Gupt Navratri: गुप्त नवरात्रि में पूजा कैसे करें? जाने गुप्त नवरात्रि का रहस्य

गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri)

गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) सामान्य नवरात्र से बहुत मामलों में भिन्न होती है। सबसे मुख्य भिन्नता तो यही है कि सामान्य नवरात्रों में हम मातारानी के नौ रूपों की पूजा करते हैं जबकि गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है। इन नवरात्र को गुप्त नवरात्र इसलिए भी बोला जाता है क्योंकि इसके बारे में अधिकतर लोगों को ज्ञान ही नहीं होता है। साथ ही गुप्त नवरात्रों में पूजा भी गुप्त रूप से ही की जाती है।

अब इसे हम गुप्त नवरात्रि का रहस्य कहें या कुछ और लेकिन इन नवरात्रों में मातारानी से मांगी गयी चीज़ मिलने की संभावना ज्यादा होती है। वह इसलिए क्योंकि गुप्त नवरात्रों में किया गया तप ना तो किसी को दिखाया जा सकता है और ना ही बताया जा सकता है। ऐसे में सबसे बड़ा प्रश्न यह उठता है कि गुप्त नवरात्रि में पूजा कैसे करें (Gupt Navratri Puja Vidhi)!! तो आइये Gupt Navratri के बारे में संपूर्ण जानकारी ले लेते हैं।

गुप्त नवरात्रि | Gupt Navratri

वर्ष में नवरात्र 2 बार नहीं अपितु 4 बार आते हैं किंतु हम में से ज्यादातर को दो बार आने वाले नवरात्रों का ही ज्ञान होता है। यह दो नवरात्र चैत्र (मार्च-अप्रैल) व अश्विन (अक्टूबर-नवंबर) नवरात्र के नाम से जाने जाते हैं। इसमें से पहले नवरात्र हिंदू नव वर्ष से शुरू होते हैं तो दूसरे दशहरा से 10 दिन पहले। इन दोनों ही नवरात्रों को पूरे भारत वर्ष में पूरे हर्ष व उल्लास के साथ मनाया जाता है।

इसके अलावा जो दो अन्य नवरात्र आते हैं वे सामान्य ना होकर गुप्त नवरात्र होते हैं। इसमें मातारानी की गुप्त तरीके से पूजा करने का विधान है। दो सामान्य नवरात्रों में हम मातारानी के 9 रूपों की पूजा करते हैं किंतु गुप्त नवरात्रों में मातारानी की 10 महाविद्याओं की पूजा करने का विधान है। इसके पीछे भगवान शिव व माता सती से जुड़ी एक प्राचीन कथा प्रचलित है। आइये उसके बारे में जान लेते हैं।

गुप्त नवरात्रि का रहस्य

भगवान शिव की पत्नी माता सती के पिता दक्ष प्रजापति ने एक यज्ञ का आयोजन करवाया था। इस यज्ञ में उन्होंने भगवान शिव व अपनी पुत्री को नहीं बुलाया था क्योंकि वे शिव से बैर खाते थे। माता सती इस बात से अनभिज्ञ थी लेकिन जब उन्होंने आकाश मार्ग से कई देवी-देवताओं को कहीं जाते हुए देखा तो उन्होंने भगवान शिव से इसका कारण पूछा।

शिव ने उन्हें बताया कि वे सभी उनके पिता के द्वारा आयोजित यज्ञ में जा रहे हैं। तो सती ने पूछा कि क्या हमें नहीं बुलाया गया। भगवान शिव ने उन्हें सारी बात बताई व यज्ञ में जाने से मना किया किंतु माता सती वहां जाना चाहती थी। जब महादेव नहीं माने तो माता सती ने उन्हें अपनी 10 महाविद्याओं के दर्शन दिये।

महादेव ने पूछा कि यह सब कौन हैं तब माँ सती ने कहा कि सामने काली हैं, नीले रंग की देवी तारा हैं, पश्चिम में छिन्नमस्ता, बाएं भुवनेश्वरी, पीठ के पीछे बगलामुखी, पूर्व-दक्षिण में धूमावती, दक्षिण-पश्चिम में कमला, पश्चिम-उत्तर में मातंगी, उत्तर-पूर्व में षोड़शी व मैं स्वयं भैरवी हूं। बस उसी के बाद से माँ की 10 महाविद्याओं की गुप्त नवरात्रों में पूजा की जाती है व उन्हें प्राप्त किया जाता है।

गुप्त नवरात्रि कब है?

जिस प्रकार सामान्य नवरात्र वर्ष में दो बार आते हैं, ठीक उसी तरह Gupt Navratri भी वर्ष में दो बार आते हैं। एक तरह से वर्ष में 4 बार नवरात्र आते हैं जिनमें से दो सामान्य और दो गुप्त नवरात्र होते हैं। सामान्य नवरात्र चैत्र और आश्विन महीने में पड़ते हैं जो अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार मार्च-अप्रैल व अक्टूबर-नवंबर महीने होते हैं।

ठीक उसी तरह गुप्त नवरात्र आषाढ़ व माघ महीने में पड़ते हैं जो अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार जून-जुलाई व जनवरी-फरवरी के महीने होते हैं। इस प्रकार वर्ष में हर तीन महीने के पश्चात मातारानी के नवरात्र आते हैं। इसे हम ऋतु परिवर्तन का समय भी कह सकते हैं। सनातन धर्म के अनुसार वर्ष में 6 ऋतुएं मानी गयी हैं जिनमें से 4 मुख्य होती है।

  • आषाढ़ गुप्त नवरात्रि

गुप्त नवरात्रि में पहली नवरात्रि आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के नाम से जानी जाती है। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकं से शुरू होकर दसवीं तक गुप्त नवरात्र का पर्व मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह समयकाल जून-जुलाई के महीनों में पड़ता है।

  • माघ गुप्त नवरात्रि

गुप्त नवरात्रि में दूसरी नवरात्रि माघ गुप्त नवरात्रि के नाम से जानी जाती है। माघ मास के शुक्ल पक्ष की प्रथम से शुरू होकर दसवीं तक गुप्त नवरात्र का पर्व मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह समयकाल जनवरी-फरवरी के महीनों में पड़ता है।

इस तरह से पहली गुप्त नवरात्रि जून-जुलाई के महीनों में तो दूसरी गुप्त नवरात्रि जनवरी-फरवरी के महीनों में मनाई जाती है। इसके बारे में आपको इसलिए नहीं पता चलता है क्योंकि मातारानी का यह पर्व गुप्त रूप से मनाया जाता है और पूजा भी गुप्त रूप से ही की जाती है। आइये अब गुप्त नवरात्रों की पूजा विधि के बारे में जान लेते हैं।

Gupt Navratri Puja Vidhi | गुप्त नवरात्रि में पूजा कैसे करें?

इसमें मातारानी की पूजा सामान्य नवरात्रों के समान ही की जाती है जिसमें घर में कलश स्थापना की जाती है। साथ ही चौकी लगाकर सुबह व शाम मातारानी की आरती व पूजा अर्चना की जाती है। प्रतिदिन मातारानी को भोग भी लगाया जाता है।

Gupt Navratri में माँ दुर्गा की पूजा को गोपनीय तरीके से किया जाता है। मंत्र भी मन में पढ़े जाते हैं। कहते हैं कि गुप्त नवरात्रों में पूजा को जितना गोपनीय तरीके से किया जाए, उतनी ही पूजा सिद्ध होती है व माँ का आशीर्वाद मिलता है। हालाँकि इस दौरान मातारानी के 9 रूपों की बजाये, 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है।

गुप्त नवरात्रि पूजा विधि को बेहतर तरीके से जानने और करने के लिए आप सामान्य नवरात्र और गुप्त नवरात्रि के बीच के अंतर को समझ लें।

  • सामान्य नवरात्रों में मातारानी की पूजा सबको बताकर व पूरे हर्षोउल्लास के साथ की जाती है जबकि गुप्त नवरात्र में इसका एकदम उल्टा होता है। जैसे कि नाम से ही पता चल रहा है कि इसमें मातारानी की पूजा को गुप्त रखना होता है। पूजा को जितना ज्यादा गुप्त रखा जायेगा, पूजा उतनी ही अधिक फलदायी सिद्ध होती है।
  • सामान्य नवरात्र में मातारानी के लिए सात्विक व तांत्रिक दोनों पूजा की जा सकती है जबकि गुप्त नवरात्र में मुख्यतया तांत्रिक पूजा करके मातारानी की महाविद्या प्राप्त की जाती है।
  • सामान्य नवरात्र में जहाँ कंजके जिमाने का प्रावधान है, वहीं गुप्त नवरात्र में ऐसा कुछ नहीं किया जाता है।
  • गुप्त नवरात्रि में मातारानी की पूजा एकांत में की जाती है। इसमें घर के सभी सदस्यों का साथ में होना आवश्यक नहीं है।
  • साथ ही इस दौरान मातारानी के लिए मंत्र, आरती, चालीसा इत्यादि को जोर से नहीं पढ़ा जाता है। इन्हें या तो धीरे पढ़ा जाता है या मन ही मन में पढ़ा जाता है।

गुप्त नवरात्रों में आपको इस बात का पूर्णतया ध्यान रखना है कि इसका ज्यादा प्रचार-प्रसार ना किया जाए, गोपनीय तरीके से ही माता की पूजा-अर्चना की जाए, तभी आपको मनचाहा फल मिलेगा।

गुप्त नवरात्रि में क्या करना चाहिए?

बहुत से भक्तगण यह भी जानना चाहते हैं कि Gupt Navratri के समय उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं। ऐसे में सबसे पहले तो हम गुप्त नवरात्र में क्या करना चाहिए, उसके बारे में चर्चा करेंगे।

  • गुप्त नवरात्रि में आपको मातारानी के नाम के व्रत रखने चाहिए। इस समय रखे गए व्रत बहुत फलदायी सिद्ध होते हैं।
  • यदि आप सभी व्रत नहीं रख सकते हैं तो आप जोड़े में व्रत रख सकते हैं। जैसे कि दो, चार या छह इत्यादि।
  • इन दिनों आपको हर दिन सुबह जल्दी उठकर, नहा धोकर, मातारानी की पूजा करनी चाहिए
  • गुप्त नवरात्रि के 10 दिनों में मातारानी के 10 महाविद्याओं के अलग-अलग रूपों की पूजा की जानी चाहिए
  • इसमें से प्रत्येक महाविद्या का अपना अलग महत्व है। वे उसी के अनुसार ही मनुष्यों को फल देती हैं।
  • इन दिनों दान देने का भी बहुत महत्व होता है लेकिन जो भी दान किया जाए, वह गुप्त दान ही होना चाहिए
  • आपको इन नौ दिनों में सात्विक भोजन करना चाहिए। मांसाहार, प्याज इत्यादि से दूर रहना चाहिए।

इस तरह से गुप्त नवरात्रि में आपको इन सब बातों को ध्यान में रखना चाहिए। इसके नियम ज्यादातर वही होते हैं जो हम सामान्य नवरात्रों में अपनाते हैं।

गुप्त नवरात्रि में क्या नहीं करना चाहिए?

अभी तक आपने जान लिया कि गुप्त नवरात्रि में क्या करना चाहिए लेकिन अब बारी है यह जानने की कि गुप्त नवरात्रि में क्या नहीं करना चाहिए। तो चलिए इसके बारे में भी जान लेते हैं।

  • गुप्त नवरात्रि में जिस चीज़ का मुख्य तौर पर ध्यान रखा जाना चाहिए, वह यह है कि आप अपनी पूजा-साधना को घर के बाहर के किसी व्यक्ति को ना बताएं।
  • इस समय की गयी पूजा, विधि, व्रत, दान इत्यादि के बारे में किसी को बताया जाता है तो उसका फल नहीं मिलता है
  • यही कारण है कि गुप्त नवरात्रि का रहस्य कभी किसी के सामने उजागर नहीं करना चाहिए अन्यथा सारा तप व्यर्थ चला जाता है
  • साथ ही इन दिनों आपको अपने मन को शुद्ध रखना चाहिए। मन में नकारात्मक विचारों को आने से रोकें और सकारात्मकता फैलाएं।
  • बहुत से दुष्ट लोग गुप्त नवरात्रि को तंत्र-साधना का माध्यम बनाकर दूसरे लोगों को हानि पहुंचाने का काम करते हैं
  • ऐसे में आप अवश्य ही अपनी साधना से सामने वाले का नुकसान कर देंगे लेकिन उसका परिणाम आगे चलकर आपको भी भोगना होगा और वो भी दुगुना
  • इस कारण Gupt Navratri में प्राप्त की गयी शक्ति व ऊर्जा का सदुपयोग करें, ना कि दुरुपयोग। यह बात आप गाँठ बाँध लें क्योंकि यह आपके लिए हितकारी सिद्ध होगी।

इस तरह से और भी कई बातें हैं जो आपको गुप्त नवरात्रि में नहीं करनी चाहिए। जैसे कि किसी का बुरा सोचना, मांसाहार का सेवन करना, स्त्री का अपमान करना या उस पर हाथ उठाना इत्यादि।

गुप्त नवरात्रि में क्या खाना चाहिए?

इस दौरान यदि आप व्रत रख रहे हैं तो यह आपके ऊपर निर्भर करता है कि आप क्या खाना चाहते हैं। कहने का अर्थ यह हुआ कि हर व्यक्ति अपनी सहनशक्ति के आधार पर तरह-तरह का व्रत करता है। कुछ लोग फलाहार का व्रत करते हैं तो कुछ एक समय अन्न का भोजन भी करते हैं। हालाँकि आपको इस दौरान सामान्य नमक, प्याज, मांस, लहसुन, अंडा इत्यादि का सेवन करने से बचना चाहिए।

व्रत में आप सेंधा नमक, कुट्टू या सिंघाड़े का आटा इत्यादि का उपयोग कर सकते हैं। वहीं जो लोग व्रत नहीं भी कर रहे हैं, वे भी प्याज, मांस इत्यादि से दूरी बनाकर रखें। एक तरह से गुप्त नवरात्र में भी सामान्य नवरात्र की तरह ही खाने-पीने के नियम लागू होते हैं।

Gupt Navratri Ka Mahatva | गुप्त नवरात्र का महत्व

अब हम आपको गुप्त नवरात्रि के महत्व के बारे में भी बता देते हैं। यह तो आप पहले ही जान चुके हैं कि गुप्त नवरात्रि में मातारानी की पूजा सामान्य नवरात्रों में की गयी पूजा से अधिक फलदायी सिद्ध होती है। इसके पीछे का कारण यह होता है कि इस दौरान हमारी भक्ति पूर्ण रूप से मातारानी को ही समर्पित होती है।

नवरात्र के इन दिनों में हम मातारानी की जो भी पूजा कर रहे होते हैं, उसे ना तो किसी को बताया जाता है और ना ही किसी की सहायता ली जाती है। ऐसे में हमें बिना किसी दिखावे के मातारानी की पूजा करने का फल भी अधिक प्राप्त होता है। जब भक्ति सच्ची होती चली जाती है, तो उसमें आनंद भी अधिक आता है और मनचाहा फल भी प्राप्त होता है। इसी कारण गुप्त नवरात्रि का महत्व बढ़ जाता है।

निष्कर्ष

इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपने गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) के बारे में संपूर्ण जानकारी ले ली है। आशा है कि अब आप सामान्य नवरात्र की तरह ही गुप्त नवरात्र में भी मातारानी की पूजा करेंगे व उनके नाम का व्रत करेंगे।

गुप्त नवरात्रि से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: गुप्त नवरात्रि कब कब आती है?

उत्तर: गुप्त नवरात्रि वर्ष में दो बार आती है पहला गुप्त नवरात्र आषाढ़ माह (जून-जुलाई) में तो दूसरा गुप्त नवरात्र माघ माह (जनवरी-फरवरी) में पड़ता है

प्रश्न: गुप्त नवरात्रि साल में कितनी बार आते हैं?

उत्तर: गुप्त नवरात्र साल में दो बार आते हैं इनके बीच 6 महीने का अंतराल होता है जो कि आषाढ़ व माघ माह में पड़ते हैं

प्रश्न: गुप्त नवरात्रि क्या होती है?

उत्तर: गुप्त नवरात्रि सामान्य नवरात्र की तरह ही होती है किन्तु इसमें मातारानी के नौ रूपों की बजाये उनकी 10 महाविद्याओं की पूजा करने का विधान है

प्रश्न: गुप्त नवरात्रि कौन कौन से महीने में आते हैं?

उत्तर: हिन्दू कैलेंडर के अनुसार पहला गुप्त नवरात्र आषाढ़ महीने में तो दूसरा गुप्त नवरात्र माघ महीने में पड़ता है अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह समयकाल जून-जुलाई व जनवरी-फरवरी महीने का होता है

प्रश्न: गुप्त नवरात्रि का रहस्य क्या है?

उत्तर: गुप्त नवरात्रि का रहस्य यही है कि इस दौरान मातारानी की पूजा का अधिक फल प्राप्त होता है किन्तु इसे हमें गुप्त तरीके से ही करना होता है

प्रश्न: गुप्त नवरात्रि में कौन सी देवी की पूजा की जाती है?

उत्तर: गुप्त नवरात्रि में माता सती की 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है जो उन्होंने भगवान शिव को अपनी शक्ति दिखाने के लिए प्रकट की थी

प्रश्न: गुप्त नवरात्रि कितनी बार आती है?

उत्तर: एक वर्ष में गुप्त नवरात्रि कुल दो बार आती है जो आषाढ़ व माघ महीने में पड़ती है

प्रश्न: गुप्त नवरात्रि करने से क्या फायदा होता है?

उत्तर: यदि आप गुप्त नवरात्रि की पूजा करते हैं और मातारानी के नाम का व्रत करते हैं तो आपको मातारानी की अलग-अलग महाविद्या की शक्तियां प्राप्त होती है

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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