जिस दिन पूरे देशभर में होली का त्यौहार मनाया जाता हैं उस दिन पंजाब में सिखों के द्वारा होला मोहल्ला का त्यौहार (Hola Mohalla In Hindi) बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता हैं। इसकी शुरुआत सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह जी ने की (Hola Mohalla Kyu Manaya Jata Hai) थी। यह रंगों के त्यौहार होली के जैसा ही हैं बस इसमें सिखों के द्वारा अपने पौरुष का प्रदर्शन करना भी सम्मिलित हैं।
होला मोहल्ला में भी सभी लोगों का आपस में रंगों व पानी से खेलना होता (Hola Mohalla Festival In Which State) हैं। जो एक चीज़ ज्यादा होती हैं वह हैं निहंग व अन्य सिखों के द्वारा नकली युद्ध करना और अस्त्र-शस्त्रों का प्रदर्शन करना इत्यादि। आज हम आपको होला मोहल्ला पर्व के बारे में संपूर्ण जानकारी देंगे।
इसकी आधिकारिक शुरुआत गुरु गोविन्द सिंह जी ने अपने समय में की थी। उन्होंने सभी सिखों को पंजाब के आनंदपुर साहिब गुरूद्वारे में एकत्रित होने का आदेश दिया और होली खेलने को कहा। उन्होंने सिखों को होली खेलने के साथ-साथ अपने हथियारों के प्रदर्शन, कलाबाजी, नकली युद्ध आदि करने को कहा। स्वयं गुरु भी इसे देखा करते थे और सर्वश्रेष्ठ तलवारबाज को पुरस्कार भी देते थे।
इस दिन सभी सिख वहां एकत्रित होते हैं और अपने पौरुष का प्रदर्शन करते हैं। इस दौरान पंच प्यारे और निहंग सिख ढोल नगाड़े बजाते हुए और हथियारों का प्रदर्शन करते हुए देखे जा सकते हैं।
इसका आयोजन आनंदपुर साहिब गुरूद्वारे में होता हैं जो पंजाब के रूपनगर जिले में स्थित है। इसकी स्थापना सिखों के नौवें गुरु गुरु तेग बहादुर जी ने की थी। इसके बाद गुरु गोविन्द सिंह जी ने इसी गुरूद्वारे में होली का पावन पर्व होला मोहल्ला के नाम से मनाए जाने की शुरुआत की थी।
इस पर्व का आयोजन छह दिनों तक किया जाता हैं जो होली के धुलंडी के दिन समाप्त होता है। शुरूआती तीन दिन कीरत सिंह गुरूद्वारे में इसका आयोजन किया जाता हैं तो बाकि के तीन दिन आनंदपुर साहिब गुरुद्वारे में इसका आयोजन किया जाता हैं।
इस दिन सुबह से ही कीर्तन, अरदास, कविताएँ इत्यादि का गायन किया जाता हैं। इसके बाद सभी ओर रंग उड़ना शुरू हो जाते हैं। साथ ही निहंग सिख अपने हाथों में तलवार व अन्य हथियार लिए हुए उनका प्रदर्शन करते हैं और कलाबाजियां दिखाते हैं।
इस समय नकली युद्ध का भी आयोजन किया जाता हैं जिसमें दो दल बना दिए जाते हैं। दोनों दल एक-दूसरे के साथ बिना क्षति पहुंचाए युद्ध करते हैं। इस प्रकार उनके द्वारा अपने पौरुष का प्रदर्शन किया जाता हैं।
इसमें होला शब्द होली से लिया गया हैं। कुछ लोगों के अनुसार होला को हल्ला शब्द से लिया गया हैं जो सैनिकों का शंखनाद होता हैं तो वही मोहल्ला शब्द सेना का समूह। इस प्रकार होला मोहल्ला शब्द का अर्थ सिख सैनिकों (निहंग और अन्य सिख) के समूह के द्वारा अपने पौरुष के प्रदर्शन करने से है।
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