पूरे विश्व में कोरोना नामक महामारी फैली हुई हैं व लाखों लोगों की इसके कारण मृत्यु हो चुकी हैं। चीन से शुरू हुआ यह कोरोना वायरस अब लगभग हर देश में फैल चुका हैं (Benefits of lockdown in Hindi)। इसके फैलाव को रोकने के लिए सभी देशों ने अपने-अपने यहाँ कई तरह की रोक लगाई हुई हैं (Impact of lockdown in nature in Hindi)। इसी कारण पिछले करीब 1 महीने से सभी लोग अपने-अपने घरों में बंद हैं व बाहर निकलने की मनाही हैं (Why lockdown was important in India in Hindi)।
अब जब हम सभी अपने घरों के अंदर बंद हैं तो स्वाभाविक सी बात हैं कि सब काम, कारखाने, यातायात, उद्योग इत्यादि बंद हैं। इसका दुष्प्रभाव सभी देशों की अर्थव्यवस्था पर तो पड़ा ही हैं लेकिन प्रकृति व अन्य जीव जंतुओं के लिए यह चमत्कारिक सिद्ध हुआ हैं (Positive effect of lockdown extend and condition of many things improved)।
आप यकीन नही करेंगे कि केवल एक महीने के अंदर ही प्रकृति ने स्वयं के अंदर बहुत बदलाव कर लिए हैं। जिस प्रकृति को हम इतने वर्षों से प्रदूषित करते आ रहे थे व जिसकी वजह से बाकि जीव जंतु लुप्त होने की कगार पर आ गये थे वह प्रकृति केवल एक महीने के अंदर ही स्वयं को संतुलित व रहने लायक बना चुकी हैं (Benefits of lockdown environment improvement)। आइये जानते हैं प्रकृति में क्या-क्या सकारात्मक बदलाव आये हैं।
क्या आप जानते हैं कि पहले हम ज्यादातर प्रदूषित हवा में ही साँस ले रहे होते थे। यह प्रदुषण केवल भारत या दिल्ली में ही नही अपितु विश्व के लगभग हर देश में फैला हुआ था। अंतर बस यह था कि किसी जगह पर यह प्रदुषण कम होता था तो कही ज्यादा। वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Qualiy Index) के अनुसार 50 से नीचे के मापकांक वाली वायु की गुणवत्ता अच्छी मानी जाती हैं व 100 से नीचे एवरेज लेकिन भारत की राजधानी दिल्ली में ही पूरे वर्ष इसका मापकांक ज्यादातर 300 के ऊपर ही रहता था (Due to lockdown air quality improves in India)।
चूँकि अब सब वायु प्रदूषित करने वाले कारखाने, उद्योग, फैक्ट्री इत्यादि बंद हैं, सड़कों पर वाहन नही निकल रहे हैं तो इसके कारण भारत ही नही पूरे विश्व की वायु लगभग साफ हो चुकी हैं। आप इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि पंजाब के शहर जालंधर से 200 से 300 किलोमीटर दूर हिमाचल के पहाड़ तक दिखाई देने लगे हैं (Himachals Dhauladhar range mountain becomes visible from Jalandhar in Punjab)। एक अनुमान के अनुसार पूरे विश्व में वायु की गुणवत्ता में 60 प्रतिशत से ज्यादा का सुधार हुआ हैं।
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भारत की सबसे पवित्र नदी गंगा मानी जाती हैं जिसकी हम माँ मानकर पूजा करते हैं लेकिन लॉकडाउन से पहले तक माँ गंगा का पानी नहाने लायक भी नही था व इसे पीना तो दूर की बात हैं। दशकों से गंगा की सफाई पर लाखों करोड़ो सरकार खर्च कर चुकी हैं लेकिन निर्मल होना तो दूर इसके प्रदुषण में कुछ प्रतिशत की भी कमी नही आई थी (Ganga becomes clean due to lockdown)।
अब आप यकीन नही कर पाएंगे लेकिन इस लॉकडाउन में माँ गंगा ही नही अपितु नाला बन चुकी यमुना भी निर्मल हो चुकी हैं व उनका जल 60 प्रतिशत से ज्यादा स्वच्छ हो चुका हैं। इतना ही नही विश्व भर की सभी नदियों व महासागरों के जल में अब विभिन्न जलीय जीव देखे जा सकते हैं।
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हमारी पृथ्वी में हम मानव इतना ज्यादा शोर करते थे कि पूरी पृथ्वी तक कांपती थी। प्रतिदिन बड़े-बड़े जहाजों, जलीय पोतों, वाहनों, गाड़ियों, कारखानों, लोगों का चिल्लाना इत्यादि सबका शोर इतना ज्यादा ध्वनि प्रदुषण करता था कि पृथ्वी का कंपन दिन भर दिन बढ़ता ही जा रहा था।
अब हमारे वैज्ञानिकों ने विभिन्न शोधों से पता किया हैं कि पृथ्वी का कंपन पहले की तुलना में 40 प्रतिशत के आसपास कम हुआ हैं अर्थात अब हमारी पृथ्वी में शांति हैं। सभी के अपने घरों में होने के कारण आप चारों ओर एक शांति का अनुभव पहले से ही कर रहे होंगे।
पृथ्वी के बचे रहने के लिए ओजोन परत का बचे रहना बहुत आवश्यक हैं क्योंकि यही हमे सूर्य की हानिकारक किरणों से बचाती हैं व पर्यावरण की रक्षा करती हैं। पिछले कुछ दशकों में दुनिया में बेहताशा बढ़ती औद्योगिक व तकनीक क्रांति के कारण इस परत को बहुत नुकसान हुआ जिसका परिणाम हमे ग्लेशियर का पिघलना, ऑस्ट्रेलिया व अमेज़न के जंगलों में लगी आग, जलवायु का परिवर्तन, गर्मी का बढ़ जाना इत्यादि के रूप में देखने को मिला।
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अब लॉकडाउन के कारण हानिकारक गैसों का बनना बहुत ज्यादा कम हो गया हैं जिनसे ओजोन परत को नुकसान पहुँच रहा था (Biggest fall in carbon emissions)। साथ ही अब यह परत अपनी पुरानी स्थिति में वापस आ रही हैं व स्वयं में सुधार कर रही है जिस कारण सूर्य से पराबैंगनी किरने पृथ्वी पर पहले की तुलना में कम आने लगी हैं।
यह पृथ्वी ईश्वर ने सभी को समान रूप से बांटी थी व इसमें संतुलन बनाये रखना भी हम सबका कर्तव्य था। इसका मुख्य दायित्व ईश्वर ने हम मानव जाति को दिया था क्योंकि उन्होंने हमें ही सबसे बेहतर बनाया था जिसके अंदर शक्ति व बुद्धि दोनों थी। किंतु हम अपने अहंकार में बाकि सब जीवों को तुच्छ समझने लगे व लगातार अपनी जनसँख्या बढ़ाने लगे। जब मानवों की संख्या बढ़ेगी तो हम प्रकृति का दोहन भी बढ़ाएंगे, संसाधनों को इस्तेमाल ज्यादा करेंगे व भूमि को पहले की तुलना में और ज्यादा घेरेंगे।
लगातार बढ़ती जनसँख्या से जंगल इत्यादि सब समाप्त हो गये, पृथ्वी की जल, वायु, समुंद्र सब हमने गंदे कर डाले, बाकि जीवों को बेहताशा खाने व मारने लगे व उनको पिंजरों में बंद कर दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि या तो कई प्रजातियाँ लुप्त हो गयी या कुछ लुप्त होने की कगार पर आ गयी। उदाहरण के तौर पर आपने पिछली बार कब चिड़ियाँ या तितली को देखा था?
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किंतु अब लॉकडाउन की कारण अन्य जीव जंतुओं को भी यह पृथ्वी अपनी लगने लगी हैं। वे भी स्वतंत्र होकर घूम रहे हैं, उड़ रहे हैं व इस पृथ्वी में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं। हमें अपनी सुरक्षा करने का संपूर्ण अधिकार हैं लेकिन उसके लिए दूसरों को समाप्त कर देने का अधिकार हमें किसी ने नही दिया।
तो यह थे कुछ सकारात्मक लाभ जो इस पृथ्वी में केवल हमारें घरों में बंद हो जाने से हुए। अब जरा एक बार सोचिएं यदि हम सच्चे मन से पृथ्वी व पृथ्वी के हर तत्व, जीव जंतु, पेड़ पौधों को अपना मानकर उनकी रक्षा करें व उन्हें गंदा ना करें तो यह पृथ्वी स्वयं एक स्वर्ग बन जाएगी। ऐसा करने से ना केवल पृथ्वी का भला होगा बल्कि हमारे लिए भी यह बहुत तरह से लाभदायक सिद्ध होगा।
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