स्तोत्र

Mahakal Stotram | महाकाल स्तोत्र इन हिंदी (Mahakal Stotram In Hindi)

महाकाल स्तोत्र (Mahakal Stotram) – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

भगवान शिव को महाकाल के नाम से जाना जाता है अर्थात काल के भी काल। समय को तीन चक्रों में बांटा गया है जिन्हें हम भूतकाल, वर्तमानकाल व भविष्यकाल के नाम से जानते हैं और इन तीनों काल के स्वामी को ही महाकाल अर्थात शिव कहा जाता है। महाकाल का मंदिर उज्जैन के शिप्रा नदी के किनारे स्थित है। आज के इस लेख में हम आपके साथ महाकाल स्तोत्र का पाठ (Mahakal Stotram) ही करने जा रहे हैं।

इसी के साथ ही हम आपके साथ महाकाल स्तोत्र इन हिंदी (Mahakal Stotram In Hindi) में भी सांझा करेंगे ताकि आप महाकाल स्तोत्र का भावार्थ भी समझ सकें। अंत में आपको महाकाल स्तोत्र के लाभ व महत्व भी पढ़ने को मिलेंगे। तो आइये सबसे पहले पढ़ते हैं श्री महाकाल स्तोत्रं (Mahakal Stotra)।

महाकाल स्तोत्र (Mahakal Stotra)

ॐ महाकाल महाकाय महाकाल जगत्पते।
महाकाल महायोगिन् महाकाल नमोऽस्तुते॥

महाकाल महादेव महाकाल महाप्रभो।
महाकाल महारुद्र महाकाल नमोऽस्तुते॥

महाकाल महाज्ञान महाकाल तमोऽपहन्।
महाकाल महाकाल महाकाल नमोऽस्तुते॥

भवाय च नमस्तुभ्यं शर्वाय च नमो नमः।
रुद्राय च नमस्तुभ्यं पशूनां पतये नमः॥

उग्राय च नमस्तुभ्यं महादेवाय वै नमः।
भीमाय च नमस्तुभ्यं ईशानाय नमो नमः॥

ईश्वराय नमस्तुभ्यं तत्पुरुषाय वै नमः॥

सद्योजात नमस्तुभ्यं शुक्लवर्ण नमो नमः।
अधः कालाग्निरुद्राय रुद्ररूपाय वै नमः॥

स्थित्युत्पत्तिलयानां च हेतुरूपाय वै नमः।
परमेश्वररूपस्त्वं नील एवं नमोऽस्तुते॥

पवनाय नमस्तुभ्यं हुताशन नमोऽस्तुते।
सोमरूप नमस्तुभ्यं सूर्यरूप नमोऽस्तुते॥

यजमान नमस्तुभ्यं आकाशाय नमो नमः।
सर्वरूप नमस्तुभ्यं विश्वरूप नमोऽस्तुते॥

ब्रह्मरूप नमस्तुभ्यं विष्णुरूप नमोऽस्तुते।
रुद्ररूप नमस्तुभ्यं महाकाल नमोऽस्तुते॥

स्थावराय नमस्तुभ्यं जङ्गमाय नमो नमः।
नमः स्थावरजङ्गमाभ्यां शाश्वताय नमो नमः॥

हुं हुङ्कार नमस्तुभ्यं निष्कलाय नमो नमः।
अनाद्यन्त महाकाल निर्गुणाय नमो नमः॥

प्रसीद मे नमो नित्यं मेघवर्ण नमोऽस्तुते।
प्रसीद मे महेशान दिग्वासाय नमो नमः॥

ॐ ह्रीं मायास्वरूपाय सच्चिदानन्दतेजसे।
स्वाहा सम्पूर्णमन्त्राय सोऽहं हंसाय ते नमः॥

॥ फलश्रुति ॥

इत्येवं देव देवस्य महाकालस्य भैरवि।
कीर्तितं पूजनं सम्यक् साधकानां सुखावहम्॥

महाकाल स्तोत्र इन हिंदी (Mahakal Stotram In Hindi)

ॐ महाकाल महाकाय महाकाल जगत्पते।
महाकाल महायोगिन् महाकाल नमोऽस्तुते॥

महाकाल भगवान ही स्वरुप में संपूर्ण ब्रह्मांड में विद्यमान हैं। वे विशाल काया वाले हैं, वे ही काल के भी काल हैं और इस जगत की उत्पत्ति उन्हीं के कारण हुई है। वे ही महायोगी हैं अर्थात ध्यान मुद्रा में रहते हैं। मैं उन महाकाल को नमस्कार करता हूँ।

महाकाल महादेव महाकाल महाप्रभो।
महाकाल महारुद्र महाकाल नमोऽस्तुते॥

महाकाल भगवान ही महादेव अर्थात देवों के भी देव हैं। वे हम सभी के प्रभु व आराध्या देव हैं। वे ही महारूद्र हैं जो सृष्टि में प्रलय लेकर आते हैं। मैं उन महाकाल के चरणों में नमस्कार करता हूँ।

महाकाल महाज्ञान महाकाल तमोऽपहन्।
महाकाल महाकाल महाकाल नमोऽस्तुते॥

महाकाल भगवान महाज्ञानी हैं जिन्हें इस सृष्टि का संपूर्ण ज्ञान है। वे तपस्या की अग्नि में जलते रहते हैं। वे कालों के काल हैं और मैं उन महाकाल को नमस्कार करता हूँ।

भवाय च नमस्तुभ्यं शर्वाय च नमो नमः।
रुद्राय च नमस्तुभ्यं पशूनां पतये नमः॥

महाकाल भगवान इस पृथ्वी के लिए पूजनीय हैं। हमारे जीवन से अंधकार को दूर करने वाले महाकाल भगवान को हमारा नमन है। उनके रूद्र रूप को भी हमारा नमन है। वे पशुपतिनाथ के रूप में भी हमारे लिए पूजनीय हैं।

उग्राय च नमस्तुभ्यं महादेवाय वै नमः।
भीमाय च नमस्तुभ्यं ईशानाय नमो नमः॥

उनका उग्र तांडव रूप भी नमन करने योग्य है। उनके महादेव रूप को भी हम नमन करते हैं। उनके भीमकाय अर्थात विशाल काया वाले रूप को भी हमारा प्रणाम है। हम सभी के ईश्वर महाकाल भगवान को हमारा नमन है।

ईश्वराय नमस्तुभ्यं तत्पुरुषाय वै नमः॥

महाकाल ईश्वर के रूप में हैं और नमन करने योग्य हैं। वे ही पुरुषत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं और उन्हें हमारा बारंबार प्रणाम है।

सद्योजात नमस्तुभ्यं शुक्लवर्ण नमो नमः।
अधः कालाग्निरुद्राय रुद्ररूपाय वै नमः॥

इस सृष्टि के रचनाकर्ता के रूप में उन्हें हमारा नमन है। उनका वर्ण शुक्ल है और उन्हें हमारा नमन है। वे शक्ति के साथ आधे रूप में समाहित हैं। वे ही काल, अग्नि, रूद्र हैं और उनके इस रूद्र रूप को हमारा नमन है।

स्थित्युत्पत्तिलयानां च हेतुरूपाय वै नमः।
परमेश्वररूपस्त्वं नील एवं नमोऽस्तुते॥

वे ही सभी तरह की स्थितियों की उत्पत्ति के लिए उत्तरदायी हैं अर्थात सभी घटनाओं को वही उत्पन्न करते हैं। इस रूप में वे हमारा भला करते हैं और इसके लिए उन्हें नमन है। वे ही परमपिता परमेश्वर के रूप में नीले रंग में हमारे सामने हैं और उन्हें हमारा नमस्कार है।

पवनाय नमस्तुभ्यं हुताशन नमोऽस्तुते।
सोमरूप नमस्तुभ्यं सूर्यरूप नमोऽस्तुते॥

वे ही पवन अर्थात वायु रूप में हमें जीवन देते हैं और उन्हें हमारा नमस्कार है। वे ही अग्नि रूप में हमें शक्ति प्रदान करते हैं जिन्हें हमारा नमन है। वे ही जल रूप में हमारी प्यास बुझाते हैं और उन्हें हमारा नमन है। वे ही सूर्य रूप में इस पृथ्वी का आधार हैं जिन्हें हमारा नमन है।

यजमान नमस्तुभ्यं आकाशाय नमो नमः।
सर्वरूप नमस्तुभ्यं विश्वरूप नमोऽस्तुते॥

वे ही यज्ञ करवाते हैं और उन्हें हमारा नमन है। वे ही आकाश रूप में पंच तत्व में से एक हैं जिन्हें हमारा नमन है। वे ही सभी रूपों में हैं और उन रूपों को हमारा नमन है। वे ही इस विश्व का रूप हैं जिन्हें हमारा नमन है।

ब्रह्मरूप नमस्तुभ्यं विष्णुरूप नमोऽस्तुते।
रुद्ररूप नमस्तुभ्यं महाकाल नमोऽस्तुते॥

महाकाल ही परमपिता ब्रह्मा जी हैं जिन्हें हमारा नमन है। वे ही सृष्टि का सञ्चालन करने वाले श्रीहरि हैं जिन्हें हमारा नमन है। वे ही इस सृष्टि का संहार करने वाले रुद्रावतार हैं जिन्हें हमारा नमन है। वे ही समयचक्र को बांधकर रखने वाले महाकाल हैं जिन्हें हमारा नमन है।

स्थावराय नमस्तुभ्यं जङ्गमाय नमो नमः।
नमः स्थावरजङ्गमाभ्यां शाश्वताय नमो नमः॥

वे ही स्थिर रूप में हैं जिन्हें हमारा नमन है। वे ही चलते रहने वाले हैं जिन्हें हमारा नमन है। उनके स्थिर अर्थात जड़ित रूप और गतिमान रूप को ही हम शाश्वत सत्य कह सकते हैं जिन्हें हमारा बारंबार नमन है।

हुं हुङ्कार नमस्तुभ्यं निष्कलाय नमो नमः।
अनाद्यन्त महाकाल निर्गुणाय नमो नमः॥

वे ही हुँकार रूप में सभी को सचेत कर देते हैं जिन्हें हमारा नमन है। वे ही निष्कला का रूप हैं जिन्हें हमारा नमन है। वे ही आदि और अनंत हैं जिन्हें हमारा नमन है। वे ही निर्गुण हैं अर्थात जिनका कोई गुण नहीं है और उन्हें हमारा नमन है।

प्रसीद मे नमो नित्यं मेघवर्ण नमोऽस्तुते।
प्रसीद मे महेशान दिग्वासाय नमो नमः॥

वे सदैव नमो रूप में प्रसन्न रहते हैं और उनका मेघवर्ण है जिन्हें हमारा नमस्कार है। वे महेश रूप में भी प्रसन्न रहते हैं और उनके दिग्वासाय रूप को हमारा नमन है।

ॐ ह्रीं मायास्वरूपाय सच्चिदानन्दतेजसे।
स्वाहा सम्पूर्णमन्त्राय सोऽहं हंसाय ते नमः॥

वे ही माया का स्वरुप हैं और वे ही हमें परम आनंद प्रदान करते हैं। वे ही तेज युक्त हैं और सभी मंत्र उन्हीं से ही हैं। वे ही सभी मंत्रों की आहुति लेते हैं और हमें सुख प्रदान करते हैं। उन महाकाल के चरणों में हमारा नमन है।

॥ फलश्रुति ॥

इत्येवं देव देवस्य महाकालस्य भैरवि।
कीर्तितं पूजनं सम्यक् साधकानां सुखावहम्

भगवान शिव ने यह महाकाल स्तोत्र स्वयं माता भैरवी को सुनाया था। हम सभी उनकी कीर्ति का वर्णन करते हैं, उनकी पूजा करते हैं और उनसे हमें सुख प्रदान करने की आराधना करते हैं।

श्री महाकाल स्तोत्र (Mahakal Stotram) – महत्व

शिव ही इस सृष्टि के आधार हैं और वे ही हमारे विनाशक हैं। शिव ही मृत्यु हैं, वे ही भय हैं, वे ही अहंकार का अंत हैं और वे ही कालचक्र हैं। एक तरह से हमारा भूतकाल, वर्तमानकाल व भविष्यकाल शिव के ही चरणों में समर्पित है। उनके कई रूप हैं और अपने हरेक रूप में वे मनुष्य के अहम का अंत कर देते हैं। इसमें से उनका महाकाल रूप बहुत ही विस्मयकारी है क्योंकि यह समयचक्र को भी बाँध लेता है।

ऐसे में शिव के इस महाकाल रूप की महिमा का वर्णन करने हेतु ही महाकाल स्तोत्र की रचना की गयी है। इसके माध्यम से महाकाल के बारे में जानकारी तो दी ही गयी है बल्कि उसी के साथ ही महाकाल की आराधना भी की गयी है। यही श्री महाकाल स्तोत्र का महत्व होता है।

महाकाल स्तोत्रं (Mahakaal Stotra) – लाभ

अब यदि आप सच्चे मन के साथ भगवान शिव का ध्यान कर महाकाल स्तोत्रं का पाठ करते हैं तो इससे आपको एक नहीं बल्कि कई तरह के लाभ देखने को मिलते हैं। सबसे पहला और बड़ा लाभ तो यही है कि आप अकाल मृत्यु से बच जाते हैं। अकाल मृत्यु का अर्थ हुआ कि बिना किसी संदेश के आपके प्राण पहले ही चले जाएं जैसे कि कोई दुर्घटना हो जाना। महाकाल की कृपा से आप अकाल मृत्यु से बच जाते हैं और स्वस्थ रहते हैं।

श्री महाकाल स्तोत्र के माध्यम से आपके ऊपर से नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव समाप्त हो जाता है और साथ ही सभी तरह के भय भी दूर हो जाते हैं। अब वह भय चाहे अंधकार, अग्नि, जल इत्यादि किसी का भी क्यों ना हो। ग्रह दोष तथा कुंडली के सभी दोष भी श्री महाकाल स्तोत्र के माध्यम से दूर हो जाते हैं। आपको परम सत्य का ज्ञान होता है और मृत्यु का भय भी समाप्त हो जाता है। एक तरह से आप मानव जीवन में रहते हुए भी जीवन-मरण के परम सत्य का ज्ञान प्राप्त कर पाने में सक्षम हो जाते हैं।

महाकाल स्तोत्र से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: महाकाल को क्या पसंद है?

उत्तर: महाकाल तो भोले हैं और साथ ही इस सृष्टि के विनाशक भी। उन्हें तो सृष्टि के मूल तत्व पसंद है जैसे कि चिता की भस्म, बिल्व पत्र, भांग, धतूरा इत्यादि।

प्रश्न: महाकाल कौन से भगवान हैं?

उत्तर: भगवान शिव के कई नाम हैं और अपने नाम के अनुसार ही वे भिन्न-भिन्न गुणों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसी में उनका एक गुण काल के भी काल का है जिस कारण उन्हें महाकाल के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न: महाकाल की पत्नी कौन है?

उत्तर: वैसे तो भगवान शिव की पत्नी माँ पार्वती हैं जिन्हें हम माँ उमा, गौरी, आदिशक्ति या अन्य नामो से भी पुकार सकते हैं। भगवान महाकाल की पत्नी को मुख्यतया महाकाली माना जाता है जो माँ आदिशक्ति का ही एक प्रचंड रूप हैं।

प्रश्न: क्या हम महाकाल शिवलिंग को छू सकते हैं?

उत्तर: हां, आप पवित्र महाकालेश्वर शिवलिंग को छू सकते हैं लेकिन वर्तमान समय में शिवलिंग को हो रहे नुकसान से बचाने के लिए इसमें कई तरह की सावधानियां बरती जा रही है।

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कृष्णा

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