Dasha Mahavidya: 10 महाविद्या कौन-कौन सी है? जाने हरेक महाविद्या के बारे में

दस महाविद्या (Das Mahavidya)

जिस प्रकार मातारानी के नौ रूप प्रचलित हैं, ठीक उसी प्रकार मातारानी की दस महाविद्या (Das Mahavidya) भी प्रसिद्ध हैं जिनकी पूजा गुप्त नवरात्र के समय की जाती हैं। यह 10 महाविद्या (Dasha Mahavidya) माता सती ने भगवान शिव के सामने अपना प्रभाव दिखाने के लिए प्रकट की थी। इनकाप्राकट्य अलग-अलग उद्देश्यों के लिए विभिन्न समयकाल में हुआ था।

इन Dus Mahavidya के रूप की साधना मुख्य रूप से तांत्रिक विद्या व शक्तियां प्राप्त करने के लिए की जाती हैं। इसलिए इन्हें तांत्रिक महाविद्या या शक्तियां भी कहा जाता हैं। हालाँकि इन शक्तियों का सदुपयोग व दुरुपयोग दोनों किया जा सकता है। आज हम आपको 10 महाविद्या के नाम सहित उनके बारे में संक्षेप में जानकारी देंगे।

Das Mahavidya | दस महाविद्या

जब माता सती अपने पिता दक्ष के यज्ञ में जा रही थी तब महादेव ने अनहोनी की आशंका से उन्हें वहां जाने से रोक दिया था। इस पर माता सती ने महादेव के समक्ष अपने 10 गुणों अर्थात Dasha Mahavidya का प्रदर्शन किया था। इन्हें देखकर ही महादेव ने माता सती को राजा दक्ष के यज्ञ में जाने की अनुमति दी थी। हालाँकि होनी को कौन टाल सकता है। वही हुआ, जिसको शव को भी डर था।

दक्ष ने शिव का अपमान किया और यह एक पतिव्रता स्त्री सती सहन नहीं कर पायी। वह उसी यज्ञ के अग्नि कुंड में कूद गयी और शिव ने दक्ष का गला काट दिया। इसके बाद मातारानी के दस रूप दस महाविद्या के रूप में पूरे जगत में प्रसिद्ध हो गए। हालाँकि इनकी पूजा-विधि व साधना गुप्त रखी गयी है। इसके लिए गुप्त नवरात्रि का समय चुना गया है जो हर वर्ष दो बार आते हैं।

Dus Mahavidya में प्रत्येक का अपना अलग महत्व व गुण है। इनकी आराधना करने से मिलने वाला फल व लाभ भी अलग होता है। आइये एक-एक करके इन सभी 10 महाविद्या के बारे में संक्षेप में जानकारी ले लेते हैं।

#1. काली महाविद्या (Kali Mahavidya In Hindi)

Mahavidya Kali In Hindi
Mahavidya Kali In Hindi

महाविद्या काली Das Mahavidya में पहली महाविद्या मानी जाती हैं जो माँ सती के शरीर से प्रकट हुई थी। इनका रूप अत्यंत भीषण व दुष्टों का संहार करने वाला हैं। माता सती ने क्रोधवश सबसे पहले अपने सबसे भीषण रूप को प्रकट किया था जो फुंफकार रही थी।

महाविद्या काली का रूप

  • वर्ण: काला
  • केश: खुले हुए व अस्त-व्यस्त
  • वस्त्र: नग्न अवस्था
  • नेत्र: तीन
  • हाथ: चार
  • अस्त्र-शस्त्र व हाथों की मुद्रा: खड्ग, राक्षस की खोपड़ी, अभय मुद्रा, वर मुद्रा
  • मुख के भाव: अत्यधिक क्रोधित व फुंफकार मारती हुई
  • अन्य विशेषता: गले व कमर में राक्षसों की मुंडियों की माला, जीभ अत्यधिक लंबी व रक्त से भरी हुई।

महाविद्या काली का उद्देश्य

रक्तबीज व शुंभ-निशुंभ राक्षसों का वध करने के लिए माँ काली का प्राकट्य हुआ था। रक्तबीज एक ऐसा राक्षस था जिसके रक्त की एक बूँद भी नीचे धरती पर गिरती तो उसमे से एक और रक्तबीज उत्पन्न हो जाता। तब मातारानी ने अपने इस भीषण रूप से उस राक्षस के रक्त की बूंदों को धरती पर गिरने से पहले ही उसे पी लिया था और उसका अंत किया था।

महाविद्या काली पूजा के फायदे

  • शत्रुओं व दुष्टों का नाश होना
  • स्वयं में परिवर्तन आना
  • मन से बुरी प्रवत्तियों का निकलना
  • अभय का प्राप्त होना
  • समय की महत्ता होना इत्यादि।

#2. तारा महाविद्या (Tara Mahavidya In Hindi)

Mahavidya Tara In Hindi
Mahavidya Tara In Hindi

महाविद्या तारा Dasha Mahavidya में दूसरी महाविद्या मानी जाती हैं जो माँ सती के शरीर से प्रकट हुई थी। इनका रूप भी भीषण व दुष्टों का संहार करने वाला हैं, इसलिए इन्हें माँ काली के समान ही माना गया हैं। मातारानी के इस रूप ने भगवान शिव को स्तनपान करवाया था, इसलिए इन्हें शिव की माँ की उपाधि भी प्राप्त हैं।

महाविद्या तारा का रूप

  • वर्ण: नीला
  • केश: खुले हुए व अस्त-व्यस्त
  • वस्त्र: बाघ की खाल
  • नेत्र: तीन
  • हाथ: चार
  • अस्त्र-शस्त्र व हाथों की मुद्रा: खड्ग, तलवार, कमल फूल व कैंची
  • मुख के भाव: आश्चर्यचकित व खुला हुआ
  • अन्य विशेषता: गले में सर्प व राक्षस नरमुंडों की माला।

महाविद्या तारा का उद्देश्य

सतयुग में देव-दानवों के बीच हुए समुंद्र मंथन में जब अथाह मात्रा में विष निकला तो उसका पान महादेव ने किया किंतु विष के प्रभाव से उनके अंदर मूर्छा छाने लगी। तब माता पार्वती ने तारा रूप धरकर उन्हें स्तनपान करवाया जिससे शिवजी पर विष का प्रभाव कम हुआ।

महाविद्या तारा पूजा के फायदे

  • मातृत्व भाव का जागृत होना
  • संकटों का दूर होना
  • आर्थिक क्षेत्र में उन्नति
  • मोक्ष प्राप्ति इत्यादि।

#3. त्रिपुर सुंदरी महाविद्या (Tripur Sundari Mahavidya In Hindi)

Mahavidya Shodashi In Hindi
Mahavidya Shodashi In Hindi

महाविद्या त्रिपुर सुंदरी Dus Mahavidya में तीसरी महाविद्या मानी जाती हैं जो माँ सती के शरीर से प्रकट हुई थी। इन्हें महाविद्या षोडशी के नाम से भी जाना जाता हैं क्योंकि इनकी आयु सोलह वर्ष की थी। इनका रूप अत्यंत सुंदर व मन को मोह लेने वाला था, इसलिए इन्हें त्रिपुरसुंदरी भी कहा जाता हैं।

महाविद्या त्रिपुर सुंदरी का रूप

  • वर्ण: सुनहरा
  • केश: खुले हुए व व्यवस्थित
  • वस्त्र: लाल रंग के
  • नेत्र: तीन
  • हाथ: चार
  • अस्त्र-शस्त्र व हाथों की मुद्रा: पुष्प रुपी पांच बाण, धनुष, अंकुश व फंदा
  • मुख के भाव: शांत व तेज चमक के साथ
  • अन्य विशेषता: भगवान शिव की नाभि से निकले कमल के आसन पर विराजमान।

महाविद्या त्रिपुर सुंदरी का उद्देश्य

पहले दो रूपों में मातारानी ने अपने भीषण रूप प्रकार किये थे। तत्पश्चात उनका यह सुंदर रूप प्रकट हुआ जो अत्यंत ही सुखकारी व मन को लुभा लेने वाला था। इनका प्राकट्य अपने भक्तों के मन से भय को समाप्त करने व अंतर्मन को शांति प्रदान करने वाला था।

महाविद्या त्रिपुर सुंदरी पूजा के फायदे

  • सुंदर रूप की प्राप्ति होना
  • वैवाहिक जीवन का सुखमय रहना
  • जीवनसाथी की तलाश पूरी होना
  • मन का नियंत्रण में रहना
  • आत्मिक शांति का अनुभव करना इत्यादि।

#4. भुवनेश्वरी महाविद्या (Bhuvaneshwari Mahavidya In Hindi)

Mahavidya Bhuvaneshvari In Hindi
Mahavidya Bhuvaneshvari In Hindi

महाविद्या भुवनेश्वरी दस महाविद्या में चौथी महाविद्या मानी जाती हैं जो माँ सती के शरीर से प्रकट हुई थी। इन्हें समस्त ब्रह्मांड व पृथ्वी की माता माना जाता हैं। इसलिए इनका नाम भुवनेश्वरी अर्थात समस्त भुवन की देवी कहा गया।

महाविद्या भुवनेश्वरी का रूप

  • वर्ण: उगते सूर्य के समान तेज व सुनहरा
  • केश: खुले हुए व व्यवस्थित
  • वस्त्र: लाल व पीले रंग के
  • नेत्र: तीन
  • हाथ: चार
  • अस्त्र-शस्त्र व हाथों की मुद्रा: अंकुश, फंदा, अभय व वर मुद्रा
  • मुख के भाव: शांत व अपने भक्तों को देखता हुआ
  • अन्य विशेषता: इनका तेज सर्वाधिक हैं जिसमें कई सूर्यों की शक्ति निहित हैं।

महाविद्या भुवनेश्वरी का उद्देश्य

इनका प्राकट्य ब्रह्मांड के निर्माण व उसके संचारण के लिए हुआ था। जिस प्रकार त्रिदेव को ब्रह्मांड के निर्माता, रचियता व संहारक के रूप में जाना जाता हैं। उसी प्रकार मातारानी ने अपने रूप में भी उसकी महत्ता व आदिशक्ति का प्रभाव दिखाया।

महाविद्या भुवनेश्वरी पूजा के फायदे

  • संतान प्राप्ति की कामना का पूरी होना
  • आत्मिक ज्ञान की प्राप्ति होना
  • शरीर में ऊर्जा का अनुभव करना
  • कार्य करने की शक्ति प्राप्त होना इत्यादि।

#5. भैरवी महाविद्या (Bhairavi Mahavidya In Hindi)

Mahavidya Bhairavi In Hindi
Mahavidya Bhairavi In Hindi

महाविद्या भैरवी Das Mahavidya में पांचवीं महाविद्या मानी जाती हैं जो माँ सती के शरीर से प्रकट हुई थी। इनका रूप भी अत्यंत भीषण व दुष्टों का संहार करने वाला हैं। अपने इस रूप के कारण इन्हें माता काली व भगवान शिव के भैरव अवतार के समकक्ष माना जाता हैं।

महाविद्या भैरवी का रूप

  • वर्ण: काला
  • केश: खुले हुए व अस्त-व्यस्त
  • वस्त्र: लाल व सुनहरे
  • नेत्र: तीन
  • हाथ: चार
  • अस्त्र-शस्त्र व हाथों की मुद्रा: खड्ग, तलवार, राक्षस की खोपड़ी व अभय मुद्रा
  • मुख के भाव: क्रोधित
  • अन्य विशेषता: राक्षसों की खोपड़ियों के आसन पर विराजमान हैं, जीभ लंबी, रक्तरंजित व बाहर निकली हुई हैं।

महाविद्या भैरवी का उद्देश्य

मातारानी का यह रूप भैरवनाथ भगवान के समान माना गया हैं। इनका एक नाम चंडिका भी हैं क्योंकि इनका प्राकट्य चंड व मुंड नाम के दो राक्षसों का सेनासहित वध करने के लिए भी हुआ था।

महाविद्या भैरवी पूजा के फायदे

  • बुरी आत्माओं, प्रवत्तियों व शक्तियों के प्रभाव से मुक्ति मिलना
  • अभय का मिलना व डर का समाप्त होना
  • वैवाहिक व प्रेम जीवन का सुखमय रहना
  • शत्रुओं से मुक्ति इत्यादि।

#6. छिन्नमस्ता महाविद्या (Chinnmasta Mahavidya In Hindi)

Mahavidya Chhinnamasta In Hindi
Mahavidya Chhinnamasta In Hindi

महाविद्या छिन्नमस्ता Dasha Mahavidya में छठी महाविद्या मानी जाती हैं जो माँ सती के शरीर से प्रकट हुई थी। इनका रूप मातारानी के सभी रूपों में सबसे अलग हैं क्योंकि इसमें मातारानी अपने एक हाथ में किसी राक्षस की खोपड़ी नही बल्कि अपना ही मस्तक पकड़े हुए खड़ी हैं।

महाविद्या छिन्नमस्ता का रूप

  • वर्ण: गुड़हल के समान लाल
  • केश: खुले हुए
  • वस्त्र: नग्न, केवल आभूषण पहने हुए
  • नेत्र: तीन
  • हाथ: दो
  • अस्त्र-शस्त्र व हाथों की मुद्रा: खड्ग व अपना कटा हुआ सिर
  • मुख के भाव: अपना ही रक्त पीते हुए
  • अन्य विशेषता: धड़ में से तीन रक्त की धाराएँ निकल रही हैं जिसमें से दो रक्त की धाराएँ पास में खड़ी सेविकाएँ पी रही हैं। मैथुन करते हुए जोड़े के ऊपर खड़ी हैं। गले में नरमुंडों की माला पहने हुए हैं।

महाविद्या छिन्नमस्ता का उद्देश्य

जब माता पार्वती अपनी दो सेविकाओं जया व विजया के साथ मंदाकिनी नदी पर स्नान करने गयी तब स्नान करने के पश्चात तीनों को भूख लगी। दोनों सेविकाओं के द्वारा बार-बार भोजन की विनती करने पर माता ने अपना ही मस्तक धड़ से काटकर अलग कर दिया व उसके रक्तपान से सभी की भूख शांत की।

महाविद्या छिन्नमस्ता पूजा के फायदे

  • शत्रुओं का समूल नाश
  • भय का दूर होना
  • विपत्तियों का समाप्त होना इत्यादि।

#7. धूमावती महाविद्या (Dhumavati Mahavidya In Hindi)

Mahavidya Dhumavati In Hindi
Mahavidya Dhumavati In Hindi

महाविद्या धूमावती Dus Mahavidya में सातवीं महाविद्या मानी जाती हैं जो माँ सती के शरीर से प्रकट हुई थी। इनका रूप अत्यंत दुखदायी, बूढ़ा, दरिद्र, व्याकुल व भूखा हैं। मातारानी का यह रूप शिवजी के श्रापस्वरुप विधवा भी हैं। इसके अवगुणों के कारण इसे अलक्ष्मी व ज्येष्ठा भी कहा जाता है।

महाविद्या धूमावती का रूप

  • वर्ण: श्वेत
  • केश: खुले, मैले व अस्त-व्यस्त
  • वस्त्र: श्वेत
  • नेत्र: दो
  • हाथ: दो
  • अस्त्र-शस्त्र व हाथों की मुद्रा: टोकरी व अभय मुद्रा
  • मुख के भाव: बेचैन, व्याकुल, दुखी, संशय, थकान
  • अन्य विशेषता: माँ का शरीर अत्यंत बूढ़ा व झुर्रियों वाला हैं तथा कपड़े भी एकदम मैले व कटे-फटे हुए हैं। बिना घोड़े के रथ पर विराजमान हैं जिसके शीर्ष पर कौवां बैठा हैं।

महाविद्या धूमावती का उद्देश्य

एक बार माता पार्वती को अत्यधिक भूख लगी और उन्होंने शिवजी से भोजन माँगा। उस समय वहां भोजन नही था तो शिवजी ने उन्हें प्रतीक्षा करने को कहा। कुछ देर में मातारानी की भूख इतनी बढ़ गयी कि उन्होंने शिवजी को ही निगल लिया। शिवजी के शरीर में विष के प्रभाव से मातारानी का ऐसा रूप बन गया जिस कारण उन्होंने शिवजी को बाहर निगल दिया। शिवजी ने बाहर निकलते ही मातारानी के इस रूप को विधवा हो जाने का श्राप दिया।

महाविद्या धूमावती पूजा के फायदे

  • संकटों का हरण होना
  • नकारात्मक गुणों का समाप्त होना
  • किसी प्रकार की कमी का दूर होना
  • भूख का शांत होना इत्यादि।

#8. बगलामुखी महाविद्या (Baglamukhi Mahavidya In Hindi)

Mahavidya Bagalamukhi In Hindi
Mahavidya Bagalamukhi In Hindi

महाविद्या बगलामुखी 10 महाविद्या में आठवीं महाविद्या मानी जाती हैं जो माँ सती के शरीर से प्रकट हुई थी। इस रूप में मातारानी एक मृत शरीर पर बैठी हुई अपने एक हाथ से राक्षस की जिव्हा पकड़े हुई हैं।

महाविद्या बगलामुखी का रूप

  • वर्ण: सुनहरा
  • केश: खुले हुए व व्यस्त
  • वस्त्र: पीले
  • नेत्र: तीन
  • हाथ: दो
  • अस्त्र-शस्त्र व हाथों की मुद्रा: बेलन के आकार का शस्त्र व राक्षस की जिव्हा
  • मुख के भाव: डराने वाले
  • अन्य विशेषता: स्वर्ण सिंहासन के ऊपर एक राक्षस का मृत शरीर हैं और उसके ऊपर माँ बैठी हैं। राक्षस को नियंत्रण में करने का व डराने का प्रयास कर रही हैं।

महाविद्या बगलामुखी का उद्देश्य

एक बार सौराष्ट्र में भयंकर तूफान ने बहुत तबाही मचाई थी। तब सभी देवताओं ने मातारानी से सहायता प्राप्ति की विनती की। यह देखकर मातारानी का एक रूप हरिद्र सरोवर से प्रकट हुआ और इस तूफान को शांत किया। उसके बाद से ही मातारानी का बगलामुखी रूप प्रचलन में आया।

महाविद्या बगलामुखी पूजा के फायदे

  • शत्रुओं का समूल नाश व उन पर लगाम लगाना
  • दुष्टों को अपंग बनाना
  • विपत्ति का हल करना
  • आगे का मार्ग प्रशस्त करना इत्यादि।

#9. मातंगी महाविद्या (Matangi Mahavidya In Hindi)

Mahavidya Matangi In Hindi
Mahavidya Matangi In Hindi

महाविद्या मातंगी Das Mahavidya में नौवीं महाविद्या मानी जाती हैं जो माँ सती के शरीर से प्रकट हुई थी। मातारानी का यह रूप सबसे अनोखा हैं क्योंकि आपने कभी नही सुना होगा कि भगवान को झूठन का भोग लगाया जाता हो लेकिन मातारानी के इस रूप को हमेशा झूठन का भोग लगाया जाता है।

महाविद्या मातंगी का रूप

  • वर्ण: गहरा हरा
  • केश: खुले हुए व व्यवस्थित
  • वस्त्र: लाल
  • नेत्र: तीन
  • हाथ: चार
  • अस्त्र-शस्त्र व हाथों की मुद्रा: तलवार, फंदा, अंकुश व अभय मुद्रा
  • मुख के भाव: शांत व आनंदमयी
  • अन्य विशेषता: माँ सरस्वती के समान सामने वीणा रखी हुई हैं जिस कारण इन्हें तांत्रिक सरस्वती भी कहा जाता हैं।

महाविद्या मातंगी का उद्देश्य

एक बार जब भगवान शिव व माता पार्वती विष्णु व लक्ष्मी का दिया हुआ भोजन कर रहे थे तब उनके हाथ से भोजन के कुछ अंश नीचे गिर गए। उसी झूठन में से माँ मातंगी का प्राकट्य हुआ। इसी कारण मातारानी के इस रूप को हमेशा झूठन का भोग लगाया जाता हैं।

महाविद्या मातंगी पूजा के फायदे

  • बुद्धि व विद्या का विकास होना
  • कला व संगीत के क्षेत्र में उन्नति
  • वाणी पर नियंत्रण व मधुर बनना
  • जादू टोना या माया के प्रभाव से मुक्ति इत्यादि।

#10. कमला महाविद्या (Kamla Mahavidya In Hindi)

Mahavidya Kamala In Hindi
Mahavidya Kamala In Hindi

महाविद्या कमला दस महाविद्या में दसवीं व अंतिम महाविद्या मानी जाती हैं जो माँ सती के शरीर से प्रकट हुई थी। इन्हें माता लक्ष्मी के समकक्ष माना गया हैं अर्थात यह एक तरह से माता लक्ष्मी का ही रूप हैं। इन्हें तांत्रिक लक्ष्मी भी कहा जाता हैं।

महाविद्या कमला का रूप

  • वर्ण: सुनहरा व तेज
  • केश: खुले हुए व व्यवस्थित
  • वस्त्र: लाल
  • नेत्र: तीन
  • हाथ: चार
  • अस्त्र-शस्त्र व हाथों की मुद्रा: दो कमल पुष्प, अभय व वरदान मुद्रा
  • मुख के भाव: शांत, सुखकारी व आनंदमयी
  • अन्य विशेषता: कमल पुष्प से भरे हुए सरोवर में, आसपास चार हाथी जल से अभिषेक करते हुए।

महाविद्या कमला का उद्देश्य

मातारानी का एक रूप माँ लक्ष्मी भी हैं। इसी रूप को प्रदर्शित करने के लिए माँ सती ने अपने कमला रूप को प्रकट किया था।

महाविद्या कमला पूजा के फायदे

  • आर्थिक स्थिति में सुधार होना
  • व्यापार व नौकरी में उन्नति का होना
  • सभी इच्छाओं की पूर्ति होना
  • सुख व वैभव में वृद्धि होना इत्यादि।

निष्कर्ष

इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आप मातारानी की सभी दस महाविद्या (Das Mahavidya) के बारे में जानकारी ले चुके हैं। इस बात का विशेष तौर पर ध्यान रखे कि गुप्त नवरात्र के समय मातारानी के इन रूपों की पूजा करते समय, उसका प्रदर्शन बिल्कुल ना करें। गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्या की पूजा गोपनीय रूप से की जाती है, तभी उसका फल मिलता है। इसी कारण ही इस पर्व का नाम भी गुप्त नवरात्रि रखा गया है।

दस महाविद्या से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: दस महाविद्या कौन कौन सी है?

उत्तर: दस महाविद्या में माँ काली, तारा, त्रिपुरसुन्दरी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी व कमला माता आती है

प्रश्न: सबसे शक्तिशाली महाविद्या कौन सी है?

उत्तर: सभी 10 महाविद्याओं का अपना अलग महत्व है लेकिन उन सभी में माँ काली या भैरवी को सबसे शक्तिशाली माना जा सकता है

प्रश्न: कौन सी महाविद्या धन देती है?

उत्तर: कमला महाविद्या के द्वारा व्यक्ति को धन की प्राप्ति होती है ऐसे में धन प्राप्ति व वैभव के लिए कमला महाविद्या की गुप्त नवरात्र के अंतिम दिन पूजा की जाती है

प्रश्न: विवाह के लिए किस महाविद्या की पूजा करनी चाहिए?

उत्तर: विवाह के लिए त्रिपुर सुंदरी महाविद्या की पूजा की जाती है इससे विवाह शीघ्र होता है और साथ ही वैवाहिक जीवन भी सुखमय बनता है

प्रश्न: महाविद्या कितनी है?

उत्तर: माता सती ने अपने 10 गुणों को प्रकट करने के लिए 10 महाविद्या दिखायी थी ऐसे में कुल 10 महाविद्या होती है

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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