिलन होगा और इस क्षेत्र पर स्थित सभी धाम लुप्त हो जाएंगे जिनमे केदारनाथ व बद्रीनाथ मुख्य है।

पहाड़ों के आपस में मिलन से इन धामों के मार्ग लुप्त हो जाएंगे व ये एक रहस्य बनकर रह जाएंगे। पुराणों में यह भी कहा गया है कि इसके बाद एक नया धाम बनेगा जिसे भविष्यबद्री के नाम से जाना जाएगा।

केदारनाथ शिवलिंग से जुड़े प्रश्नोत्तर

प्रश्न: केदारनाथ के दर्शन करने में कितने दिन लगते हैं?

उत्तर: केदारनाथ के दर्शन में लगभग 5 से 7 दिन का समय लगता है अब दिनों का यह आंकड़ा आपके शहर के अनुसार कम या ज्यादा भी हो सकता है

प्रश्न: क्या केदारनाथ वैष्णो देवी से कठिन है?

उत्तर: जी हां, केदारनाथ की चढ़ाई वैष्णो देवी से कठिन है वैष्णो देवी की चढ़ाई में आपको हर जगह सीढ़ियाँ मिल जाएगी जबकि केदारनाथ में ऐसा नहीं है

प्रश्न: ट्रेन से केदारनाथ कैसे जाएं?

उत्तर: यदि आप ट्रेन से केदारनाथ जाने का सोच रहे हैं तो केदारनाथ के सबसे पास का रेलवे स्टेशन ऋषिकेश रेलवे स्टेशन है वहां से केदारनाथ आप बस या टैक्सी से जा सकते हैं

प्रश्न: केदारनाथ इतना शक्तिशाली क्यों है?

उत्तर: केदारनाथ पंच केदारों में प्रथम व प्रमुख केदार तथा 12 ज्योतिर्लिंगों में से प्रथम ज्योतिर्लिंग है इसी कारण यह बहुत शक्तिशाली है

प्रश्न: केदारनाथ मंदिर कितने साल पुराना है?

उत्तर: केदारनाथ मंदिर का निर्माण आज से हजारों वर्ष पूर्व पांडवों के द्वारा किया गया था यह द्वापर युग के अंत का समय था और कलियुग की शुरुआत

प्रश्न: केदारनाथ मंदिर किसने बनवाया था?

उत्तर: केदारनाथ मंदिर का निर्माण सर्वप्रथम पांडवों के द्वारा किया गया था उसके बाद कई राजाओं ने इसका पुनर्निर्माण करवाया था

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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