आरती

भगवान परशुराम जी की आरती – अर्थ व लाभ सहित

आज हम आपके साथ परशुराम जी की आरती (Parshuram Ji Ki Aarti) का पाठ करेंगे। भगवान विष्णु के इस युग में कुल 10 अवतार हैं जिनमे से 9 अवतार वे ले चुके हैं और दसवां अवतार कलयुग के अंत में होगा। भगवान परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं जिनके जीवन में कई उद्देश्य निहित हैं। भगवान विष्णु का यह अवतार सबसे भिन्न है क्योंकि इनका जीवनकाल कलयुग के अंत तक होगा अर्थात भगवान परशुराम अभी भी पृथ्वी पर जीवित हैं।

आज हम आपको परशुराम आरती (Parshuram Aarti) अर्थ सहित भी देंगे। साथ ही क्या आप जानते हैं कि भगवान परशुराम की एक नहीं बल्कि दो-दो आरतियां है जो उनके महत्व का बखान करती है। ऐसे में हम दोनों तरह की परशुराम आरती आपको देंगे। तो आइए पढ़ते हैं भगवान परशुराम जी की आरती हिंदी में।

Parshuram Ji Ki Aarti | परशुराम जी की आरती

ॐ जय परशुधारी, स्वामी जय परशुधारी।
सुर नर मुनिजन सेवत, श्रीपति अवतारी ॐ जय..

जमदग्नी सुत नर-सिंह, मां रेणुका जाया।
मार्तण्ड भृगु वंशज, त्रिभुवन यश छाया ॐ जय..

कांधे सूत्र जनेऊ, गल रुद्राक्ष माला।
चरण खड़ाऊँ शोभे, तिलक त्रिपुण्ड भाला ॐ जय..

ताम्र श्याम घन केशा, शीश जटा बांधी।
सुजन हेतु ऋतु मधुमय, दुष्ट दलन आंधी ॐ जय..

मुख रवि तेज विराजत, रक्त वर्ण नैना।
दीन-हीन गो विप्रन, रक्षक दिन रैना ॐ जय..

कर शोभित बर परशु, निगमागम ज्ञाता।
कंध चाप-शर वैष्णव, ब्राह्मण कुल ज्ञाता ॐ जय..

माता पिता तुम स्वामी, मीत सखा मेरे।
मेरी बिरद संभारो, द्वार पड़ा मैं तेरे ॐ जय..

अजर-अमर श्री परशुराम की, आरती जो गावे।
‘पूर्णेन्दु’ शिव साखि, सुख सम्पति पावे ॐ जय..

Parshuram Aarti | परशुराम आरती – अर्थ सहित

ॐ जय परशुधारी, स्वामी जय परशुधारी।
सुर नर मुनिजन सेवत, श्रीपति अवतारी॥ ॐ जय..

हे परशु शस्त्र को लिए हुए भगवान परशुराम! आपकी जय हो और आप हम सभी के स्वामी हो। देवता, मनुष्य, ऋषि-मुनि इत्यादि सभी आपकी सेवा करते हैं और आप श्रीहरि के अवतार हैं।

जमदग्नी सुत नर-सिंह, मां रेणुका जाया।
मार्तण्ड भृगु वंशज, त्रिभुवन यश छाया॥ ॐ जय..

आप जमदग्नि ऋषि के पुत्र हो जो मनुष्य रूप में शेर के समान शक्तिशाली हो। आपने माँ रेणुका के गर्भ से जन्म लिया है। आप मार्तंड भृगु वंश से हो और तीनों लोकों में आपका यश व्याप्त है।

कांधे सूत्र जनेऊ, गल रुद्राक्ष माला।
चरण खड़ाऊँ शोभे, तिलक त्रिपुण्ड भाला॥ ॐ जय..

आपने अपने कंधे पर जनेऊ पहनी हुई है और गले में रुद्राक्ष की माला पहनी हुई है। चरणों में आपने खडाऊ पहनी हुई है और माथे पर तिलक, त्रिपुंड और हाथों में भाला लिया हुआ है।

ताम्र श्याम घन केशा, शीश जटा बांधी।
सुजन हेतु ऋतु मधुमय, दुष्ट दलन आंधी॥ ॐ जय..

आपके शरीर का रंग श्यामवर्ण है, बाल अत्यधिक घने हैं जिसको आपने जटाओं के रूप में बांधा हुआ है। अच्छे लोगों के लिए आप बसंत ऋतु के समान हैं जबकि दुष्ट लोगों के लिए आप साक्षात आंधी हैं।

मुख रवि तेज विराजत, रक्त वर्ण नैना।
दीन-हीन गो विप्रन, रक्षक दिन रैना॥ ॐ जय..

आपका मुख सूर्य की रोशनी के समान तेजमयी है और आँखें रक्त के जैसी लाल है। आप दुखी, निर्धन, बेसहारा लोगों की रक्षा दिन-रात करते हैं।

कर शोभित बर परशु, निगमागम ज्ञाता।
कंध चाप-शर वैष्णव, ब्राह्मण कुल ज्ञाता॥ ॐ जय..

आपके द्वारा धारण किया परशु अस्त्र बहुत ही शोभायमान है और आप सभी शास्त्रों के ज्ञाता हैं। आप भगवान विष्णु के रूप हैं और ब्राह्मण वंश के ज्ञाता हैं।

माता पिता तुम स्वामी, मीत सखा मेरे।
मेरी बिरद संभारो, द्वार पड़ा मैं तेरे॥ ॐ जय..

आप ही मेरे माता, पिता, मित्र, स्वामी सब हैं। मैं आपकी शरण में आ गया हूँ और अब आप ही मेरी रक्षा कीजिये।

अजर-अमर श्री परशुराम की, आरती जो गावे।
‘पूर्णेन्दु’ शिव साखि, सुख सम्पति पावे॥ ॐ जय..

जो भी व्यक्ति भगवान परशुराम की आरती करता है, उसे भगवान शिव के आशीर्वाद से सुख-संपत्ति प्राप्त होती है।

Parshuram Ji Ki Aarti | परशुराम जी की आरती – द्वितीय

शौर्य तेज बल-बुद्धि धाम की॥

रेणुकासुत जमदग्नि के नंदन।
कौशलेश पूजित भृगुचंदन॥

अज अनंत प्रभु पूर्णकाम की।
आरती कीजे श्री परशुराम की॥

नारायण अवतार सुहावन।
प्रगट भए महि भार उतारन॥

क्रोध कुंज भव भय विराम की।
आरती कीजे श्री परशुराम की॥

परशु चाप शर कर में राजे।
ब्रह्मसूत्र गल माल विराजे॥

मंगलमय शुभ छबि ललाम की।
आरती कीजे श्री परशुराम की॥

जननी प्रिय पितृ आज्ञाकारी।
दुष्ट दलन संतन हितकारी॥

ज्ञान पुंज जग कृत प्रणाम की।
आरती कीजे श्री परशुराम की॥

परशुराम वल्लभ यश गावे।
श्रद्घायुत प्रभु पद शिर नावे॥

छहहिं चरण रति अष्ट याम की।
आरती कीजे श्री परशुराम की॥

भगवान परशुराम जी की आरती के लाभ

भगवान परशुराम भगवान विष्णु के ऐसे अवतार हैं जिनका कार्य अपने समयकाल में तो था ही लेकिन इसके बाद के विष्णु अवतारों की सहायता करना भी उनके जीवन का उद्देश्य है। इसी कारण भगवान विष्णु के अगले तीन अवतारों के समय में भी उन्होंने मुख्य भूमिका निभाई जिसके प्रमाण शास्त्रों में मिलते हैं। इतना ही नहीं भगवान परशुराम अभी भी इस धरती पर जीवित हैं और उनका उद्देश्य भगवान विष्णु के अंतिम अवतार भगवान कल्कि के गुरु की भूमिका निभा कर समाप्त होगा।

ऐसे में यदि आप नित्य रूप से भगवान परशुराम की आरती पढ़ते हैं और उनकी पूजा करते हैं तो अवश्य ही उनकी कृपा दृष्टि आप पर रहती है। अब यदि आपके ऊपर भगवान परशुराम की कृपा रहेगी तो अवश्य ही आपका जीवन सफल हो जायेगा और सभी तरह के कष्ट, दुःख, रोग, तनाव समाप्त हो जाएंगे। यही परशुराम आरती को पढ़ने का मुख्य लाभ होता है।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने दोनों तरह की परशुराम जी की आरती (Parshuram Ji Ki Aarti) पढ़ ली है। साथ ही आपने परशुराम आरती करने से मिलने वाले लाभ के बारे में भी जान लिया है। यदि आप इस लेख पर अपनी प्रतिक्रिया देना चाहते हैं या इस विषय पर हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपको प्रत्युत्तर देंगे।

परशुराम आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: परशुराम जी ने राजपूतों को क्यों मारा था?

उत्तर: परशुराम जी ने राजपूतों को नहीं अपितु क्षत्रिय कुल के हैहय वंश के शासकों और उनके परिवार का 21 बार वध किया था क्योंकि उसके राजा सहस्त्रबाहु ने भगवान परशुराम के पिता जमदग्नि की हत्या कर दी थी।

प्रश्न: परशुराम का असली नाम क्या है?

उत्तर: भगवान परशुराम का असली नाम या बचपन का नाम राम था बाद में परशु शस्त्र रखने के कारण उनके नाम में परशु भी जोड़ दिया गया जिस कारण उनका नाम परशुराम पड़ गया।

प्रश्न: भगवान परशुराम की मृत्यु कैसे हुई?

उत्तर: भगवान परशुराम को कलयुग के अंत तक जीवित रहना है और भगवान विष्णु के अंतिम अवतार भगवान कल्कि के गुरु की भूमिका निभानी है।

प्रश्न: क्या ब्राह्मण परशुराम की पूजा करते हैं?

उत्तर: केवल ब्राह्मण ही नहीं अपितु सनातन धर्म में आस्था रखने वाला हर व्यक्ति भगवान परशुराम की पूजा करता है।

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कृष्णा

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