चालीसा

मां बगलामुखी चालीसा हिंदी में – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

आज के इस लेख में आपको बगलामुखी चालीसा हिंदी में (Baglamukhi Chalisa Hindi) अर्थ सहित पढ़ने को मिलेगी ताकि आप इसका भावार्थ समझ सकें। माता सती के द्वारा अपने पिता दक्ष के यज्ञ में जाने की अनुमति लेते समय उन्होंने शिवजी को अपना प्रभाव दिखाने के उद्देश्य से दस महाविद्याओं को प्रकट किया था।

इसमें से आठवीं महाविद्या बगलामुखी माता थी। माता बगलामुखी के द्वारा हमारे शत्रुओं का नाश किया जाता है तथा वाकशुद्धि भी की जाती है। इस कारण भक्तों को हर दिन मां बगलामुखी चालीसा (Maa Baglamukhi Chalisa) का पाठ करना चाहिए। इस लेख में आपको बगलामुखी चालीसा के फायदे व महत्व भी जानने को मिलेंगे। आइए सबसे पहले जानते हैं बगलामुखी चालीसा हिंदी में अर्थ सहित।

Baglamukhi Chalisa Hindi | बगलामुखी चालीसा हिंदी में

॥ दोहा ॥

सिर नवाइ बगलामुखी, लिखूँ चालीसा आज।
कृपा करहु मोपर सदा, पूरन हो मम काज॥

मैं बगलामुखी माता के सामने अपना शीश झुकाकर उनकी चालीसा की रचना करता हूँ। हे माँ बगलामुखी!! आप मुझ पर अपनी कृपा कीजिये और मेरे सभी काम बना दीजिये।

॥ चौपाई ॥

जय जय जय श्री बगला माता, आदिशक्ति सब जग की त्राता।

बगला सम तब आनन माता, एहि ते भयउ नाम विख्याता।

शशि ललाट कुण्डल छवि न्यारी, अस्तुति करहिं देव नर-नारी।

पीतवसन तन पर तव राजै, हाथहिं मुद्गर गदा विराजै।

बगलामुखी माता की जय हो, जय हो, जय हो। वे ही आदिशक्ति व इस जगत की माता हैं। बगला नाम में ही सब आ जाता है और उनका यही नाम पूरे जगत में प्रसिद्ध है। उनका माथा चंद्रमा के जैसे शीतल व कानो में कुंडल हैं जो उनकी छवि को अद्भुत रूप दे रहे हैं। माँ बगलामुखी की स्तुति तो देवता व मनुष्य सभी करते हैं। माँ बगलामुखी ने पीले रंग के वस्त्र पहने हुए हैं और हाथों में मुद्गर व गदा पकड़ी हुई है।

तीन नयन गल चम्पक माला, अमित तेज प्रकटत है भाला।

रत्न-जटित सिंहासन सोहै, शोभा निरखि सकल जन मोहै।

आसन पीतवर्ण महारानी, भक्तन की तुम हो वरदानी।

पीताभूषण पीतहिं चन्दन, सुर नर नाग करत सब वन्दन।

माँ की तीन आँखें हैं और गले में चम्पक की माला है। उनके भाले से बहुत प्रकाश निकल रहा है। वे रत्नों से जड़ित सिंहासन पर बैठी हुई हैं और उनकी शोभा से सभी का मन मोहित हो जाता है। उनका आसन पीले रंग का है और वे इस रूप में अपने भक्तों को वरदान देती हैं। उन्होंने पीले रंग के आभूषण व चंदन का लेप लगाया हुआ है। बगलामुखी माता की वंदना देवता, मनुष्य व नाग सभी करते हैं।

एहि विधि ध्यान हृदय में राखै, वेद पुराण संत अस भाखै।

अब पूजा विधि करौं प्रकाशा, जाके किये होत दुख-नाशा।

प्रथमहिं पीत ध्वजा फहरावै, पीतवसन देवी पहिरावै।

कुंकुम अक्षत मोदक बेसन, अबिर गुलाल सुपारी चन्दन।

इसी विधि के तहत बगलामुखी माता का ध्यान करके सभी वेद, पुराण व संत उनकी महिमा का वर्णन करते हैं। हे माँ!! अब आप हमारे जीवन में प्रकाश भर दो और हमारे सभी दुखों का नाश कर दो। माँ के समक्ष पीले रंग की ध्वजा लहरा रही है और उन्होंने पीले रंग के वस्त्र पहने हुए हैं। हम कुमकुम, अक्षत, मोदक, बेसन, अबीर, गुलाल, सुपारी व चंदन सहित माँ बगलामुखी की पूजा करते हैं।

माल्य हरिद्रा अरु फल पाना, सबहिं चढ़इ धरै उर ध्याना।

धूप दीप कर्पूर की बाती, प्रेम-सहित तब करै आरती।

अस्तुति करै हाथ दोउ जोरे, पुरवहु मातु मनोरथ मोरे।

मातु भगति तब सब सुख खानी, करहु कृपा मोपर जनजानी।

इन सभी वस्तुओं को मां बगलामुखी को चढ़ाने से हमें मनचाहे फल की प्राप्ति होती है। हमें धूप, दीपक, कपूर लेकर प्रेम सहित मां बगलामुखी की आरती करनी चाहिए। जो भी भक्तगण दोनों हाथ जोड़कर मां बगलामुखी की स्तुति करता है, उसके सभी मनोरथ पूरे हो जाते हैं। मां बगलामुखी की कृपा से हमें सुख प्राप्त होता है और अब आप मुझ पर भी अपनी कृपा कीजिये।

त्रिविध ताप सब दुःख नशावहु, तिमिर मिटाकर ज्ञान बढ़ावहु।

बार-बार मैं बिनवउं तोहीं, अविरल भगति ज्ञान दो मोहीं।

पूजनांत में हवन करावै, सो नर मनवांछित फल पावै।

सर्षप होम करै जो कोई, ताके वश सराचर होई।

बगलामुखी माँ अपने तप के बल पर हमारे दुखों का नाश कर देती हैं और अंधकार को दूर कर ज्ञान को बढ़ाती हैं। मैं बार-बार बगलामुखी माता से यह प्रार्थना करता हूँ कि अब आप मुझे अपनी भक्ति दीजिये। जो भी बगलामुखी माँ के नाम का हवन करवाता है, उसके मन की हरेक इच्छा पूरी होती है। जो भी माँ बगलामुखी के नाम की धूप-बत्ती करता है, उसके वश में हर कोई हो जाता है।

तिल तण्डुल संग क्षीर मिरावै, भक्ति प्रेम से हवन करावै।

दुःख दरिद्र व्यापै नहिं सोई, निश्चय सुख-संपत्ति सब होई।

फूल अशोक हवन जो करई, ताके गृह सुख-सम्पत्ति भरई।

फल सेमर का होम करीजै, निश्चय वाको रिपु सब छीजै।

जो भी तिल व खीर सहित माँ बगलामुखी का हवन करवाता है, उसे कोई भी दुःख व गरीबी नहीं सताती है तथा उसे सभी प्रकार के सुख व संपत्ति प्राप्त होती है। जो भी पुष्प लेकर माँ के नाम का अशोक हवन करवाता है, उसके घर में सुख-संपत्ति आती है। जो व्यक्ति बुरे कार्य करता है, माँ उससे सबकुछ छीन लेती हैं।

गुग्गुल घृत होमै जो कोई, तेहि के वश में राजा होई।

गुग्गुल तिल सँग होम करावै, ताको सकल बन्ध कट जावै।

बीजाक्षर का पाठ जो करहीं, बीजमंत्र तुम्हरो उच्चरहीं।

एक मास निशि जो कर जापा, तेहि कर मिटत सकल संतापा।

जो भी व्यक्ति गुग्गुल व घी के साथ बगलामुखी मां का हवन करता है, उसके वश में तो राजा भी हो जाता है। जो गुग्गुल व तिल के साथ माँ के नाम का हवन करता है, उसके सभी बंधन टूट जाते हैं। जो भी एक महीने तक माँ के नाम का बीज अक्षर व बीज मंत्र का जाप कर लेता है, उसके सभी दुःख समाप्त हो जाते हैं।

घर की शुद्ध भूमि जहँ होई, साधक जाप करै तहँ सोई।

सोइ इच्छित फल निश्चय पावै, यामे नहिं कछु संशय लावै।

अथवा तीर नदी के जाई, साधक जाप करै मन लाई।

दस सहस्र जप करै जो कोई, सकल काज तेहि कर सिधि होई।

एक साधक को अपने घर की भूमि को अच्छे से साफ कर, वहां बैठकर माँ बगलामुखी के नाम का जाप करना चाहिए। इससे उसे मनचाहे फल की प्राप्ति होती है और इस बात में किसी भी प्रकार का संशय नहीं है। जो भी मन से माँ बगलामुखी चालीसा का जाप कर लेता है, वह भवसागर को पार कर जाता है। जो भी इसका दस हज़ार बार जाप कर लेता है, उसके सभी काम बन जाते हैं।

जाप करै जो लक्षहिं बारा, ताकर होय सुयश विस्तारा।

जो तव नाम जपै मन लाई, अल्पकाल महँ रिपुहिं नसाई।

सप्तरात्रि जो जापहिं नामा, वाको पूरन हो सब कामा।

नव दिन जाप करे जो कोई, व्याधि रहित ताकर तन होई।

जो भी इस बगलामुखी चालीसा का एक लाख बार पाठ कर लेता है, उसका यश संपूर्ण विश्व में फैलता है। जो भी माता बगलामुखी के नाम का मन लगाकर जाप करता है, उसके शत्रुओं का नाश हो जाता है। जो भी सात रातों तक माँ बगलामुखी चालीसा का पाठ कर लेता है, उसके सभी काम बन जाते हैं। जो भी नौ दिनों तक बगलामुखी माता चालीसा का पाठ कर लेता है, उसके सभी संकट व रोग समाप्त हो जाते हैं।

ध्यान करै जो बन्ध्या नारी, पावै पुत्रादिक फल चारी।

प्रातः सायं अरु मध्याना, धरे ध्यान होवै कल्याना।

कहँ लगि महिमा कहौं तिहारी, नाम सदा शुभ मंगलकारी।

पाठ करै जो नित्य चालीसा, तेहि पर कृपा करहिं गौरीशा।

जो भी बाँझ नारी माँ बगलामुखी चालीसा का पाठ करती है, उसे पुत्र की प्राप्ति होती है। जो भी व्यक्ति सुबह, दोपहर व शाम में माँ बगलामुखी माता का ध्यान करता है, उसका कल्याण हो जाता है। अब मैं कैसे ही आपकी महिमा का वर्णन करू माँ, आपका तो नाम लेने से ही सदैव शुभ व मंगल होता है। जो भी इस बगलामुखी चालीसा का प्रतिदिन पाठ करता है, उस पर माँ गौरी की कृपा होती है।

॥ दोहा ॥

सन्तशरण को तनय हूँ, कुलपति मिश्र सुनाम।
हरिद्वार मण्डल बसूँ, धाम हरिपुर ग्राम॥

उन्नीस सौ पिचानवे सन् की, श्रावण शुक्ला मास।
चालीसा रचना कियौं, तव चरणन को दास॥

मैं संतों की शरण में आया हूँ और मेरा नाम कुलपति मिश्रा है। मैं हरिद्वार नगरी के हरिपुर गाँव में रहता हूँ। मैंने वर्ष 1995 के श्रावण मास के शुक्ल पक्ष में मां बगलामुखी चालीसा की रचना की है। अब आप इस सेवक को अपने चरणों में स्थान दीजिये।

ऊपर आपने मां बगलामुखी चालीसा (Maa Baglamukhi Chalisa) पढ़ ली है। इससे आपको बगलामुखी माता की चालीसा का भावार्थ समझ में आ गया होगा। अब हम बगलामुखी चालीसा के फायदे और महत्व भी जान लेते हैं।

बगलामुखी चालीसा का महत्व

माँ बगलामुखी को दस महाविद्याओं में आठवीं महाविद्या माना जाता है जिनकी पूजा गुप्त नवरात्रों में की जाती है। अब यह गुप्त नवरात्र 10 दिनों के होते हैं जिनमें मातारानी के 10 भिन्न-भिन्न रूपों की पूजा करने का विधान है। तो इन सभी रूपों में से माता बगलामुखी की महत्ता सबसे अधिक है क्योंकि उन्हें शत्रुओं का नाश करने वाली प्रमुख देवी का दर्जा प्राप्त है।

यही कारण है कि उनकी चालीसा को भी शत्रु नाशक बगलामुखी चालीसा का नाम दे दिया गया है ताकि हमें इसका महत्व अच्छे से समझ में आ सके। बगलामुखी चालीसा के माध्यम से हमें बगलामुखी माता के गुणों, महत्व, शक्तियों तथा उद्देश्य के बारे में बताया गया है और यही बगलामुखी चालीसा का महत्व होता है। ऐसे में हर किसी को प्रतिदिन बगलामुखी माता चालीसा का पाठ करना चाहिए।

बगलामुखी चालीसा के फायदे

अब आपको साथ के साथ माँ बगलामुखी की चालीसा से मिलने वाले अन्य फायदों के बारे में भी जान लेना चाहिए। इसका एक मुख्य फायदा तो आपने जान ही लिया है जिसके तहत हमारे शत्रुओं का नाश हो जाता है किन्तु यहाँ शत्रु के साथ-साथ संकटों का नाश करने के लिए भी बगलामुखी माँ की चालीसा का पाठ किया जाता है। एक तरह से कहा जाए तो यदि व्यक्ति के जीवन में किसी प्रकार का संकट आ खड़ा हुआ है और उसे इस संकट का कोई उपाय नहीं मिल रहा है तो ऐसी स्थिति में बगलामुखी चालीसा का पाठ किया जा सकता है।

मां बगलामुखी की चालीसा का एक अन्य फायदा यह भी मिलता है कि इससे व्यक्ति की वाक् शुद्धि होती है। कहने का अर्थ यह हुआ कि यदि किसी व्यक्ति को बोलने में कोई परेशानी, तुतलाहट, उच्चारण में गलतियाँ, अटकने या हकलाने की समस्या हो तो यह सब माँ बगलामुखी के आशीर्वाद और उनकी चालीसा के पाठ से ठीक हो जाती है।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने बगलामुखी चालीसा हिंदी में अर्थ सहित (Baglamukhi Chalisa Hindi) पढ़ ली हैं। साथ ही आपने मां बगलामुखी चालीसा के फायदे और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

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कृष्णा

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